किसी को कभी इस बात का अंदाजा नही होता उसका कौन सा कदम उसकी दुनिया बदलने वाला है और वो जिन्दगी जिसमे दो कदम और दोनो गलत रास्ते पे निकल पड़े हो।ये बात तो सच है की प्रेम में अलग ताकत होती है लेकिन आप इस प्रेम को कैसे प्रेम कह सकते है जिसमे हम अपने माँ-बाप को एक मौका देना भी उचित नही समझते कुछ ऐसा ही हमारी इस कहानी के पात्रो ने किया है ।
मोना सुबह ही पापा उठो जल्दी उठो हमें स्कूल जाने में आप रोज देर करा देते है मुझे स्कूल में बाहर खड़ा कर दिया जाता है और मुनमुन दी को भी उनके कॉलेज छोड़ना है आपको ।
मोना और मुनमुन दो लड़किया है,एक लड़का भी है । पति पत्नी और बच्चे पूरा परिवार हरा भरा है ।जिसमे से मोना की उम्र 18 वर्ष और मुनमुन 21 वर्ष और लड़का सबसे बडा है लेकिन ये बात भी मननी होगी दोनो बहनो में प्यार बहुत था।
दोनो के अच्छे-बुरे सारे काम एक साथ ही होते थे। सरोज बिजली घर में अफसर थे।उनकी पत्नी नलिनी घर संभालती है और उनका लड़का इंजीनियरिंग की पढाई करता है । पूरा परिवार सिक्षित है लेकिन ये कभी भी नही हुआ की सिक्षित लोगो ने कभी कोई गलत काम ना किया हो ।
मोना और मुनमुन को दो अलग-अलग लड़को से प्रेम हो जाता है जो उनकी ही गली में दो मकान छोडकर रहते है।प्यार करना अच्छी बात है लेकिन अगर वो मरियादा से बाहर हो तो वह भयानक रूप ले लेता है । दोनो की उम्र भले ही समझदारी की थी लेकिन समझदारी का कोई काम नही बचा था रात-रात भर घर से चोरी से निकलकर दोनो बहने घूमती रहती ।ये अच्छी बात थी की उनका घर सहर में था। लेकिन बात तो मोहल्ले मे भी बनती है ।
सरोज अपनी दोनो बच्चियो को लड़को के बराबर सम्मान और अधिकार देते है ।लेकिन सरोज को इस बात की बिल्कुल भी भनक नही है की मोना और मुनमुन दोनो उसके पीठ में छुरा भोपने वाली है ।उस रोज उनके घर का हंगामा पूरा मोहल्ला सुन रहा था । जब रोहन अपनी दोनो बहनो पर हाथ उठा कर चिल्ला रहा था,तब सरोज अपने दफ्तर में थे ।रोहन को उसी लडके ने बेईज्जत किया जिसके साथ मुनमुन का चक्कर था और कुछ गंदी तस्वीरे भी दिखाया था।
जब सरोज को ये बात पता चली तो उन दोनो का घर से निकलना बन्द करा दिया । लेकिन सरोज ने घर से बाहर निकलना बन्द कराया था पर चोरी से भागना नही ।
एक रात वह दोनो उन लड़को के साथ भाग गयी, उस सहर को छोड़ किसी बडे सहर मे ।उनको ये लगता था की जो उनके साथ रात भर घूमता है वह उनके साथ पूरी उम्र बिता देगा।जब घर से निकली तो माँ के गहने साथ लेके गयी थी की नए सहर में कुछ करने,रहने के लिये कुछ पैसो की जरुरत होगी ।
कुछ दिन बडे मजे किये गये रात-रात भर की आजादी थी। उनको क्या समझ थी की जो लडके उनके गली में किराये पर रहते थे वो कोई काम करते है या नही ।लेकिन ये बात उन दोनो को बहुत जल्द समझ आने वाली थी ।अब तो माँ के जेवर के सरे पैसे भी खत्म हो गये ।जिस होटल में रुके थे उसमे पुलिस के रेड से वो दोनो जेल भी पहुच गये क्योकी उन लोगो ने अभी तक सादी भी नही की थी ।
मुनमुन को थाने में ही पता चल गया जब दरोगा ने कहा की अपनी हरकते सुधार लो ।ये बात बार-बार अपने प्रेमी प्रमोद से पूछती थी की दारोगा तुम्हे जानता है ।हम इतनी जल्दी बाहर कैसे निकल आये ।लेकिन इन बातो का प्रमोद कोई भी जवाब नही दे रहा था।मुनमुन को समझ आ गया की कुछ गड़बड़ है।उसने मोना से भी इस बारे मे बात की लेकिन मोना के सिर से अभी प्यार का भुत नही उतरा था। उसने कहा आप गलत सोच रही है हम लोगो को बाहर राज के दोस्त ने निकलवाया ।ये बात तो समझ आ गयी की राज के दोस्त ने निकाला पर ये बात तो प्रमोद भी बता सकता था मुझे , राज मोना का प्रेमी है और प्रमोद का अच्छा दोस्त भी है।
अब इन लोगो के पास ना तो पैसे बचे थे और ना ही रहने की जगह । मुनमुन और मोना ने अपने कान की बालिया दी तो उससे रहने की वेवस्था हुई । कब तक आखिर ये चलेगा अब राज और प्रमोद का असली चेहरा सामने आता है । प्रमोद ने योजना बनाई ,उस दिन प्रमोद और राज दोनो अलग-अलग जगह पर मुनमुन और मोना को ले कर गये ।
जहा अच्छा घर भी है पास में एक बगीचा है ।मुनमुन ने प्रमोद से पूछा ये घर किसका है ।प्रमोद ने कहा अब अपना होने वाला है। इस घर के मलिक ने हमे काम करने के लिये बुलाया है ।
दोनो घर के अंदर जाते है वहा मुनमुन अचानक चौक जाती है ।वहा कोई एक इन्सान नही था बहुत से लोगो की भीड थी । मुनमुन ने ये भी देखा की प्रमोद इन लोगो से परिचित है । प्रमोद ने उस घर में एक नौकरानी के साथ अंदर जाने को कहा लेकीन मुनमुन जनना चाहती थी की आखिर हो क्या रहा है।मुनमुन नौकरानी से पूछती है ये लोग क्या बाते कर रहे है लेकिन नौकरानी किसी भी सवाल का जवाब नही दे रही है ।नौकरानी ने अलमारि से कपड़े निकालकर मुनमुन को दिये और पहनने के लिये इसारा किया तब मुनमुन को समझ आया की वह गूँगी है । मुनमुन चौक गयी और इसारे से उससे पूछती है । वह कपड़े पहनने को क्यो कह रही है लेकिन मुनमुन की बाते नौकरानी को समझ नही आती और कमरे से बाहर जा कर कमरे को बाहर से बन्द कर देती है । मुनमुन चिल्लाती है की वह उसे बाहर निकाले लेकिन उसकी बात वहा कोई सुनने वाला नही है। मुनमुन कमरे मे चारो ओर भागने का रास्ता खोजने लगती है लेकिन उसे कोई रास्ता नही मिलता ।
उतने मे दरवाजा खुलता है और एक आदमी अंदर आता है ।जिसे मुनमुन ने पहले कभी नही देखा था ।वह कमरे में क्यो आया मुनमुन उससे पूछती है ।वह देखते ही देखते मुनमुन को पकड़ लेता है ।उस रात मुनमुन का बलतकार हो जाता है। सुबह मुनमुन को रात की कोई बात याद नही आती है , बस इतना याद आता है की जो आदमी कमरे में आया उसने उसको कोई इन्जेक्सन लगाया था ।
6 महीने तक मुनमुन के साथ हर रात यही होता रहा ।प्रमोद का कही कोई पता नही , लेकिन जब सुबह होता तो घर मे सिर्फ नौकरानी रहती । मुनमुन के लिये खाने पिने की अच्छी वेवस्था थी।नौकरानी मुनमुन का कमरा उसके उठने से पहले साफ कर देती ।6 महीने तो मुनमुन को समझ नही आया की उसके साथ क्या हो रहा है । जो इन्जेक्शन उसे रात को लगाते उसका असर सुबह तक रहता । जितनी देर होश रहता उतनी देर मुनमुन बस समझने की कोसिस करती ।
एक साम मुनमुन खिड़की पर बैठी बाहर की तरफ देख रही थी , उसे प्रमोद बाहर के बगीचे में दिख जाता है और वो जोर-जोर से चिखने लगती है वह जैसे नींद से उठी हो उसे सब याद आ जाता है।वो उन इन्जेक्शन का पैकेट भी खोज निकालती है। जिसमे वह गरम पानी भर कर रख देती है ।
एक नये सज्जन इन्जेक्शन के साथ कमरे में आते है और मुनमुन को इन्जेक्शन लगाते है ।अब तो मुनमुन पूरे होश में है लेकिन वो अब तो नसे का नाटक कर रही थी ।
वह नसे मे ही सज्जन से बगीचे में जाने के लिये कहती है।वह उसे बगीचे में ले जाता है , वहा से उसे चकमा देकर मुनमुन भाग जाती है।मुनमुन वहा से निकल तो आती है लेकिन दिल्ली जैसे बडे सहर मे वो कहा जाये । अपने घर वापस आने के कोई रस्ते नही छोड़े थे , पुलिस के पास जाने की हिम्मत नही थी ।
मोना का भी पता नही था , उस दिन बिछड़ने के बाद उन दोनो ने एक दुसरे की सक्ल भी नही देखी लेकिन मुनमुन को इस बात का पूरा अंदाजा था की मोना के हालात कुछ ऐसे ही होंगे ।
वो कहते है ना की उपर वाले का दरवार हमेसा खुला रहता है ।वहा पहुचने वाला हर व्यक्ति सुरक्षित रहता है ।मुनमुन भी एक मन्दिर के पास बैठ जाती है।वहा बटने वाले कपड़े , खाने से गुजारा हो रहा था । जब दान के कुछ पैसे हो गये तो मुनमुन ने वहा फुल का दुकान लगाना सुरु कर दिया और जो किया था उन गुनाहो की माफी मांगती रहती मन्दिर में ।
उपर वाले ने जैसे उसे माफ कर दिया हो ।उस साम जब मोना को एक बडे कार से उतरते देखा,उसे उस नजारे पे बिल्कुल यकिन ही नही हुआ ।
मुनमुन को लगा वह कोई सपना देख रही हो,अगर ऐसा सच्च हो तो हे इस्वर ये सारी माला अर्पण कर दू तेरे चरणों मे।लेकिन कैसे पहचाने की वह मोना ही है । वह फुलो की टोकरी छोड़ कर दो मालाए लिये मोना के सामने, मैडम मेरी मालाए ले लो उपर वाला तुम्हारी झोली भरेगा ।
जब नजर उठाइ मोना ने तो मुनमुन सामने ही थी और मोना को कैसे इन्कार कर देती ।बडे प्यार से दीदी साहब पीछे है आप और मालाए ले आओ, मुनमुन जल्दी से टोकरी से माला निकालती है पीछे मुड के देखती है ना तो वहा गाड़ी है नाही वहा कोई है ।
मुनमुन को समझ नही आता ये कैसा दृस्य था सच्च था या उसका वहम , उसे ये कैसे यकिन ना हो की वो मोना ही थी।वो अपनी बहन को कैसे भुल सकती है अगर वो सच मे मोना थी तो वो अपनी इस बहन को कैसे भुल सकती है।बड़ी उलझन में मुनमुन का मन हो गया है , साम भी हो गयी है।वो भगवान के चरणो मे जाकर रोने लगी अगर ये सच है तो मुझे सच से अवगत करा दे ।
उतने मे पीछे से कोई औरत ने उसके कन्धे पर हाथ रखा,मुडकर देखती है तो वो मोना है वो एक दुसरे को पकडकर रोने लग जाती है ।आज इस्वर ने इन्हे माफ कर दिया है।मुनमुन रो-रो कर कहती है , हम दोनो ने घर क्यो छोड़ दिया था ।क्या हालत हो गयी ,तु कहा चली गयी थी मेरी बहन तेरे साथ कुछ गलत तो नही हुआ । मोना भी रो-रो कर अपना सारा हाल बताना सुरु कर दिया ।राज ने उसको एक अन्धेरे रास्ते पे छोड दिया,जब उसने बताया की वो राज के बच्चे की माँ बनने वाली है।जब वो घर जाने के लिये सोची तब उसके पास पैसा ना होने के कारण एक साहब के गाड़ी के नीचे आत्म हत्या करने की कोसिस की, उसमे मोना की यादास्त चली गयी, पैर भी टुट गया ।इस वजह से साहब ने उसे अपने घर पे ही रख लिया ।जब मोना की यादास्त वापस आ गयी तो इसने उस साहब को बताया की वो किसी दुसरे जगह की है उसे किडनैप कर के लाया गया है ।पूरे महीने पैरो की वजह से बड़ी सेवा कीया उन्होने , ये सब बाते सोच कर मोना को बड़ी फिक्र होने लगी ।अभी 2 महीने हुए है पुरी तरह ठीक हुए अब पृथ्वी सादी भी करना चाहते है और मोना बताती है की वह बहुत ढूढने की कोसिस कर रही थी ।मोना कुछ पैसे मुनमुन को देते हुए कहती है की दीदी अब आप यहा नही रहोगी।आप मेरे साथ इस तरह से चल भी नही सकती, पहले चलो अपके लिये कुछ कपड़े लेते है ।वो जाकर कपड़े लती है मुनमुन अपनी सारी हालत मोना को बताती है, मेरी बहन दूर रह मुझसे मै फिर से तेरी खुसिया तुझसे छीनना नही चाहती हूँ ।
मोना मुनमुन को चुप कराते हुए कहती है , पृथ्वी एक फैक्ट्री का चेयरमैन है बहुत पैसा कमाता है । मोना पृथ्वी के बारे में सबकुछ बताती है, वो दोनो कपड़े खरीद कर एक बियुटीपार्लर मे जाकर मुनमुन को पूरा बदल देती है। मुनमुन ने अपनी आँखो का रंग बदलवाया जिससे उसे अब कोई ना पहचाने ।
सारी खुसिया लौट आई लेकिन गलत कदम तो गलत ही होता है। दोनो लडकियो के घर छोड़ने के बाद सरोज को हार्ड अटैक आया वो नही रहे ।
मुनमुन ने अपनी मोना की मदत से एक कपड़े की दुकान खोला और उसमे व्यस्त हो गयी और मोना ने पृथ्वी से सादी कर ली।
Thanks u for reading story...
Hm ek galt kadam me kuchh or bhi choti choti kahaniya padhenge