ऑनलाइन क्लास की टेंशन
आर ० के ० लाल
अनु और मौली दो सगी बहने लखनऊ के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ती हैं। अनु कक्षा तीन में तथा मौली कक्षा छ: में हैं । लॉकडाउन में उनका स्कूल भी बंद है । पढ़ाई का हर्ज न हो इसलिए दोनों को स्कूल से संचालित ऑनलाइन क्लासेस अटेण्ड करना पड़ता है। एक दिन सुबह-सुबह अनु रो रही थी और कह रही थी, "मम्मा ! मेरी ऑनलाइन क्लास का समय हो गया था तो तुमने मुझे जगाया क्यों नहीं ? मेरी मैम मुझे डाटेंगी, मैं क्लास में पीछे रह जाऊंगी।" उसकी मम्मी पूनम उसे समझा रही थी कि बेटा तुम्हारी तबीयत खराब है इसलिए आज तुम्हें छुट्टी पर रहना है , मैंने तुम्हारी टीचर को बता दिया है। पिछले पंद्रह दिन से अनु की आंखों में दर्द हो रहा था । शाम होते-होते सर दर्द भी होने लगता है । उसे भूख नहीं लगती, वह कई दिनों से ठीक से खा भी नहीं रही है। कल अनु की तबीयत कुछ ज्यादा खराब हो गयी थी । इसलिए आंख के डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लिया। डॉक्टर ने जांच करके बताया कि आंख में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन लगता है आंखों पर ज्यादा स्ट्रेस पड़ा है। डॉक्टर ने दवा देते हुये मोबाइल या टीवी ज्यादा न देखने की सलाह दी और अगले चार दिन ऑनलाइन क्लास में पढ़ाई के लिए भी मना कर दिया। बताया कि सिर में दर्द उसी की वजह से है । परंतु अनु तो ऑनलाइन क्लास करने के लिए रोए चली जा रही थी। उसके पापा महीप भी उसे समझा रहे थे।
थोड़ी देर में अनु शांत हो गयी तो पूनम रसोईं में काम करने चली गयी। तभी महीप ने के चिल्ला कर आवाज लगाई, कि उसका मोबाइल नहीं मिल रहा है, और उसकी मीटिंग का समय हो रहा है। उसे पता नहीं था कि अनु उसके मोबाइल से अपनी किसी दोस्त से चेटिंग कर रही थी । महीप कह रहा था कि इन बच्चों के ऑन लाइन क्लास के चक्कर में मेरी तो नौकरी ही चली जाएगी । उसने अनु से मोबाइल छीन लिया तो वह फिर रोने लगी।
मौली थोड़ा बड़ी हो गयी है इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उसे पूनम ने अपना स्मार्ट फोन दे रखा था जिससे मौली अपने कमरे में स्टडी कर रही थी । एकाएक वह भी चिल्लाने लगी , “ मम्मी नेट चला गया है, आकर देखो, व्हाट्स ऐप भी नहीं चल रहा है”। मौली कभी दरवाजे पर जाती तो कभी वाई- फाई का मोडेम ऑन-ऑफ करती। कह रही थी कि पापा ने न जाने कौन सा सड़ा नेट ले रखा है, अक्सर चलता ही नहीं । पूनम ने भाग कर महीप से कहा कि जरा देखो नेट ठीक कर दो, मौली का हर्जा हो रहा है । महीप बोलने लगा, “मेरे पास समय नहीं है, तुमसे भी कुछ होता है कि नहीं? फिर पूनम और महीप झगड़ने लगे । मौली ने भी अपनी क्लास छोड़ दी और अपनी कॉपी किताब फेंक कर उदास हो कमरे में जाकर बैठ गई। पूनम ने मौली से कहा, “बेटा परेशान मत हो, तुम अपनी किसी दोस्त को फोन करके उससे पढ़ाई की सारी सामाग्री ले लो। फिर पूनम बड़बड़ाने लगी, “एक तरफ महामारी में काम वाली के न आने का टेंशन, दूसरी तरफ कमाई कम हो जाने की टेंशन पहले से ही था ऊपर से अब बच्चों के ऑनलाइन स्कूलिंग का टेंशन हो गया है। सुबह आठ बजे से ही बच्चों की ऑनलाइन क्लास चलने लगती है । बच्चे छोटे हैं इसलिए उनके साथ बैठना पड़ता है और उन्हें होमवर्क कराना पड़ता है। मुझे तो लगता है कि इतने टेंशन से मैं मर ही जाऊंगी। घर में दो बच्चे हैं इसलिए दोनों के लिए अलग अलग लैपटॉप या स्मार्ट मोबाइल, ब्रॉडबैंड कनेक्शन, और कमरे की जरूरत है । महीप भी घर से ही ऑनलाइन काम करते हैं, उन्हें भी यह सब चाहिए । कहाँ से यह सब संभव है। महीप तो बस स्कूल वालों को भला बुरा कह कर समस्या को रोज टाल देता है”।
शाम को महीप ने अपने दोस्त किशोर को फोन किया और अपनी परेशानी बताई। उनकी बेटी भी अनु के स्कूल में ही पढ़ती है। किशोर ने कहा, यार मैं भी बहुत परेशान हूँ। अभी तक बच्चों को मना किया जाता था कि वे टीवी, लैपटॉप अथवा मोबाइल पर अधिक समय न बताएं, उनसे टीवी का रिमोट और मोबाइल छीन लिया जाता था मगर अब उनको चार से पाँच घंटे उन्हीं उपकरणों के साथ बिताना पड़ता है । इस प्रकार मोबाइल से होने वाले कुप्रभाव ऑनलाइन क्लास से बहुत ज्यादा बढ़ गये हैं । बच्चों के साथ हमें भी ऑनलाइन पढ़ाई का कोई अनुभव या ज्ञान नहीं है ऐसे में हम सभी मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो रहे हैं । हमें समझ में नहीं आता कि इस तरह के क्लास में बच्चे कोर्स मैटेरियल को कैसे समझ पाएंगे। शायद इसीलिए ज्यादातर बच्चे मानसिक विषाद से ग्रस्त हो रहे हैं और उनमें तरह-तरह की बीमारियां पनप रहीं हैं ।
महीप का पड़ोसी अनुज भी कल कह रहा था कि वह भी बच्चों के ऑनलाइन क्लास से बहुत परेशान है। उसकी पत्नी तो कम्प्युटर की ए, बी, सी, डी नहीं जानती। इतना ही नहीं, स्कूलवाले ऑनलाइन कक्षाओं के नाम पर अच्छी खासी फीस की मांग करने लगे हैं। अनुज ने अपनी भड़ास निकली कि स्कूल बंद हैं तब भी फीस की रसीद बुक में इंटरनेट इन्स्टालेसन शुल्क , बिल्डिंग मेंटीनेंस शुल्क, सॉफ्ट वेयर एवम ऐप के डेवलपमेंट के नाम पर शुल्क लिया जा रहा है जबकि अधिकतर ऐप फ्री वाले हैं । हमारे घर पर जो इंटरनेट पैक के खर्चे बढ़े हैं, जो बिजली खर्च होगी और अलग से मोबाइल खरीदने का खर्च कौन देगा। हमें तो चल कर प्रिंसिपल का घेराव करना चाहिए। हमें नहीं चाहिए ऐसी पढ़ाई ।
महीप और अनुज की बात हो रही थी कि उसी समय मिसेज कपूर का फोन आ गया। पूनम ने अपनी परेशानी मिसेज कपूर को बताई कि क्लास में तो बच्चे टीचर से अपने सवाल पूछ सकते हैं लेकिन ऑनलाइन के समय उनके ढेर सारे सवाल पूछने के लिए रह जाते हैं। इसीलिए मुझे सारा काम छोड़ कर बच्चों को दुबारा पढ़ना पड़ता है। मैं मानती हूँ कि ऑनलाइन क्लास मैच्योर बच्चों के लिए बहुत बेनिफिशिएल है लेकिन स्कूल लेवल पर तो उन्हें तो कॉपी-पेंसिल पकड़कर पढ़ाने की जरूरत होती है। उनके साथ क्लास में मेरे होने की अनिवार्यता से मेरा बहुत समय बर्बाद होता है।
मिसेज कपूर ने फोन पर ही एक लंबा लेक्चर दे डाला । कहने लगीं कि सिलेबस पूरा करवाने के लिए स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दे रहे हैं परंतु एक्सपर्ट के अनुसार घंटों ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों को नुकसान उठाना पड़ सकता है, उनकी आंखें कमजोर हो सकती हैं, सर दर्द हो सकता है, अथवा उनकी रीढ़ की हड्डी में दिक्कत आ सकती है। ऑनलाइन क्लासेस में टीचर्स के साथ बच्चे पूरी तरह इंटरेक्ट नहीं कर पाते। ऑनलाइन में पढ़ाई में डिस्टरबेंस भी काफी ज्यादा होता है। ऑनलाइन कक्षाओं में स्कूल का माहौल न होने से बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग पाता है। जब पढ़ने से उनका मन ऊब जाता है तो वे वीडियो या गेम में लग जाते हैं। इतना ही नहीं विभिन्न ऐप्स पर एक निर्धारित संख्या से ज्यादा छात्र नहीं जुड़ सकते हैं। जिन बच्चों के पास मोबाइल आदि की सुविधा नहीं है वो बच्चे एब्सेंट रह जाते हैं। मुझे तो लगता है कि यह व्यवस्था एकदम फेल है ।
अपनी मम्मी की बात सुनकर मौली कहने लगी कि पहले पढ़ाई जूम ऐप पर होती थी लेकिन अब व्हाट्सएप पर भी होती है । टीचर व्हाट्सएप के माध्यम से पीडीएफ या फोटो के माध्यम से नोट्स भेजती हैं जिन्हें पढ़ने में आंखों पर काफी जोर देना पड़ता है क्योंकि उनके फॉन्ट काफी छोटे होते हैं, इसलिए मेरे तो हमेशा आंख से आंसू निकलते रहते हैं।
अनुज की वाइफ़ भी एक दिन कह रही थीं कि उनका बेटा इंटर में पढ़ता है उनके स्कूल से विडियो कोन्फ़्रेंसिंग द्वारा पढ़ाया जाता है । उनका तो दो ही कमरे का फ्लैट है। इसलिए ऑनलाइन क्लास शुरू होने के पहले ही उस कमरे को ठीक-ठाक करना पड़ता है। क्योंकि दूसरी तरफ से क्लास टीचर को सब कुछ दिखाई पड़ता है। एक दिन तो टीचर का फोन ही आ गया था कि जब तक ऑनलाइन क्लास चलें तब तक वहां पर किसी की उपस्थित न हो। वे कह रहीं थी कि आपका तो बाथरूम का दरवाजा भी खुला रहता है और सब दिखाई पड़ता है ।
पूनम ने सारी बातें अपने पापा को बतायीं। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। उनका मानना है कि स्कूलों में बैठकर पढ़ने के दिन लद गए, आने वाले समय में सभी को ऑनलाइन पढ़ाई ही करनी पड़ेगी। यह बात अलग है कि लंबे तालाबंदी के चलते यह काम अचानक शुरू हो गया है जिसके लिए लोग तैयार नहीं हैं। पहले जो शिक्षक और माता-पिता स्मार्टफोन को छात्रों के लिए व्याकुलता का स्रोत मानते थे वही आज उनकी शिक्षा को प्रभावित नहीं होने देने के लिए स्वयं उन्हें स्मार्टफोन पकड़ा रहे हैं । आज मोबाइल ऐप्स स्मार्टफ़ोन को वर्चुअल क्लासरूम में बदल रहे हैं जहाँ छात्र आसानी से सीख सकते हैं। इस प्रकार सारा शैक्षिक परिदृश्य बदल रहा है, हमें उनके साथ कदम से कदम मिलना होगा नहीं तो पिछड़ जाएंगे। सभी पैरेंट्स को ऑन लाइन क्लासेस कि बारीकियों को समझना पड़ेगा। उन्होंने पूनम को बताया कि अब छात्रों के लिए अनेक निशुल्क ऐप्स उपलब्ध हैं जैसे गूगल – क्लासरूम। शिक्षक गूगल कक्षा के साथ एक कोड साझा करते हैं और छात्र केवल कोड दर्ज करके उसमें शामिल हो सकते हैं। इसी प्रकार इंस्टासॉल्व ऐप, ईडीएक्स ,खान एकेडमी, डियोलिंगो, रिमाइंड, फोटोमैथ, सोलोलर्न और कुइजलेट, उमंग ऐप और बाइजूस आदि भी हैं जिनकी सहायता से तरह तरह की विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने सलाह दी कि ऑनलाइन क्लास के लिए सबसे पहले तो पेरेंट्स को अपनी मन-स्थिति बदलनी चाहिए । स्कूलों को भी चाहिए कि अपने यहाँ प्रशिक्षित टीचर ही रखें। बच्चों के स्तर पर भी आने वाली तकनीकी दिक्कतें, कंप्यूटर साक्षरता, समय प्रबंधन और स्व प्रेरणा की समस्याओ को हल करने की आवश्यकता है। अगर मोबाइल को लैपटॉप, डेस्कटॉप या टीवी से जोड़ कर पढ़ाई करवाएंगे तो आंखो को स्ट्रेस नहीं होगा। इस प्रकार की अवधारणा से धीरे धीरे ऑनलाइन क्लास की टेंशन खत्म होने लगेगी।
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