बच्चों को सुनाएँ - 2 - बहन मिल गयी r k lal द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बच्चों को सुनाएँ - 2 - बहन मिल गयी

बच्चों को सुनाएँ – 2

“बहन मिल गयी ”

आर० के० लाल


एक लड़का था । उसका नाम सौरव था। वह अपने माँ बाप का इकलौता बच्चा था। जब वह लगभग तीन साल का था तो एक दिन रोए जा रहा था, उसकी मम्मी उसे पुचकार रहीं थी। मगर वह चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसके पापा सुनील ने उससे पूछा, “क्या बात है बेटा”? उसने कहा, “पापा, पापा मुझे एक बहन ला कर दो। मेरे सभी दोस्तों के पास एक बहन है। उनकी बहनें उनके साथ खेलती हैं, मैं अकेला ही रहता हूं। मेरी बर्थडे पर भी कोई बहन मुझे टीका नहीं लगाती और न कोई राखी ही बांधती है। मेरे दोस्त अपनी बहन को गिफ्ट देते हैं। मैं यह सब नहीं कर पाता”। उसके पापा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें और क्या करें। उसने किसी तरह सौरव को चुप कराया।

रात में सोते समय सुनील ने अपनी पत्नी सरला से पूछा, “देखो आज सौरव कितना रो रहा था और बहन के लिए जिद कर रहा था । ऐसे में हमें क्या करना चाहिए”? सरला ने कहा, “उसकी बात तो ठीक है लेकिन आज के इस महंगाई के जमाने में एक बच्चे का पालन करना कितना मुश्किल होता है, स्कूलों की फीस महंगी हो गई है, एक ही बच्चे को पढ़ा- लिखा कर बड़ा करना कितना कठिन हो गया है। हम कैसे दो बच्चों का खर्च उठाएंगे? तुम अकेले कमाते हो। मैं जानती हूँ कि तुम ओवरटाइम करके किसी तरह घर का खर्च चला रहे हो”। फिर उसने कहा,” जाने दो सौरव अभी बच्चा है, समझ जाएगा और कुछ दिनों में वह सब भूल जाएगा”। इतना कहकर दोनों पति-पत्नी सो गए।

सुबह सौरव फिर वही जिद करने लगा कि मैं स्कूल नहीं जाऊंगा। मुझे अपनी बहन के साथ ही स्कूल जाना है। इसी तरह सौरव अक्सर बहन की मांग करता था । उसे देख कर उसके पापा सुनील ने एक दिन इरादा किया कि चलो हम एक बार कोशिश करते हैं कि उन्हें एक और बच्चा पैदा हो जाए। वे सरला को भी राजी करना चाहते थे । मगर सरला ने फिर प्रश्न किया कि इसकी क्या गारंटी है कि हम जो बच्चा पैदा करेंगे वह एक लड़की ही होगी। अपने भारत में तो पहले से इसका पता भी नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि हमारे फिर से लड़का ही हो जाए। ऐसे में तो हम बेवजह फंस जाएंगे। इसलिए हमें कोई रिस्क नहीं लेना है। हमारे एक ही लड़का अच्छा है।

उसके बाद सौरव अपनी पढ़ाई में लग गया था और फिर उसने बहन की मांग करना बंद कर दिया था। पढ़ाई में वह अच्छा था इसलिए उसका चयन यू एस ए के किसी विश्व विद्यालय में हो गया था। वह पढ़ाई के लिए यूएसए चला गया और वहां पढ़ाई पूरी करके एक अच्छी नौकरी करने लगा था। उसने बहुत सारा पैसा कमा लिया था । जब सौरव यू एस ए से लौट कर आया तो उसके मम्मी-पापा ने उसकी शादी का प्रस्ताव रखा। सौरव ने उन्हें टाल दिया कि अभी कुछ दिन मुझे शादी नहीं करनी है।

लगभग एक महीने बाद एक दिन सौरव एक लड़की के साथ अपने घर आया और अपनी मम्मी – पापा से कहा कि यह लड़की अर्चना है जो अब इसी घर में रहेगी।

उसके मम्मी- पापा हैरान थे कि सौरव ने क्या कर डाला । वैसे तो लड़की बहुत सुंदर थी। उन्होंने कहा कि सौरव, तुम्हें हमें बताना चाहिए था, हम तुम्हारी शादी इसी लड़की से करा देते। तब तुम इसे घर लेकर आते। बड़ी धूमधाम के साथ हम बरात लेकर जाते और इसे विदा कराकर लाते। अब लोग क्या कहेंगे?

सौरव ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा , “आप लोग गलत समझ रहे हैं। मैंने इससे कोई शादी - वादी नहीं की है , बल्कि यह मेरी बहन है। आप दोनों मेरी शादी कराना चाहते हैं मगर मैं चाहता था कि शादी से पहले मेरी एक बहन हो । इसीलिए मैं इसे बहन बना कर लाया हूँ। फिर सौरव बोला कि मैं हमेशा एक बहन के लिए तरसता रहा हूं। आपसे भी बहुत दफे जिद करता था कि मुझे बहन ला कर दो। दुर्भाग्य से मुझे सगी बहन नहीं मिल सकी इसलिए जब मैं अमेरिका से लौटा और आपने शादी की बात काही तो मेरे मन में एक बहन के साथ बरात ले जाने की इच्छा हुई और मैं उसकी तलाश में लग गया।

एक दिन मुझे एक ऐसी लड़की का पता चला जिसके पिता की मृत्यु अचानक एक एक्सीडेंट में हो गई थी जो एक रिक्शा चालक थे । वह लड़की और उसकी मां अकेली रह गई थी। उसकी मां की कोई कमाई नहीं थी और न उसके पास कोई सहारा था। मुझे लड़की देखने में बहुत सुंदर और गुणी लगी इसलिए मैं उसके घर गया और उसकी मां से उसे बहन के रूप में मांग लाया। पहले मैं इसकी शादी करुंगा फिर यह मेरे लिए लड़की की तलाश करेगी। मुझे “मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुलहनिया” वाला गाना भी तो गाना है।

सौरव ने आगे कहा कि शादी से पहले मैं चाहता हूं कि मेरे होने वाले बच्चे उस बात से वंचित न रहें जो मुझे न मिल सका। अगर मेरी कोई बहन नहीं होगी तो मेरे बच्चों की बुआ कौन होगी और फिर मेरे बेटे की शादी में कौन फूफा उसे पगड़ी बांधेगे?

यह सुनकर उसके मम्मी पापा के आंखों से आंसू गिरने लगे। उसके पापा बोले कि मैं इस बेटी को स्वीकार करता हूं। इसे मैं विधिवत गोद लूँगा। मुझे तुम पर भी नाज है कि तुमने एक बेसहारा लड़की को अपनी बहन बनाया। आज समाज को तुम्हारे जैसे लड़कों की जरूरत है।

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