दस्तक Arjit Mishra द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दस्तक

कबीर मुंबई में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत है| उसकी पत्नी नेहा एक प्रतिष्ठित स्कूल में अध्यापिका है| उनकी एक बेटी त्रिशाला बारह साल की और एक बेटा विवान दस साल का है| दोनों बच्चे उसी स्कूल में पढ़ते हैं जिसमे नेहा पढ़ाती है| पति-पत्नी और दो बच्चों का एक आदर्श परिवार है जहाँ खुशियाँ ही खुशियाँ हैं| कबीर अपनी पत्नी और बच्चों से बहुत प्यार करता है| आज कबीर का जन्मदिन है| बेडरूम में दोनों पति-पत्नी सो रहे हैं तभी दरवाजे पर एक जोर की दस्तक से कबीर की नींद खुली, कबीर ने देखा उसके दोनों बच्चे “हैप्पी बर्थडे पापा” गाते हुए कमरे में प्रवेश कर रहे हैं| त्रिशाला के हाथ में एक चाकलेट केक है जिसमें एक मोमबत्ती जल रही है, केक पर लिखा है “हैप्पी बर्थडे टू बेस्ट पापा इन दि वर्ल्ड” और विवान ने एक बड़ा सा गिफ्ट पकड़ा हुआ है जो सुनहरे कागज़ से लिपटा हुआ है|

कबीर अपने बच्चों को देखकर खुद एक बच्चे की तरह खुश होते हुए उठकर बैठ गया| तभी नेहा ने उसका हाथ पकड़कर बड़े मजाकिया अंदाज़ में कहा “हैप्पी बर्थडे, मेरा बच्चा”| कबीर नेहा को “थैंक यू” कह पाता तब तक उनके बच्चे पास आ चुके थे| नेहा ने भी ताली बजाते हुए बच्चों के साथ “हैप्पी बर्थडे” गाना शुरू कर दिया| कबीर ने केक काटा और एक टुकड़ा निकालकर एक-एक बाईट तीनों को खिला दिया| फिर कबीर मुस्कुराते हुए बच्चो से बोला “थैंक यू,मेरे बच्चों” और नेहा की तरफ देखकर बोला “थैंक यू, स्वीटहार्ट”| नेहा ने केक खाते हुए हुआ कहा “अरे मुझे थैंक यू ना बोलो, ये सब इन बच्चों ने ही किया है”| कबीर ने दोनों बच्चों को गले लगा लिया|

तभी नेहा ने बच्चों से कहा “चलो जल्दी से तैयार हो जाओ वरना हमें देर हो जाएगी”|

विवान ने कबीर की गोद में बैठते हुए कहा “पापा, आप भी चलो ना प्लीज”|

कबीर ने विवान को प्यार करते हुए कहा “बेटा मुझे बहुत जरुरी काम है इसलिए मैं नही चल सकता पर मम्मी जा रही हैं ना तुम्हारे साथ”|

इसपर त्रिशाला ने भी कबीर के पास बैठकर नेहा की ओर देखते हुए कहा “आज पापा का बर्थडे है, हम उन्हें छोड़कर नही जायेंगे”|

अब तक नेहा को गुस्सा आना शुरू हो चुका था, फिर भी उसने खुद को सँभालते हुए तल्ख़ लहजे में कहा “ये बातें हम पहले भी कर चुके हैं, हमें कॉलेज फंक्शन में खंडाला जाना है और पापा की बहुत इम्पोर्टेन्ट कांफ्रेंस है इसलिए वो हमारे साथ नही आ सकते, इसलिए दस मिनट में तैयार हो जाओ, कॉलेज की बस आती होगी“| बच्चों ने पापा को किस किया और बिना कुछ बोले तैयार होने चले गए|

नेहा ने कहा “अरे इन्हें अचानक क्या हो गया?” कबीर ने उठकर नेहा को बाहों में भरते हुए कहा “तुम्हारे आगे इनके बाप की बोलती बंद हो जाती है, ये तो फिर भी बच्चे हैं”| नेहा ने कबीर को हल्का सा धक्का देते हुए कहा “हटो उधर, देर हो रही है, तुमको बस यही बातें समझ आती हैं”|

सभी तैयार होकर बस का इंतजार कर रहे हैं तभी कबीर का कूलीग और दोस्त अजय आ जाता है| सभी को जाने को तैयार देखकर बोलता है “अरे वाह, सब तैयार”. फिर विवान को छेड़ते हुए कहता है “अब मैं और पापा यहाँ पार्टी करेंगे”| विवान झुंझलाते हुए नेहा से कहता है “मम्मी पापा यहाँ पार्टी करेंगे, मुझे नही जाना है”|

नेहा हँसते हुए कहती है “भैया उसे चिढाओ मत, बड़ी मुश्किल से तैयार हुआ है”| अजय नेहा से नजदीक आकार कहता है “वैसे भाभी, दो दिन तक पति को अकेले छोड़ना सेफ नही है, आदमी जात का क्या भरोसा, कहीं ये फंक्शन तुम्हे भारी ना पड जाए”| नेहा ने जवाब दिया “ऐसा है मिस्टर बाकी आदमियों का तो मुझे नही पता लेकिन कबीर से मुझे कोई खतरा नही है, अपनी बीवी से बात करने में तो शर्माता है, ऐसा कुछ इसके बस का नही है”|

अजय ने कबीर को देखते हुए बड़े शरारती लहजे में कहा “बेटा बड़ी अच्छी इमेज बना रखी है तूने”

“क्या अच्छी इमेज है, मेरी शराफत को मेरी कमजोरी बताया जाता है” कबीर ने हँसते हुए कहा| इसपर सभी लोग खुल कर हँस पड़े| तभी बाहर बस का हॉर्न सुनाई दिया| अजय और कबीर बच्चों और नेहा को बस में बैठाकर वापस घर आ गए| अब अजय ने कबीर से कहा “तो कबीर क्या कहते हो, कुछ व्यवस्था करी जाए, मौका भी है और दस्तूर भी, दो दिन हैं तुम्हारे पास”| फिर सब हंसने लगे|

कुछ देर प्रेजेंटेशन पर डिस्कस करने के बाद अजय ने कहा “ठीक है भाई, इसी ग्राउंड पर एक ड्राफ्ट तैयार कर लो, मैं आज रात में ही या कल सुबह जल्दी आ जाऊंगा, तब हम लोग फाइनल कर लेंगे”| ये कहकर अजय चला गया| कबीर कुछ देर काम करने के बाद सो गया|

शाम से ही शहर में तेज़ बारिश होने लगी| कबीर अपने लैपटॉप पर काम कर रहा है| तभी नेहा का फ़ोन आता है “क्यूँ जी, अकेले ही हो ना, की आज शराफत छोड़ने का मन कर रहा है”| कबीर ने चिढ़ते हुए कहा “यार देखो इस तरह की बात करके मुझे उकसाओ मत”| फिर कुछ देर बात करने के बाद फ़ोन रख दिया| फिर अजय का फ़ोन आया, उसने कहा “यार बारिश बहुत हो रही है, मैं सुबह ही आऊँगा”| कबीर कुछ बोल पाता तभी दरवाजे पर जोर की दस्तक होती है, कबीर फ़ोन पर बोला “यार होल्ड कर कोई गेट पर है”| अजय बोला “इतनी बारिश में रात में” फिर शरारती अंदाज में बोला “देख भाई क्या पता कोई हसीना हो, बारिश में भीगी हुई जिसकी गाडी ख़राब हो गयी हो” कबीर ने हँसते हुए कहा “भाई मेरी ऐसी किस्मत कहाँ, ऐसा तो सिर्फ फिल्मों में होता है” ये कहते हुए उसने दरवाजा खोला| सामने का दृश्य देखकर वो सन्न रह गया, उसने अजय से बोला “मैं बाद में फ़ोन करता हूँ” और फ़ोन काट दिया|

सामने एक युवती खड़ी थी| उम्र कुछ पच्चीस साल के आस-पास, सावला सा रंग, तीखे नैन-नक्श, छरहरी सी काया, लाल रेशमी साड़ी जो बारिश में भीगकर जिस्म से चिपक गयी है, एक गोल्डन चेन जो पतली सी कमर पर बंधी हुई है बस नाभि के पास से| संक्षेप में कहें तो साक्षात् कोई अप्सरा|

कबीर की तो बोलती ही बंद हो गयी वो तो बस देखता ही रह गया| बिना कुछ बोले बस देखता ही जा रहा जैसे शायद ऐसा अप्रतिम सौंदर्य उसने जीवन में ना देखा हो या फिर शायद ऐसी कोई कल्पना भी उसने ना की हो|

पहले उस युवती ने ही बोला “सर, ये मि. अखिलेश सिन्हा का कौन सा विला है”? कबीर ने सोंचते हुए बोला “अखिलेश सिन्हा, पूरा पता क्या है?” “यहीं सेक्टर थर्टीन में है, दरअसल मेरा मोबाइल स्विच ऑफ हो गया है उसी में पूरा पता था, एक दो विला में पूछने के बाद कैब वाला यहीं छोड़कर चला गया” युवती ने जवाब दिया| कबीर ने जवाब दिया “पर मैडम यहाँ मैं दो साल से रह रहा हूँ, यहाँ कोई इस नाम के व्यक्ति नही रहते हैं”|

युवती के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गए, वो बोली “क्या करूं कुछ समझ नही आ रहा है?” फिर कुछ सोंच कर बोली “सर अगर आपको परेशानी ना हो तो क्या मैं आपके यहाँ चार्जिंग में लगा कर अपना मोबाईल ऑन कर लूँ”|

कबीर ने कुछ संकोच के साथ कहा “मैडम मैं यहाँ घर पर बिलकुल अकेला हूँ, इस तरह रात में आपका घर के अन्दर आना सही होगा?” युवती ने मुस्कुराते हुए कहा “सर आप बहुत अच्छे आदमी हैं, बस दो मिनट लगेगा, मुझे पूरा पता मिल जायेगा”| कबीर ने अन्दर आने का इशारा करते हुए कहा “प्लीज कम इन”| दोनों लिविंग एरिया में आ गए| कबीर ने सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा “वहां, सोफे के पास चार्जिंग पॉइंट है”| पूरी तरह से भीगी हुई युवती सोफे की तरफ बलखाते हुए बढ़ी| उसकी खुली हुई पीठ पर बारिश की बूंदे मोतियों के समान लग रही थीं| अचानक युवती पलटी, कबीर झेंप गया जैसे उसको देखते हुए युवती ने पकड़ लिया हो| युवती शरारती मुस्कान के साथ बोली “सॉरी सर, मेरे भीगे कपड़ों से आपका कारपेट भीग गया”| कबीर ने बचाव मुद्रा में कहा “अरे कोई बात नही, आप मोबाइल चार्ज करिए मैं आपके लिए टॉवेल लाता हूँ|

कबीर अन्दर कमरे में तौलिया लेने चला गया लेकिन वो खुद को सभाल नही पा रहा है| रह रह कर उसे उस युवती के जिस्म पर लुढ़कती हुई पानी की बूँदें दिखाई दे रही हैं| उसने मेज पर रखी अपने बीवी बच्चों की तस्वीर उठाई, उसे चूमा और सीने से लगा लिया| शायद इस समय उसका परिवार ही उसे ताक़त दे सकता है| तस्वीर को मेज पर रखकर तौलिया लेकर वो बाहर चला गया| कबीर को देखते ही युवती बोली “एक गलती हो गयी है, मुझे सेक्टर थर्टी में जाना था थर्टीन में नहीं”|

कबीर ने तौलिया युवती को देते हुए पूछा “अरे फिर, अब?” “अब क्या, पता नही, मुझे भी कुछ समझ नही आ रहा है” युवती ने तौलिये से भीगे बालों को पोछते हुए कहा|

कुछ सोंचते हुए कबीर ने कहा “मैं आपके लिए कॉफ़ी लाता हूँ”| युवती ने कबीर को बीच में ही टोकते हुए और मिनी बार की ओर इशारा करते हुए कहा “सर मुझे बहुत ठण्ड लग रही है, अगर आप बुरा ना मानें तो क्या मुझे एक ड्रिंक मिल सकती है”| आश्चर्यचकित होते हुए कबीर ने कहा “बिलकुल, आपके कपड़े भीग गए हैं, आप अन्दर अल्मारी से कपड़े निकालकर बदल लीजिये, मैं तब तक ड्रिंक बनाता हूँ”| युवती अन्दर चली गयी और कबीर महसूस करने लगा की उसके सोंचने समझने की शक्ति ख़तम हो रही है| उसने ड्रिंक बनाते हुए खुद से पूछा “यार मैं क्या कर रहा हूँ?” तभी युवती ने लिविंग एरिया में आई उसे देखकर कबीर के होश उड़ गए| युवती ने नेहा का गाउन पहन रखा है| गुलाबी रंग के उस गाउन में युवती बेहद आकर्षक लग रही है| कबीर जड़ सा खड़ा बस देखता ही जा रहा है| नशीली मुस्कराहट के साथ वो युवती खुद ही मिनी बार तक आई और अपना पेग उठा कर बोली “चियर्स”| कबीर भी शरमाते हुए बोला “चियर्स”|

एक घूंट पीकर युवती बोली “मेरा नाम मेघा शर्मा है मैं एक इवेंट मेनेजर हूँ, मि. सिन्हा मेरे क्लाइंट हैं, आज उनके यहाँ एक पार्टी थी पर....खैर इसी गलती से ही सही आपसे मुलाक़ात हो गयी” ये कहते हुए मेघा सोफे पर बैठी और अपने एक पैर को दुसरे पर रख लिया| मेघा के पैरों से ध्यान हटाकर कबीर बोला “मुझे कबीर कहते हैं, मैं एक एम.एन.सी. में चीफ एनालिस्ट हूँ| कबीर की फैमिली फोटो को देखते हुए मेघा ने पूछा “ये आपकी फैमिली है?” कबीर ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाया| “आपके बच्चे बहुत प्यारे हैं और आपकी बीवी तो बहुत ही आकर्षक हैं” मेघा ने कहा| कबीर ने कुछ शरमाते हुए कहा “जी शुक्रिया, ये लोग कॉलेज फंक्शन में गए हैं, शायद कल रात तक आ जाएँ, मुझे भी साथ जाना था पर कुछ ऑफिस के काम से नही जा पाया”|

“अरे तो मैंने आपको डिस्टर्ब कर दिया” मेघा बोली|

“नहीं नहीं कोई बात नहीं, ऐसा कुछ नहीं है मैं बाद में कर लूँगा”

कुछ शरारती अंदाज़ में मेघा बोली “तो सरकार आज बीवी बच्चे घर पर नही हैं ऐसे में आप कोई पार्टी शार्टी नहीं कर रहे” फिर अचानक बात बदलती हुई बोली “कहीं ऐसा तो नही आप किसी का इंतजार कर रहे हों और मैं यहाँ आपको बोर कर रही हूँ”| कबीर हँसते हुए बोला “अरे नहीं मैडम....”, उसे रोकते हुए मेघा ने कहा “मैडम नहीं ..मेरा नाम मेघा है”| कबीर ने सुधारते हुए कहा “मेघा ऐसा कुछ नही है ऐसी बारिश में कौन आएगा”|

“अच्छा मतलब किसी को आना था” मेघा ने चुटकी लेते हुए बोला|

कबीर कुछ गंभीर भाव से बोला “ऐसा नहीं है मेघा, मैं अपनी बीवी से बहुत प्यार करता हूँ”|

मेघा उठी और कबीर के पास बैठी हुई बोली “देखिये मिस्टर कबीर मैं आदमियों की जात को बहुत अच्छे से पहचानती हूँ, चाहे अपनी बीवी से कितना भी प्यार करता हो, पर घर की दाल खाते-खाते बोर हो जाता है तो कभी कभी मौका मिलने पर बिरयानी खा लेता है|” ये कहते-कहते मेघा कबीर से बिलकुल चिपक गयी और उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगी| कबीर की साँसें बहुत तेज़ चलने लगीं| कुछ ही देर में दोनों ने अपनी सीमायें तोड़ दीं|

सुबह कबीर की नींद खुली तो वह अपने बेडरूम में था, उसने पलट के देखा तो मेघा वहां नही थी और गुलाबी गाउन वहीँ पड़ा हुआ है| कबीर ने सोंचा शायद वो सुबह जल्दी चली गयी| कमरे से बाहर आया तो उसे लिविंग एरिया से कुछ आवाज आई| वहां पहुँच कर उसने देखा की एक लम्बा-चौड़ा आदमी उसके सोफे पर बैठा टीवी देख रहा है| कबीर ने चिल्ला कर गुस्से से पूछा “तुम कौन हो और मेरे घर में क्या कर रहे हो?” वो आदमी कुछ बोल पाटा इससे पहले ही किचन से मेघा निकल कर बाहर आई उसके हाथ में नाश्ते की प्लेट है, वो बोली “कबीर आप उठ गए, ये मेरा भाई है, आप हाथ-मुंह धो लीजिये मैंने बहुत अच्छा नाश्ता बनाया है”| मेघा को वहां देखकर कबीर कुछ शांत होते हुए बोला “तुम....तुम अभी गयी नहीं”| “अरे मैं कहाँ जाऊंगी” मेघा ने जवाब में प्रश्न किया| कबीर ने चिढ़ते हुए कहा “ठीक है, जल्दी से नाश्ता करो और निकलो यहाँ से मुझे भी ऑफिस जाना है”| मेघा ने बहुत बेरुखी से कहा “आपको ऑफिस जाना है तो जाईये, हम लोगों को कहीं नही जाना है” और नाश्ता करने लगी| वो आदमी भी कबीर को समझाते हुए बोला “बैठिये जीजाजी, बातें तो होती रहेंगी, पहले नाश्ता कर लीजिये”|

अब चिढ़ते हुए कबीर उस आदमी से बोला “चल बहुत हुआ तुम लोगों का नाटक, अब बाहर निकल” ये कहते हुए कबीर दोनों को बाहर की ओर धक्का देने लगा|

उस आदमी ने पलट कर कबीर के मुंह पर एक जोर का मुक्का मारा जिससे कबीर कुछ फीट दूर गिरा जाकर| कबीर की नाक से कुछ खून बहने लगा| मेघा एक रुमाल से खून पोछते हुए बोली “देखो जान, मेरा भाई बहुत खूंखार है अगर तुमने जरा भी बदतमीजी की तो ये तुम्हारे हाथ पैर तोड़ देगा, जान से मार भी सकता है, सोंच लो”| उस आदमी की ताक़त का परिचय तो कबीर को हो ही चुका था, उसने बड़ी शालीनता से मेघा से पूछा “कितने पैसे चाहिए तुम्हे?” “तुम्हे क्या लगता है हम लोग ये सब पैसे के लिए कर रहे हैं” मेघा बोली|

“फिर क्या चाहिए तुम लोगों को” दर्द से कराहते हुए कबीर ने पूछा|

“मेरी जान तुम चाहिए बस तुम” कबीर से लिपटते हुए मेघा ने जवाब दिया|

“क्या बकवास कर रही हो, मुझे कुछ समझ नही आ रहा है, कौन हो तुम लोग” कबीर ने फिर पूछा|

मेघा ने अपने बारे में बताना शुरू किया “मेरी जान मैं एक कॉल गर्ल हूँ, मुझे तेरे दोस्त अजय ने भेजा था तुम्हारे पास, उसी ने बताया की तुम्हारे बीवी बच्चे घर पर नहीं हैं और तुम्हे मेरी जरुरत पड़ेगी| ये आदमी मेरा भाई नहीं मेरा पार्टनर है| जब भी मुझे कोई ऐसा आदमी घर में बुलाता है जिसकी बीवी मायके या कहीं और गयी हुई हो तब मैं अपने पार्टनर के साथ मिलकर उसे लूटने का प्लान बना लेती हूँ| बीवी के सामने राज खोल देने का डर दिखा कर पैसे ऐंठना बड़ा आसान है| क्या बताऊँ कुछ तो अभी तक किस्तें दे रहे हैं मुझे| लेकिन तुझ पर दिल आ गया मेरा”|

“प्लीज तुम जितना पैसा चाहो ले लो लेकिन यहाँ से चले जाओ” कबीर लगभग रोते हुए बोला|

मेघा बड़ी दार्शनिक अंदाज में बोली “पैसा..क्या है पैसा.. कितना भी हो एक दिन ख़तम ही हो जायेगा ना...अब मेरा सेटल होने का मन है| देख तू हैंड्सम भी है और पैसे वाला भी, अगर मैं तुझसे शादी कर लूँ तो मुझे और मेरे पार्टनर को पैसे की कभी कोई कमी नही होगी हम लोग आराम से यहाँ आलिशान विला में रहेंगे और सबसे बड़ी बात मिसेस कबीर बनकर समाज में इज्जत भी मिलेगी, है ना फायेदा का सौदा”|

कबीर गुस्से से चिल्लाया “तुम पागल हो, मैं शादीशुदा हूँ मेरे बच्चे हैं और मैं अपने परिवार से बहुत प्यार करता हूँ, मैं क्यूँ तुम्हारे जैसी लड़की से शादी करूँगा”|

मेघा ने कबीर का कालर पकड़ते हुए कहा “परिवार से प्यार करता है, तो ये प्यार कल कहाँ घुस गया था?”

कबीर फूटफूट कर रोने लगा “मुझसे गलती हो गयी, मुझे माफ़ कर दो, प्लीज”|

मेघा बड़ी कठोरता से बोली “अब माफ़ी का समय ख़तम हो गया, ध्यान से सुन, या तो तू अपनी पत्नी को तलाक दे दे या तो मेरा पार्टनर उसे मार डालेगा, बच्चों की तू चिंता ना कर हम उन्हें बोर्डिंग में भेज देंगे, सोंच ले तुझे क्या करना है, शादी तो मुझसे करनी ही पड़ेगी”|

कबीर अपना सिर दीवार पर पटककर रोने लगा| तभी दरवाजे पर हुई दस्तक ने सबको चौंका दिया| मेघा ने कबीर से पूछा “कौन हो सकता है?” “शायद मेरा परिवार वापस आ गया है” कबीर ने जवाब दिया| मेघा ने जाकर दरवाजा खोला और दरवाजा खोलकर एक मालकिन की तरह खड़ी हो गयी| नेहा ने बड़े अधिकार से प्रश्न किया “ तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रही हो?” मेघा ने बड़ा इतराते हुए जवाब दिया “मैं मिसेस कबीर, तुम कौन हो, किससे मिलना है?” मेघा को धक्का देते हुए नेहा अन्दर दाखिल हुई “क्या बकवास कर रही हो, कबीर कहाँ है?”

अन्दर जाकर उसने देखा लिविंग एरिया के एक कोने में कबीर बंधा बैठा हुआ है, उसका मुंह सूजा हुआ है, एक और आदमी वहां मौजूद है, जिसके हाथ में एक बड़ा सा छुरा है| नेहा दौड़कर कबीर के पास आई और बोली “ये क्या हुआ तुम्हें, ये लोग कौन हैं?”

मेघा भी पीछे पीछे आई और बोली “जानू इसे बता दो ना की मैं कौन हूँ”

कबीर नेहा को समझाते हुए बोला “नेहा, बच्चे कहाँ हैं, तुम सब जल्दी से भाग जाओ यहाँ से, ये लोग पागल हैं”|

नेहा कुछ असमंजस की अवस्था में उठी और मेघा से बोली “तुमलोग जो भी हो जल्दी से निकलो यहाँ से”|

मेघा ने नेहा को समझाने के अंदाज में कहा “तुम समझी नहीं, मैं और कबीर शादी कर रहे हैं तुम खुद हमारे बीच से हट जाओ नहीं तो मैं हटा दूंगी”| नेहा गुस्से से मेघा को मरने को दौड़ी पर उसके पार्टनर ने नेहा को धक्का देकर गिरा दिया| उधर कबीर लगातार चिल्लाता रहा “नेहा भाग जाओ, भाग जाओ प्लीज”| तभी नेहा उठकर अपने हैंडबैग की तरफ भागी, उसमे से मोबाइल निकालकर पुलिस को फ़ोन करने लगी| फ़ोन कनेक्ट हो पाता इससे पहले मेघा के पार्टनर ने नेहा को छुरे से मार दिया और नेहा दर्द से कराहते हुए वहीँ गिर पड़ी| कबीर रोते हुए चिल्लाता रहा “नेहा मुझे माफ़ कर दो, माफ़ कर दो” “हे भगवान, उस रात की दस्तक ने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी और फूट फूट कर रोने लगा|

तभी दरवाजे पर जोर-जोर की दस्तक होने लगी| कबीर ने आँख खोलकर इधर उधर देखा तो लगा की वो अपने बेडरूम में है| उसे कुछ समझ नही आ रहा है| बाहर निकल कर लिविंग एरिया में पहुंचा तो वहां कोई नहीं है| दरवाजे की दस्तक बढ़ती चली जा रही है| आँखें मलते हुए उसने दरवाजा खोला| बाहर नेहा और उनके बच्चे खड़े हैं| कबीर को देखते ही नेहा जोर से चिल्लाई “कहाँ थे तुम, कितने फ़ोन किये, कबसे मैं और बच्चे दरवाजा खटखटा रहे हैं| कबीर अभी भी असमंजस में है कुछ बोलने की कोशिश की “वो....तुम लोग...”| नेहा ने झुंझलाते हुए जवाब दिया “वो बारिश की वजह से कहीं लैंड स्लाइड हो गया, फंक्शन पोस्टपोन हो गया तो हम लोग वापस आ गए”|

अब जाकर कहीं कबीर की चेतना वापस आई, गहरी साँसें लेते हुए उसने सोंचा “मैं क्या सपना देख रहा था, भगवान ने बचा लिया”| उसके मन में ख़ुशी और संतोष की लहर दौड़ गयी| उसने जोर से अपने बच्चों को गले से लगा लिया और खूब प्यार करने लगा| फिर नेहा को गले लगाता हुआ एक बच्चे की मासूमियत बोला “जानू, मुझे अकेले घर में छोड़कर कभी मत जाया करो”| नेहा भी बड़े प्यार से कबीर को गले लगाते हुए बोली “अरे मेरा बच्चा, कभी अकेले छोड़कर नहीं जाउंगी”|