चंदा
स्वीटी मीठी और मोनू तीन भाई बहन थे स्वीटी सबसे बड़ी बहन मीठी उस से छोटी और मोनू सबसे छोटा भाई था। सबसे छोटा होने के कारण मोनू सबका लाडला था। इन तीनों के पापा रोज सुबह जल्दी उठते थे और रोज सुबह की सैर पर जाते। वापस लौट कर आने के बाद तीनों बच्चों को पढ़ने के लिए जल्दी उठाते थे । स्वीटी कक्षा 6 में पढ़ती थी मीठी कक्षा 4 में थी और मोनू तीन-चार साल का था वह भी केजी वन में पढ़ता था तीनों बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते थे । सबसे बड़ी बेटी स्वीटी बहुत समझदार थी स्कूल में वह अपने भाई बहन का बहुत ध्यान रखती थी तीनों बच्चों की मम्मी रोज सुबह जल्दी उठकर सभी के लिए पहले ब्रेक फास्ट बनाकर
तीनों बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती और उन्हें ब्रेकफास्ट करा कर उनकी बस तक छोड़ने जाती। लौट कर आने पर सभी के लिए खाना बनाती घर के सारे काम करती ।
11:30 या 11:45 बजे तीनों बच्चों को स्कूल की बस आने पर लेने जाती
कभी-कभी जब तीनों बच्चों के स्कूल की बस छूट जाने पर या उसकी हड़ताल होने के कारण उन तीनों बच्चों की मम्मी अपनी कार से स्कूल छोड़ने लेने जाती । उनके पापा सुबह नाश्ता कर के 10:30 या 11:00 बजे ऑफिस चले जाते और 1. 1:30 दोपहर को खाना खाने आते। तीनों बच्चे सुबह 8:00 बजे स्कूल जाते और 12 एक बजे आते ।घर के सभी लोग दोपहर का खाना साथ करते। पापा खाना खा कर वापस ऑफिस चले जाते और देर शाम को आते । स्वीटी मीठी और मोनू की मम्मी पहले एक बैंक में जॉब करती थी पर तीनों बच्चों की पढ़ाई और देखभाल को देखते हुए उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी । लगभग रोज शाम को पांचों अपनी कार बैठकर पूरे शहर का चक्कर लगाने जाते थे । और कभी कभार घर का जरूरी सामान लाते ।
एक बार मोहल्ले के राम मंदिर में रामायण का पाठ हो रहा था स्वीटी की मम्मी ने स्वीटी से कहा चलो थोड़ी देर मंदिर में रामायण सुनकर आते हैं और आते समय कुछ सामान भी लाना है वह भी ले आएंगे ।मम्मी ने कहा वैसे तो तीनों बच्चों को चलना चाहिए, पर मीठी की क्लास में कल क्लास टेस्ट है इसलिए उसे पढ़ना है और मोनू सो रहा है इसलिए स्वीटी तुम ही चलो । मम्मी ने मीठी से कहा हम थोड़ी देर के लिए मंदिर जा रहे हैं तुम अपना और मोनू का ध्यान रखना। जल्दी आ जाएंगे । मीठी ने मम्मी से कहा ठीक है मम्मी आप लोग जल्दी आ जाना। मम्मी ने कहा ठीक है बेटा ।यह कहकर वे दोनों मंदिर चले गए ।थोड़ी देर में मोनू सो कर उठ गया ।
अब दोनों मीठी और मोनू खेलने लगे तभी डोर बेल बजी मीठी को लगा मम्मी और स्वीटी दीदी वापस आ गई इसलिए वह दौड़ कर दरवाजा खोलने गई मीठी ने दरवाजा खोला तो मम्मी दीदी नहीं थे बल्कि एक चंदा मांगने वाले बाबा थे । उन्होंने कहा बेटी मुझे तुम संत टुकड़ों दास का चंदा दे दो तेरा भला होगा । मीठी ने कहा रुको बब्बा अभी देती हूं । यह कहकर मीठी अंदर गई और उसने अपने जिस गुल्लक में मीठी 20 और 50 रुपए जो उसके मम्मी पापा हर महीने उसे पॉकेट मनी देते थे, और जरूरत पड़ने पर मम्मी उससे छुट्टे पैसे ले लेती फिर जब उनके पास पैसे आते तो मीठी को उसके पैसे वापस दे देती । मीठी ने अपने गुल्लक से 20 रुपए निकालें और दौड़कर बब्बा को दे दिए जिसे पाकर वह संत खुश हुआ और बोला खुश रहे बेटी और चला गया । मीठी संत को पैसे देकर बहुत खुश थी क्योंकि उसने सोचा आज उसने बहुत अच्छा काम किया है ।इस काम से मम्मी बहुत खुश होगी और 20 रुपए वापस दे देगी । लगभग आधे घंटे बाद एक और डोर बेल बजी अबकी बार मीठी और मोनू दोनों दरवाजा खोलने गए ।इस बार तो जरूर मम्मी और स्वीटी दीदी ही होंगे। और सच में वह दोनों ही थे ।मम्मी ने आकर मुंह हाथ धोएं और वह चाय बनाने चली गई क्योंकि कुछ ही देर में तीनों बच्चों के पापा भी ऑफिस से आने वाले थे। मम्मी चाय बना रही थी तभी मीठी ने कहा मम्मी मेरे
20 रुपए वापस कर दो ना ।इस पर मम्मी ने कहा इस बार तो मैंने तुमसे कोई रुपए नहीं मांगे 20 रुपए किसलिए दे दूं । जवाब में मीठी ने उन्हें पूरा किस्सा कह सुनाया कि कैसे एक बाबा संत टुकड़ों दास का चंदा लेने आए और उसने उन्हें ₹20 दिए । इस पर मम्मी को बहुत गुस्सा आया और वह बहुत डर भी गई कि चलो इस बारर तो नेक संत ही थे पर उनकी जगह अगर कोई गलत आदमी या चोर होता तो क्या होता। आज तो घर का सारा सामान चोरी हो जाता या कोई दोनों बच्चों को कहीं ले जाता तो क्या होता। उन्होंने कहा इस बार की तुम्हारी पॉकेट मनी तुम्हें नहीं मिलेगी ।मीठी को मम्मी डांट ही रही थी कि उन बच्चों के पापा आ गए उन्होंने आते हुए कुछ बातें सुनी तो उन्होंने पूछा क्या हुआ आज मीठी पर इतना गुस्सा क्यों कर रही हो क्या हुआ। इसपर मम्मी ने बताया अरे क्या कहूं गलती मेरी भी थी दोनों छोटे बच्चों को घर में छोड़कर मंदिर और कुछ जरूरी सामान लेने चली गई थी । इस पर पापा ने कहा तोक्या हुआ। इस पर स्वीटी की मम्मी ने पूरी घटना कह सुनाई। पूरी बात सुनने के बाद मीठी के पापा ने मीठी और अपनी पत्नी को दोनों को डांटा। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा तुम्हें दोनों छोटे बच्चों को घर में अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहिए था ।कुछ सामान चाहिए था तो अपन दोनों शाम को ले आते ना और मीठी से कहा आज तो ठीक है पर आगे से जब तक घर के किसी सदस्य की आवाज ना सुन लो दरवाजा नहीं खोलना आज तो वह नेक संत ही थे तो कोई बात नहीं पर आगे से ध्यान रखना ।
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