मंगल ग्रह के जुगनू Prabodh Kumar Govil द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मंगल ग्रह के जुगनू

- अंगूर का रस। गिलहरी ने कहा।
- आम का रस। कॉक्रोच चिल्लाया
मेंढकी बोली- अनार का रस।
तितली पंख फड़फड़ाते हुए बोली - गन्ने का रस!
कबूतर कुछ कहने वाला था कि किसी के ज़ोर- ज़ोर से हंसने की आवाज़ आई।
जिस पेड़ के नीचे सब मित्रों की ये धमाचौकड़ी चल रही थी, उसी की सबसे ऊंची शाख पर बैठा मिट्ठू तोता हंस रहा था।
कबूतर गर्दन उठा कर बोला- मिट्ठू भाई, ये बात ठीक नहीं है, तुम बताओ कि तुम क्यों हंसे? इस तरह किसी पर हंस कर उसका मज़ाक उड़ाना अच्छी बात नहीं।
तोता कुछ बोलना ही चाहता था कि तभी हरी घास के बीच सबने देखा कि कछुआ ठुमकता हुआ उधर ही चला आ रहा था।
कछुआ जैसे ही पहुंचा मिट्ठू तोता बोला- लो, मैं जिन पर हंस रहा था वो महाशय तो ख़ुद यहां चले आए।
कछुआ नाराज़ होकर बोल पड़ा- पर तुम मुझ पर क्यों हंस रहे थे?
मिट्ठू बोला- मैं तो तुम्हारी चाल पर हंस रहा था। जब दौड़ होती है तब तो तुम खरगोश को भी हरा देते हो, पर अभी तुम ऐसे चल रहे थे जैसे चींटी से बातें करते हुए चल रहे हो।
कछुआ बोला- मैं तो बहुत तेज़ दौड़ता हूं पर इस समय मेरी पीठ पर मेहमान बैठे थे न, इसलिए धीमी चाल से आ रहा था।
ये सुनते ही सब ख़ुशी से ताली बजाते हुए चीख पड़े - वाह! मंगल ग्रह के जुगनू!
मंगल ग्रह से हर साल धरती पर आने वाले दोनों जुगनू ए और वन कछुए की पीठ से उतरे और खुशी से सब से हाथ मिलाने के लिए बढ़े।
पर ये क्या?
किसी ने भी उनसे हाथ नहीं मिलाया। सभी पीछे हट गए।
दोनों एक साथ बोल पड़े- क्या बात है, आप सब हम से नाराज़ हो क्या? न किसी ने हम से हाथ मिलाया, और न कोई हमसे गले मिला? क्या आपको हमारे आने से खुशी नहीं हुई?
- अरे नहीं- नहीं जुगनू भाई, आपको देख कर तो हम सब बहुत ख़ुश हो गए हैं। पर आपको क्या बताएं, इन दिनों हम सब धरतीवासी बहुत परेशान हैं।
- अच्छा! क्या परेशानी है सबको? जुगनू ए ने कहा।
कबूतर बोला- आजकल पूरी पृथ्वी पर "कोरोना" वायरस से एक भयानक बीमारी फ़ैल गई है। ये बीमारी एक दूसरे के पास आने और उन्हें छूने से और भी फैलती है।
- ओह, ये तो ख़तरनाक है। लेकिन धरती पर तो बहुत सारे डॉक्टर हैं! क्या वो बीमारी ठीक नहीं करते? जुगनू वन ने पूछा।
तोता बोला - भाई, ये नई बीमारी है न, तो अभी इसकी कोई दवा नहीं है। पर इससे बचने के लिए डॉक्टर कई तरीक़े सबको बताते रहते हैं।
कबूतर बोला- हां- हां, चलो चलो, सब हाथ धो लो।
सब लोग पास के नल पर जाकर रगड़- रगड़ कर हाथ धोने लगे। वहां साबुन भी रखा था।
जुगनू वन ने कहा- इस बार सड़क पर कोई भी बच्चा सायकिल चलाते हुए दिखाई नहीं दे रहा, न ही कोई गाड़ी अाई। फल- सब्ज़ी के ठेले भी नहीं हैं।
- क्या श्रीहान और सुयश इस बार भी कहीं बाहर गए हुए हैं? जुगनू ने पूछा।
- नहीं। गिलहरी धीरे से बोली- इस बार पूरी दुनिया में ही एक अजीब मुसीबत आई हुई है। बीमारी फैलने के डर से स्कूल, बाज़ार, मॉल्स,होटल्स सब बंद हैं।
- हां, बच्चों के स्कूल भी बंद हैं। कबूतर बोला।
- अरे, तो क्या बच्चे अब पढ़ते - लिखते भी नहीं? जुगनू ए को हैरानी हुई। - तो फ़िर सब लोग खाने- पीने का सामान, साग- सब्जी, राशन, कपड़े, खिलौने कहां से लाते हैं?
- सबने ज़रूरत की चीज़ें घर में ही जमा कर रखी हैं, कुछ ऑनलाइन मंगाते हैं। कबूतर ने कहा।
गिलहरी बोली- और डिलीवरी वाले लड़कों को दूर से ही सामान बाहर रख कर जाना पड़ता है, जिसे सेनिटाइज़ करके भीतर रखा जाता है। सब डरे हुए हैं।
तभी जुगनू बोला- डरे हुए कहां हैं, कुछ देर पहले तो तुम सब ज़ोर- ज़ोर से सारे रसों का नाम लेे रहे थे- अंगूर, आम, अनार, गन्ना... डर में जूस का नाम लेते हैं क्या?
कबूतर बोला - अरे वो? वो तो हम श्रीहान को बता रहे थे। क्या है कि आजकल स्कूल तो बंद हैं, बच्चे घर से ही ऑनलाइन क्लास में पढ़ाई करते हैं। तो सुयश और श्रीहान को होमवर्क में सर्वे करना था कि सब लोग कौन सा जूस पसंद करते हैं, यानी अपना - अपना फेवरेट जूस बताना था।
कॉक्रोच ने कहा - तुम्हें पता है जूस में विटामिन सी होता है। उसे पीने से कोरोना से लड़ने की शक्ति आती है।
तितली बोली- चलो- चलो, हम सब जूस पीते हैं।
- अरे पर पिलाएगा कौन? पैसे हैं किसी के पास? गिलहरी ने कहा।
कबूतर जुगनुओं से बोला- आजकल सब लोग मुंह पर मास्क लगा कर घर से निकलते हैं।
- अब तुम दोनों भी दूर- दूर रहना। कॉक्रोच ने जुगनू ए और वन से कहा।
तभी सामने का दरवाज़ा खुला और उसमें से सुयश और श्रीहान ने निकल कर एक छोटे से बर्तन में थोड़ा सा जूस पेड़ के पास बाहर रख दिया।
सब उस तरफ़ दौड़े।
श्रीहान और सुयश ने भी मुंह पर मास्क लगा रखे थे और वो आपस में थोड़ी दूरी बना कर चल रहे थे। उनके जाते ही सब जूस के बर्तन की ओर दौड़े।
पर तोते ने सबको टोका- अरे भाई रुको, देखो सब थोड़ी दूरी बना कर चलो।
जुगनू भी कुछ दूर रुक गए।
वन ने पूछा - लेकिन ये सब कब तक चलेगा? क्या हमेशा ऐसा ही रहेगा?
- नहीं नहीं, दुनिया भर के वैज्ञानिक और डॉक्टर इस रोग की कोई दवा या वैक्सीन खोजने में लगे हैं। जैसे ही कोई इलाज मिल जाएगा, सब कुछ ठीक हो जाएगा। गिलहरी ने कहा।
तोते ने कहा - तुम लोग चिंता मत करो। आदमी किसी भी कठिनाई से हार नहीं मानते। वो हर समस्या का कोई न कोई हल ढूंढ ही लेते हैं। यहां हर बीमारी का कोई न कोई इलाज है, तो जल्दी ही इसका भी मिलेगा।
कबूतर बोला- इस बीमारी ने हम सबको कई अच्छी बातें भी सिखा दी हैं। जैसे, मुसीबत के लिए कुछ धन बचा कर रखना, कम सामान के साथ काम चलाना, एक दूसरे की सहायता करना।
ये सुन कर दोनों मेहमान जुगनू बहुत ख़ुश हुए।
तभी मेंढकी ने बताया कि वो आज सुबह बाग़ में टहल रही थी तब श्रीहान और सुयश भी वहां क्रिकेट खेलने आए थे। जाते समय वो कह रहे थे कि उन्होंने कोरोना पर एक गीत भी बनाया है।
तितली चिल्लाई - हां- हां, मैंने भी सुना था। मैंने तो उसे याद भी कर लिया।
जुगनू ए ने कहा- सुनाओ- सुनाओ...
"चीनी चमगादड़ ने बोया
ऐसा एक बबूल
जिसमें कोई फूल न पत्ता
केवल कांटे - शूल
बच्चे, बूढ़े और युवा भी
संकट में सब आए
सारी दुनिया सोच रही है
विपदा वापस जाए
सारे में सन्नाटा दिखता
एरोप्लेन न उड़ते
छोड़ पढ़ाई घर बैठे हैं
बच्चे पढ़ते - पढ़ते
सड़कें हैं वीरान, नगर
ख़ामोश, दुकानें बंद
खेल कूद और सैर- सपाटा
धंधा सबका मंद
दूर- दूर सब सहमे - सहमे
मुंह पर मास्क लगाये
मिलना- जुलना बंद सभी का
कोई आए न जाए
कोरोना है नाम रोग का
जिसकी दवा न कोई
सांस रोक कर दुनिया बैठी
जहर घुल गया कोई!"

तभी मची भगदड़ ऐसी कि
उड़े सभी के होश
देख पुलिस की गाड़ी सबका
ठंडा हो गया जोश
पुलिसमैन बंदर जी उतरे
लिए हाथ में डंडा
मास्क पहनने दौड़े सारे
जूस छोड़ कर ठंडा
गुस्से से बोले बंदर जी
खबर मिली है हमको
यहां कोई परदेसी अाए
ख़तरा जिनसे सबको
झटपट नाम बताओ उनका
सारे टेस्ट करेंगे
पहले उनकी जांच करेंगे
तब ही रेस्ट करेंगे
कहा कांपते कछुए ने ये
मंगल ग्रह के जुगनू
नाम एक का ए बाबू है
और दूसरा वन्नू
गाड़ी से उतरी झटपट तब
मैना बड़ी डॉक्टर
कोरोना किट लेकर जांचा
नाप लिया टेंप्रेचर
कांप रहे थे थरथर जुगनू
अगर हुए बीमार
मंगल पर भी फैल जाएगा
ख़तरनाक बुखार
कहा गिलहरी ने मत डरना
हम सब यहां रिलेटिव
मैना जी ख़ुश होकर बोलीं
- दोनों हैं निगेटिव !