Flight of Locked down mind - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

बच्चों को सुनाएँ - 8 लॉकडाउन मन की उड़ान

बच्चों को सुनाएँ – 8-

“लॉकडाउन मन की उड़ान”

आर० के० लाल

कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर दिया तो सभी लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए । आजकल के फ्लैट में जगह ही कितनी होती है। तीन दिनों में ही इतनी कम जगह में पूरे परिवार सहित रहने में सभी का दम घुटने लगा और वे ऊबने लगे । सभी परेशान थे कि छोटे बच्चों को कैसे संभाला जाए । बारह वर्षीय स्वप्निल भी इसी में से एक था। उसके स्कूल बंद हो गए थे। शुरू में तो उसे लगा था कि बड़ी मस्ती होगी, पढ़ाई-लिखाई से छुट्टी मिलेगी, देर तक सोने को मिलेगा, मम्मी पापा की डांट नहीं खानी पड़ेगी और ट्यूशन भी नहीं जाना पड़ेगा। मगर आज उसकी यह खुशी न जाने कहां चली गई थी। उसका चेहरा पीला पड़ गया था। वह अपने दोस्तों, खासतौर से अपनी गर्लफ्रेंड पूर्वी से नहीं मिल पा रहा था। उसकी मम्मी ने कहा, “इस धरती पर भोजन की तरह शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए काम की जरूरत होती है। मनुष्य बिना काम के नहीं रह सकता, अगर किसी का काम ही छीन लिया जाए तो वह मर ही जाएगा मगर तुम लोग तो सिर्फ खा रहे हो और मैं काम करते करते मरी जा रहीं हूँ।

अगली सुबह स्वप्निल की मां ने देखा कि वह पसीने से भीगा हुआ है सो रहा है और बार-बार करवट बदल रहा है। उसे प्यार से जगाते हुये उसकी माँ ने उसका हाल पूछा तो स्वप्निल ने बताया, “माँ! मैं दो दिन से एक ही तरह का सपना देख रहा हूँ । मैं देखता हूँ कि एकाएक मुझे याद आता है कि आज मेरे कंपटीशन की परीक्षा है और मैं लेट हो गया हूँ। जल्दी-जल्दी तैयार होता हूं और बाहर की तरफ भागता हूं। पर यह क्या? दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। सब लोग कह रहे हैं कि बाहर कोरोना है, मत जाओ। मैं नहीं मानता और किसी तरह ताला खोल कर बाहर निकलता हूं। बाहर पुलिस वाले दौड़ा लेते हैं। मैं एक नाले में गिर पड़ता हूँ । वहाँ से निकाल कर सबकी नजर बचाकर मैं किसी तरह दौड़ते दौड़ते एक्जाम सेंटर पहुंचता हूं। देखता हूं कि सभी लड़के परीक्षा दे रहे हैं। बहुत देर होने के कारण निरीक्षक मुझे अंदर नहीं जाने देते। मैं रोने लगता हूं कि मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। किसी तरह वे मुझे इजाजत दे देते हैं । अभी लिखना शुरू किया ही था कि परीक्षा खत्म होने की घंटी बज जाती है। मैं फिर से इन्विजिलेटर के हाथ जोड़ता हूं ताकि वे मुझे थोड़ा समय दे दें लेकिन वे कापी छीन लेते हैं । इतने में देखता हूँ कि कई साँप मेरा पीछा कर रहें हैं। मैं भाग रहा हूँ। एक दो साँप तो मेरे ऊपर उड़ रहे थे। उनसे बचने के लिए मैं एक नदी में छालोंग लगा देता हूँ। छपाक की आवाज पर मैं जग जाता हूँ। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है”।

स्वप्निल की मम्मी बहुत परेशान हो गईं । उन्होने लाल मिर्च और राई लेकर स्वप्निल को चारों ओर घुमा कर गैस के चूल्हे में डाल दिया ताकि सब कुछ ठीक हो जाए। फिर उन्हें ज्योतिषीजी याद आये जो सपनों का मतलब बताते हैं और उनके दोषों का निवारण भी करा देते हैं । उनको फोन लगाने पर पता चला कि जब से लॉकडाउन हुआ है, आचार्यजी के पास समय ही नहीं है। हजारों लोग सलाह लेकर कर्म कांड भी ऑनलाइन करवा रहे हैं। आचार्य ने बीस पाचीस पंडित एम्पलॉय कर लिए हैं जो वर्क फ्राम होम कर रहे हैं। आचार्य ने पेटीएम द्वारा पैसे जमा करवा कर बताया, “सपने हर किसी को आते हैं, हर सपनों का मतलब और उनका फल होता है। सपनों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। आपके बेटे द्वारा सपने में सांप देखना शुभ है, इसका मतलब है उसके जीवन में सभी तरह की सुख समृद्धि आने वाली है। मगर एग्जाम देते हुए देखना अशुभ है। इसी तरह नदी नाले में गिरने का मतलब किसी ग्रह का अशांत होना है। आप घबराएँ नहीं मैं सब ठीक करा दूँगा”।

स्वप्निल के पापा ने अपनी पत्नी को रोकते हुये स्वयं स्वप्निल की समस्या का समाधान करने की ठानी । उन्होंने सोचा कि स्वप्निल शायद किसी बात से आहत हो गया है और मानसिक रूप से बीमार हो गया है। उसके दोस्त प्रभात रंजन ने बताया, “अंकल वह तो आजकल मुझसे बात ही नहीं करता”। उसके पापा ने स्वप्निल को समझाया कि ज्यादा सोचोगे तो ऐसे ही सपने आएंगे। उसके बाद दो दिन तक तो स्वप्निल ठीक रहा मगर उसके मन मस्तिष्क पर इस सपने का इतना प्रभाव पड़ा कि वह एकदम उदास कमरे में अकेले बैठा रहता और बाहर जाना चाहता ।

उसके पापा ने उसे समझाया, “इस समय देश मुसीबत के दौर से गुजर रहा है। हर कोई इस महामारी से जूझ रहा है। इसका एक ही इलाज है कि सभी लोग घर में रहें। इसीलिए हम सबको घर में रहना पड़ रहा है। इसके बावजूद भी बहुत से ऐसे मौके हैं जिनका फायदा तुम्हें उठाना चाहिए। तुम खाली दिमाग लेकर अपना समय बर्बाद कर रहे हो। अगर तुम पढ़ाई नहीं कर सकते हो तो बहुत से दूसरे काम कर सकते हो, कुछ नया सीख सकते हो, कुछ अच्छा पढ़ सकते हो। आजकल नेट पर सब कुछ भरा हुआ है। मैं भी घर में ही रहता हूं मुझसे तुम डिस्कश कर सकते हो। इन दिनों को तुम एक चैलेंज के रूप में स्वीकार करो और जो भी लक्ष्य तुमने सेट किया है उसे पाने के तरीके की कोई वैकल्पिक व्यवस्था करो। जीवन में प्रॉब्लम तो आती ही रहती है, अगर तुम प्रॉब्लम पर फोकस करोगे तो अपना लक्ष्य तुम्हें दिखाई देना बंद हो जाएगा और अगर अपने लक्ष्य पर ही फोकस रखोगे तो धीरे धीरे तुम्हें उसकी प्रॉब्लम दिखना बंद हो जाएगा अर्थात समाप्त हो जाएगा”।

उन्होंने बताया कि कोरोनावायरस जैसी भयंकर महामारी ने पूरे देश को पूरी तरह से बंद करवा दिया है। ऐसे में स्कूल कॉलेज से जुड़े बच्चों की पढ़ाई का बहुत ज्यादा हर्जा हो रहा है। परंतु आज भी अनेक संस्थाएं घर बैठे ई-मेल और व्हाट्स ऐप के जरिए असाइनमेंट और जरूरी पठन पठन सामाग्री भेज रहीं हैं और पढ़ाई में सहायक बन रहीं हैं। उनकी मदद ली जा सकती है। तुम्हें पढ़ाई स्मार्टली करनी चाहिए न कि ज्यादा । कभी खाली न रहो ताकि मन में नेगेटिव विचार न आएं। घर में रह कर तो तुम कुछ ज्यादा ही कर सकते हो क्योंकि यहाँ तुम्हें अध्ययन से विचलित करने वाले कारण बहुत कम है। थोड़ा व्यायाम और कोई अच्छी शौक से पढ़ाई में तुम्हारा कन्सेंट्रेसन बढ़ेगा । परिवार के सभी सदस्य तुम्हारे लक्ष्य प्राप्ति के पूरक होंगे। हो सकता है कि तुम अध्ययन के दौरान इंटरनेट में भटक जाओ, ऐसे में तुम दूसरे कमरे में चले जाओ जिसमें वाई- फाई ही न हो”। स्वप्निल को आज वास्तविक ज्ञान मिल गया था।

कांफिडेंस लाने के लिए स्वप्निल के मम्मी पापा ने कुछ सृजनात्मक कार्य उनसे करवाने का निश्चय किया। उन्होंने सोचा क्यों न हम लोग बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे कोरोना से बचने के लिए मास्क बनाएँ । पहले तो वे तैयार नहीं हो रहे थे परंतु जब उन्हें बताया गया कि कल सब्जी वाला अपने मुंह पर कुछ नहीं लगा रखा था। हो सकता है कि वह वायरस से संक्रमित रहा हो इसलिए हम उसके लिए एक मास्क बनाएंगे। बच्चों को यह बात अच्छी लगी। उन्हें आश्चर्य हुआ जब घर के सामान से ही उन्होंने मात्र पंद्रह मिनट में एक अच्छा मास्क तैयार कर लिया । स्वप्निल ने उसका एक वीडियो भी बना कर अपने व्हाट्स अप्प ग्रुप में शेयर किए । सब्जी वाले को मुफ्त मास्क देकर वे वास्तव में खुश हो गए थे।

इसके बाद स्वप्निल ने स्वयं यू ट्यूब देख कर सेनिटाईजर भी बना डाला। अब वह कम्पुटर पर कई इनोवेटिव रिसर्च में जुटा है। स्वप्निल कहता है कि हम लॉकडाउन में बंद हैं तो क्या हुआ। हम यहीं से कई लंबी मानसिक और रचनात्मक उड़ाने तो भर ही रहे हैं।

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