रात के साढ़े ग्यारह बजे दिल्ली की सड़कों पर अजय तेज रफ़्तार से अपनी बाइक चलाता हुआ कहीं जा रहा था कि तभी एक तीव्र मोड़ पर बाइक फिसल गयी| अर्ध बेहोशी की अवस्था में राहगीरों ने उसे नजदीकी अस्पताल पहुँचाया| शरीर पर कुछ मामूली खरोंचों के अतिरिक्त उसके बाएं हाथ में फ्रैक्चर हो गया था| पुलिस के एक सिपाही ने अजय के मोबाइल से उसके एक मित्र आकाश को फ़ोन किया|
अजय और आकाश अपने तीन अन्य मित्रों के साथ दिल्ली में एक फ्लैट किराये पर लेकर साथ रहते थे| अजय एक सरकारी विभाग में इंजीनियर के पद पर कार्यरत था और आकाश एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में| बाकी तीन मित्र सिविल परीक्षा की तैयारी कर रहे थे| पांचो मित्रो ने नोएडा के एक कॉलेज से साथ में ही इंजीनियरिंग की थी|
अजय के घर की माली हालत कुछ ठीक नही थी| उसके पिता बिहार के एक गाँव में साधारण किसान थे जो बड़ी मुश्किलों से अजय को पढ़ा पाये थे| उन्हे पूरी उम्मीद थी की अजय अगर अच्छी नौकरी पा गया तो उनके बाकी के तीन बच्चों का भी भविष्य बन जायेगा| अजय को भी अपने घर की इस स्थिति का पता था इसलिए वो बचपन से ही बहुत मन लगाकर पढाई करता था| यहाँ तक की नोएडा और दिल्ली की चकाचौंध भी उसे आकर्षित नही कर पाई थी| जब उसके मित्र पार्टी करते या कहीं घुमने जाने का प्लान बनाते तो वह हमेशा यही कहता की उसके उपर भाई-बहनों की भी जिम्मेदारी है इसलिए उसके पास पढाई और करियर के अतिरिक्त किसी चीज़ के लिए समय नही है| यही कारण था की अजय पढाई के साथ ही साथ प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी करता रहा और इंजीनियरिंग पास करते ही एक सरकारी विभाग में उसका चयन हो गया| चूँकि अजय और आकाश भी अभी सिविल परीक्षा की तैयारी कर रहे थे इसलिए सभी मित्र एक साथ रह रहे थे ताकि एक दूसरे से मदद मिल सके| वैसे जहाँ तीन-चार लड़के साथ में रहते हैं वहां पढाई कम और बियर पार्टी ज्यादा होती है|
उस रात भी बियर और सिगरेट का दौर चालू था| तभी आकाश का फ़ोन बज उठा| अजय का नंबर देखकर फ़ोन उठाते ही आकाश बोला “हाँ, अजय”| उधर से आवाज़ आई “आकाश जी मैं सतपाल बोल रहा हूँ, दिल्ली पुलिस से, अजय का एक्सीडेंट हो गया है, यहाँ सफ्दरजंग में भरती है, आप आ जाएँ”| फ़ोन कट गया|
चारों दोस्त दो बाइक पर सवार होकर अस्पताल पहुंचे| अजय को होश में देखकर उनके जान में जान आई| अजय के सर पर और शरीर पर कुछ जगह पट्टी बंधी थी और हाथ पर कच्चा प्लास्टर चढ़ा था| आकाश से नही रहा गया उसने लगभग रुआंसे होते हुए कहा “ यार तूने ये क्या कर लिया है भाई, खुद को देख तू पहचान में नही आ रहा है कि तू वही अजय है”| अजय ने बिना कुछ बोले मुंह दूसरी तरफ कर लिया|
अगले दिन सुबह अजय अस्पताल से घर आ गया| आकाश ने अजय के घर पर सूचना दे दी थी इसलिए शाम तक उसके पिताजी और भाई भी पहुँच गए| अजय ने अब तक किसी से कोई बात नही की थी यहाँ तक की अपने पिता और भाई को देखकर भी वह उनसे कुछ नही बोला| अजय के पिता ने कई बार बात करने की कोशिश की पर उसने कोई बात नही की| हारकर अजय के पिता दुसरे कमरे में गए जहाँ बाकी सारे दोस्त बैठे थे| सभी बहुत उदास थे| अजय के पिता ने आकाश से पूछा “बाबू तुम्ही कुछ बताओ, अजय तो कुछ बोलता ही नही, क्या हुआ इसे?”
आकाश ने सभी मित्रों की तरफ एक बार देखा फिर बहुत दुखी मन से बोलना शुरू किया “चाचाजी, सब मेरी ही गलती है|” फिर उसने पूरा किस्सा अजय के पिता को बता दिया|
दरअसल सब लड़कों ने एक महिला को घरेलू काम पर रखा हुआ था जैसे झाड़ू-पोछा, बर्तन-कपड़े धोना और खाना बनाना इत्यादि| सब उसे आंटी कहते थे| वो दिन में दो बार आती थी और अपना काम करके चली जाती थी| एक दिन सुबह आंटी ने आकाश से कहा “आकाश भैया, मैं एक महीने के लिए अपने गाँव जा रही हूँ, मेरी जगह मेरी भतीजी काम कर देगी”| चूँकि ऐसा उस क्षेत्र में काम करने वाले अक्सर करते थे, आकाश ने अपना मोबाइल देखते हुए बस इतना सा कहा “ठीक है, जाने से पहले अपने पैसे ले लीजियेगा|”
दो-तीन दिन बाद आंटी चली गयीं| सुबह सवेरे किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी| आकाश ने दरवाजा खोलकर देखा तो एक मध्यम कद-काठी की, साधारण नैन-नक्श की, कुछ बीस- इक्कीस साल की, सांवली सी लड़की सामने खड़ी थी| गुलाबी रंग का सलवार कमीज पहना हुआ था उसने, साधारण ही सही किन्तु आकर्षक लग रही थी| अपने मन के सवालों को दबाते हुए बड़ी स्टाइल से आकाश ने पूछा “हाँ जी बताईये|” लड़की ने जवाब दिया “भैया, वो आंटी ने बोला था काम करने के लिए|”
“कामवाली!!!!” आकाश एकदम से भौचक्क रह गया| फिर खुद को सँभालते हुए बोला “काम करने आई हो, ठीक है आओ”| किचन की तरफ इशारा करते हुए बोला “किचन इधर है”| फिर आकाश ने पूछा “नाम क्या है तुम्हारा?” लड़की ने किचन की तरफ बढ़ते हुए और गुलाबी दुपट्टे को अपने बाएं कंधे से लेकर दायीं तरफ कमर के पास बांधते हुए कहा “रीना”| रीना किचन की तरफ जा रही थी और आकाश उसकी लम्बी सी चोटी को देख रहा था जोकि उसकी कमर के पास बलखा रही थी| फिर कुछ सोंचकर आकाश भी आगे बढ़ा और उसने रीना से पूछा “काम और पैसे की बात आंटी ने कर ली है ना तुमसे?” रीना ने पलटकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया “जी भैया”|
आकाश ने कमरे में जाकर सबको जगाया “अबे उठो, देखो क्या क़यामत आ गयी है| दोस्तों ने बड़े आलस से पूछा “क्या हो गया बे, सोने काहे नही दे रहे”| आकाश फिर से बोला “अबे उठो आलसियों, आंटी ने काम करने के लिए बड़ी मस्त लड़की भेजी है”| सबकी आंखों में कुछ चमक आ गयी लेकिन अजय को इन बातों में कोई दिलचस्पी नही थी| उसके बाद सभी दोस्त किसी ना किसी बहाने से रीना से बात करने की कोशिश करने लगे| अजय बहुत आवश्यकता पर ही बोलता वो भी रीना की तरफ बिना देखे| शायद लड़कियों में मन पढ़ लेने का हुनर होता है, इसिलए रीना किसी से ज्यादा बात नही करती थी लेकिन अजय से बात करने का कोई ना कोई बहाना ढूँढ ही लेती थी| ये सब बाकी दोस्त भी समझ रहे थे|
एक दिन रात में बियर पार्टी चल रही थी| अजय भी चखना खाने में मस्त था| तभी आकाश ने कहा “यार अजय, हम लोगों ने बहुत सोंचा, तुम ही हम लोगों की मदद कर सकते हो”| अजय ने कोला का एक घूंट पीते हुए पूछा “कैसी मदद?” आकाश ने बोलना शुरू किया “देख अजय, तू अपन भाई है, तेरे से कुछ छिपा नही है, हम सभी रीना को पटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भाई मुझे इस फील्ड का बहुत अनुभव है, वो हम में से किसी से नही पटेगी सिवाय तुम्हारे| अब तुझे करना ये है की तू उसे हम लोगों के लिए पटाएगा|”|
अजय ने हँसते हुए कहा “अच्छा बेटा, अब अपनी औकात पर आ गए, खुद से कुछ हो नही रहा तो हमें फंसा रहे हो, देख भाई अब ये सब छोड़, कामवाली है वो, किसी को पता चला तो कितनी बेइज्जती होगी तुम लोगो की”|
आकाश ने समझाते हुए कहा “किसी को कुछ पता नही चलेगा, हम कोई जबरदस्ती थोड़ी ना कर रहे हैं, मान गयी तो ठीक, ना मानी तो ठीक| फिर भाई मैं कोई अपने अकेले के लिए तो बोल नही रहा, कद्दू कटेगा तो सबमें बटेगा”|
सभी जोर से हंसने लगते हैं लेकिन अजय के माथे पर पसीना आ जाता है| अजय बोला “भाई मुझे तो माफ़ करो, मुझे तुम्हारे कद्दू में कोई दिलचस्पी नही है, मैंने ये सब कभी किया भी नही है, मुझसे ना हो पायेगा”|
आकाश ने समझाया “भाई तू चिंता मत कर, तुझे कुछ नही करना है, बस उससे थोडा मेल-जोल बढ़ा, बाकी हम सब संभाल लेंगे|”
अजय को कुछ समझ नही आ रहा था| फिर भी पता नही क्यों अगले दिन से उसने थोडा झेंपते थोडा शरमाते हुए ही सही, पर रीना से बात करना शुरू कर दिया| रीना को तो पहले से ही अजय से बात करना पसंद था सो थोड़े ही समय में दोनों दोस्तों की तरह बातें करने लगे| अजय रीना के आने के टाइम के हिसाब से घर पर रुकने लगा| उसने कभी किसी लड़की से दोस्ती तो करी नही थी, रीना पहली लड़की थी जिससे वो दिलखोल कर बात कर सकता था| रीना भी उससे अपनी सारी बातें बोल दिया करती थी| रीना ने बताया की वो भी बिहार की रहने वाली है, यहाँ कुछ रिश्तेदारों के साथ रहती है, एक पार्लर में मसाज़ भी करती है, आंटी के कहने पर सुबह शाम अजय के यहाँ काम करने को भी तैयार हो गयी| सोंचा ज्यादा पैसा घर भेज पायेंगे, आखिर उसपर ही छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी है| अजय को उसकी कहानी अपनी सी लगी| इसलिए वो उसके नजदीक आता चला गया| दोनों साथ में घूमने और पिक्चर देखने भी जाते| एक दिन इतवार को सभी दोस्त पिक्चर देखने गए थे, अजय के सर में दर्द था सो वो नही गया| रीना घर आई तो उसने पूछा “आज सब कहाँ चले गए?”| अजय ने जवाब दिया “पिक्चर देखने”| रीना ने फिर पूछा “आप क्यूँ नही गए?” अजय ने बोला “मेरे सर में दर्द है, आराम करना चाहता हूँ”| रीना ने फिर पूछा “आप कहें तो मैं मसाज़ कर दूँ, मेरे हाथों में जादू है, झट से ठीक हो जायेगा|” अजय बस मुस्कुरा दिया|
कुछ ही देर में रीना सरसों का तेल गरम कर लायी और अजय की चम्पी शुरू कर दी| धीरे-धीरे हाथ-पैरों पर मसाज़ भी शुरू हो गया| अजय को बड़ा सुकून मिल रहा था| लेकिन कुछ ही देर में दोनों ने अपनी सीमा लांघ दी|
रीना और अजय में नजदीकियां बढने का आभास बाकी मित्रों को भी हो रहा था| एक रात सबने अजय की क्लास ली| आकाश ने अजय से पूछा “भाई चल क्या रहा है, दस दिन हो गए हैं, अब हमारा नंबर भी लगा, तू क्या अकेले-अकेले ही मौज करेगा”| अजय ने चिढ़ते हुए जवाब दिया “देख आकाश, वो बहुत अच्छी लड़की है, उसके बारे में उल्टा-सीधा मत बोल, और मैंने तुम लोगों से कभी नही कहा की मैं तुम्हारा काम करूँगा”|
आकाश कुछ गुस्से से बोला “भाई ये क्या बात हुई, तो इतने दिन से तू कर क्या रहा था, चल हमारा ना सही अपना काम कर रहा था, कोई बात नही, अब हमारा काम करा”|
अब अजय गुस्से से बोला “आकाश रीना के बारे में कोई गलत बात मैं बर्दाश्त नही करूँगा”| आकाश ने पूरे ताव में अजय को पकड़ते हुए पूछा “अच्छा उस दो टके की नौकरानी के लिए मुझे मारेगा, अबे हम तो तेरे दोस्त हैं, वो लगती क्या है तेरी”|
अजय आकाश की गिरफ्त से खुद को छुडाते हुए जोर से चीखा “अबे प्यार करता हूँ मैं उससे”| कमरे में सन्नाटा छा गया| थोड़ी देर कोई कुछ नही बोला फिर अजय ने ही बोलना शुरू किया “भाई मैं नही जानता क्यूँ लेकिन उससे प्यार करने लगा हूँ मैं, वो भी मुझसे प्यार करती है, हम शादी करने वाले हैं”| अब आकाश को चेतना वापस आई, वह अजय से बोला “तुझे समझ में आ रहा है, तू क्या बोल रहा है, भाई वो काम वाली है और तू इंजीनियर, फिर तेरे मां-बाप, भाई-बहन, वो भी छोड़ भाई बात को समझ हम उसके बारे में क्या बातें करते रहे हैं और अब तू चाहता है की हम उसे भाभी बोलें, तेरा दिमाग ख़राब हो गया है”|
अजय ने जवाब में बस इतना कहा “ये सब मुझे समझ नही आ रहा, मैं बस इतना जानता हूँ की मैं उससे प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ”| आकाश ने गुस्से से अजय को धकियाते हुए कहा “अबे काला जादू कर दिया है उसने तेरे उपर”| उसके बाद सभी मित्र अजय को अलग-अलग तरीकों से समझाने की कोशिश करते रहे पर वो अपने फैसले पर अडिग रहा| इधर रीना की तरफ से भी शादी का दबाव पड़ने लगा, रीना ने बताया की उसके घर तक ये ख़बरें पहुँच गयी हैं, उसके पिता घर आये हैं, अक्सर घर में मारपीट का माहौल रहता है| उस दिन भी सारे दोस्त बियर पार्टी में थे जब रीना का फ़ोन अजय के पास आया| रीना ने बताया उसका बाप शराब पीकर उसे मार रहा है, जल्दी आओ वरना वो मार डालेगा| इधर दोस्त उसपर शादी ना करने का दबाव बना रहे थे और उधर रीना लगातार जल्दी शादी करने का दबाव बना रही थी, इसी उलझन के बीच रीना के उस फ़ोन ने अजय को बहुत परेशान कर दिया| इसी परेशानी की हालत में वो बाइक लेकर रीना के घर की तरफ निकला था जब उसका एक्सीडेंट हुआ|
सारा किस्सा सुनने के बाद अजय के पिता सभी लड़कों के साथ अजय के कमरे में गए| उन्होंने अजय से कहा “बाबू, आकाश ने मुझे सब कुछ बता दिया है, लेकिन बेटा एक बात को अच्छी तरह से समझ लो, हम मांस खाते हैं पर हड्डी फेंक देते हैं| तूने मांस खाया कोई बात नही पर बेटा अब हड्डी फेंक दे| बात को समझ तू इंजीनियर है और वो क्या है| ऐसा कोई काम ना कर की जिससे बाद में पछताना पड़े”|
अजय ने पिता की तरफ बिना देखे बस इतना कहा “आप लोग घर वापस चले जाईये”| अजय के पिता की आंखों में आंसू बह उठे| उन्होंने अजय के भाई को चलने का इशारा किया और जाते हुए बोले “मैं जानता हूँ अब तू मेरी कोई बात नही सुनेगा, अब बड़का अधिकारी जो बन गया है”|
अजय के पिता के जाने के कुछ ही समय बाद रीना वहां पहुँच गयी| उसने एक पत्नी की तरह अजय की तीमारदारी शुरू कर दी| साथ ही साथ उस घर की मालकिन की तरह सबसे पेश आने लगी| इस माहौल में आकाश और अन्य दोस्तों का वहां रहना मुश्किल हो रहा था| सबने अजय से बोला की या तो वो फ्लैट से चला जाये या वो सब फ्लैट खाली कर देते हैं| अजय तो पहले से ही एक दूसरा घर देख चुका था, उसने दुसरे घर में शिफ्ट कर लिया| जल्दी ही रीना से उसने कोर्ट में शादी कर ली| शादी में रीना के मां-बाप, भाई-बहन सब आये लेकिन ना अजय का कोई रिश्तेदार था ना दोस्त| रीना के परिवार वाले शादी में जो आये तो कभी बिहार वापस नही गए| आज भी रीना के घर वाले अजय और रीना के साथ ही रहते हैं, अजय रीना के भाई-बहनों को अच्छे से पढ़ा-लिखा रहा है| और अजय के भाई-बहनों का कुछ पता नही| आकाश आज भी जब फ्लैट के दोस्तों के साथ पार्टी में बैठता है तो दो पैग लगाने के बाद यही कहता है की यार मैंने अपने कद्दू के चक्कर में अजय की और उसके परिवार वालों की जिंदगी ख़राब कर दी|