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प्रयत्न


जिंदगी वहां से शुरू करने में ज्यादा मज़ा है जहां पर लगे की अब मुझसे जिंदगी नहीं जी जा सकती है।

क्योंकि, यही वो मौका होता है , जब हमें अपने कौशल को दिखाने का मौका मिलता है, कठिनाइयों के बिना तो जीने की आदत सी पड़ जाती है, जिससे हम निर्बल बन जाते है, अपनी किस्मत खुद बनानी है तो वहां जाकर रुकने या खुदकुशी करना व्यर्थ है।

हां मगर वहां से नई शुरुआत कर के जिंदगी में कुछ पाना वो आपका " कौशल" Tailent" या हुनर" है।

परिस्थिति हर समय एक जैसी नहीं रहती और ना ही हमारी तरक्की का असीम संभावनाओं का रास्ता कभी बंद होता है,

बस खुद को हौसला देने की जरूरत होती है उस नाज़ुक परिस्थिति में खुद को संभालने की आवश्यकता पड़ती है उस समय खुद की पीठ थपथपाने से गुरेज न करो अपनी पीठ थपथपा कर जिंदगी की जंग लड़कर जितने को कमर कस लो उतर जाओ युद्ध के मैदान में।

" यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते

निघर्षणच्छेदनतापताडनैः ।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते
श्रुतेन शीलेन गुणेन कर्मणा ॥ "

जिस तरह सोने की परख घिसने से, तोडने से, गरम करने से और पिटने से होती है, वैसे हि मनष्य की परख विद्या, शील, गुण और कर्म से होती है ।

शायद आपका यही हौसला ईश्वर को आपको वह सब कुछ लौटाने का कारण बने जिसके आप और सिर्फ आप ही हकदार हैं। परमात्मा विवश होकर आपको आपका हक वापस करेंगे यह सत्य है " सत्यमेव जयते "सत्य करवा कठिन और जटिल होता है । परन्तु सत्य हमेशा झूठ से ऊपर और गलत से बलशाली होता है इसलिए तो कहा आप निर्बल नहीं हो सकते , आप बलशाली हो ।

उठो लड़ो भागो और तेज और तेज भागो आपको जंग जितनी है, अगर सैनिक संकट के डर से लड़ना छोड़ दे तो भी उसे जीने का हक नहीं है लड़कर जितना ही पुरुष का पुरुषार्थ है ।जो वस्तु दूर है और जो सरलता से नहीं मिल सकती है। वह तपस्या, साधना, परिश्रम से मिल जाती है जीवन में परिश्रम सबसे प्रबल है।

टूटना आसान है, संभलना मुश्किल ,कभी टूट कर बिखरने से पहले संभल कर खड़े हो कर तो देखो, मजा कितना है।

हौसला टूटने और हौसला बनाने के बीच का दर्द बहुत ज्यादा है परंतु , इस पीड़ा के बाद के पल का मजा कितना है ।

सीने में छुपा कर अपनी कमी का रोना रोने से बेहतर है परिस्थिति से लड़कर मरने में, मजा कितना है।

मंजिल तक पहुंचने से पहले , दम तोड़ने से बेहतर मंजिल पर लड़खड़ाते हुए पहुंचने में , न जाने मजा कितना है।

दोस्त यह मंजिल पाने वालों से जाकर पूछो, कुछ कदम दूर जब थे तो, क्या-क्या ना सहना पड़ा बस एक बार मंजिल मिला तो उस जश्न का , मजा कितना है ।

ना उम्मीद हो चुका था जब किस्मत से, खुद पर किया यकीन , उस यकीन का सच्चाई में बदलने से , इस वक्त के सितम का , मजा कितना है । मजा कितना है ।।

सपने देखना आसान है परंतु उसे पूरा करना बड़ा कठिन है तो इसके लिए सपने देखना ना छोड़े क्योंकि जो सपने देखते हैं वही उन्हें पूरा करने का माद्दा (दम )रखते हैं । आपके बेहतरीन जीवन के लिए मेरी तरफ से छोटी सी कोशिश ।।

धन्यवाद

(Arjuna Bunty)


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