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अविश्वास

कहते है बेचैनियो का कोई ठिकाना नहीं होता अपना ही दिल भाग जाना चाहता है अपनी बेचैनी से कहीं दूर कुछ एसा ही इन दिनों रश्मी साथ हो रहा कहने को आज सादी भले ही दो साल हो गए सादी लेकिन उसकी जिंदगी ये दो वरस बड़े मुश्किल से कटे, हर महीने एक नया तमाश खड़ा हो जाता। वैसे तो वो पढ़ी लिखी थी लेकिन उसकी जिंदगी जो उसे सिखा पड़ा रही है उन सारी पढाई यो पर भरी है। आज तो कुछ एसा हो गया कहने को ये normal बा त थी लेकिन ये normal नहीं है
लाख कोशिश के बावजूद उसका बीता हुआ कल उसका पीछा नहीं छोड़ रहा था,उसके साथ पहले कई बार एसा हो चुका था लेकिन उसमें भी वो निर्दोष थी उसने कभी किसी से गलत संबंध नहीं रखे उसे हर बार बिना किए कि सजा मिली लेकिन इस बार उसका तो उसका एक भी प्रतिसत दोष नहीं है।
चरित्र हीन जैसी बाते उसके लिए बोल जा रही थी उसका गुनाह सिर्फ इतना था ।
की उसने किसी अनजान वेक्ति से बात कर ली थी , उसे क्या पता था उसकी भरपाई इस तरह से करनी पड़ेगी, अभी सिर्फ चार दिन हुए जिसमें मुश्किल 5 से 6 मैसेज किए होंगे आखिर वक्त ने तो एक तरीक़ा निकाला था रश्मी को आजमाने का लेकिन रश्मी ये बात समझ ना पाई , वो ना समझ पाई कि उसके पाती को पता चली ये बाते तो उसके क्या करेगा, उसे तो ये लगता था ना जब पूछेगा तो कह देगी मैसेज उसने किया था लेकिन वो मासूम ये बात ना समझ पाई कि वाहसी जानवर है उसे मर कर कहा जायेगा इस छोटी से भूल की कीमत उसे नहीं पता था कि उसे अपने साथ एक जुर्म कराएगी
औरत होना क्या गुनाह है? जो उसे सभी अपनी जागीर समझने लगते हैं जब जी में हो गली देदो जब जी में आए प्यार कर लो ये कैसी जबरदस्ती है आखिर क्यों सहती है , कहने को दुनिया में बहुत से कानून है जिसमें डोमेस्टिक वालेंस को कम किया जाता है लेकिन एक दहलीज के बाहर ना जाने कितनी आवाजे नहीं निकल पाती।
उस रात जब रोहन ने रश्मी के WhatsApp पर मैसेज देखा उसमें सिर्फ इतना लिखा था कि chatting krne ka mood nah
आप लोग बताए मुझे कॉमेंट में कि इसका सीधा अर्थ क्या होगा, अगर आप किसी से ये कहते हैं कि किस भाव से कहेंगे, जितना मै ने रश्मी को जाना रश्मी अभी तक ठीक से उस से बात नहीं की थी ।
लेकिन वो सक्श जो उसके साथ पिछले दो सालों से रह रहा क्या उसे एक बार भी रश्मी की बात नहीं सुननी चाहिए थी।
जब की उसके एक बार पूछे जाने पर उसने साफ बता दिया कि हा मैसेज आता है। क्या किसी को दो चार मेसेज करने से कोई चरित्रहीन हो जाता है।
ये कहानी ही नहीं किसी की भावनाओ का खेल है जो उसके साथ खेला जा रहा है। रोहन ने उस उस इंसान को फोन किया मैसेज भी किए
उसने बताया भी की है कि अभी दो तारीख़ से बात हो रही है अगर यहां तक रुक जाता तो भी ठीक था लेकिन नहीं उसने उस से कहते रश्मी को भी गाली दी।
कहने को ये भले ही कहानी हो लेकिन हर घर में घटित हो रही है।
उसने रश्मी को मरने की ओर जिस से उसने बात की थी उसको भी एसे में रश्मी उसे क्या कहे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था
वो कैसे खुद को संभाले
अभी भी बात यहां नहीं रुको सुबह नई नई धमकियां रोहन रश्मी को देने लगा कि मै तुम्हारे घर अपने घर में सबसे ये बात बताऊंगा । वो बाते भी मंजूर थी की लेकिन रश्मी बार बार उस गलती की माफी माग रही थी जो उसने की नहीं है।
क्यो की रश्मी नहीं चाहती थीं की उसका कोई भी बवाल ससुराल में हो, क्यो की ये बात जब रोहन नहीं समझ रहा कोई क्या समझेगा। वो बार बस इस बात से डर रही थी की किसी को पता नहीं चलने पाए,
पूरी रात रोते गुजर गई नई सुबह भी कोई अच्छी ख़बर नई लाई , कोई आशा ना दिख रही थी कि ये तूफान रुक जाए, रश्मी का जी चाहता कि वो अपनी जान ले ले लेकिन वो समझदार थी।
मरना उसे मंजूर ना था, लेकिन कब तक आशू बहाए कैसे खुद को संभाले
पूरा दिन गुजर बिना कुछ खाए वो शान्त चित बेसुध पड़ी रही अभी रात होने बाकी थी।
अब देखना है कि रात को क्या होता है पुरा दिन रोहन घर से बाहर रहा कोई बात दोनो में नहीं हुई ये बात जान कर भी रोहन रश्मी ही गलत लग रही थी जब अभी बात किए सिर्फ4 दिन ही हुए थे । जिसमें उसने दो दिन मेसेज का जवाब दिया था दूसरी बार रोहन ने देख लिया।
साम के 5 बजने को अब उठे काम करे लेकिन आज बिलकुल काम करने को मन नहीं हो रहा उसका मन हो रहा कहीं भाग जाए किस से ब्यथा कहे ये किस से कहें कि वो निर्दोष है उसने कोई पाप नहीं किया अब उसको भी इंतेज़ार रोहन के घर वापस आने का है , उसे ज्यादा कुछ उम्मीद तो नहीं लेकिन फिर भी वो इंतेज़ार कर रही है।
जब रोहन रात को घर आया तो उस वक्त तक रश्मी एकदम सहमी हुई थी, उसको देखते ही उसके अंदर अत्म बल आ गया और चुप चाप अपने काम में लग गई।
रात तो बड़ी शान्ती से बीत गई लेकिन सुबह फिर से वही हुआ, रोहन बार रश्मी से कहता की चलो तुम्हे घर भेज आए, उतने में बहस होने लगी
रश्मी - लेड़ीज हूं तो क्या सभी दबा देंगे हम त्यार उस से बात करने के लिए चलो कैसे कह सकता है वो मुझे।
रोहन बहुत झुलाया और रश्मी को डराने की कोशिश करने लगा।
रोहन- गलती तुम्हारी है,!
रश्मी_ मेरी भी हुई तो भी मुझे मिलना है
जब रश्मी पूरी तरह से हट पार आ गई की मुझे जाना है मै अपनी दीदी से भी बता चुकी हूं
अब रोहन को लगा की बात बन नहीं पायेगी
और वो अपनी गलती मानने लगा और रश्मी को शांत कराने की कोशिश करने लगा।
रश्मी चुप हो गई लेकिन उसने इस बार किसी कीमत पर ना झुकने का फैसला किया है।।

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