क्या ये प्यार था ? Ashish Garg Raisahab द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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क्या ये प्यार था ?

शशि गुप्ता , जी हां यही तो नाम था उसका , जिसका नाम सुनकर ही दिल मे कुछ कुछ होने लगता था ,कानों में संगीत बजने लगता था । जिसको देखकर दिल जे धड़कने की स्पीड 150 तक पहुंच जाती थी ,जिस से बात करने में होंठ थरथराने लगते थे मेरे हमारी क्लास का हर स्टूडेंट उसको पसन्द करता था और वो थी पुरी मनमौजी हर किसी से खुल कर बात करती थी । पर हम लड़के तो ऐसे ही होते हैं कोई लड़की हमसे खुल कर बात करती है तो हम उसे प्यार समझ लेते हैं , हमारा दिल होता ही इतना नाजुक है लड़की की जरा सी हंसी पर फिसल जाता है । लेकिन इसमें हमारा तो कोई दोष नही है सब ईश्वर की इच्छा से होता है लड़के होते ही मासूम हैं जो लड़कियों की कुटिल हंसी पर भी फिसल जाते है क्योंकि हमारे दिल मे पाप जो नही होता ।
चलिये छोड़िये लड़कों की बातें , मैं आपको बताता हूँ कहानी शशि की जिसपर मेरा दिल आ गया था कभी क्लास में ।
मैं ओर मेरे तीन दोस्त उसके पीछे बैठते थे वो भी मुड़कर हमसे बात कर लेती थी ,लेकिन जब वो मेरे सिवा किसी ओर से बात करती तो मुझे जलन होती थी और एक गाना याद आ जाता था ......

(तुम्हे कोई और देखे तो जलता है दिल ,
बड़ी मुश्किलों से फिर सम्भलता है दिल ).

हम चारों में अक्सर एक ही बात पर चर्चा होती थी कि वो हम में से किस से प्यार करती है और हमारी जिरह भी हो जाती थी हालांकि मुझे लगता था कि वो सिर्फ मुझे प्यार करती है और ओर बाकी तीनो को भी यही लगता होगा तो हम सब ने निश्चय किया कि एक एक कर हम चारों उसको प्रोपोज़ करेंगे सभी को 10 10 दिन का समय मिलेगा ।
सभी खुश थे लेकिन पहले किसका नंबर आये इस बात को लेकर असमझस थी तो निश्चय हुआ कि पर्चियों पर नाम लिखकर उछाल जाए और ग्रुप से बाहर के बन्दे को बुलाकर पर्ची उठवाई जाए तो निर्णय हो जाएगा ।
इसी के साथ पर्चियां उछाली गयी और सबसे पहले दीपक का नाम आया पर मेरे दिल मे हलचल हो गयी कि, हे भगवान! अगर उसको हां कह दी तो मेरा दिल टूट जाएगा पर क्या कर सकते थे जो भगवान को मंजूर था वही होना था ।
फिर भी मैने पास के हनुमान मंदिर में जाकर मन्नत मांगी कि हनुमानजी अगर शशि ने दीपक को ना कर दी तो मैं आपको पूरे 21 का प्रसाद अर्पण करूँगा।
ऐसे करते हुए 4 दिन निकल गए पर अभी तक दीपक ने शशि को अपने दिल की बात नही कही थी फिर सब ने मिलकर उसे कोचिंग के बाद प्रोपोज़ करने को बोला पर उस दिन भी वो नही कह पाया लेकिन अगले दिन उसे पता नही क्या हुआ अचानक से उसका दिल कैसे मजबूत हो गया साला उसने हमसे बिना बताए ही कोचिंग से पहले आ कर इजहार कर दिया शशि ने उसे बोल दिया कि वो उसके बारे में ऐसा नही सोचती है वो उसे अपना दोस्त समझती है वो बेचारा इतना उदास हुआ कि कोचिंग क्लास अटेंड ही नही की पहले ही वापिस चला गया और तो ओर हमे इस बात का अगले दिन पता चला , ऊपर से हमने उसे सहानुभूति दी पर अंदर से इतनी खुशी हुई कि पूछो मत ।
शाम को मैं हनुमान मन्दिर गया और हनुमान जी के साथ अपना किया हुआ वादा निभाया 21 रुपये का प्रसाद चढ़ाया ।
अगले दिन फिर पर्ची उछाली गयी और इस बार मेरा नाम आया लेकिन दीपक का हश्र देखकर मैं इस लाइन से आउट हो गया और बोला कि मैं उसको इजहार नहीं करूँगा मैं अपना प्यार दिल मे ही दबाकर रखूंगा, उसके इनकार से तो अच्छा है कि मैं इजहार ही ना करूँ दिल को एक तसल्ली तो रहेगी कि उससे प्यार करता हूँ । ना होने का डर दिल मे घर कर गया था मैं बहुत उदास हो गया और चुपचाप ग्राउंड में जाकर बैठ गया सभी ने मुझे समझाया कि ये अंतिम अवसर है सोच लो , जाकर प्रोपोज़ कर दो ,हो सकता है तम्हे हां हो जाये पर मेने साफ इंकार लर दिया ।
ऊपर ऊपर से राजेश ओर सोनू बहुत उदास दिखे पर मैं जानता था कि साले अंदर से बहुत खुश होंगे कि उनके रास्ते का कांटा साफ हो गया । उसके बाद पर्ची में सोनू का नाम आया उसको भी वही जवाब मिला जो दीपक को मिला।
पर अब क्या हो सकता था सोनू भी टूट हुए दिल के साथ मेरे ओर दीपक के साथ हो गया था अब हमें पूरी उमीद थी कि राजेश का प्रोपोज़ एक्सेप्ट होगा , वैसे अंदर से मैं अभी भी परेशान था कहीं राजेश का प्रोपोज़ वो एक्सेप्ट ना कर ले , और मेरा चुपचाप वाला एक तरफ़ा प्यार भी कहीं दम ना तोड़ दे ।
राजेश ने बुधवार को चुना प्रोपोज़ करने के लिए क्योंकि उस दिन ड्रेस की छूट होती थी तो वो उस दिन पूरा तैयार होकर आया नए कपड़े और नए जूते पहन कर , ओर वो लग भी पूरा हैंडसम रहा था , चूंकि राजेश क्लास का टॉपर भी था और हमसे एक्स्ट्रा दिमाग वाला भी था तो हम सबको ये विश्वास था कि वो इस कड़ी परीक्षा को उतीर्ण कर ही लेगा , लेकिन मैं मैन ही मन हनुमान जी को प्रार्थना भी कर रहा था कि हे प्रभु ये भी पास न हो पाए इस प्रेम निवेदन में ।
जैसे ही आधी छुट्टी हुई उसने शशि को बुलाया, हम सब दूर से देख रहे थे दोनों लगातार बात कर रहे थे हमे कुछ भी समझ नही आया और लगा कि जैसे वो सेलेक्ट हो गया , ये बात हमारे हजम ही नही हो रही थी कि उसको शशि ने कैसे हां कह दिया क्या वो इतना ही हैंडसम है या वो टॉपर है, इसलिए उसे हाँ कह दी होगी हमारे मन मे सौ सवाल थे और राजेश वापिस आने का नाम नही ले रहा था ।
थोड़ी देर में वो वापिस आया तो उसका मुंह उतरा हुआ था हमारे बहुत पूछने पर उसने बताया कि उसकी तो शशि ने बहुत उतारी ओर बोली कि राजेश तुम इतने सिन्सियर हो कर ऐसा कैसे सोच सकते हो मैं तो तुम्हे अपना दोस्त समझती थी और तुम भी ऐसे निकले । मुझे तुम पर बहुत यकीन था और तुमने मेरा यकीन तोड़ दिया , आज से मुझसे बात मत करना ।
सभी बहुत उदास थे और चुपचाप भी थे , उन सब ने मुझे बहुत कहा कि भाई वो तुझसे प्यार करती है तू भी प्रोपोज़ कर लेकिन मैं उनकी बातों में नही आया और अंदर ही अंदर से खुश भी था कि मैंने उसे अपने दिल की बात नहीं बताई चुप ही रहा । कम से कम हमारी दोस्ती तो बरकरार रहेगी ।

इसी तरह इस बात को लगभग 20 दिन बीत गए सब नार्मल हो गए थे एक दिन शशि ने मुझे बुलाया ओर कहा कि कोचिंग के बाद रुक जाना मुझे थोड़ा काम है , मेरे दोस्त इस बात से चिढ़ गए कि शशि अब इसको प्रोपोज़ करेगी मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ गयी जैसे तैसे एक घंटा बीत गया और कोचिंग खत्म हो गयी मैं रुक गया और बाकी दोस्तों को मैने जबरदस्ती भेज दिया जबकि वो जाना नही चाहते थे ।
शशि मेरे पास आई और बोली ,'अंशु मुझे तुमसे कुछ कहना है, मैं तो सोच रही थी कि तुम भी मुझे अपना हाल ए दिल कहोगे लेकिन तुमने तो प्रोपोज़ किया ही नही । लेकिन मुझे अच्छा लगा कि कोई मेरा अच्छा दोस्त है , वरना लड़के सब एक जैसे होते हैं '
मेरे पास तो कोई जवाब था ही नही फिर भी मैने दिल मजबूत करके कह दिया कि हां सही है कुछ लड़के ऐसे होते हैं पर सब नही होते यार , लेकिन मैं तुम्हे अपनी अच्छी दोस्त मानता हूं और मानता ही रहूंगा ।
मेरे दिल मे उसके लिए श्रद्धा बढ़ गयी और वो मुझे देवी स्वरूप नजर आने लगी जिसके मन मे कुछ भी पाप नही है और वो किसी भी सांसारिक प्राणी में आसक्त नही है , दिल को बड़ी प्रसन्नता हुई ।
'तुमने मुझे क्यों बुलाया ? ' मैने पूछ लिया

फिर वो बोली मैं तुमसे कुछ काम कहना चाहती हूं अगर कर दो तो बताओ ,
मैने कहा , बोलो तो सही
उसने कहा कि देखो यार मुझे गलत मत समझना मुझे ना एक लड़का पसंद है वो 12A वाला 'मोंटी शर्मा ' ।तुम उसके बारे में पता कर के बता दो यार प्लीज!! बस ये पता लगाना है कि उसके दिल मे मेरे लिए क्या है ? प्लीज प्लीज यार कर दो ये काम

मेरा तो दिमाग सुन्न हो गया साला जिसको एक मिनट पहले देवी मान बैठा था वो तो चुड़ैल निकली , अंदर से बहुत बड़ी गाली निकली, दिल किया कि उसका मर्डर ही कर दूं , मुझे इतना गुस्सा आया कि पूछो मत , अभी तक तो हम दोस्त हुए थे और अभी हमें दलाल बना दिया गया ......
मैं अभी सदमे से बाहर भी नही आया था कि उसने पूछा कि क्या हुआ , कर दोगे ना पता ?
मैने कहा हाँ मैं पूछ कर बता दूंगा ओर घर चला आया, मूड बहुत खराब था और भुख भी नही थी , सो उस दिन खाना भी नही खाया , मम्मी ने बहुत पूछा कि क्या हुआ?
पर उनसे क्या कहता कि, उनके प्रतिभाशाली पुत्र का दिल आज टूट गया ।
खैर छोड़ो अगले दिन स्कूल गया तो सभी के दिल मे सवाल थे कि आखिर क्या हुआ था कल मेरे ओर शशि के बीच मे ?
मेने उन तीनो को पूरी कहानी बताई और मुंह लटका कर बैठ गया , हालांकि उनके दुख में मैं दिल से शरीक नही हुआ था पर वो तीनो मेरे दुख में दिल से शरीक थे , दुख ये नही था कि उसने हमें इनकार किया , दुख सिर्फ इस बात का था कि उसने किसी ओर से प्यार किया ।
उस दिन मैंने मोंटी से बात तो की लेकिन वो बात नही की जो शशि ने मुझसे कही थी ,मैने ओर ही बाते कर के वक़्त निकाल दिया ।
ओर एक मनगढ़त कहानी शशि को सुना दी जो कि हम चारों ने तैयार की थी की मोंटी तो नीति जोशी को प्यार करता है और उन दोनों का तो कई दिन से चल रहा है ।
बेचारी शशि का दिल टूट गया और वो बहुत रोई । उदास होने का दिखावा मैंने भी किया लेकिन दिल मे इतनी खुशी थी कि पूछो मत, कि जो हमारी नही हुई हमने उसको किसी की होने भी नही दिया।
अगर हमारा प्यार एक तरफा था , उसका भी एकतरफा ही रहे ।