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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 6

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर

6

सरोज सर रिचर्ड के कारखाने में प्रेस का काम करती है।

वह जब से ब्रिटेन आई है बड़ा कठिन परिश्रम कर रही है। चाहे कैसा भी मौसम हो सुबह पाँच बजे उठ कर काम पर जाने से पहले घर के कितने ही काम निपटाने होते हैं। बच्चों का, पति का व अपना दोपहर के खाने का डिब्बा तैयार करना। माँ दुकान सँभालती है इस लिए उनके लिए भोजन की व्यवस्था करना। बच्चों को स्कूल के लिए जगा कर 7.30 से पहले वह काम पर पहुँच जाती है।

ब्रिटेन में आ कर सब ने यही जाना है कि गृहस्थी की गाड़ी तभी पटरी पर सीधी चल सकती है जब पति पत्नी दोनों कमाएँ। नहीं तो घर की आवश्यकताएँ पूरी करना असंभव हो जाए।

आवश्यकताएँ पूरी करने हेतु ही तो महिलाएँ सुबह सबेरे झोला लेकर बच्चों को सोता हुआ छोड़ कर काम पर चल निकलती हैं। सरोज के साथ और भी बहुत सी महिलाएँ प्रेस का काम करती हैं।

ये महिलाएँ जहाँ काम करती है वह एक बहुत बड़ा सा कमरा है। बाएँ हाथ की दीवार के साथ ही 9-10 लंबी प्रेस लगी हुई हैं। यह बहुत बड़ी और भारी दो पलड़ों वाली इंडस्ट्रियल प्रेस होती हैं जिसे पहले कुछ सप्ताह सीखना पड़ता है। इस प्रेस की लंबाई लगभग पाँच फुट और चौड़ाइ तीन-साढ़े तीन फुट होती है। ऊपर और नीचे के दोनों पलड़े बराबर के होते हैं जिन पर गद्देदार कपड़ा कस के बिछा होता है। प्रेस के नीचे तीन पैडल लगे होते हैं। एक ऊपर के पलड़े को नीचे खीचने के लिए, दूसरे को दबाने से स्टीम निकलती है और तीसरा कपड़े को सुखाता और ठंडा करता है।

प्रत्येक प्रेस के सामने एक लंबी मेज काम करने के लिए बिछी हुई है। सामने ही बड़ी-बड़ी खुली अलमारियाँ हैं जो ओवरलॉकिंग किए हुए कपड़ों के बंडल से भरी हुई हैं। महिलाओं को काम देने के लिए दो पुरुष हैं। जिनमें से एक ओवरलॉकिंग के कमरे से ट्राली पर बंडल भर कर लाता है और दूसरा उन्हें प्रेसर की मेज पर रखने का काम करता है। यहाँ मनुष्य भी मशीनों के समान काम कर रहे होते हैं।

काम करने की खातिर ही तो सब अँधेरे मुँह घर से बाहर निकल पड़ते हैं। वरना इतनी सुबह सबेरे गर्म बिस्तर छोड़ कर सर्दी में घरों से बाहर निकलना किसे अच्छा लगता है। मजबूरी इनसान से क्या नहीं करवाती... जब कुछ महिलाओं को अपने बच्चों को सोता छोड़ कर काम पर आना पड़ता है। जब तक सरोज के बच्चे छोटे थे सुरेश भाई रात की शिफ्ट में काम करते थे जो दिन में जब सरोज काम पर जाए तो वह बच्चों का ध्यान रख सकें।

ध्यान तो सरोज का है इस समय अपने काम पर। ओवरलॉकिंग किया कपड़ों का एक बंडल खोल कर सरोज ने उसमें से कुछ कपड़े निकाल कर ठीक से प्रेस के नीचे के पलड़े पर बिछाए। प्रेस पर काम के लिए हाथ और पैर दोनों से काम लिया जाता हैं। बाईं ओर के लगे पहले पैडल को बाएँ पैर से दबाते ही ऊपर का पलड़ा थोड़ा ढीला पड़ गया। शीघ्र ही दाएँ हाथ से ऊपर के पलड़े को नीचे खींच कर उन बिछे हुए कपड़ों पर रख दिया जाता है जो नीचे बिछे कपड़े हिलें नहीं...। तब दूसरे पैडल से 10-15 सेकेंड तक कपड़ों को स्टीम देकर तीसरे पैडल को दबाते हैं जहाँ से ठंडी हवा निकल कर उन प्रेस किए कपड़ों को सुखा देती है। प्रेस किए कपड़ों को फिर से सरोज ने उसी रस्सी से इस प्रकार बांधा कि उनकी प्रेस खराब न हो।

हर एक बंडल के साथ एक लंबी सी टिकट होती है जिस पर प्रत्येक डिपार्टमेंट का नाम लिखा है। काम करने के पश्चात उस बड़ी टिकट में से अपनी छोटी टिकट काट कर व बड़ी टिकट पर अपना नाम लिख कर उसे बंडल के साथ अगले वर्कर के लिए भेज दिया जाता है। बड़ी टिकट पर अपना नाम इस लिए लिखते हैं जो पता चले कि यह काम किस ने किया है।

प्रेस के बाद यह बंडल कटर्स के पास जाता है जहाँ वह पहले ओवरलॉकिंग के धागे को खींच कर निकालती हैं। यह ओवरलॉकिंग किया हुआ कच्चा घागा बड़ी सुगमता से निकल जाता है। डिजाइन दे कर और काट कर इन कपड़ों को सिलाई के लिए भेजते हैं। जब कपड़े को आकार मिल जाता है तो एक बार फिर प्रेसर नाप के अनुसार एक फ्रेम पर वस्त्र को चढ़ा कर उसे सावधानी प्रेस करती हैं।

यहीं पर ही काम समाप्त नहीं होता। प्रेस किए हुए तैयार वस्त्र एग्जामिनर्स के पास जाते हैं जहाँ वे प्रत्येक बने हुए कपड़े की ठीक से जाँच करके प्लाटिक के लिफाफों में डाल कर पैक कर देती हैं। इस प्रकार कितने हाथों से निकल कर एक वस्त्र तैयार होता है। प्रत्येक काम करने वाला साथ लगी बड़ी टिकट से अपनी टिकट काटना नहीं भूलता। शुक्रवार उनकी टिकटों को गिनने के पश्चात सब को उन्हीं टिकटों के अनुसार वेतन दिया जाता है

***

सरोज एक बहुत अनुभवी प्रेसर है। पैसों की कमी होने के कारण वह कभी ओवरटाईम भी कर लेती है। सरोज जहाँ काम करती है वह कमरा थोड़ा बड़ा है। लंच ब्रेक के समय उस की और सहेलियाँ भी जो दूसरे विभागों में काम करती हैं यहीं आ जाती हैं खाना खाने के लिए।

सरोज के साथ वाली प्रेस पर एक युवा गोरी लड़की एंड्रिया काम करती है। अच्छी लड़की है। अधिक पढ़ी लिखी नहीं है। वह ठीक से अपने काम की टिकटें भी नहीं गिन सकती जिसके लिए सरोज उसकी सहायता कर देती है। एंड्रिया का ब्वायफ्रेंड जैक भी उसी का हमउम्र है। कुछ दिनों से वह भी एंड्रिया के साथ खाना खाने के लिए प्रेस के कमरे में ही आने लगा। युवा दिमाग हो और उसमें कभी कोई खुराफात न आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता।

कुछ दिन तक तो सब ठीक चलता रहा। एक दिन खाना खाने के पश्चात एंड्रिया को मस्ती सूझी और वह जैक के सामने अपनी मेज पर टाँगें नीचे लटका कर लेट गई। उसका इशारा समझ कर जैक एंड्रिया के साथ शैतानी करने लगा जो शायद एंड्रिया को बहुत अच्छा लगा। अब यह रोज की बात हो गई। बात धीरे धीरे हल्की फुल्की छेड़खानी से आगे बढ़ने लगी। यही शैतानियाँ बदतमीजी पर उतर आईं। दोनों उन बैठी हुई महिलाओं की ओर शैतानी से देखते और शर्मनाक हरकतें करते। सरोज और उसकी दोस्तों से वहाँ बैठना दूभर हो गया।

एक दिन सरोज को इतना गुस्सा आया कि वह खाना वहीं छोड़ कर कहीं चल दी।

"मैनेजर साहब मैं अंदर आ सकती हूँ।"

"अरे सरोज आप... आइए अंदर आइए।" मैनेजर सरोज को जानते हैं कि यह एक बहुत तेज और खामोशी से काम करने वाली महिला हैं। सरोज जो आज मैनेजर के पास आई है तो अवश्य ही कोई जरूरी काम होगा...।

"कहिए सरोज क्या बात है...?"

"सर हमें आधे घंटे का लंच ब्रेक मिलता है। कुछ दिन पहले तक सब ठीक से चल रहा था जब से जैक हमारे कमरे में नहीं आता था।"

"यह जैक कौन है और कहाँ से आता है?" मैनेजर ने जरा जोर से पूछा।

"सर यह कौन है मैं नहीं जानती। ये वहीं काम करने वाली युवा लड़की एंड्रिया का दोस्त है। यह लोग ब्रेक के समय ऐसी शर्मनाक हरकतें करते हैं कि हमारे लिए वहाँ बैठना मुश्किल कर दिया है। आप अभी चल कर अपनी आँखों से देख लीजिए...।"

मैनेजर उसी समय उठ कर सरोज के संग हो लिया।

"जैक... एक कड़कती आवाज आई... एंड्रिया... ये सब क्या हो रहा है। जैक तुम यहाँ क्या कर रहे हो महिलाओं के कमरे में।"

"सर मैं यहाँ अपनी दोस्त एंड्रिया के साथ खाना खाने आता हूँ।"

"वो तो मैने देख ही लिया है कि तुम क्या करने आते हो...। आइंदा तुम किसी भी महिला विभाग में दिखाई दिए तो कारखाने से बाहर कर दिए जाओगे... और तुम एंड्रिया... इतनी ही गर्मी चढ़ी हुई है तो जा कर घर बैठो...।"

घर तो मैं अब इस को बिठाऊँगी जो बड़ी होशियार बनती है...। एंड्रिया ने बॉस से तो माफी माँग ली परंतु मन में सरोज के प्रति एक खुंदक रखी जिस के लिए वह समय की प्रतीक्षा करने लगी।

अंग्रेजों की एक बहुत बड़ी विशेषता है कि वह किसी से कितनी भी दुश्मनी क्यों न रखें परंतु चेहरे पर एक भाव भी नहीं आने देते। हमेशा बत्तीसी निकाल कर और गले मिल कर ही मिलते हैं। समय आने पर कब पीछे से वार कर दें किसी को पता भी नहीं चलेगा...।

यही एंड्रिया ने किया। किसी बड़ी कंपनी के आर्डर की आखिरी तारीख सर पर थी। बड़ी तेजी से काम हो रहा था। सब जानते हैं कि यह बड़ी कंपनियों का जब समय पर आर्डर पूरा नहीं होता तो यह पूरा का पूरा आर्डर कैंसिल कर देती हैं जिस का सारा नुकसान कारखाने को भुगतना पड़ता है। यहाँ का फोरमैन परेशान है आर्डर ठीक समय पर निकालने के लिए। वह सबसे ओवरटाइम करने के लिए पूछ रहा है...

"सरोज दो सप्ताह थोड़ा ओवरटाइम लगा दो बहुत बड़ा आर्डर है..." फोरमैन ने कहा।

"देखिए मैं 40 घंटे में ही इतना काम कर देती हूँ जितना ये बाकी की महिलाएँ ज्यादा समय लगा कर भी नहीं कर पातीं। मेरा तीन साल का बेटा राह देख रहा होता है। मैं आपको कल बताऊँगी...।"

सरोज कल क्या बताती दूसरे दिन वह काम पर आई तो चौंक गई यह क्या... शाम को तो मैं अपनी प्रेस को अच्छा भला छोड़ कर गई थी... यह कपड़े पर इतना बड़ा छेद कहाँ से आ गया। सरोज सोचते हुए वहीं खड़ी हो गई। जब तक पूरा प्रेस का कपड़ा न बदला जाए काम करना असंभव है। स्टीम के साथ जल जाने का डर है।

"सुंदर भाई... सरोज ने वहाँ काम करने वाले आदमी को पुकारा... जरा फोरमैन को बुला दीजिए...। प्रेस का कपड़ा फटा हुआ है ऐसी प्रेस पर काम नहीं हो सकता ये तो मुझे जला देगी। और कोई प्रेस खाली भी नहीं जिस पर मैं जा कर काम करूँ।"

"अरे इतना बड़ा छेद। आप यहीं रुकिए मैं फोरमैन को बुला कर लाता हूँ।"

"यह कैसे हो गया सरोज?" फोरमैन ने आते ही पूछा।

"मालूम नहीं... शाम को तो मैं ठीक ठाक छोड़ कर गई थी। आप जल्दी से इसका कपड़ा बदलवा दीजिए।"

"कपड़ा बदलना इस समय नहीं हो सकता। इतनी सुबह तो मकैनिक नहीं आता। तुम ऐसे करो काम शुरू कर दो जैसे ही मकैनिक आएगा मैं लेकर आता हूँ।"

सरोज जब तक प्रेस पर कपड़े बिछा कर काम करती रही सब ठीक चल रहा था। परंतु जहाँ फ्रेम पर चढ़ा कर प्रेस करने की बारी आई छेद में से गर्म स्टीम सीधी सरोज की बाजू पर लगी। जलन के मारे वह चीख पड़ी। उसकी बाजू पर फफोले पड़ने लगे। सरोज से हमदर्दी दिखाने के स्थान पर फोरमैन उसी को डाँटने लगा...।

"ध्यान से काम नहीं कर सकती थी। जरा सी बात के लिए काम पिछड़ जाएगा।" फोरमैन को अपने बोनस की पड़ी थी। समय पर काम निकल जाए तो उसे बड़ा बोनस मिलेगा।

"अब यह लो कपड़ा हाथ पर बांधो और काम शुरू कर दो। एक-एक मिनट कीमती है।"

सरोज की आँखों में दर्द के मारे आँसू भरे हुए थे। मन तो चाहा कि ये कपड़ा फोरमैन के मुँह पर फेंक कर अभी घर चली जाए। पैसों की आवश्यकता ने उसे वहीं रोक दिया। जले हुए हाथ से स्टीम के साथ काम करना मुश्किल ही नहीं असंभव था।

असंभव को संभव बनाने के लिए एंड्रिया जो थी वहाँ। वह आवाज में प्यार भर कर सहानुभूति जताने चली आई...

"सरोज बहुत जल रहा है। मैं यदि तुम्हारे स्थान पर होती तो यह गंदा कपड़ा फोरमैन के मुँह पर मार कर अभी घर चली जाती।"

"आप अपनी सहानुभूति अपने तक ही रखिए एंड्रिया। जरा जल्दी हाथ चलाइए नहीं तो काम भेजना मुश्किल हो जाएगा पीछे से सुंदर की आवाज आई।"

मुश्किल समय तो अब फोरमैन के लिए आने वाला था। उसका व्यवहार एशियंस के प्रति कभी भी ठीक नहीं रहा। फिर भी किसी ने भी उसकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं दिखाई। सब को अपनी नौकरी की चिंता है।

चिंता केवल सुंदर भाई ने व्यक्त की। सुंदर भाई जो इन सब महिलाओं को प्रेस करने के लिए काम देते हैं उनसे सरोज का दुख देखा नहीं गया। फोरमैन के व्यवहार से वह भली भांति परिचित है। उसे केवल अपने काम की पड़ी है कोई वर्कर जिए या मरे उसकी बला से। परंतु मैं सरोज को इनसाफ दिलवाऊँगा। सुंदर ने चुपचाप से जाकर यूनियन से संपर्क किया और उन्हें सब कुछ बता दिया। इस फोरमैन की पहले से ही काफी शिकायतें यूनियन के पास दर्ज थीं। अब कुछ करने का समय आ गया था। इस फोरमैन को सबक सिखाना ही पड़ेगा। यह वो समय था जब यूनियन का काफी बोलबाला था। यूनियन कर्मचारी प्रेस विभाग में आया...

"कम ऑन एवरी बाडी आऊट...। यूनियन के लीडर ने आते ही कहा। सब लोग अपना काम छोड़ दीजिए। इस कारखाने का फोरमैन कहाँ हैं बुलाइए उनको.."

फोरमैन के हाथ पैर फूल गए। वह सब काम छोड़ कर भागा हुआ आया। वह तो सरोज को बाकी एशियन महिलाओं के समान दब्बू और सीधी साधी अनपढ़ औरत समझता था।

"मिस्टर बील्स आप इस बात से अवगत हैं कि आप के यहाँ काम करने वाले एक कर्मचारी के साथ काम करते हुए दुर्घटना हुई है?" यूनियन कर्मचारी टोनी ने कहा।

दुर्घटना तो हुई है किंतु सरोज इस असमंजस में है कि यूनियन को कैसे पता चल गया। अब बिना किसी कारण यहाँ पर इतना बड़ा हंगामा खड़ा हो जाएगा। कारखाना बंद हो गया तो सब उसी को कोसेंगे।

कोस तो इस समय फोरमैन रहा था स्वयं को कि उसने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया। वह जल्दी से बोला...

"जी मैं जानता हूँ कि यहाँ काम करने वाली महिला सरोज का मामूली सा हाथ जला है और मैंने कपड़ा भी बाँध दिया था उस पर।"

"इसको आप मामूली सा जला कहते हैं..." टोनी ने सरोज की बाँह आगे करते हुए कहा। "ये फफोले देख रहे हैं आप।"

"दुर्घटना रजिस्टर में तो आपने इस को दर्ज कर दिया होगा मिस्टर बील्स?"

"नहीं कर पाया टोनी इतना समय ही नहीं मिला।" फोरमैन अभी भी इस बात की गंभीरता को नहीं समझ रहा था।

सरोज के चेहरे से भय साफ दिखाई दे रहा था। वह तो इसी असमंजस में थी कि यूनियन को पता कैसे चला। सरोज को डरा हुआ देख कर उस यूनियन के आदमी को दया आने लगी।

"सरोज आप डरिए मत, हम आपको इनसाफ दिलवा कर रहेंगे।"

"ठीक है इसको आप इनसाफ दिलाते रहिए हमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन इसके कारण हम काम रोक कर क्यों नुकसान उठाएँ?" एंड्रिया काम करते हुए बोली।

"जो आज इनके साथ हुआ है कल आप के साथ भी हो सकता है मिस... क्या है आपका नाम।"

"एंड्रिया..."

"हाँ तो एंड्रिया... अभी तो हमने यह भी पता लगाना है कि अचानक सरोज की प्रेस में इतना बड़ा छेद कहाँ से आ गया। आप इनके साथ वाली प्रेस पर काम करती हैं। शायद आपने ही किसी को देखा हो..."

एंड्रिया एकदम सकते में आ गई। उसने उसी समय काम करना बंद कर दिया।

"किस बात का इनसाफ दिलाने की बात हो रही है टोनी। क्या हुआ है यहाँ कोई मुझे भी बताएगा..." सूचना मिलते ही कारखाने का मैनेजर वहाँ आ गया।

"यहाँ ये हुआ है..." सरोज की बाँह आगे करते हुए टोनी यूनियन के आदमी ने कहा। "ये सब आपके कारखाने के फोरमैन की लापरवाही के कारण हुआ है। पहले तो सरोज को इतने बड़े छेद वाली प्रेस पर काम करने को बोल दिया। यह भी नहीं सोचा कि गर्म स्टीम से कितना बड़ा हादसा हो सकता है। हाथ जलने के पश्चात सरोज को हस्पताल भेजने के स्थान पर उनके हाथ पर यह गंदा कपड़ा बाँधने को बोला है जिससे सेप्टिक भी हो सकता है। आपका फोरमैन इस बात से अवगत नहीं है शायद कि सरोज चाहे तो अभी सारे कारखाने का काम बंद करवा सकती है।"

कारखाना बंद होने के नाम से मैनेजर मुलायम आवाज में बोला...

"मेरे ऑफिस में आओ टोनी आराम से बैठ कर बात करते हैं। सुंदर आप सरोज को हस्पताल ले जाकर मरहम पट्टी करवा कर लाइए। और हाँ सरोज..." मैनेजर ने जाते हुए कहा, "आप घबराइए मत आपको इसका पूरा हरजाना मिलेगा।"

"क्या हरजाना देने वाले हो। बेचारी का हाथ बहुत जल गया है।"

"सरोज एक बड़े ही भले घर की पढ़ी लिखी महिला है टोनी। कभी कुछ मजबूरियाँ ऐसे लोगों को भी कारखानों का रास्ता दिखा देती हैं।"

"भई कारखाने के बाहर का रास्ता तो आपको अब इस फोरमैन को दिखाना होगा नहीं तो कहीं किसी दिन इसके कारण सच में ही हड़ताल न हो जाए। वैसे भी सरोज के स्थान पर यदि कोई अपनी अंग्रेज महिला होती तो कारखाने के बाहर तमाशा कर रही होती।"

गोरी औरतें तो काम पर भी तमाशा ही करती रहती हैं। इनको काम पर भी हर एक घंटे में चाय चाहिए। सिगरेट पीना भी इनके लिए अनिवार्य होता है। जहाँ कश लगाते हुए उन्हें समय का भी ध्यान नहीं रहता। वह ये नहीं जानतीं की घड़ी तो अपनी गति से भाग रही होती है चाहे कोई उसमें काम करले या बातें। जब परिणाम वेतन के रूप में प्रत्येक शुक्रवार को सामने आता है तब उनके चेहरे लटक जाते हैं। जिसका दोष वह एशियन महिलाओं को देने से नहीं चूकतीं।

"खैर सरोज से हमारा संपर्क रहेगा इसलिए..."

"उसका ख्याल तो रखना ही पड़ेगा टोनी... बात अब यूनियन तक जो जा पहुँची है...। चिंता मत करो सरोज को हरजाने के साथ 6 से 8 सप्ताह की छुट्टी पूरे वेतन के साथ दी जाएगी।"

"यह पूँजीपति लोग हम जैसे गरीबों से ही तो डरते हैं नहीं तो..." और हँसते हुए टोनी ने कुर्सी छोड़ दी।

***

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