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पढ़ाई

ये माना जाता है की पढने का हुनर सबमे नही आता , ये तो कुछ लोगो में ही होता है । ऐसे हुनर से कौन नही निखरेगा , कौन नही चाहेगा की वह पढ़ लिखकर अपने को उज्ज्वल बना सके । लेकिन अपने समाज से उच्चे सपने देखने की चाह सोफिया के लिये गलत कदम साबित हो जायेगा ।
ऐसा मना जाता है की सपने देखना अच्छी बात होती है लेकिन सपनो को पूरा करने के लिये अकेली जीद इन्सान के लिये संघर्स पुर्ण हो जाता है ।
सोफिया की उम्र 15 साल थी , जब उसकी माँ गुजर गयी लेकिन पढने के हुनर सोफिया को पंख दे रहे थे ।
वह अपने छोटे से गाँव से निकल कर पूरी दुनिया देखना चाह रही थी । जब से सोफिया ने 12वी कि परीक्षा दी तब से उसके दिमाग में हजारो सवाल उमड रहे है ।इन सब हडबडी में वो ये कभी नही सोच पाती कि उसके बाद उसके पापा राकेश और सूरज का ख्याल कौन रखेगा । उसके इन पंखो को हवा कौन देगा , कौन समझेगा उसके इस हुनर को । राकेश के पास सरकारी नौकरी तो थी पर वो इस बात पे कभी गौर नही कर पाते की पढाई कितनी जरुरी है और उसके लिये क्या करना पडता है ।सोफिया की माँ बहुत समझदार थी लेकिन उनका ना होना सोफिया के लिये उसका जिवन संघर्स भरा बना दिया । जहा ना सोफिया अपने सपनो से समझौता करना चाहती थी ना राकेश सोफिया से ।
सबने यही कहा राकेश से की आप सोफिया और सूरज को लेकर सहर रहने लग जाओ , आपकी नौकरी के लिये भी वहा से आना जाना आसान होगा । लेकिन ये बात राकेश को रास ही नही आई । सोफिया ने सबके सोच से उपर उठ कर अपने दोस्तो की मदत से अपना दाखिला सहर के एक अच्छे कोचिंग सेंटर में करवा लिया लेकिन जो सोफिया पढना चाह रही थी उसका सफर कितना लम्बा और उसकी सर्ते क्या-क्या होंगी इस बात से सोफिया और उसका पूरा परिवार अंजान था। जब सोफिया रहने के लिये सहर गयी तब उसे वहा रहने के लिये कई सारी परेसानीया झेलनी पडी ।
एक तरफ जहा लड़किया चांद को छु रही थी, वही दुसरी तरफ कुछ सहर, गाँव और घर ऐसे भी है जहा लडकियो का अधिकार तो छोडीये उन्हे वो प्यार और सम्मान भी नही मिलता जो उन्हे मिलना चाहिये , कुछ ऐसे ही गाँव की रहने वाली थी सोफिया ।
सोफिया को डॉक्टर बनना था ये सब्द सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन इसकी मेहनत और संघर्स को कोई नही जनता, इस पढाई में कितने दिन लगेंगे इस बात की कोई खबर नही है ।कुछ दिन बिता , पूरे गाँव मे ये चर्चा फैल गयी की सोफिया को सहर भेज कर गलत किया । ऐसे अकेले कौन भेजता है अपनी लडकी को । कोचिंग बन्द होने के बाद सोफिया बिना परीक्षा दिये गावँ आ गयी ।
जब परीक्षा दिया उसका परिणाम अच्छा नही आया , सोफिया निराश हो गयी ।अब सोफिया की सादी होनी चाहिये , सोफिया के परिवार वालो को ऐसा लगने लगा।
सोफिया की सदी अच्छे परिवार में हूइ जहा पढाई को महात्त्व दिया जाता है ।सोफिया की फिर से पढाई सुरु हुई, सोफिया डॉक्टर तो नही बनी पर नर्शिग प्रोफेसर बनने में लगी हुई है ।


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