बात एक रात की
Aashu Patel
अनुवाद: डॉ. पारुल आर. खांट
प्रकरण - 34
‘पाटणकर, तुमने बहुत गड़बड़ की है ये सामने आया है। अब कुछ भी छुपाए बिना जो कुछ हुआ है साफ-साफ बता दो। तुम्हारी बात सुनकर मुझे भरोसा होगा तो मैं तुम्हारे लिए कुछ करने की कोशिश करुंगा। हालांकि तुमने दिलनवाझ का मर्डर किया है तो तुम्हें कोई बचा नहीं पायेगा।‘
जॉइंट कमिशनर अमोल कुमार ने एनकाउंटर स्पेशियालिस्ट पाटणकर से कहा।
अमोल कुमार का मूड बहुत खराब था। मीडिया ने जिसे हीरो बनाया वही पाटणकर कई बार आगे निकल जाता था, लेकिन इस बार उसने शायद बड़ा जोखिम उठा लिया था।
‘सर, मैं क्यों दिलनवाझ का मर्डर करुंगा। हम तो बहुत अच्छे फ्रेंडस थे।‘ पाटणकर ने खुद को बचाने की कोशिश की।
‘और पार्टनर भी! तुमने पुणे में फाइव स्टार हॉटल बनाने के लिए दिलनवाझ से 250 करोड़ रुपये लिए थे और दिलनवाझ ये पैसे वापस मांग रहा था। इसलिए तुम दोनों के बिच झगड़ा हुआ था। तुमने दिलनवाझ को ब्लेक मेल करने के लिए एक एक्ट्रेस भी प्लांट की थी। यह बात उस लड़की ने कबूल कर ली है। उस लड़की के साथ दिलनवाझ के सेक्स्युअल रिलेशन के सबूत भी तुमने इकट्ठे किये थे।‘ अमोल कुमार का दिमाग फट रहा था।
बाहर सभी को कंपकंपा देने वाला और ठंडे कलेजे से दर्जनों गेंगस्टर्स को शूट कर चुके पाटणकर की इस समय बोलती बंध हो गई थी। इस मामले की जांच उसके विरोधी ऐसे सिनियर इंस्पेक्टर इनामदार के पास थी और चांदनी भी पोल खोल चुकी थी। इस मामले में उसके विरुध्ध यदि कुछ मिल जाये तो उसके चिरस्थायी दुश्मन ऐसे ह्युमन राइट्स वाले हाथ धोकर पीछे पड जाये और शेष बचे वह मीडिया पूरा कर दे।
उसने सोचा कि अब अपने गोडफाधर के समक्ष पूरी बात दो टूक कह देनी चाहिए।
‘सर, आई एम सोरी। मुझसे गलती हो गई है। यह बात सच है कि चांदनी शर्मा की मदद से उस पर दबाव बनाने की कोशिश करना चाहता था, लेकिन मेरा विश्वास कीजिए, सर। मैंने दिलनवाझ का मर्डर नहीं किया है....’ पाटणकर देर तक खुलासा देता रहा।
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‘एनी अपडेट्स, इनामदार?’
कमिशनर पटनायक ने पूछा।
इनामदार ने एक संदिग्ध व्यक्ति के मोबाइल फोन की कॉल रिकार्ड के बारे में प्राप्त जानकारी अमोल कुमार को देने के लिए अपने टेबल पर रखे मोबाइल फोन को हाथ में लिया तभी कमिशनर पटनायक का उस पर कॉल आया। सामान्य केस में पुलिस कमिशनर सीधे सिनियर इंस्पेक्टर के साथ बात नहीं करते, लेकिन बड़े केस में पुलिस कमिशनर इन्वेस्टिगेशन करते अधिकारी के साथ सीधे बातचीत करते हैं। वैसे भी ये तो हाइ प्रोफाइल केस था इसलिए पटनायक कई बार इनामदार से बात कर चुके थे।
‘सर, एक सस्पेक्ट की मोबाइल रिकार्ड....’
इनामदार ने बात पूरी की तो पटनायक चौंक गये। उसने कहा, ‘ धिस इझ मेजर ब्रेक थ्रू ! शिघ्र ही इसके बारे में इंफोर्मेशन निकलवाए।‘
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‘सर, पूरी डिटेल आ गई है...’
सिनियर इंस्पेक्टर इनामदार ने कमिशनर पटनायक को फोन पर जानकारी दी।
‘मेरी शंका सही साबित हुई।‘ इनामदार ने बात पूरी तो पटनायक ने कहा।
‘एक ठोस सबूत भी मिला है, सर। एफएसएल ने दिलनवाझ खान के मोबाइल फोन का डेटा रिकवर कर लिया है। उसके लास्ट कॉल की रिकार्ड भी मिली है। दिलनवाझ का चांदनी के साथ कॉल चल रहा था इसी दौरान उसका मर्डर हुआ था। ये कॉल में....’
इनामदार ने बात पूरी की तो पटनायक ने आदेश दिया: ‘इट्स एकस्ट्रीमली क्लियर, इनामदार। गो अहेड...’
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‘आपके मोबाइल फोन का रिकार्ड संकेत देता है कि आप दिलनवाझ के साथ लगातार सम्पर्क में थे।‘
सिनियर इंस्पेक्टर इनामदार अपनी केबिन में दिलनवाझ के मर्डर के लिए संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ कर रहे थे।
‘हा, हमारे बीच बातचीत होती रहती थी।‘
‘आप उसका मर्डर करने के लिए मौका ढूँढ रहे थे और उस रात यॉट की पार्टी के दौरान मौका मिल गया !‘
‘मैं क्यों मर्डर करूं?’
‘ये भी कहता हूँ, लेकिन पहले दिलनवाझ के लास्ट कॉल का रिकार्ड सुन लो।‘ इनामदार ने कहा।
‘उसने लास्ट कॉल तो चांदनी शर्मा को किया था! हम तो पार्टी में साथ ही थे तो मैं क्यों दिलनवाझ को कॉल करूं?’
‘चांदनी शर्मा और दिलनवाझ के बीच के कॉल का रिकार्डिंग सुना रहा हूँ तुम्हें!’
इनामदार ने रिकार्डिंग सुनानी शुरु की।
उस रिकार्डिंग में कुछ देर तक चांदनी और दिलनवाझ के बीच बातें चलती रही। चांदनी के साथ बात करते- करते अचानक ही दिलनवाझ चीख उठा: ‘वोट आर यु डुइंग प्रिया?’
इसके बाद मोबाइल गिरने की आवाझ आई और चांदनी कुछ देर ‘हल्लो, हल्लो बोलती रहती है।
ये रिकार्डिंग सुनवाने के बाद सिनियर इंस्पेक्टर इनामदार ने कहा:
‘यु आर अंडर अरेस्ट प्रिया प्रधान, आई मीन मोहिनी माथुर !’
प्रिया प्रधान वास्तव में मोहिनी माथुर थी, मयूरी माथुर की बड़ी बहन !
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