मस्ताने बुजुर्ग दंपति क्वॉरेंटाइन में
आर० के० लाल
मिसेज सरला और शर्माजी ने बुढ़ापे में अपने जीने का नजरिया ही बदल डाला था। वह दोनों एक अलग घर में रहते और एक दूसरे को भरपूर प्यार करते थे। उनके रोमांस का मतलब घिसी-पिटी लस्ट भरी लाइफ से सर्वदा अलग था । उनका मानना था कि रोमांस मन की वह अवस्था है जिसमें कोई अपने पार्टनर को अच्छे से समझ पाता है। अपने लाइफ पार्टनर की ओर ध्यान देना, उस पर रसीले कमेन्ट करना, बात- बात पर एक दूसरे को लजा देना और फिर हंसा देना भी तो रोमांस की स्टाइल है, खास कर ढलती उम्र का। वे कहते हैं कि उसके लिए कुछ ऐसी गतिविधियों की जरूरत होती है जिससे उनके तन मन में एक स्पंदन सा महसूस हो जैसे एक दूसरे का हाथ पकड़ कर मॉल की सीढ़ियों पर चढ़ना –उतरना, सौन्दर्य प्रसाधन वाले गिफ्ट खरीद कर आदान प्रदान करना आदि।
मिसेज सरला को अच्छी-अच्छी पोशाक पहने देखने के लिए शर्माजी कुछ भी कर सकते थे। रोमांस कायम रखने के लिए वे फोटो सेशन करते, सेल्फी लेते, एक दूसरे को दिखाते और फिर डिलीट कर देते । कुछ फोटो सोशल मीडिया पर डाल देते और सभी को फोन करके कॉमेंट मांगते फिरते। घर में दो ही प्राणी थे, अमेरिकन स्टाइल से सारा काम-काज करते थे। मिसेज सरला खाना बना देती तो शर्माजी बर्तन साफ कर देते। इस प्रकार उन्हें पता नहीं लग पता था कि कब सुबह से शाम हो जाती है।
तभी देश में कोरोना ने अपना पैर फैलाना शुरू कर दिया और लोगों की जिंदगी लॉक डाउन में कैद होने के लिए मजबूर हो गई। मिसेज सरला की सोसायटी के पास ही एक अपार्टमेंट में उनके भतीजे का फ्लैट है। उनका बेटा ब्रिटेन में रहता था । वह परिवार सहित ब्रिटेन से कुछ दिन पहले ही लौटा था इसलिए उन्होंने पिछले सप्ताह अपने यहां एक पार्टी रखी थी, जिसमें शहर के कई रिश्तेदार एकत्रित हुए थे। शर्माजी और मिसेज सरला भी उसमें शामिल हुये थे और देर रात अपने फ्लैट लौटे थे।
उसके तीन दिन पश्चात खबर आई कि उनके भतीजे के बेटे और उसकी वाइफ को कोरोना पॉजिटिव निकला है। उस सोसाइटी को सील कर दिया गया है। साथ ही उनसे मिलने वालों का पता लगा कर क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है। शर्माजी और मिसेस सरला यह सुनकर बुरी तरह कांप गए । मानो उनके शरीर से पूरा खून ही निचुड़ गया हो कि कहीं उन्हें संक्रमण न हो गया हो। शर्माजी भी डरे थे परंतु अपनी पत्नी से बोले, “अरे कुछ नहीं होगा, तुम बेवजह परेशान हो रही हो”।
शाम तक नगर निगम वाले भी उनके फ्लैट पर आ धमके । उन लोगों ने हिदायत दी कि आप को कम से कम चौदह दिन क्वॉरेंटाइन में रहना होगा ताकि संक्रमण का ख़तरा कम हो सके। उस समय तक कोरोना की जांच की बहुत ज्यादा सुबिधा नहीं थी इसलिए आइसोलेशन में रहना ही एकमात्र तरीका था । उन्हें बताया गया कि संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं ऐसा कुछ हो तो तुरंत फोन पर सूचना दें। उनके फ्लैट के सामने “होम अंडर क्वारेंटाइन” का स्टिकर चस्पा कर दिया गया। उन्हें किसी तरह की तैयारी का भी कोई समय नहीं मिल पाया, हाँ उनकी मदद का सरकारी आश्वासन जरूर दिया गया। उन दोनों का घर से निकलना बंद हो गया था। सोसाइटी के सभी के लोग इस फ्लैट के सामने से जाने में कतराने लगे थे। पहले दिन ही उन्हें घुटन महसूस हो रही थी। मिसेज सरला ने कहा, “ आज हमें पता चला कि बंद पिजरे में बेजबान पंछी कितना छटपटाते होंगे”?
पहला दिन तो इन्हीं आपा-धापी में बीत गया । दोनों ने अपने बेटे अनुज से बात की, जो इस समय बैंगलोर में रहता था। लॉक डाउन के कारण अनुज भी वहाँ फंस गया था। कुछ हो गया तो वह भी नहीं आ पाएगा शर्माजी ने सरला को बताया । दोपहर के बाद से शर्माजी पूरा घर व्यवस्थित कर रहे थे। सोशल डिस्टेन्सिंग का ख्याल रखते हुये उन्होंने तो अपना बिस्तर भी अलग कर लिया था मगर मिसेज शर्मा ने एतराज करते हुये मना कर दिया था। दिन भर कोरोना की खबर और भतीजे के यहाँ हुई पार्टी के बारे में सोच सोच कर व्यतिथ हो गए थे, शाम को उनमें से किसी को भूख नहीं थी। फ्रिज में दूध रखा था, दोनों ने थोड़ा-थोड़ा दूध पिया और सोने चले गए ।
दूसरे दिन उठे तो उन्हें कुछ याद ही नहीं रहा कि कल नगर निगम के डॉक्टरों ने उनका घर सील करते समय उनसे क्या कहा था। शर्माजी मॉर्निंग वॉक के लिए तैयार होने लगे तो मिसेज सरला ने पूछा, “ कहां जा रहे हो? हम लोगों को आइसोलेशन में ही रहना है इसलिए अंदर ही रहो”। उन्हें बालकनी में भी जाने के लिए रोका गया था इसलिए कमरे में ही दोनों ने चाय पी और योगासन और एक्सरसाइज करते रहे। भतीजे का फोन नहीं मिल पा रहा था। टी वी पर समाचार आ रहा था कि कोरोना पोजिटिव ब्रिटेन से आए लोगों को हास्पिटलाइज कर दिया गया है। नोएडा में कई और केस मिलने की भी खबर आ रही थी। शर्माजी और मिसेज सरला दोनों चीन को इस वायरस फैलाने और पूरे विश्व के लोगों की जिंदगी खराब करने के लिए कोस रहे थे।
थोड़ी गर्मी महसूस होने के कारण शर्माजी ने अपनी शर्ट उतार कर वहीं सोफा पर रख दिया था। थोड़ी देर बाद उनकी नजर अपनी शर्ट पर पड़ी। उनके मस्तिष्क में एक तनाव उत्पन्न हुआ कि अभी जब सरला आयेगी तो इस तरह पड़ी शर्ट को देखकर भड़क जाएँगी। कहेंगी कि कोई इस तरह से अपने कपड़ों को उतार कर फेंके रहता है कितना गंदा लग रहा है? मगर आज मिसेज सरला ने कुछ नहीं कहा। उसे उठा कर हैंगर में भी नहीं लगाया। मानो कह रहीं हो जाइए! जी लीजिये अपनी मौज भरी स्वतंत्र जिंदगी ।
थोड़ी देर में उन्हें पता चला कि सोसाइटी में एक मीटिंग हुयी थी । सबने कहा कि संक्रमण से सावधानी के लिए शर्माजी के फ्लैट का सोशल बाई-कॉट करते हुये कोई उधर नहीं जाएगा। मेंटीनेंस वाले उनकी जरूरत की चीजें उनके दरवाजे पर दूर से रख देंगे । शर्माजी ने मन ही मन सोचा, “ यही लोग हमें कितना प्यार करते थे और आज दुत्कार रहें हैं, जबकि अभी तक बीमारी की पुष्टि भी नहीं हुयी है”। मिसेज सरला ने भोजन बनाया मगर वे जायदा नहीं खा पाये। उन्होंने अपने बेटे को फोन करके सारी बातें बताई। उनकी आँखों में लाचारी के आँसू थे। रात को भी खाना नहीं खाया और केवल नींबू पानी पीकर सोने चले गए।
तीसरे दिन तीन बजे सुबह ही शर्माजी की नींद खुल गई थी। करोना की बीमारी लगने के डर से उन्हें नींद नहीं आ रही थी। वे दोनों अकेले रहते हैं उनकी कोई तीमारदारी करने वाला भी नहीं है। कॉलोनी के कुछ लोग उनकी मदद जरूर कर रहे थे। रिसेप्शन वाले दरवाजे पर दूध, ब्रेड और सब्जी रख देते थे । टी वी पर कोरोना से बचने का उपाय बताया जा रहा था यह भी कहा जा रहा था कि बुजुर्गों को ज्यादा पकड़ता है क्योकि उनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली प्राय: कमजोर होती है। इन सब बातों से उन्हें संक्रमण की आशंका बार बार उदद्वेलित कर रहीं थी। शर्माजी ने घर की सफाई करने की सोची लेकिन सफाई में उनका मन नहीं लग रहा था। इसलिए वे स्नान करने चले गए। उनके मन में विचार आया कि कभी कभी कुछ घटनाओं पर हम मनुष्यों का जोर नहीं चलता, इसी को बुरा दौर कहते हैं । बुरे दौर में ईश्वर ही मदद करते हैं। पहले तो उनका मन पूजा- पाठ में नहीं लगता था पर आज उनके मन में बहुत श्रद्धा उमड़ रही थी। वे गायत्री मंत्र पढ़ कर प्रार्थना कर रहे थे कि “हमको मन की शक्ति देना हम विजय करें। हे ईश्वर, मुझे आपने सब कुछ तो दिया है आज मुझे अपनी जीवन दायिनी ज्योति व शक्ति दीजिये ताकि हम सुरक्षित रह सकें । मेरी प्रार्थना कबूल कीजिये !
उस दिन से उनकी दिनचर्या तो बदल गयी थी मगर अक्सर उनके एक हाथ में थर्मामीटर होता था जिससे बार-बार देखते कि कहीं बुखार तो नहीं है। टी वी सीरियल के साथ समाचार देखते। उन्हें बहुत बुरा लगता जब टी वी पर कई राजनैतिक पार्टी वाले बहस करते हुये एक दूसरे पर दोषारोपण करते । ऐसी चर्चाओं का उद्देश्य उन्हें समझ नहीं आता, ऐसा लगता है जैसे कोई मुर्गे लड़ा रहा हो। हाँ! उसे देख कर उनका समय बीत जाता था। शर्माजी और मिसेज सरला ने अगले चार दिन इसी तरह बिता दिये।
अगले दिन सुबह-सुबह ही बहुत जोर से आंधी और तूफान आ गया। बादलों की गड़गड़ाहट से पूरा क्षेत्र कांप उठा। बड़ी तेज बारिश हो रही थी। दरवाजे बंद करने और कपड़े उठाते हुये वे थोड़ा भीग गए थे। गर्मी के दिनों में भी शर्माजी को ठंड लग रही थी, शरीर थोड़ा गरम लग रहा था। उन्होंने सोचा अब तो बुखार आ ही जाएगा और कोरोना भी पकड़ लेगा। । वे भयभीत होकर अपने दवाइयों के डिब्बे उलटने लगे । लोग कहते हैं एक हफ्ते बाद ही कोरोना के लक्षण उभरते हैं। आज एक हफ्ता हो गया था। शाम को मिसेज सरला की सहेली का फोन आया तो उन्होने सारी बातें बताई कि हम लोग वैसे तो ठीक हैं परंतु मुझे कई बार ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने मुझे पिंजरे में कैद कर दिया हो और मेरा मन उड़ जाने का करता हो, । मैं अपनी दिल की व्यथा किसी को भी नहीं बता सकती इसलिए हम दोनों अकेले ही घुट रहे हैं ।
रात में शर्माजी सोते समय अपनी पत्नी से बोले कि शायद आजकल हम लोग कुछ ज्यादा ही निगेटिव बातें सोच रहें हैं। जिस पर हमारा कोई वश नहीं उसकी चिंता क्या करना । हमें पॉज़िटिव और अच्छा सोचना चाहिए । सकारात्मक नजरिया सभी समस्याओं को हल तो नहीं कर सकता लेकिन जब हम सकारात्मक सोचोगे, तब विश्वास और निष्ठा के साथ हमारा जीवन ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। उन दोनों ने तय किया कि अब अन्यथा नहीं सोचेंगे। उन्होंने अपनी पुरानी फोटो अल्बम निकाली और साथ बैठ कर उन पलों को याद करते रहे साथ ही सेलफ़ी सेशन करते रहे।
अगले दिन शर्माजी कुछ अधिक भावुक थे, हालांकि वे दोनों एकदम ठीक लग रहे थे। उनकी इच्छा हुई कि वे अपने जीवन के कुछ खास-खास बातें एक डायरी में लिख डालें । कई दफे सोचा था मगर कभी लिख नहीं सके थे। वे लिखने बैठ गए और दो दिन तक न जाने क्या क्या लिखते रहे । मिसेज सरला से बोले, “जीवन की कटु सत्य लिखने का प्रयास कर रहा हूं”। शर्माजी को याद आता है कि उन्होंने बहुत सी बातें सरला से छुपायी थीं। सोचा उन्हें भी डायरी में लिख दिया जाए । उन्हें याद आया कि एक बार एक ज्योतिष ने उनका हाथ देख कर कहा था कि जिनके हाथ में ये रेखाएं होती हैं उनकी दो शादियाँ या दो प्यार होते हैं। मगर उनकी यह तमन्ना कभी सच नहीं हुयी। शादी के पहले वे एक लड़की को दूर से ही घूरा करते थे उसका सजीव वर्णन शर्माजी ने डायरी में किया । एक महिला से दोस्ती हुयी थी जब वे ऑफिस के काम से गोवा गए थे। मगर सरला की यादों ने उन्हें बहकने से बचा लिया था। लिखते हुये सरला को बताया तो उन्होंने इतना ही कहा कि मुझे कोई जरूरत नहीं तुम्हारी बेहूदा कहानी सुनने की । हाँ! हमारे रोमांस की बातें जरूर लिखना जो अभी भी बदस्तूर चल रहा है। यह कह कर सरला हंसने लगी । दोपहर को शर्माजी ने सरला को अपने सारे अकाउंट के बारे में बताया । उन्होंने कुछ ब्लैंक चेकों पर अपने हस्ताक्षर कर दिए और सरला को देते हुए कहा कि यह सब तुम समझ सकती हो। अब वे एकदम निश्चिंत लग रहे थे। उन्होंने सरला के साथ टी वी पर फिल्म देखी, ड्रिंक लिया और डांस किया ।
शाम को नगर निगम से फोन आया कि आपको अपना टेस्ट कराना है। कल सुबह 5:00 बजे आपको लेने एंबुलेंस जाएगी। सकारात्मक विचारों के फलस्वरूप अब उन्हें डर नहीं लग रहा था। उनमें गज़ब का आत्मबल आ गया था। । कहा ईश्वर हमारे साथ हैं, सब ठीक होगा। अगली सुबह कॉलोनी के गेट पर एंबुलेंस की आवाज सुनाई पड़ी । सब लोग बाहर निकल कर देखने लगे। शर्मा जी सरला के साथ एंबुलेंस में बैठ गए और एंबुलेंस चली गई। पूरी कॉलोनी वाले चिंतित थे कि क्या होगा।
दो दिन बाद दोपहर कॉलोनी के गेट पर फिर एंबुलेंस की आवाज आई। लोग फिर अपने घरों से निकलकर देखने लगे कि अब कौन नया मरीज हो गया है। तभी शर्माजी और मिसेज सरला एंबुलेंस से नीचे उतरे। गेटमैन ने उन्हें सलाम किया। दोनों ने हंसते हुए सबको बताया कि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है । जैसे नदी और समुद्र के संगम का जल स्थिर नहीं रहता कभी इधर आता और कभी उधर जाता है उसी प्रकार की दशा खुशी से शर्माजी और मिसेज सरला के मन की हो रही थी ।
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