sabdansh books and stories free download online pdf in Hindi

शब्दांश (मेरा काव्य संग्रह )

पहला संस्करण: 2020

इस पुस्तक का कोई भी भाग लेखक की लिखित अनुमति के बिना किसी भी रूप में पुन: प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है !

कवर डिज़ाइन, टाइपिंग, पुस्तक लेआउट और संकलन, साहित्य की ओर से के द्वारा किया गया है !

इस पुस्तक में उपयोग किए गए सभी फोटोग्राफ या तो साहित्य की ओर से या सार्वजनिक डोमेन या स्टॉक तस्वीरों से हैं।

प्रकाशक:

साहित्य की ओर

मेरे लिए सुझाव- समीक्षा छोड़ें,

ईमेल: arjuna.bunty@gmail.com

अर्जुन बंटी

(लेखक)

प्रिय पाठकों,

शब्दांश (मेरा काव्य संग्रह ) ई-बुक में आपका स्वागत है, इस काव्य संग्रह को चुनने के लिए आपका शुक्रिया।

मेरा नाम अर्जुन बंटी है, मैं एक ब्लॉगर, लेखक, कंटेंट राइटर और एक ट्रेनर हूं, आपके अनुरोध पर मैंने यह ई-पुस्तक लिखी है,

जिसमे मेरी कुछ काव्य रचना का संग्रह किया है ताकि आपको मेरी रचना पाने में कोई परेशानी न हो।

दोस्तों,

लेकिन मैं तब तक असंतुष्ट हूं जब तक आप एक समीक्षा नहीं छोड़ते,

मेरे लिए सुझाव- समीक्षा छोड़ें, -

सहायता ईमेल -arjuna.bunty@gmail.com

आप मेरे साथ इस ब्लॉग से जुड़िए मैं हिंदी साहित्य के बारे में आपकी सभी समस्याओं को हल करना चाहता हूं।

https://saahitykeeor.blogspot.com

और मुझे YouTube, Facebook, Pratilipi, पर फॉलो करें।

Subscribe, Like, Comment और Share करें।

https://www.youtube.com/channel/UClyA3DGVpsL2jZ7QhmSAVoA

https://www.facebook.com/arjuna.bunty

https://hindi.pratilipi.com/Arjuna Bunty

एक लेखक / कवि के लिखने का उद्देश्य :

लेखक देश का वो धरोहर है जिसको सम्मान तब मिलता है जब उसके पास जिंदगी कुछ कम पड़ जाती है

या जिंदगी रहती ही नहीं जाने कितने ही ऐसे लेखक जिन्हे जीते जी उनको वो सम्मान ना मिल पाया जिसकी उनको जरूरत थी।

एक लेखक सब कुछ चंद कागज़ के टुकड़ों पर अपनी सबसे सस्ती चीज से जिंदगी लिख देता है ताकि कोई और वो ना सहे जो उसने सहा है। आने वाली नस्लें इसी कागज़ के चंद टुकड़ों में अपनी सारी ख़ुशियाँ ढूंढेंगे। परंतु हम एक लेखक के लिए कभी नहीं सोचते लेखक ही है जो किताबों में रंग भरता है, देश का प्रतिनिधित्व अप्रत्यक्ष रुप से प्रदर्शित करता है, लेखक एक बे-रंग सी दुनिया को रंगीन कर देता है, निर्जीव सी चीजों में आग भर देता है।

साहब, लेखक कभी अपने लिए नहीं जीता वो सिर्फ आने वाली नस्लों के लिए जीता है। वो कभी अपने लिए नहीं लिखता जब भी लिखता है समाज, देश, राष्ट्र, और मानव जाति के कल्यणार्थ ही लिखता है।

लेकिन हमारा ये समाज कभी इस बात को नहीं जान सकेगा।

लेखक का सपना इतना ही होता है कि वो एक ऐसी दुनिया बनाना चाहता है जहां प्यार ,मोहब्बत, नेकदिली, सम्मान, संस्कृति, संस्कार, इज़्ज़त, इबादत,इनायत, सब कुछ अद्भुत हो।

नई पीढ़ी इस बात को समझ ले यही काफी है एक लेखक के लिए।

To be continued....



1. आप ही हो पापा !

पिता को समर्पित

मुझे भगवान से कुछ और ना चाहिए,

आपसे मुझे वो सारी ख़ुशियाँ मिली,

जब भी मैं उदास पड़ा,

आपने दी मुझे अपनी दोस्ती,

मैं अनजाने, कई ग़लतियाँ करता रहा,

पर आपने कभी मुझसे मुख न मोड़ा,

साथ सबने छोड़ दिया

पर आपने कभी हाथ न छोड़ा ,

हार जब भी मैंने माना

आपने मुझे हौसला दिया ,

हर दर्द और गम अपने छुपा कर

आपने मुझको मुस्कान दी,

गिर गया जब भी चोट खाकर,

आपने ही उठने की जान दी,

आप ही हो पापा,

जिसने मुझे एक नाम और अपनी एक पहचान दी।



मां- बाप भगवान का ही वह रूप है , जिसके दर्शन और पूजा हम नित्य आपने हाथों से कर सकते है परन्तु अपनी अज्ञानता के कारण हम भगवान को ढूंढते रहते है।



2. मां तू सब जानती है !

तू मां है न, तू सब जानती है।

मेरा रोना भी

मेरा हंसना भी

मेरा सोना भी

मेरा जगना भी

मेरा पाना भी ,और मेरा खोना भी

मेरी हर एक हरकत पहचानती है।

तू मां है न, तू सब जानती है।

कब कब मैंने सिसकियां ली,

कब-कब मैंने अक्स बहाए

और हां कब मैंने ठहाके लगाए

कब गुस्सा हुआ और

कब तू आकर मुझे मनाए

हर वक्त का है इल्म तुझे

हर दर्द का मर्म तू पहचानती है।

तू मां है न, तू सब जानती है।

मैं चुप हूं ,तो क्यों हूं ,

मेरी खुशी और मेरे गम,

मेरे वो हसीन पल और

मेरे उदास लम्हे ,

मेरे हर मूड को पहचानती है।

तू मां है न, तू सब जानती है।

वो लड़खड़ाते कदम से लेकर,

अब तक का सफर ,

गिरने के बाद का तेरा स्नेह भरा स्पर्श,

वो तेरी डांट और तेरा प्यार ,

क्या मुझे पसंद है और

क्या नहीं, तू सब जानती है ,

वो मेरी ग़लतियाँ वो मेरी कमियाँ,

तू ही है जो सब पहचानती है।

तू मां है न, तू सब जानती है।

तू मां है न, तू सब जानती है।

3. आईना आपको आप बनाता है !

वह कभी झूठ नहीं,

सब कुछ साफ दिखाता है।

आईना आपको आप बनाता है।

खुद से झूठ बोलते हो

दूसरों से छुपते फिरते हो

कहां हो, कहां तक आप जाओगे,

वह कभी झूठ नहीं,

सब कुछ साफ दिखाता है,

आईना आपको आप बनाता है।

कभी आईना पलट कर देखें

आईना आपको अतीत तक पहुँचाता है,

आईना है जो आपको आप बनाता है।

आईने के सामने खुद को,

जानने का प्रयत्न करें

आईने में आपका विश्वास दिखाता है।

आपको सब कुछ साफ दिखाता है

आईना आपको आप बनाता है।

ये आईना ही है जो ,

आपको आप बनाता है।

4. जिंदगी का राज़ !

ये राज़ है जिंदगी का

अरमान बुझ भी जाए।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

मुस्कुराती रहेंगी नज़रें मेरी सदा

कोई लाख मेरे जिस्म पर घाव बना जाए।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

हो सके ना पूरे मेरे सपने कभी

मगर मंजिलों को पाने की चाह ना रुक पाए।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

हर एक लफ्ज़ मेरे सच्चाई ही कहेंगे

दुनिया की भीड़ मुझपर कितने भी ज़ुल्म ढाए।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

अगर बन ना पाऊँ मैं एक गुण-वान प्राणी

कोई मुझे कभी भी सैतान ना बनाए।।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

झुकी नजर है मेरी पर देखता सब कुछ हूं

अंधेरे दिल को कोई जगमगाता जाए।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

होंठ मेरे चुप है जज्बात भड़क रहे हैं

कोई इस जज़्बात को और भड़का जाए।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

कभी ना बंद अपनी मुस्कान हम करेंगें

इसके लिए मुझ पर इल्ज़ाम कुछ भी आए।

इन आंखों पर अक्स के चाहे मोती आए।।

5. एक ख़्वाब !

मैंने भी एक ख़्वाब देखा है,

सबको एक साथ देखा है।

शिक्षा और बुलंदी का ताज देखा है,

ख़ुशियों से भरा सुनहरा बाग देखा है।

मैंने भी एक ख़्वाब देखा है,

सबको एक साथ देखा है।

वहां कोई पराया नहीं ,

सबको खुश मिज़ाज देखा है।

मैंने भी एक ख़्वाब देखा है,

सबको एक साथ देखा है।

दुख का ना साख देखा है ,

सभी में प्यार बे-हिसाब देखा है।

मैंने भी एक ख़्वाब देखा है,

सबको एक साथ देखा है।

बुजुर्गों का आदर सम्मान देखा है,

सभी का एक दूसरे पर विश्वास देखा है।

मैंने भी एक ख़्वाब देखा है,

सबको एक साथ देखा है।।



6. ग़म होता है !

कह दो चिरागों को

जला ना करें आहिस्ता से

हमें उसके जलने का

जरा जरा गम होता है।

वो चाहे मेरे लिए जलें

या रौशन जमाने को करने

उसकी तड़प से कभी कभी

जरा जरा गम होता है।।

कह दो चिरागों को

जला ना करें आहिस्ता से

हमें उसके जलने का

जरा जरा गम होता है।

शाम की अब परवाह ही क्या

रात गुजर ही जाती है

अंधेरे की ख़ातिर जलने से

जरा जरा गम होता है।।

कह दो चिरागों को

जला ना करें आहिस्ता से

हमें उसके जलने का

जरा जरा गम होता है।

चुप चाप सितम को सहने की

उसकी जो ये आदत है

आहिस्ता जल -जल कर भी

वो मुझको जलाता रहता है।।

कह दो चिरागों को

जला ना करें आहिस्ता से

हमें उसके जलने का

जरा जरा गम होता है।



7. पतझड़ को कहो वो ना आए !

पतझड़ को कहो वो ना आए,

अपने साथ सावन को ना लाए।

पतझड़ को कहो वो ना आए,

ये फूल पत्तियां सब खुश हैं यहां,

उसको अपनों से दूर ना ले जाए,

पतझड़ को कहो वो ना आए।

इतनी तेज हवा भी अब बर्बाद इन्हें कर देती है,

जो उपवन माली ने सजाया है उसको निर्जन कर देती है।

पतझड़ को कहो वो ना आए,

अपने साथ सावन को ना लाए।

जहां हरी भरी हरियाली सी है,

उसको निर्जन कर फायदा ही क्या?

पतझड़ तो नया सब कर देता है

पर उन पुराने पौधों का क्या?

पतझड़ को कहो वो ना आए,

अपने साथ सावन को ना लाए।

डाली-डाली जहां चहकती नन्ही-नन्ही चिड़िया है,

जहां से कोयल छुप-छुप कर कु-कु करती हर पल है।

सावन की इसी रंगीन छटा के सभी दीवाने है,

पर उन नन्हे पौधों के सपने कहां सुहाने है।

पतझड़ को कहो वो ना आए,

अपने साथ सावन को ना लाए।

जो भी आए बाग में तो,

फूलों को तोड़े जाता हैं,

वह कुछ भी नहीं कर सकता

क्योंकि बेजुबान दुर्बल सा है।

पतझड़ को कहो वो ना आए,

अपने साथ सावन को ना लाए।।


8. जिंदगी गर आसान होती !

जिंदगी गर आसान होती

तब तो मेरी भी अपनी अलग पहचान होती

हर तरफ ख़ुशियाँ होती

गमो की ना सुबह ना शाम होती

वीरान इस निर्जन जगह पर

यहां कुछ तो जान होती

जिंदगी गर आसान होती

तब तो मेरी भी अपनी अलग पहचान होती

रुकी न रहती हर-पल सांसे

ख़ामोश न यहां हर ज़ुबान होती

नजर भी कुछ कहते

उन्हें भी हमारी पहचान होती

जिंदगी गर आसान होती

तब तो मेरी भी अपनी अलग पहचान होती ।।


9. मेरी कौन सुनेगा !

इस बदलते युग के परिवेश में ,

मेरी कौन सुनेगा।

इस पाखंडी दुनिया के वेश में ,

मेरी कौन सुनेगा।

नव-भारत के सृजन में अब तो,

मेरी कौन सुनेगा।

अब ना वो लोग ही मिलते,

ना ही वह सभ्यता यहां,

नए जमाने के आवेश में ,

मेरी कौन सुनेगा।

जो ख़्वाब बुजुर्गों ने देखें,

हमे उसकी परवाह नहीं,

नई नवेली सोंचो में अब,

मेरी कौन सुनेगा।

हम अबोध बालक के मन्न कि,

सत्यता कि गाथा को,

शांत रह रहे वीर-गुनी विद्वानों में,

मेरी कौन सुनेगा।

जिंदगी के बीते लम्हों की बातों को,

कुछ ग़लतियों और नेक इरादों को

इन महान पुर्सार्थी लोगों में

मेरी कौन सुनेगा।

मेरी कौन सुनेगा।।

10. जिद थी !

जिद थी,

यह जिद थी हमारी

कि चाँद को चुराकर

अपने घर लगाएंगे

सितारों को हम

दीवारों पर सजाएंगे

सूरज से रातों में भी

ओवर-टाइम करवाएंगे।

जिद थी,

यह जिद थी हमारी की

तकदीर यूं तो भगवान बनाता है

हम अपनी तकदीर खुद बनाएँगे

हाथों की लकीरों को

बदल कर मन मर्जी सजाएंगे

जो दिल करेगा

बस वही करते जाएंगे।

जिद थी,

यह जिद्द थी हमारी कि

वक्त का साथ ना मिला

तो क्या वक्त को हम

अपने कदमों तले लाएंगे

जब वक्त ना देगा साथ

उसको फिर से पीछे से

चलवाएंगें

रोक देंगे उन लगातार चलते

टिक टिक की धुन को

वहां हम कर्ण प्रिय संगीत बजवायेंगे।

जिद थी,

ये जिद थी हमारी

कि जो पल बीत गए

उस पल को फिर से जियेंगें

जो अपने छोड़ गए

उनको फिरसे यहां बुलाएंगे

जो रिश्ते टूट गए

वह रिश्ते बनाएँगे

यह जिद थी हमारी

की चाँद को चुराकर अपने घर लाएंगे।

11. आँसू बह जाने दो !

रोक सके न खुद को

ये आँसू बह जाने दो

प्यास से तड़प रहे है

डूब कर मगर मर जाने दो

गम है जो दिखता नहीं

इस ज़ख्म को आजमाने दो

हम रुके थे इंतजार में,

छोड़ो उन्हें जाने दो।

फ़र्ज़ जो था निभाया हमने

उन्हें अब रूठ जाने दो

खो चुके है सब कुछ

अब जरा आँखें भीगाने दो

रोक सके न खुद को

इन आंसुओं को बह जाने दो।।

12. चेहरा नजर आया है !

अहले सुबह उठकर

ये सुरूर जो छाया है

आज फिर से सपनों में

तेरा चेहरा नजर आया है।

पल भर को बस

ये खुमार छाया है

आज फिर से सपनों में

तेरा चेहरा नजर आया है।

तराश कर जिस तरह

रब ने तुझे बनाया है

सच तेरे दीदार को

मैंने खुद को ना जगाया है

क्योंकि तेरा चेहरा नजर आया है।

चमक तेरे तन की

तारों को इतना भरमाया है

की चांदनी देखकर

चाँद को बादलों ने छिपाया है

क्योंकि तेरा चेहरा नजर आया है।

अहले सुबह उठकर

ये सुरूर जो छाया है

आज फिर से सपनों में

तेरा चेहरा नजर आया है।

13. सब तुम्हारा है !

हर तरफ एक सा नज़ारा है,

कोई मेरा नहीं सब तुम्हारा है।

अकेला हूं रास्ते पर फिरभी ,

डर है जाने वह क्या ,

छीन रहा जो हमारा है।

हर तरफ एक सा नज़ारा है

कोई मेरा नहीं सब तुम्हारा है।

खो रहा हूं, मैं वो

जो देखना भी नगवारा है।

हर तरफ एक सा नज़ारा है

कोई मेरा नहीं सब तुम्हारा है।

14. एक दिन !

जो कदम उठ गए यारों

राहों का वास्ता

हम मंज़िल को अपनी पाएंगे, एक दिन।

ऐ हवा तू झोंके हजार दे

चलते ही जाएंगे

हम मंज़िल को अपनी पाएंगे, एक दिन।

ऐ वक्त चाहकर भी तू रुकना नहीं

कभी तुझसे भी तेज चलने का है अपना इरादा

हम अपनी मंज़िल को पाएंगे, एकदिन।

15. रेत कुछ सिखाता है !

दूर-दूर तक चाँदी सा

जो चमक रहा है;

मुट्ठी में भरना चाहूं

पर यह निकल रहा है!

हवा भी

इन्हें उड़ा रही है

जरा देखो तो इन्हें भी

यह हमें हर फूंक में

बदलना सिखा रही है !

कोई ना इस की ठहर

नाही इसका कोई ठिकाना

जहां मिल गया ठहराव

वही जिंदगी बिताना !

तपता है रोज ऐसे

जैसे जलने की हो बना,

जहां पर बसते हैं

सिर्फ काँटे

पर दर्द-ए-ज़ख्म नहीं है बांटे

रहते हुए भी तनहा

इनको नहीं है ग़म

इनकी खूबसूरती है

क्या कम !

जिंदगी भी कुछ ऐसी है यारों

रेत सा सब बदल रहा

वक्त भी सिखाता हमें

यूं ही तेज चलना

आज यह रेत है जो ,

चाहे जिंदगी को बस बदलना !

16. सच्चा प्रेम !

कोई हद से ज्यादा

गर तुझको चाहे

तेरे लिए कोई

सब कुछ लुटाए

मिले गर तुझसे

तो सपने सजाए

तेरे साथ पथरीली रास्तों पर

तक चलता जाए

हो कोई गम तेरा

उसको वह बांट जाए

तूफान आने पर

वह साहिल बन जाए

चलाए कोई कटार तो

वह ढाल बन जाए

तो दोस्त समझ लेना

वह कोई और नहीं

तुम्हारा सच्चा प्यार है।

17. वो मुझे याद करते है !

कभी रोते नहीं है ,बस

मिलने की फरियाद करते हैं

पलकें बिना झपकाए

राहों पर इंतजार करते हैं

सच मुझे वो याद करते हैं

बिरहा की नहीं है बात ये

मोहब्बत थी उनके दिल में

वह हमसे रूठे थे

हम उनसे रूठे थे

अब तो दिल का ना लगना

सभी बार-बार कहते हैं

सच मुझे वह याद करते हैं

पहुंच पाऊँ अगर जो मैं

उनके पास इस कदर तो

वह मुझे आगोश में भरकर

ना जाने की दुआ बार-बार करते हैं

सच मुझे वह बहुत याद करते हैं

बरामदे पर बैठकर

वो दरवाज़े की आहट को

हर बार तकते हैं

खुली आंखों से

वह मेरे द्वार पर आने की

राह हर बार करते हैं

सच पूछे तो

वह मुझे बहुत याद करते हैं

खड़े रहकर द्वार पर

हम से मिलने का प्रयत्न

बार-बार करते हैं

सच में मुझे याद करते हैं

घरी-घरी उनसे वो लड़ना

मुझे अब तो अखरता है

वह तुमसे मिला प्यार

अब ना जाने क्यों

बहारों में बिखरता है

रहो ना दूर तुम मुझसे

तुम सताओ ना इस कदर भी

रुकी रुकी है सांसे

कपकपाते गुलाबी होठ

सूखे नैनों में पड़े सिकुड़न

वो उनके चेहरे का उत्तरण

उदासी का ये आलम भी

सब कुछ साफ कहते हैं

कोई तुमसे बहुत प्यार करते हैं

सच मुझे वह याद करते हैं।

18. यकीन !

थोड़ा तो यकीन हम पर

किया होता।

थोड़ा तो ऐतबार हम पर

किया होता।

रूह में बसने की आदत

थी हमारी,

हमारी इस आदत को

सुधार दिया होता।

लफ्ज़ से हमारे मोहब्बत बरसता है

बस उस लफ्ज़ के साथ

थोड़ा समय गुजार दिया होता।

थोड़ा तो यकीन हम पर

किया होता।

19. तरस रहे हैं हम !

किसी के दीदार को तरस रहे हैं हम

इस दिल के करार को तरस रहे हैं हम

बस उनके ऐतबार को तरस रहे हैं हम

उनके एक नजर के वार को तरस रहे हैं हम

उनके इकरार को तरस रहे हैं हम

चेहरे के खिले निखार को तरस रहे हैं हम

बस एक दीदार को तरस रहे हैं हम

मिलने के इंतजार को तरस रहे हैं हम

मौसम के लौटते बहार को तरस रहे हैं हम

उनके होठों से सवाल को तरस रहे हैं हम

एक हां के इंतजार को तरस रहे हैं हम

उनके इज़हार को तरस रहे हैं हम

उनके करार को तरस रहे हैं हम

किसी के प्यार को तरस रहे हैं हम।

किसी के दीदार को तरस रहे हैं हम।

20. गम के फसाने !


यूं बयां भी ना करें

जो गम के फसाने हैं।

मोहब्बत कौन जाने

किस किसको निभाने हैं।

भले गुमनामी में जीते हैं

आशिकों के नगमे सभी ने जाने हैं।

मोहब्बत में मरने वालों के

ये क़िस्से पुराने है।

इन वादियों में कितने

नजाने ,कितने खज़ाने हैं।

यूं बयां भी ना करें

जो गम के फसाने हैं।

21. बदनाम न कर दें !

किसी का नाम लेकर हम

उन्हें बदनाम न कर दें !

जो चुप हैं तो बेहतर है

ये मसला हम सरे आम न कर दें!

सिसक कर वो तो रोते हैं कहीं

मुहब्बत में उन्हें निलाम न कर दें!

किसी का नाम लेकर हम

उन्हें बदनाम न कर दें !

इंतजार को सबेरे से खड़े है हम

कहीं अब शाम न कर दें!

डर यही है उन्हें अब तो

ये महफ़िल कहीं बिरान न कर दें!

किसी का नाम लेकर हम

उन्हें बदनाम न कर दें !

सोच आती है कभी कभी

की वो हमें गुमनाम न कर दे!

उन्हें यही डर सताता है अब

उनकी गली सुनसान न कर दें!

किसी का नाम लेकर हम

उन्हें बदनाम न कर दें !


22. तेरे आने से !

यूं तो जिंदगी में,

गमों का आसरा था

इक तेरे आने से

खुशी की लहर छाई है।

हर तरफ धूप और तन्हाई

की बदरी छाई थी

तेरी जुल्फों का करम है

जो प्यारी घटा लाई है।

मौसम का मिज़ाज भी

पूरे सुरूर पर था

बस तेरे आने से

जम कर बरसात आई है।

यूं तो अल्फ़ाज़ नहीं मिलते थे कभी

पर तुझे देखते ही ये नज़्म बन आई है।

यूं तो जिंदगी में,

गमों का आसरा था

इक तेरे आने से

खुशी की लहर छाई है।

Arjuna Bunty

https://saahitykeeor.blogspot.com

मुझे YouTube, Facebook, Pratilipi, परफॉलोकरें।

Subscribe, Like, Comment और Share करें।

https://www.youtube.com/channel/UClyA3DGVpsL2jZ7QhmSAVoA

https://www.facebook.com/arjuna.bunty

https://hindi.pratilipi.com/Arjuna Bunty



धन्यबाद!

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED