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चोखी की दूसरी विदाई 

चोखी की दूसरी विदाई

कभी कभी मेरी नानी अपने बचपन की कहानियां किस्से मुझे सुनाती है एक बार उन्होंने अपनी बचपन की सहेली चोखी के बारे में मुझे बताएं कि चोखी बहुत धनी परिवार की महिला थी और बहुत खूबसूरत भी थी उनका बहुत बड़ा परिवार था । पांच बहन दो भाई थे पांचों बहने एक से एक से बढ़कर एक खूबसूरत थी। उनके भाई बचपन से ही बहुत होशियार थे पांचों बहने भी बहुत विद्वान थी ।

उनकी मां अपने समय की बहुत विदुषी महिला थीं, उनके पति बहुत बड़े साहित्यकार और विद्वान इंसान थे ।उन्होंने अपने बच्चों को ऊंची शिक्षा दिलाई। मां ने अपनी बेटियों को गीत संगीत सब क्षेत्रों में आगे बढ़ाया।

दुर्भाग्य से उनकी चौथी संतान जो बहुत खूबसूरत थी पर शारीरिक रूप से अक्षम थी, जिसका पति पत्नी को बहुत मलाल था पर ईश्वर के हाथों मजबूर थे वे। बचपन में सभी भाई बहन नौकर चाकर मिलकर उनका सब काम कर देते थे। उन्हें प्यार से चोखी बोलते थे सभी बहुत प्यार करते थे ।स्कूल से लाना ले जाना खाना पीना सब का ध्यान रखते थे ।पढ़ाई में वे बहुत होशियार थीं। हमेशा अच्छे नंबरों से पास होती रहीं। इसके साथ साथ वे गाती भी बहुत अच्छा थी उनके भजन और गीत रेडियो में प्रसारित होते थे ।

शारीरिक लाचारी से वे भी बहुत बेबस थीं, पर घर के सभी लोग उन्हें दुखी होने का जरा भी मौका नहीं देते थे। हर चीज का ध्यान रखते थे।

समय बीतता गया सब बच्चे बड़े हो गए। सभी की पढ़ाई भी पूरी होने को आई। बेटों ने डॉक्टरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी शुरू कर दी बेटियों ने आर्ट्स कॉमर्स की पढ़ाई की ।बड़ी बेटी का विवाह जयपुर के एक रईस परिवार में हो गए लड़का भी योग्य और शालीन था।

धीरे धीरे चोखी को छोड़कर सारी बहनों का विवाह हो गया और सभी बहनें अपने अपने घरों में सुखी थी ।

अब माता पिता को चिंता चोखी की थी दोनों बेटों ने भी अपनी पढ़ाई पूरी कर कर काम करने लगे । दोनों का विवाह भी सुंदर सुशील कन्याओं से हो गया। अब मां को अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में आखरी चिंता चोखी की थी । इसी बीच बनारस में रह रहे हैं चोखी के मां के भाई के यहां बेटे की शादी का निमंत्रण आया ।सभी को आवश्यक रूप से आने का बुलावा दिया गया सब कोई गए। चोखी भी अपने माता पिता के साथ गई शादी में बड़े बड़े धनी उद्योगपति आमंत्रित थे ।

चोखी के मामा के मित्र जो बहुत धनी उद्योगपति थे उन्होंने चोखी को देखा और उसकी सुंदरता देख कर मुग्ध हो गए ।उनकी उम्र चोखी से 10-15 साल बड़ी होगी। उनकी पहली पत्नी का देहांत हो चुका था दो बेटे थे, जो अपने घर में व्यस्त थे मामा के मित्र को भी अपने को किसी जीवन साथी की जरूरत थी। उन्होंने चोखी के माता पिता के सामने चोखी से विवाह का प्रस्ताव रखा चोखी के माता पिता यह प्रस्ताव सुनकर चौक गए, पर चोखी के मामा के मित्र ने चोखी के माता पिता को यकीन दिलाया की चोखी को रानी महारानी की तरह रखेंगे । चोखी के माता पिता ने घर परिवार की सारी जानकारी लेकर संतुष्ट होकर विवाह तय कर दिया ।चोखी की बड़े धूमधाम से विवाह हुआ। चोखी विदा होकर अपने ससुराल चली गई माता पिता ने सुकून की लंबी सांस ली।

चोखी अपने ससुराल में सुखी थी। रानी महारानी की तरह जीवन व्यतीत कर रही थी सोने चांदी से लदी रहती थी कीमती सोने के तारों से बनी साड़ियां पहनती थीं । चोखी के पति उनकी सभी तरह से देखभाल करते थे ।

उनके कहीं जाने कहीं आने के लिए सुंदर पालकी सजा कर कहार तैयार रहते थे उनका रोज का नियम था कि पालकी में सवार होकर सज धज कर माता के मंदिर रोज जाती थी।

अब चोखी के पति भी बुजुर्ग हो चले थे। उनका सारा काम उनके बेटे और पोतों ने संभाल लिया था तो वे निश्चिंत थे चोखी को अब चिंता अपने अंतिम पड़ाव की थी ।

एक दिन अचानक चोखी को जोरों का ठसका लगा और वह बेहोश हो गई फिर नहीं उठी। अब चोखी सज धज कर दुल्हन बनकर अपने पति के हाथों अपने अंतिम पड़ाव को पार कर चुकी थी ।

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