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सच्ची पूजा


चैनपुर एक छोटा सा गांव था,
जिसमें एक नटखट लड़का अपने माता-पिता के साथ रहता था। जिसका नाम था नंद ।
नंद नटखट तो था पर होशियार भी था।
अपने से बड़ों का सदा सम्मान और आदर किया करता था तथा दूसरों की भी मदद किया करता था ।
नंद हर रोज अपने घर से देखता एक पंडित जी जिसका नाम सिरोमणी था ,सुबह उठते राधे कृष्ण का जाप जोर जोर से करते हुए , स्नान करने नदी जाते , और जाप करते हुए लौटते । राधे कृष्णा ....
उसके बाद मंदिर जाकर भगवान की पूजा करते तब तक आधा दिन पार हो जाता ।
फिर घर जाकर भोजन ग्रहण करते, पर पंडित जी अपने बुड्ढे मां पिताजी की सेवा नहीं करते।
और उन्हें घर खाना भी नहीं दिया करते और ना ही कभी अपने माता-पिता के पास जाकर बैठते।
एक रोज नंद पंडित जी के नदी से स्नान कर लौटते देख बोला पंडित जी , पंडित जी , मुझे आपसे कुछ पूछना है -
पंडित जी ने कहा- पूछो बच्चा बचवा पर जल्दी करना हमें देर हो रही है।
मंदिर जाकर भगवान की पूजा करनी है ठीक है।
पंडित बाबा आप कितने दिनों से अपने भगवान की पूजा इस तरीके से करते हैं ।
बबुआ हम तो 5 साल की उम्र से ही कर रहे हैं ।
नंद फिर बोलता है तब तो आपको पता होगा भगवान कैसे होते हैं।
यानी आपने इतने दिनों में भगवान से मिल लिया होगा।
पंडित जी ने कहा - नहीं बचाव उ का है ना भगवान तो busy रहते है ना इस लिए नी देखा
नंद कहता है - पर आप तो इतने दिनों से भगवान की पूजा करते हैं और इतना कष्ट भी करते हैं फिर भी आपको भगवान नहीं मिले पंडित जी -नहीं नंद!
नंद फिर कहता है - मुझे पता है क्यों नहीं मिले ।
पंडित जी पूछते हैं क्यों ?
नंद कहता है आपको पता है पंडित बाबा भगवान तो सभी जगह है पर फिर भी वह अपने हर भक्त को या अपने हर बच्चे को देखने के लिए बराबर ध्यान रखने के लिए इस धरती पर रूप बदल कर आए हैं ।
वह रूप संसार के हर घर में मिलता है ।
पंडित जी- पर हमको तो नहीं मालूम।
नंद कहता है वह रूप ही तो मां-बाप का है आप आज तक अपने भगवान की अवहेलना कर माटी की मूर्ति की पूजा की इसलिए वह भगवान नहीं मिले ।
अगर आप अपने भगवान की पूजा इस प्रार्थना ऐसे करते तो शायद आपको भगवान मिल जाते ।
पंडितजी की आंखों में आंसू वह आ गया।
उन्होंने नंद को गोद उठा लिया और अपनी गलती की क्षमा मांगी नंद ने कहा यही क्षमा अगर आप अपने मां पिता से मांगनी चाहिए ।

तो इसलिए बच्चों अगर पूजा ही करनी है तो भगवान की जगह अपने मां-बाप की करो उस भगवान को तो किसी ने नहीं देखा पर जिस भगवान के दर्शन रोज ही होते हैं उनसे तो आशीर्वाद ले लो फिर हमें किभी मौके ना मिले ।
आप सभी अभिभावकों से विनती है कि जब आप अपने छोटे-छोटे बच्चों से आज से ही भारतीय संस्कार, संस्कृति, तहजीब की खुशबू में सनी ये संस्कार रूपी बीज बोना शुरू कर दें। ताकि हमारे देश को फिर से भगत सिंह सुखदेव राजगुरु गांधी जैसे सच्चे वीर सेनानी दे सकें।

समाप्त।


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