love in curfew Ashish Garg Raisahab द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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love in curfew

आज २२ मार्च दिन रविवार मैं घर पर ही था, मैं तो क्या भारत के सभी लोग घरो में ही थे, वजह तो आप सब को पता ही है फिर भी मैं बता देता हूँ कोरोना वायरस के चलते पुरे भारत में मोदी जी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था सो घर पर होना सवाभाविक ही था

मैं एक सरकारी टीचर हूँ मेरी नौकरी अभी अभी लगी थी , मेरी पोस्टिंग मेरे गृहनगर से बहुत दूर पटियाला में हुई थी मैंने यहाँ एक कमरा किराये पर लिया हुआ था जो की एक अच्छे परिवार ने मुझे किराये पर दिया था उस परिवार ने मुझे बहुत स्नेह दिया अंकल की छोटी सी किराना शॉप थी और आंटी बिलकुल मेरी मम्मी के जैसे ही थी शांत और मधुर स्वाभाव की उस परिवार ने मुझे बिलकुल बेटे जैसे ही स्नेह दिया उनके कोई औलाद नहीं थी ये तो थी मेरी हिस्ट्री जियोग्राफी, अब मैं बताता हूँ वो घटना जिसने मेरा जीवन ही बदल कर रख दिया|

२२ मार्च के अगले दिन से अचानक से पंजाब सर्कार ने करफ्यू लगा दिया किसी को भी कहीं जाने की इजाजत नहीं थी मुझे भी मजबूरन वहीँ रहना पड़ा | घरो से बहार निकलने पर पाबन्दी हो गयी थी इसी तरह से अगली सुबह मैं सुबह चाय नाश्ता वगेरा करके मेरे कमरे के ऊपर की छत पर चला गया तो बिलकुल सामने मुझे सामने की छत पर एक लड़की मिली जो मुझे कनखियों से देख रही थी मुझे उसका देखना अच्छा लगा पर मैं थोड़ा शर्मीला हूँ तो उसकी नजर से नजर मिला नहीं पाया थोड़ी देर बाद मैं निचे उतर गया वो मुझे नीचे उतरते हुए देखे जा रही थी मैंने भी चुप कर उसे देखने की कोशिश की पर जब नजरे मिली तो मेरी नजर झुक गयी | मेरे जैसे लड़कों की प्रजाति आजकल नहीं पायी जाती है हम वो लोग होते हैं जो नजर बचा कर लड़की को देखने का प्रयास करते हैं परन्तु लड़कियों की एक खासियत होती है की वो लड़के की आंखे देख कर ही पहचान जाती हैं की लड़के क्या सोच रहे हैं और क्या इनके दिल और दिमाग में चल रहा है पर हम लड़के लोग सोचते हैं की हम लोग ही हैं जो सबसे ज्यादा समझदार हैं , हमसे ज्यादा कोई बुद्धिमान कोई है ही नहीं | इसी तरह से दो तीन दिन लगातार उसने मुझे और मैंने उसे देखा हमारी एक बॉन्डिंग सी बन गयी थी एक दूसरे को देखने की जैसे होता है न की एक टाइमिंग फिक्स हो गई हो मेरा भी मन उसको देखे बगैर लगता नहीं था हो सकता है दूसरी तरफ भी वही फीलिंग्स हो पर वो मुझे कैसे मालूम हो सकता था , दिल उसको मिलने के नित नए बहाने ढूंढता था की कैसे उस तक पहुंचा जायेगा पर कोई तरीका मिल नहीं रहा था उसका घर मैं रोड की दूसरी और पड़ता था और रोड पर पुलिस का भरी जाब्ता था मुझे डर था की पुलिस वाले कहीं परेड न कर दें आजकल बहुत सी ऐसे ही खबरे आ रही थी और व्हाट्सप्प पर वीडियोस भी वायरल हो रहे थे इन सब में पंजाब पुलिस के वीडियोस तो बेहद ही खतरनाक थे जो भी बाहर मिलता उसको पकड़ कर लाठियों से धो दिया जाता था।

लेकिन भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था एक दिन कर्फ्यू में 3 घंटे को ढील दी गई और जरूरी सामान लाने के लिए छूट दी गयी थी , घर पर सब्जियां और दूध खत्म हो गया था और साथ ही आंटी ने भी कुछ राशन लाने को बोला था , उस दिन मैं उस लड़की को भी नही देख पाया दिल में मलाल भी था पर सामान लाना भी जरूरी था सो मैं मार्किट चला आया ,सब्जियां तो मैंने ले ली थी राशन अभी लेना बाकी था तो सामने राशन की दुकान पर काफी भीड़ थी लेकिन वहां गोले लगाए हुए थे जो कि सोशल डिस्टनसिंग के लिए जरूरी थे , तभी मैने आगे देखा कि उसी लड़की के जैसी एक लड़की मुझसे आगे खड़ी हुई थी ,मेरे दिल मे हलचल मच गयी मैने कोशिश की आगे बढ़ने की तो अचानक देखा कि उसके सामने वाला सोशल डिस्टनसिंग गोला खाली था मैं भाग कर वहां गया उस लाइन के ग्राहक मुझ पर चिलाने लगे पर मुझ पर तो जैसे कोई असर ही नही हुआ उनके चिल्लाने का मैं तो उस लड़की को देखकर पागल हुआ जा रहा था इसी तरह मेरा नंबर भी आ गया और उसका भी हम दोनों समान ले रहे थे और एक दूसरे को चोरों की तरह से देख भी रहे थे कि अचानक उसके श्रीमुख से कानों में अमृत घोलते हुए शब्द निकले ,' एक्सक्यूज मी ,क्या आपका फ़ोन मिलेगा मुझे अपने घर पर फोन करके सामान पूछना था ?'

मेरे मुंह से शब्द नही निकले पर मोबाइल मैने झट से निकल कर उसको दे दिया ।

उसने फ़ोन किया मगर आगे से शायद किसी ने उठाया नहीं ओर वो अपना सामान ले कर चली गई कमबख्त ने पीछे मुड़ कर भी नही देखा मैं मन मसोस कर रह गया , दिल बहुत उदास हो गया फिर मैं भी समान लेकर घर को आ गया और चुप चाप कमरे में जाकर सो गया ।

शाम हो गई थी , मोबाइल में टाइम देखा तो 5 बज गए थे ,मोबाइल जेब मे डालकर छत की ओर जाने का विचार किया पर सुबह की घटना याद आ गयी ,फिर अचानक विचार आया कि सुबह जिस नंबर पर उसने कॉल किया था उस पर कॉल कर लूं , हो न हो उसने नंबर देने के लिए ही मोबाइल लिया हो । मैने नंबर डायल कर दिया फिर अचानक कुछ सोच कर काट दिया , कि क्या पता नंबर किसका हो उसके पापा का न हो या उसकी मम्मी का न हो , दिल मे सौ सौ ख्याल आये, इन्ही ख्यालो को ध्यान में रखते हुए मैने फ़ोन बन्द किया और छत पर टहलने लगा ।

रात होने को आई ,

उसकी याद तो बहुत आयी ,

मगर वो न आई ,

अचानक एक मैसेज आया

हेलो !

मैने भी रिप्लाई किया ,

हेलो !

वो , ' पहचाना ? '

मैं ,' नहीं '

वो ,' प्रिया '

मैंने पहचाना नहीं

वो ,' सुबह आपसे फ़ोन लेकर कॉल किया था ना वही '

मैं ,' ओके ओके , सॉरी मैं पहचान नही पाया था ।

प्रिया , ' पहचानते कैसे पहली बार ही तो बात की है '

मैं , ' 😂😂😂

प्रिया , ' आपका नाम ? '

मैं ,' आशीष अग्रवाल , एक गवर्नमेंट टीचर हूँ । यहीं आपके पटियाला में जॉब करता हूँ ।

प्रिया ,' गुड़ , आप यहां के नहीं है क्या ?

मैं ,' जी नही , मैं बठिंडा से हूँ '

इसी तरह रोजाना बात होने लगी ,वो एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी और गवर्नमेंट जॉब की तैयारी कर रही थी और संजोग से हमारे ही कास्ट की थी प्रिया , यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई ,इसी तरह से कर्फ्यू के 20 दिन गुजर गए और मैने एक दिन उसे प्रोपोज कर दिया उसने कहा सोच कर बताएगी ।

फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके अपने घर पर भी बात की घर वालो को भी इसमें कोई एतराज नहीं था , जब कर्फ्यू खत्म हुआ 30 अप्रैल को , उस से कुछ दिनों बाद मैंने अपने पापा ओर मम्मी को बुला लिया ओर पापा ने मेरे मकान मालिक अंकल आंटी से उस परिवार के बारे में पूछा तो अंकल में बताया कि वो बहुत अच्छा परिवार है । अंकल ने कहा कि अगर आप कहे तो मैं उनसे बात कर लेता हूँ इस तरह हमारी सारी परेशानी खत्म हो गयी।

अंकल ने उनसे बात की ओर प्रिया के मम्मी पापा ओर भाई को इस शादी के लिए राजी कर लिया ,मेरे लिए वो दिन सबसे खुशी का दिन था ,मुझसे ज्यादा खुशी अंकल आंटी को थी जिन्होंने अपने बेटे जैसा मुझे प्यार दिया और इंगेजमेंट का सारा इंतजाम उन्होंने ही किया , 4 मई दिन मैं कब भूल सकता हूँ जब मेरी सगाई हुई थी ।

अब इंतज़ार है शादी का जो 25 मई को है , ये प्यार शानदार चीज है जो दुनिया को ज़िंदा रखे हुए है ।

।। लव यू आल ।।