हॉंटेल होन्टेड - भाग - 4 Prem Rathod द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 4

अजय को कंधे पर किसी का हाथ महसूस होते ही वह सहमकर पीछे हट गया। अजय को अंधेरे में किसी का साया दिखाई दिया,जिसे देख कर उसका गला सूख गया, 'कौन........कौन हो तुम? देखो चले जाओ नहीं तो मैं......' बोलते हुए वह जमीन पर कुछ ढूंढने लगा,लेकिन तभी उसके कान में आवाज पड़ी ,' साहब मैं हूं ' जिसे सुनकर उसने अपनी सामने की तरफ देखा तो रघु खड़ा था ,जिसे देखकर उसे कुछ राहत महसूस हुई।

' तू यहां क्या कर रहा है रघु 'अजय ने अपना चेहरा साफ करते हुए कहा।
' साहब आपने जब यहां आने का फैसला किया था तभी से मुझे आपकी चिंता हो रही थी इसलिए मैं यहां आ गया।'
' पर तू कब आया और तुझे कैसे पता कि मैं यहां हूं?'अजय ने अपनी आशंका जताते हुए कहा।
'साहब मैं तो बहुत देर से आया हूं,आपको ढूंढते हुए जंगल के आखिरी कोने तक पहुंच गया था, फिर जब आप नहीं मिले तो मैंने वापस आते हुए आपके चिल्लाने की आवाज सुनी एक पल के लिए तो मैं डर गया कि कहीं कोई अनहोनी तो नहीं हुई और मैं यहां पहुंच गया।'
'रघु तुमने सही कहा था कि यहां पर कुछ है,जिसे मैं महसूस कर सकता हूं, सुन सकता हूं ,पर देख नहीं सकता ।जब से यहां आया हूं तब से बहुत ही अजीब सी घटनाएं हो रही है।'
'मैंने तो आपसे पहले ही कहा था कि यहां कोई बुरी शक्ति है जो नहीं चाहती कि हम यहां काम करें लेकिन आपने मेरी बात नहीं मानी और आप यहां आ गए। आपने यहां आकर ठीक नहीं किया साहब क्योंकि यहां से निकलना बहुत ही मुश्किल है' रघु ने इस बात को इस तरह कहा कि एक पल के लिए अजय डर गया।

'लेकिन जब तुम्हें पता है कि यहां से निकलना इतना मुश्किल है फिर भी तुम यहां पर क्यों आए?'
'क्योंकि मैं एक बार मौत से लड़ चुका हूं साहब ,एक आदमी को दो बार मौत नहीं आ सकती' यह बात उसने इतने रहस्यमई तरीके से हंसते हुए कही जिसे सुनकर अजय उसे देखता ही रह गया।
'चलिए साहब मेरे साथ चलिए मुझे वहां पर कुछ मिला है जिसे हम राजीव सर को दिखाने के लिए सबूत के तौर पर अपने साथ ले चलते हैं और फिर हम वहां से बाहर निकल जाएंगे 'इतना कहकर रघु ने जंगल की तरफ इशारा किया।

अजय ने अंधेरे में देखा तो उसके दिमाग में वह सब कुछ आ गया जो उसके साथ थोड़ी देर पहले हुआ था ,जिसे याद करके उसकी रूम कांप गई
उसे लगा कि,' वहां पर वापस से जाना ठीक रहेगा ,पर राजीव सर को सबूत के तौर पर कुछ तो दिखाने के लिए चाहिए, जिससे वह यहां का काम रुकवा सके और बाकी मजदूरों की भी जान बच जाएं।'
'क्या हुआ साहब क्या सोच रहे हो?' रघु ने पूछा।
'मैं सोच रहा हूं कि राजीव सर को फोन करके यहां पर जो कुछ भी हुआ है वह सब बता दूं'
रघु कुछ बोलने वाला था कि उससे पहले अजय ने अपना फोन निकाला और फोन देखा।उसे देखने पर पता चला कि फोन में सिग्नल ही नहीं है।
'ओह..... शीट सिग्नल ही नहीं है'
'साहब आप राजीव साहब को यहां से निकलने के बाद सब कुछ बता देना, पहले आप सबूत तो ले चलिए और वहां शायद आपको सिग्नल भी मिल जाए।'

अजय को यह बात अजीब लगी कि यहां पर सिग्नल नहीं मिल रहा था तो अंदर कैसे मिलेगा और रघु बार-बार जंगल की तरफ जाने को क्यों कह रहा है। अजय को जंगल में जाने के लिए डर लग रहा था क्योंकि वह बहुत मुश्किल से बच पाया था फिर भी वह मजदूरों की जान बचाने के लिए वहां पर जाने के लिए तैयार हो गया।
दोनों जंगल की तरफ बढ़ने लगे, रघु अजय के आगे चल रहा था। पता नहीं क्यों पर आज अजय को रघु का बर्ताव कुछ अजीब सा लग रहा था। दोनों जंगल में चलते जा रहे थे ,दोनों के बीच में कुछ देर तक कुछ भी बात नहीं हुई ।आखिरकार अजय ने पूछा ,'और कितनी दूर है?'पर रघु ने कुछ जवाब नहीं दिया।

अजय कुछ बोलने वाला था कि तभी उसका फोन बजा। वह चौंके बिना नहीं रह सका क्योंकि इतने घने जंगल में सिग्नल कैसे मिल सकता है।
'मैंने कहा था ना साहब कि यहां पर सिग्नल मिल जाएगा' रघु ने आगे की तरफ देखते हुए अजय से कहा।

अजय बस उसे देखता ही रह गया रघु की पीठ अजय की तरफ थी वह सोच रहा था कि यह रघु आज इतना अजीब बर्ताव क्यों कर रहा है कि तभी रघु बोला,' अब फोन उठा भी लीजिए साहब पता नहीं वापस से सिग्नल मिले या नहीं?'
अजय ने रघु की तरफ देखते हुए अपनी जेब से फोन निकाला, उसने फोन की स्क्रीन पर देखा तो राजीव का नाम फ्लैश कर रहा था।उसने जल्दी से फोन उठाया।
'हेल्लो...... हेल्लो राजीव सर यहां बहुत बड़ी गड़बड़ हुई है, मजदूरों की बात सही थी यहां कोई है जो...जो.........' अजय इतना ही बोल पाया कि तभी
'यहां कोई और नहीं सिर्फ मैं हूं मैं......' सामने से भारी खौफनाक आवाज आई जिसे सुनकर अजय का कलेजा मुंह तक आ गया। उस आवाज को सुनकर ऐसा लग रहा था कि जैसे यह आवाज उसके बहुत करीब से आ रही थी।

'सिग्नल नहीं मिल रहा था ना' इतना बोल कर वह जोर जोर से हंसने लगा जिसे सुनकर अजय को इतना समझ में आ गया कि अब यहां से निकलना इतना आसान नहीं होगा।
'मैंने तुझसे कहा था ना कि तू यह मेरी मर्जी के बिना नहीं निकल पाएगा' यह सुनकर वह कुछ सोच ही रहा था कि तभी पीछे से एक पाइप उसके पेट के आर पार हो गया।
अचानक हुए ऐसे जानलेवा वार से उसके शरीर का संतुलन बिगड़ गया और वह नीचे गिर गया वह दर्द के मारे जोर जोर से चीख रहा था उसका फोन उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया और जहां वह गिरा था उसके कान के पास जा गिरा।

'अरे मैं एक बात बताना तो भूल ही गया अपने पीछे मुड़ कर तो देखो' यह सुनकर अजय पीछे मुड़ा तो देख कर दंग रह गया, वह डर के मारे जमीन से घसीटते हुआ पीछे हटने लगा ,उसके हाथ पैर कांपने लगे ।पीछे रघु एक पाइप लेकर खड़ा था, तभी आसमान में काले बादलों के कारण एक जोरदार बिजली चमकी और रघु का चेहरा उस रोशनी में नजर आया।
रघु की आंखें एकदम सफेद थी और उसमें लाल नसे उपसी हुई थी जैसे आंखों से खून उतर आया हो,वह बहुत गुस्से में था उसके कपड़े खून से लथपथ थे,उसके शरीर पर जगह-जगह गांव थे ,उसके मुंह का बहुत बुरा हाल था ,उसके नाखून बढ़े हुए थे और वह काले पड़ गए थे।
अजय नजारा देखकर भागने की कोशिश करने लगा और वह भाग पाता उससे पहले ही रघु ने वह पाइप इतनी जोर से अजय के पैर पर मारा कि वह उसके पैर से आरपार होता हुआ जमीन तक घुस गया। अजय एक बार फिर से जोर से चिल्लाया और दर्द के मारे छटपटा ने लगा उसकी आंखों से आंसू निकल आए।

आसमान में अब काले बादल छाने लगे थे ,हवाई फान का रूप लेने लगी थी और वह तेजी से बहने लगी थी ,आसमान में जोरदार बिजलियां कड़कने लगी और तेज बारिश शुरू हो गई।
'अरे साहब आपको दर्द तो नहीं हुआ? अरे.... हां मैं एक बात तो आपको बताना भूल ही गया था कि मेरी मौत तो कब की हो चुकी है,जब मैं आपको ढूंढने यहां आया था' इतना कहकर रघु ने अजय के पैर पर नाखून गड़ा दीए और जोर से खींचकर उसके पैर की चमड़ी चीर डाली।अजय बेबस होकर दर्द के मारे चिल्लाने के सिवा और कुछ ना कर सका।
फिर उसने अजय के पैर से वही पाइप निकाला और अपनी पूरी ताकत से उसी पैर पर एक जोरदार वार किया, जिसके कारण उसके पैर की हड्डियां चकनाचूर हो गई। अजय दर्द के कारण कराहने लगा। अब उससे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था, जैसे वह थोड़ी देर में बेहोश हो जाएगा। आसमान से गिरती बारिश की वजह से चारों तरफ उसका खून फैला हुआ था ,जैसे वहां खून का तालाब बन गया हो।

'यह मेरी जगह है यहां मेरा राज है ,इस जगह की हर एक चीज पर मेरा कब्जा है इसलिए तू इतनी आसानी से यहां से नहीं निकल सकता' इतना बोल कर उसने अपने हाथ के नाखून से अजय का मुंह नोच डाला। अजय के मुंह से बहुत खून बह रहा था, उसकी कुछ बूंदे उसके आंखों में जा गिरी
अब अजय को लगने लगा था कि उसका अंत करीब है और वह जल्दी मर जाएगा क्योंकि यहां से निकलना अब नामुमकिन है ,यह सोचकर उसने अपना चेहरा जमीन पर रख दिया और आसमान में देखने लगा ।आज आसमान किसी शेर की तरह दहाड़ रहा था और बारिश बहुत तेज थी, रघु उसे तड़पता देख कर ज़ोर ज़ोर से हंस रहा था।

'हे..... भगवान मेरी मदद करो 'इतना बोल कर उसने अपना चेहरा दाएं तरफ किया उससे जमीन में आधा गड़ा हुआ कुछ लॉकेट सा दिखाई दिया, उसके साथ कुछ अजीब सी चीज गिरी हुई थी तभी आसमान में एक जोरदार बिजली कड़की और वह चीज चमकने लगी ,अजय ने वह चीज लेने के लिए अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाया।
रघु ने अजय की तरफ देखा तो वह अपना हाथ उस चीज की तरफ बढ़ा रहा था, उस चीज को देखकर रघु बहुत डर गया 'नहींईईईईई.... फिर से नहीं..'इतना बोल कर वह गुस्से के मारे दहाड़ता हुआ अजय की तरफ भागा इधर अजय के हाथ में वह चीज आ गई और दोनों चीज के मिलने से उसके हाथ से एक तेज रोशनी निकली वह रोशनी इतनी तेज थी कि जिसके कारण उसकी आंखें बंद हो गई उसने वह चीज उठा कर रघु की तरफ फेंकी अजय को हाथ में लग रहा था कि जैसे उसके हाथ में कोई तेज हथियार हो।

इधर वह जाकर सीधे रघु के छाती में घुस गया 'नहीं....आआआ.........' दर्द के मारे रघु जोर से चिल्लाया और उसके शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े होकर जमीन पर गिरने लगे। जिसे देखकर अजय जाए चौंक गया और वह धीरे-धीरे खड़े होने की कोशिश करने लगा उसके शरीर के हर एक हिस्से में बहुत दर्द हो रहा था, उसका एक पैर काम ही नहीं कर रहा था ।वह लंगड़ा ता हुआ दौड़ने लगा ,कुछ देर दौड़ने के बाद वह जंगल से निकलकर एक सड़क पर आ गया ।वह सड़क सीधे राजीव के घर की तरफ चाहती थी अब अजय को पता चल गया था कि वह उस जगह से निकलने में कामयाब रहा। उसने उस रास्ते पर धीरे-धीरे दौड़ना शुरू किया।
इस तरफ राजीव अपने घर के हॉल में सोफे पर बैठा हुआ था अजय और मजदूरों की कई बातों के बारे में सोच रहा था। उसने अपना ध्यान खिड़की की तरफ किया तो उसे बाहर तेज बारिश गिरती हुई दिखाई दी। उसने व्हिस्की लेकर एक गिलास भरा की तभी उसके दरवाजे पर दस्तक हुई,
छोटू ने जाकर दरवाजा खोला और जैसे ही उसने सामने का नजारा देखा वह डर के मारे जोर से चिल्लाया ।उसकी चीख सुनकर राजीव के हाथ से गिलास गिर गया और उसने पूछा' क्या हुआ छोटू? क्यों चिल्ला रहे हो?' यह सुनकर छोटू दरवाजे से हट गया छोटू के हटते ही उसने सामने का नजारा भी का तो वह दंग ही रह गया।
उसके सामने अजय लहूलुहान हालत में खड़ा था, उसके कपड़े पूरे खून से सने हुए थे ,उसका बहुत बुरा हाल था ।अजय गिरने वाला था कि तभी छोटू और राजीव ने उसे पकड़ लिया और सोफे पर लाकर लिटा दिया।
'अजय क्या हुआ??? कैसे यह सब...? तुम्हारी हालत कैसे हुई??...' राजीव ने एक साथ बहुत सारे सवाल पूछ लिए, पर अजय बस आंख बंद करके लेटा रहा , 'छोटू जल्दी जाकर फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आ' छोटू दौड़ कर एक कमरे में गया और बॉक्स लेकर वापस आ गया, राजीव अजय के गांव साफ करने लगा।

'तुम्हें जल्द ही अस्पताल ले जाना होगा' इतना बोल कर वह एक Drower के पास पहुंचकर अपनी कार की चाबी निकालने लगा।
'मजदूरों का कहना सही था.....' तभी पीछे से अजय की आवाज आई और वह पीछे मुड़कर अजय को देखने लगा।
'क्या...... क्या कह रहे हो तुम?' राजीव ने चौंकते हुए पूछा।
'हां साहब मजदूर सही कह रहे थे.. वहां पर बहुत बुरी आत्मा है ,अगर वहां पर होटल बना तो बहुत लोगों की जाने जाएगी इसलिए हमें वहां काम बंद करना पड़ेगा, कल सुबह हम सब को सब कुछ सच सच बता देंगे, मेरी हालत भी उसी के कारण हुई है' इतना बोल कर वह खड़ा हो गया।
'देखो अजय तुम तो जानते ही हो कि यह काम मेरे लिए कितना जरूरी है मेरे लिए यह करोड़ों रुपयों का सवाल है 'इतना बोल कर राजीव ने एक गन निकालकर अजय की तरफ फायर किया, फायर करते ही वह गोली अजय के कंधे को छूकर निकल गई ।अजय ने तुरंत ही पास में पड़ी विस्की की बोतल उठाई और राजीव की तरफ फेंकी वह बोतल उसके सर में जाकर लगी, जिसके कारण राजीव के हाथ से गन गिर गई।
राजीव अपने सर को पकड़ कर बैठ गया, उसके सर में से खून निकल रहा था और अजय छोटू को धक्का देकर वहां से भाग गया।
राजीव ने अपने आप को संभाला और देखा तो अजय वहा नहीं था 'कहां गया वो???....'वह जोर से चिल्लाया, यह सुनकर छोटू ने कहा 'साहब वह तो भाग गए'

'तो मेरा मुंह क्या देख रहे हो जल्दी चलो मेरे साथ अगर उसने सब कुछ बता दिया तो सब बिगड़ जाएगा 'इतना बोल कर छोटू और राजीव अजय को पकड़ने के लिए निकल पड़।
इस तरफ अजय भागता जा रहा था उसके पैर की हड्डी टूटने की वजह से वह ठीक से दौड़ नहीं सकता था तभी उसके पीछे से गोली की आवाज आई। उसने पीछे मुड़कर देखा तो राजीव और छोटू उसके पीछे भागते हुए आ रहे थे, वह जंगल में तेजी से भागने लगा राजीव पीछे से गोलियां चलाता हुआ उसके पीछे आ रहा था।
तभी अचानक अजय दौड़ते दौड़ते रुक गया उसने सामने देखा तो एक बहुत गहरी झील थी तभी राजीव दौड़ते दौड़ते उसके पास पहुंच गया
'देखो अजय बेवकूफ मत बनो अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है हम दोनों मिलकर यह सुलझा लेते हैं'

'मुझे यकीन नहीं होता सर आप कुछ पैसे के लिए इतने सारे लोगों की जान खतरे में डाल सकते हैं, मुझे तो लगता है कि आपको पहले से ही पता था कि उस जगह पर कुछ है फिर भी आप इस जगह होटल बनाने के लिए तैयार हो गए क्योंकि आपको पैसों का लालच है।'
'तो तुम नहीं मानोगे?'
'नहीं सर मैं सबको सच सच बता कर ही रहूंगा'
'तो मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं है यह कह कर उसने अपनी गन अजय के सामने कर दी और जैसे ही उसने फायर किया उससे पहले अजय ने झील में छलांग लगा दी ,पर उससे पहले उसकी पीठ में गोली लगी और वह झील में गिर गया,राजीव ने नीचे देखा तो उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।

'छोटू मैं तुम्हें एक लंबी छुट्टी पर भेजना चाहता हूं' इतना कहकर उसने छोटू को भी गोली मारकर उसी गहरी जेल में फेंक दिया।

To be Continued........