बात एक रात की
Aashu Patel
अनुवाद: डॉ. पारुल आर. खांट
( 19 )
मयूरी की मृत्यु के तीसरे दिन मोहिनी इ-मेल चेक कर रही थी तब उसने मयूरी का इ-मेल देखा। काव्या का कॉल आया कि मयूरी ने सुसाइड कर लिया है इसके बाद दो दिन तक मोहिनी को मानो कोई सूझ-बूझ ही नहीं रही थी। उसके लिए दुनिया में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण व्यक्ति मयूरी थी। मयूरी के जीवन के अकल्प्य और अघटित अंत से मोहिनी टूट चुकी थी।
मयूरी ने उसे इ-मेल भेजा था इसमें उसने दिलनवाझ से सेक्स्युअल रिलेशन छिपाने के लिए और सुसाइड करने के लिए माफी माँगी थी। उसने लिखा था कि दीदी, मैं जीवन से थक गई हूँ इसलिए सुसाइड कर रही हूँ। मयूरी के सुसाइड के बाद मोहिनी बम्बई गई तब काव्या ने उसे कहा था कि मयूरी सुसाइड नोट लिख गई थी। उसमें उसने जो बातें लिखी थी इसके बारे में मोहिनी को बताया था, लेकिन उस वक्त्त मोहिनी के पास और कुछ सोचने की शक्ति ही नहीं थी। अभी मयूरी का इमैल पढ़ते-पढ़ते मोहिनी के मन में आक्रोश आ गया। उसे याद आया कि काव्या ने कहा था कि मयूरी की सुसाइड नोट पुलिस के पास थी। मयूरी की सुसाइड नोट मिली थी फिर भी पुलिस ने दिलनवाझ के सामने कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की। काव्या ने कहा था कि मयूरी ने सुसाइड नोट में दिलनवाझ के सामने बहुत ही आक्रोश व्यक्त किया था और अपने सुसाइड के लिए उसे जिम्मेदार भी ठहराया था। मयूरी ने लिखा था कि दिलनवाझ ने मेरे साथ प्यार का नाटक करके मेरा सेक्स्प्लोइटेशन किया था और फिर सहसा मुझे छोड़ दिया था इसलिए मैं सुसाइड करती हूँ।
हालांकि मोहिनी को भेजे हुए इ-मेल में ये सारी बातें नहीं लिखी थी। इस इ-मेल में तो उसका सूर मोहिनी की माफी मांगना ही था।
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‘काव्या, मैं बम्बई आ रही हूँ। तुमने कहा था कि मयूरी सुसाइड नोट में लिख गई है कि उसके सुसाइड के लिए दिलनवाझ खान जिम्मेदार है। पुलिस को ये सुसाइड नोट मिली है फिर भी दिलनवाझ के सामने कोई कार्यवाही भी नहीं हुई। मैं पुलिस पर दबाव लाना चाहती हूँ। मुझे तुम्हारे साथ की जरुरत पड़ेगी।
मोहिनी फोन पर कह रही थी।
‘अ...दीदी...पुलिस उसके तरीके से एक्शन लेगी ही न! आई मीन....’ काव्या को शब्द ढूँढने पड़े।
‘पुलिस ने मयूरी की सुसाइड नोट को सीरियसली ली होती तो दिलनवाझ को अरेस्ट कर लिया होता न! हमें पुलिस के पीछे पड़ना पड़ेगा वरना वह हरामखोर बच जायेगा।‘
‘दीदी...पुलिस....आई मीन....’ काव्या की जीभ लड़खड़ा रही थी। मोहिनी ने इसकी नोंध ली। उसने कहा, ‘तुम क्यों हिचकिचाते हुए बात कर रही हो?’
‘ऐसा कुछ नहीं, दीदी....’ काव्या अभी मन में शब्दों का मेल कर रही थी। मयूरी के सुसाइड के लिए दिलनवाझ के सामने एक्शन लेने के लिए मोहिनी से मिलकर पुलिस के पीछे पड़ने का मतलब ये था कि दिलनवाझ से दुश्मनी करना और इसका परिणाम स्पष्ट था। मयूरी के लिए दिलनवाझ के सामने पड़ने से सालों के संघर्ष के बाद हिरोइन बनने का मौका हाथ में आया था इसे गंवा देना। उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह मोहिनी को कह दे कि मैं अमन कपूर और दिलनवाझ की फिल्म साइन करके आई हूँ।
‘काव्या?’ काव्या कुछ पल के लिए चूप हो गई इसलिए मोहिनी को आश्चर्य हुआ।
काव्या को लगा कि उसे कुछ बोलना तो पड़ेगा। उसने कहा, ‘यस, दीदी। आई वोझ जस्ट थिंकिंग कि पुलिस उसके तरीके से कुछ तो करेगी ही न?’
‘तीन दिन तो बीत गये! पुलिस को कुछ करना होता तो अब तक कर लिया होता न! पुलिस कुछ नहीं करती इसलिए ही हमें पुलिस पर दबाव लाना पड़ेगा।‘
‘लेकिन दीदी इतने पावरफुल व्यक्ति के सामने हम क्या कर पायेंगे?’ काव्या ने दलील की।
‘तो हम कॉर्ट में जायेंगे। कॉर्ट पुलिस को एक्शन लेने के लिए हुकम करेगी।‘ मोहिनी ने कहा।
‘लेकिन हमारे पास कोई सबूत नहीं न?’
‘क्यों? मयूरी सुसाइड नोट लिख गई है न?’
‘लेकिन वो तो पुलिस के पास है!’
‘तु इस बात की जुबानी देगी न की तुमने मयूरी की सुसाइड नोट पढ़ी थी और फिर ये तुमने पुलिस को दी थी।‘ मोहिनी ने पूछ लिया।
‘दीदी, अब ये सब करने का क्या मतलब है?’
‘तो तुम मुझे साथ नहीं देगी?’ मोहिनी ने टु ध पॉइंट सवाल किया।
‘दीदी…..मयूरी के लिए मुझे भी लगाव था और उसके जाने से सदमा भी लगा है, लेकिन अब कुछ भी करेगे तो वह वापस तो नहीं आ पायेगी न? और मुझे भी इंडस्ट्री में काम करना है।‘ काव्या ने अच्छे शब्दों में कह दिया कि वह इस मामले से दूर रहना चाहती है।
हताश मोहिनी ने मोबाइल फोन को फेंक दिया।
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‘आई एम सोरी, डियर। मुझे माफ कर दे।‘
थोड़े दिन के बाद दिलनवाझ उसकी पत्नी हीना को कह रहा था।
हीना कुछ भी बोले बिना उसकी ओर देखती रही। दिलनवाझ उसकी नजर का सामना नहीं कर पाया।
शादी के कई साल और लम्बी ट्रीटमेंट के बाद हीना प्रेगनंट हुई थी और दिलनवाझ की वजह से उसने गर्भस्थ बच्चा गंवाना पड़ा था। इससे भी ज्यादा दुखद बात ये थी कि डॉक्टर्स ने कह दिया था कि हीना अब कभी मा नहीं बन सकती। हीना ने दिलनवाझ की खातिर एक्टिंग करियर छोड़ दिया था। दिलनवाझ उसके साथ प्रामाणिक नहीं रहा था। पति- पत्नी के सम्बन्ध में उष्मा नष्ट हो गई थी। वह प्रेगनंट हुई तब उसके जीवन में फिर एक बार आनंद का आगमन हुआ था। उसे थोड़ी उम्मीद भी बँधी थी कि बच्चे के आगमन से दिलनवाझ में शायद बदलाव भी आयेगा।
लेकिन दिलनवाझ ने उसके जीवन से आनंद ही छीन लिया। बच्चे को गंवाने के बाद हीना डिप्रेशन में चली गई थी। वह घन्टों तक एक ही जगह बैठी रहती थी। बहते झरने जैसी चंचल हीना की स्थिति बंधे पानी की तरह हो गई थी।
हीना की इस स्थिति के लिए दिलनवाझ जिम्मेदार था। हमेंशा खुद को ही केन्द्र में रखकर जीने वाले दिलनवाझ में अपराधबोध नजर आया था। इन दिनों वह घर जल्दी आ जाता था। दिलनवाझ ने हीना को डिप्रेशन से उगारने के लिए साइकियेट्रिस्ट की मदद भी ली थी।
तीन महिने के बाद हीना की स्थिति अच्छी थी। अब वह बोलने लगी थी। वह दिलनवाझ के साथ सिर्फ काम की बात करती थी। हालांकि वह मन पर लगी चोट से उभर नहीं पाई थी।
हीना की स्थिति सुधरने लगी इसलिए दिलनवाझ का ध्यान उस पर से फिर से कम होने लगा था। वह फिर से ‘प्लेटिनम प्लाझा’ में रात बिताने लगा था।
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