कोमल की हौसले की उड़ान Udita Mishra द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कोमल की हौसले की उड़ान

कोमल की हौसले की उड़ान

आज रामचंद्र बहुत खुश था क्योंकि आज उसे अपना वारिस मिल गया रामचंद्र की तीन बेटी थी बेटे की चाह में तीन बेटियां हुई थी क्योंकि रामचंद्र ऑटो चलाता था और हर समय यह सोच कर परेशान रहता कि उसके बाद ऑटो चलाने का काम कौन करेगा बेटियां तो शादी कर कर अपने अपने घर चली जाएंगी। पर सबसे बड़ी बेटी कोमल का बचपन से अपने पिता को ऑटो चलाते देखती तो सोचती की बड़ी होकर वे भी ऑटो चलाएगी कोमल का मन पढ़ाई में नहीं लगता था उसका सारा ध्यान अपने पिता के ऑटो चलाने पर रहता इसलिए जब रामचंद अपनी तीनों बेटियों को स्कूल छोड़ने लेने जाता तब कोमल अपने पिता ऑटो चलाना बड़े ध्यान से देखती कि स्टार्ट कैसे कैसे होता है गियर कैसे चेंज ब्रेक कैसे लगता है आगे कैसे बढ़ता है कोमल की बाकी दोनों बहने पढ़ाई में बहुत अच्छी थी इसलिए उन्हें आगे पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति मिलती बड़े होने पर कोमल ने अपने पिता ऑटो चलाने की जिद करती कभी-कभी रामचंद्र कोमल को अपना ऑटो चलाने को दे देता पर रामचंद्र की पत्नी उन्हें हमेशा टोकती कि अगर कभी ऑटो चलाने के चक्कर में कोमल को कुछ हो गया या हाथ पैर टूट गए तो उससे शादी कौन करेगा कोमल की छोटी दोनों बहनों को अच्छी पढ़ाई होने के कारण अच्छी जगह जॉब मिल गई और कोमल घर घर का सारा काम करती और अपनी मां कि मदद करती मां कहती तू पढ़ाई कर पर कोमल कहती मां तुम अकेले कितना काम करोगी कोमल अपने पिता से कहती कि मैं भी आप की तरह ऑटो चल आऊंगी इस पर कई बार उसकी मां बोलती तू लड़की होकर ऑटो चलाएगी तो लोग बाग क्या बोलेंगे इस पर कोमल कहती मुझे लोगों से कोई मतलब नहीं रामचंद्र यह बात सुनकर खुश होता और कभी कभी उसकी मां से छुपाकर कोमल को ऑटो चलाना सिखाता उधर कोमल की बहनों के लिए अच्छे लड़कों के रिश्ते आने लगे और कुछ ही दिनों में दोनों बहनों की शादी हो गई मां कोमल से भी कहती तू भी शादी कर ले पर कोमल हमेशा मां मां को मना कर देती कि मैं शादी नहीं करूंगी इस पर उसकी मां कहती क्या हमेशा तू हमारे सिर पर बैठी रहेगी इस पर कोमल हंसकर बोलती हां हमेशा तुम्हारे सिर पर बैठी रहूंगी और तुम्हारी देखभाल करूंगी एक दिन अचानक रामचंद्र की तबीयत खराब हो गई जिसके चलते कुछ दिनों के लिए उसे हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा रामचंद्र के इलाज के लिए बहुत पैसे लग रहे थे इसलिए घर में खाने खाने पीने और दवाइयों के के लिए लिए पैसे की कमी होने लगी जिसे देखते हुए एक दिन अलसुबह कोमल ने ऑटो की चाबी ली और चलाना निकल पड़ी और शाम को पैसे और कुछ फल और दवाइयां लेकर लौटी जिसे देख कर उसकी मां की आंखों में आंसू आ गए और मां ने उसे गले से लगा लिया अब से कोमल अपने पिता के इलाज का खर्चा घर का खर्च उठाने लगी उसकी मां को उसकी बहुत चिंता होती पर कोमल ने मां को विश्वास दिलाया कि वह सावधानी के साथ ऑटो चलाएगी।

धीरे धीरे रामचंद्र की तबीयत सुधरने लगी जब रामचंद्र स्वस्थ हो गया तब उसे पता चला की उसकी दवाइयों का और घर का सारा खर्चा कोमल ने दिन रात ऑटो चला कर उठाया जिसे जानकर वह बहुत खुश हुआ उसने सोचा कि अब वह कोमल को एक नया ऑटो खरीद कर देगा जिसके लिए उसने लोन लिया और एक नया ऑटो खरीद कर उसने कोमल को दे दिया कि अब से यह कोमल ही चलाएगी अब कोमल और उसके पिता अलग-अलग ऑटो चला कर चलाने लगे जिस जिसके कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी । ऑटो चलाने से आमदनी अच्छे अच्छी होने लगी जिस कारण अब कोमल ने एक कार टैक्सी खरीद ली और उसने एक लड़का रख लिया जो जब कोमल टैक्सी चलाएगी तब वह लड़का उसका ऑटो चला आएगा थोड़े समय के बाद रामचंद्र ने भी अपने चलाने के लिए एक कार टैक्सी खरीद ली और रामचंद्र ने भी अपना ऑटो चलाने के लिए एक लड़का रख लिया धीरे से कोमल ने एक अपनी खुद की ट्रैवल एजेंसी खोल ली जो दूसरे शहरों में भी टैक्सी किराए पर देती थी और अब रामचंद्र ने भी अपना सारा काम धाम कोमल को सौंप दिया अब कोमल जानी मानी ट्रैवल एजेंसी की मालिक बन गई ।

आप कोमल के हौसले की उड़ान को पंख मिल गए थे ।

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