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पीड़ा


पीड़ा

जिस तरह खुशी जीवन की एक सच्चाई है जन्म और मृत्यु जो चिरंतन सत्य है । उसी प्रकार दुख , कलह,तकलीफ, पीड़ा भी जीवन की सच्चाई है। हम इस से खुद को अलग नहीं कर सकते। जिस तरह कड़ी धूप के बाद बादल घिरता है ,और बरसात होती है उसी प्रकार जीवन में बड़ी कठिनाइयों के बाद ही खुशी आती है। हमें उस खुशी में अपनी तकलीफ के पल को भूलना नहीं चाहिए। आप महसूस करेंगे जब-जब आपको तकलीफ का सामना करना पड़ा होगा। पीड़ा महसूस हुई होगी । आप विचलित भी हुए होंगे परंतु इस बात पर आपका ध्यान नहीं गया होगा कि वो पीड़ा आपको कुछ नई बात सिखा गई है । आपको परिस्थितियों से लड़ने की तरीका बता गई है ,आपका साहस बढ़ा गई है ।

आपको यह बता गई है कि देख दोस्त, इस समय तुम्हारे अपने कौन है सच्चे मित्र कौन है। जो तुम्हारी मदद कर रहे हैं , तुम्हारे दुश्मन कौन है ,जो तुमसे ईर्ष्या करते हैं। तुम्हें बताती है कि किस तरह विकट परिस्थितियों में इंसान को अपनी इमानदारी के साथ समाज में एक साथ मिलकर रहना होता है ।

मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं एक बार की बात है किसान अपनी गरीबी तथा विकट परिस्थितियों से बहुत ही घबराया हुआ था। उसने भगवान को कोसते हुए आत्महत्या का प्रयास किया। भगवान वहां प्रकट हुए कहने लगे, बच्चे ! तुमने अपने कर्मों से कष्ट भोगा है इसमें मेरी क्या गलती है , जो तुम मुझे कोसते हुए अपने प्राण त्याग रहे हो । किसान ने कहा, आप खुद को भगवान कहते हैं , दरअसल जिसमें दया करुणा प्यार नहीं वह भगवान कहलाने के लायक ही नहीं है। अगर मैं आपकी जगह भगवान होता तो किसी को कोई तकलीफ, कष्ट, पीड़ा न होती।

भगवान ने कहा बस इतनी सी बात - चलो जब तक तुम्हारी इच्छा हो तुम ही भगवान हो । जो चाहे करो मेरी सारी शक्तियां अब तुम्हारे पास है ।

किसान आश्चर्यचकित हो गया। फिर जो किसान के मन को भाता, वो करता किसी को कोई कष्ट ना हो इसके लिए हमेशा सबको खुश करने का प्रयत्न करता है। जिसकी जो इच्छा हुई पूरी की ।

खेतों में किसानों ने बीज बोए तो न कराके की ठंड का मौसम आया, ना ज्यादा तेज हवा चली, ना तूफान, न गर्मी का मौसम, न बाढ़, न तूफान, आया सब कुछ फसल के अनुरूप। ना ही कुछ और परेशानियां फसल लहलहा रहे थे, पैदावार भी अच्छी थी किसान बहुत खुश हुआ । अब कटनी का मौसम आया, सभी फसल काटे गए उसमें अनाज के दाने ही नहीं थे । किसान बहुत दुखी हुआ भगवान को फिर बुलाया और सारी बात सुनाई तो भगवान ने कहा तुमने प्रकृति के नियम को अभी नहीं जाना है किसी को जब तक परिस्थिति के अनुसार लड़ने का सामना करने के लिए अपने अपने कठिन परिस्थितियों से ना गुजरना पड़े तो कुंदन कैसे बन सकता है ।

जैसे सोने की शुद्धता के बिना सोना बहुमूल्य कैसे बन सकता है और आभूषण के रूप में कैसे सजाया जा सकता है जिसके लिए उसे तपाना पड़ता है ,पीटना पड़ता है, घिसना पड़ता है, तब जाकर बहुमूल्य होता है । ठीक उसी प्रकार कष्ट, पीड़ा , तकलीफ जब तक इंसान के जीवन में नहीं आएगा वह इंसान नहीं बन पाएगा।किसान ने भगवान से अपने कार्यों के लिए माफी मांगी और सजा के लिए मांग की भगवान ने उसे ज्ञान देकर माफ कर दिया और पुनः अपनी सारी शक्तियां वापस ले ली ।

इस कहानी से आपको जो भी ज्ञान मिलता है वह जीवन में काम आने वाला है एक पल की तरह है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता दोषारोपण कर खुद को बचा लेना अलग बात है और दोष को मानना और सीख लेना अलग बात । पीड़ा जब जब आपको हृदय से महसूस होगा तब तब आप में एक नया अनुभव और आत्मविश्वास आएगा वह खुशी आपके अंदर एक नई उर्जा लाएगी । कहते हैं खुद से प्यार करना सीखना चाहिए मैं कहता हूं इतना प्यार कीजिए कि तकलीफ में भी आपको तकलीफ ना हो पीड़ा में भी मुस्कुराइए अपनी तकलीफ किसी को ना बताएं बस अपने पास रखे । खुशी में सब को शामिल करे , जीने का तरीका बदले मजा आएगा ।

तब देखिएगा तकलीफ भी आपको ना तो तकलीफ देती है और ना ही पीड़ा।

जिसके पास धन होता है ,उसे जाने का भय रहता है । जिसके पास धन ही नहीं उसे किस बात का गम पूरी सृष्टि तकलीफ और दुःख से भरी पड़ी है । अपना क्या है ? कल भी खुश थे । आज भी खुश है ।


पीड़ा इस कदर भी क्या उसको


तड़पाएगा


जो तड़पना जानता है ।


खुशी उसके दरवाजे पर कभी आई ही नहीं


जो तड़पना जानता है।


क्या हुआ जो अपनों ने कभी उसका साथ ना दिया


वो तड़पना जानता है।


निगाहें नम नहीं तो क्या हुआ


वो तड़पना जानता है ।


उसकी मौत पर मौत भी, रोता है


क्योंकि वह तड़पना जानता है ।


तकलीफ इस बात की थी कि तकलीफ कम पड़ी है उसको


जो तड़पना जानता है ।


पीड़ा में भी खिलखिला कर हंसता था


वो जो तड़पना जानता है ।


आज खुद नतमस्तक है किस्मत उस पर


वो तड़पना जानता है।


ARJUNA Bunty


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