उर्वशी - 7 Jyotsana Kapil द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

उर्वशी - 7

उर्वशी

ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘

7

दूसरे दिन उसे बेसब्री से भाई के आने का इंतज़ार था। जी चाह रहा था जल्दी से जल्दी वह इस स्थान से दूर चली जाए। आखिर वह समय आया और दोनो भाई आ गए। उनका काफी समय तो घर मे सबसे मिलने जुलने और नाश्ते में निकल गया। जब उसके कमरे में आये तो वह उनसे लिपट कर रो पड़ी। उन्हें लगा कि शायद अपनो से बिछड़ने का दुख है। उमंग बड़े ध्यान से उसे देख रहा था। शायद उसके चेहरे को देखकर यह पता लगाने का प्रयास कर रहा था कि उसकी लाडली बहन के रोने का कारण क्या है। तभी सीमा ने आकर ढेर सारे कीमती वस्त्र और आभूषण पैक कर दिए। उर्वशी उस घर से कोई सामान नहीं ले जाना चाहती थी। पर किसी ने उसकी नहीं मानी। न चाहते हुए भी उसे काफी सामान लेकर आना पड़ा। जिसमें सबके लिए उपहार, मिठाइयाँ, फल,मेवा आदि भी थे। बहुत कठिनाई से समय निकला और अंततः वह राणा पैलेस से निकल ली। वहाँ से बाहर आकर उसे लगा कि उसकी दम घोटती साँसों को अब जाकर ऑक्सीजन मिली है।

घर गई तो दौड़कर पापा के गले लग गई और रो पड़ी। फिर मम्मी से मिली। उसे बुरी तरह रोते देखकर सब सकते में आ गए। पापा बार बार उससे पूछने लगे कि वह इतना क्यों रो रही है। एक बार सोचा कि उन्हें सब कुछ बता दे, पर फिर उसके मस्तिष्क ने उसे रोक दिया। एकदम से आते ही सब कुछ बताना ठीक नहीं। पापा मम्मी को गहरा सदमा लगेगा। पता नहीं वो कैसे रिएक्ट करें। भाइयों को पता लगेगा तो वे तैश में आ जाऐंगे। अभी उसे खामोश रहना चाहिए। बाद में सही समय व वातावरण देखकर बात करना ठीक रहेगा। वह मौन रह गई। पापा बार बार उसे गौर से देख रहे थे। मम्मी ने कुरेदने की कोशिश की तो उसने वहाँ के वैभव का वर्णन करके उन्हें चुप करा दिया। उसे दो दिन के लिए वहाँ भेजा गया था, उसके बाद वापस लौट जाना था ।

दोपहर में उसकी बाल्यकाल की दो सखियाँ मिताली और निधि उससे मिलने आयीं। पहले तो सबके साथ साधारण बातचीत होती रही फिर जब वे तीनों उर्वशी के कमरे में आ गयीं तो मिताली ने तुरंत उससे सवाल किया कि वह खुश नहीं दिख रही। ऐसा क्या हुआ,

जो उसके हर हावभाव में परेशानी दिख रही है। जवाब में उसने धीमे स्वर में सब कुछ बता दिया। सुनते ही मिताली भड़क गई

" इतना बड़ा धोखा ? हद है …. क्या हैं ये लोग ?"

" फिर ? अब क्या सोचा है तूने ?" निधि ने उससे प्रश्न किया।

" मैं अब वहाँ वापस नहीं जाऊँगी। " उसने जवाब दिया।

" तूने शिखर से पूछा क्यों नहीं कि उन्होंने तेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया ? तुझे तो सबसे पहले उनकी क्लास लेनी चाहिए थी। " मिताली बोली।

" एक बार सोचा उनसे बात करूँ, फिर लगा कि क्या फायदा। जिस शख्स ने इतनी बड़ी बात छुपाई, मेरे साथ ऐसा खेल खेला, उसका क्या भरोसा। ज़रूरी नहीं कि अपने परिवार के ख़िलाफ़ जाकर वह मेरा साथ दे। "

" जिस घर मे उसके हुक्म के बिना कुछ नहीं होता वहाँ जो कुछ हुआ उसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार वही हैं। " इस बार निधि बोली।

" बिल्कुल, बल्कि मैं तो कहती हूँ कि तू राणा फैमिली को कोर्ट में घसीट। उनसे अच्छी खासी एलिमनी वसूल कर। तेरी जिंदगी का मजाक बनाकर रख दिया। " मिताली की इस बात पर उन दोनों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

" मक्कारी की हद है। इन दोनों भाइयों ने तेरे साथ खिलवाड़ किया है। एक भाई जबर्दस्ती तेरे साथ अपने भाई की शादी करवाता है। दूसरा …. बुज़दिल कहीं का। अगर वास्तव में उसे अपनी ग्रेसी डार्लिंग से इतना ही प्यार था, तो परिवार के विरोध में खड़ा हो जाता, नहीं मानता किसी की बात। । और अगर हिम्मत नही थी तो उसका बदला तुझसे क्यों ले रहा है ? नामर्द कहीं का। फालतू में एक लड़की की ज़िंदगी खराब की ।"

" उर्वशी, जो करना बहुत सोच समझकर कदम उठाना। जीवन इतना आसान नहीं होता। छोटी सी गलती कई बार बहुत भारी पड़ जाती है। " निधि का स्वर अब भी संयत था।

" क्या मतलब है तेरा ? ये कुछ न करे ?"

" देख मिताली, गुस्सा मुझे भी आ रहा है, पर भड़कने से क्या होगा ? जो होना था वह हो गया, अब चाहे जो करो पर जो बिगड़ना था वह बिगड़ ही गया। अब कोशिश यह होनी चाहिए कि कम से कम नुकसान उठाया जाए। " निधि अब भी शांत थी।

" मतलब, ये अपनी किस्मत पर आँसू बहाती हुई वहाँ चली जाए और जो हो रहा हो उसे होने दे। "

" सबसे पहली बात की अब विवाहिता का ठप्पा तो लग गया इस पर। अब अगर न जाए तो किस श्रेणी में रखोगे इसे ? तलाकशुदा, घर को छोड़ने वाली स्त्री ? अगर केस करे,तो तरह तरह की बातें बनेंगी। दूसरी बात, वो लोग पावरफुल लोग हैं। उनका राजनीति में भी दखल है और धन की भी कमी नहीं। केस करें तो शौर्य के अफेयर की बात उठानी पड़ेगी। इसका कोई सुबूत है नहीं। जबकि इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि वो लोग उल्टा इसके ही चरित्र पर कीचड़ उछाल दें। वो दस जाली सुबूत भी जुटा लेंगे। हम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। एलिमनी का दावा करे तो थोड़ा पैसा ज़रूर हाथ आ सकता है। पर क्या सिर्फ यही अपेक्षित है ? "

" मतलब कुछ न किया जाए ?"

" ये मैंने कब कहा ? बस यह चाहती हूँ की हर स्टेप सोच समझकर लिया जाए। अगर इसने शौर्य के विषय मे सबको बताकर उनके परिवार की प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाई तो शायद यह बर्दाश्त नहीं किया जाए। " उर्वशी ध्यान से हर बात को सुन रही थी।

" एक तरफ हमें यह भी सोचना है कि जब अंकल आँटी को इस बात का पता लगेगा तो उन पर क्या गुज़रेगी ? जिस बेटी को बहुत उत्साह के साथ, जीवन भर की पूँजी लगाकर विदा किया वह दो दिन बाद वापस आ जाती है, कभी वापस न जाने के लिए। कैसा लगेगा उन्हें ?" अब मिताली भी सोच में पड़ गई।

" उर्वशी, तू क्या एक बार कोशिश करके नहीं देख सकती, शायद कुछ सँवर जाए " निधि ने कुछ सोचते हुए कहा।

" मतलब ? " उर्वशी ने उसे देखा।

" देख एक तरह से तेरी शादी तो टूटने के कगार पर ही है। अगर तू एक बार वापस चली जाए और एक मौका दे शौर्य को, मतलब थोड़ा समय और देख ले। फिर भी अगर वो अपनी जिद पर कायम रहता है तो आ जाना। फिर डिवोर्स और एलिमनी का देख लेंगे। "

" नॉनसेंस,ये क्या बात हुई, उसने पहली ही रात इसके नारीत्व का अपमान किया है। क्या वह माफी के या दूसरा मौका देने के लायक है ?" मिताली फिर आवेश में आ गई।

" तू इस कदर खूबसूरत है उर्वशी, एक साधारण पुरूष तेरी सुंदरता को नकार दे, क्या यह बात तुझे आहत नहीं करती ? "

" मतलब यह उसे प्रो … "

" शटअप मीतू, मेरा कोई मतलब नहीं, बस ऐसे ही सोच रही थी, एक लॉजिकल बात ।" निधि की बात पर वह दोनो भी सोच में पड़ गईं। तीनो ही काफी देर तक सोच में पड़ी रहीं। क्या करे, क्या न करे, यह समझ नहीं आ रहा था।

उमंग ने उसे उलझा हुआ देखा, तो एकांत देखकर प्रश्न किया कि जबसे वह उससे मिला है, देख रहा है कि वह खुश नहीं है। उसने अधिक दबाव बनाया तो उर्वशी ने शौर्य का रवैया बता दिया। सुनकर पहले तो वह भड़क गया। फिर उसके भविष्य का सोचकर धीरे धीरे शान्त हो गया। उसने उत्कर्ष को बुलाकर सारी बात बताई। उत्कर्ष भी आवेश में आ गया। थोड़ी देर वे लोग आपस मे सलाह मशविरा करते रहे, फिर पिता को भी यह बताने का निश्चय किया। बहन को तसल्ली दी कि पापा से बात तो करनी पड़ेगी। उन्हें बिना बताए हम कैसे कोई भी कदम उठा सकते हैं। उर्वशी ने उन्हें रोकना चाहा तो वे उसे तसल्ली देते हुए बोले कि उसे फिक्र करने की ज़रूरत नही, वह मामले को बहुत अच्छी तरह हैंडल करेंगे ।

इसके बाद उसने मम्मी पापा को पास में बैठाकर बहुत धैर्य से सारी स्थिति बताई । सुनकर उन पर भी वज्रपात सा हुआ। सारी रात सभी सदस्य जागते रहे और समस्या का समाधान खोजते रहे। अंत मे उसके पिता ने शिखर से बात करने का निश्चय किया। सुबह होने के थोड़े समय बाद उन्होंने शिखर को फोन लगाया और सारी बात बताई। सुनकर वह हैरान रह गए । उन्होंने कल्पना ही न कि थी कि बात इतनी बिगड़ चुकी है। उन्होंने तो सोचा था सुंदरी पत्नी पाकर शौर्य सब कुछ भूल जाएगा और ग्रेसी नाम की फाँस आसानी से निकल जाएगी, पर उसकी जिद उन्हें चिंता में डाल गई। उन्होंने वादा किया कि वह उर्वशी का पूरा साथ देंगे और मामले को सुलझाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने उर्वशी से बात करनी चाही तो उसने इनकार कर दिया।

दोपहर बाद पुनः शिखर का फोन आया और उन्होंने बताया कि माँ तथा वह स्वयं शौर्य को समझाएंगे। बस उर्वशी थोड़ा धैर्य से काम ले। उन्होंने जोर दिया कि वह नियत दिन में वापस आ जाए। पापा ने जब बताया कि वह जाना नहीं चाहती तो उन्होंने फिर उससे बात करने की इच्छा प्रकट की। इस बार उसे बात करनी पड़ी। वह उसे बहुत कुछ समझाते रहे। अंततः वह ससुराल वापस जाने को तैयार हो गई।

उसे वापस लिवा ले जाने के लिए शौर्य, शिखर व उनके दोनों बच्चे आये। उसके परिवार के साथ शौर्य बहुत विनम्रता और प्रसन्नता से मिला । बस उसके साथ ही थोड़ा उदासीनता बरतता रहा। इस बार फिर उनलोगों के साथ काफी फल, मिठाई और उपहार थे। पापा ने उनके इतना कुछ लाने पर ऐतराज़ किया तो उन्होंने रस्मो की बात कहकर टाल दिया। वापसी में एक गाड़ी में अंगरक्षकों के साथ दोनो बच्चे व शिखर बैठने वाले थे तथा दूसरी में वह दोनो । तभी शिखर ने मुस्कुराते हुए कहा कि उन दोनों को अकेले बैठने का मौका इसलिए दिया जा रहा है कि वे दोनों आराम से बातें कर लें। उन्हें चुप बिल्कुल नहीं रहना है।

उसने यह सुनकर एक बार शौर्य की ओर देखा, जबकि वह दूसरी तरफ देखने लगा। जब वह दोनो गाड़ी में बैठे तो उनके मध्य पर्याप्त दूरी थी। वह इंतज़ार करती रही उसके बोलने का, पर वह शांत था। कभी मोबाइल में व्यस्त तो कभी व्यवसाय की बातों में। उर्वशी भी बाहर के दृश्य देखती रही। तभी एक फोन आया और शौर्य के सम्बोधन से पता लगा कि दूसरी ओर शिखर था। उन्होंने उसे आदेश दिया कि वह फौरन फोन बंद करे और अपनी पत्नी से बात करे। शौर्य ने झुँझला कर फोन स्विच ऑफ कर लिया। कुछ पल वह बेचैनी से पहलू बदलता रहा। उसकी स्थिति देखकर न चाहते हुए भी वह मुस्कुरा दी।

क्रमशः