जो घर फूंके अपना - 4 - दूर हटो ओ कन्या वालों हम मिग 21 उड़ाते हैं ! Arunendra Nath Verma द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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जो घर फूंके अपना - 4 - दूर हटो ओ कन्या वालों हम मिग 21 उड़ाते हैं !

जो घर फूंके अपना

4

दूर हटो ओ कन्या वालों हम मिग 21 उड़ाते हैं !

फौजियों के जीवन में रोमांस के पनपने के लिए शान्ति का दौर उतना ही आवश्यक होता है जितना देश के विकास के लिए स्थायी सरकार का होना. तभी सारी कठिनाइयों के बावजूद ’71 से ‘78’ तक के लम्बे शान्ति के दौर में थलसेना- जलसेना के अफसरों की शादी के बाज़ार का सूचकांक थोडा बहुत तो ऊपर चढ़ा ही. शादी के मामले में उनकी पूछ कुछ बढ़ने का कारण शायद ये भी था कि युद्ध के बाद विधवाओं के नाम घोषित रिहायशी प्लाट, या गैस एजेंसी या पेट्रोल पम्प चार पांच साल तक चप्पलें फटकारते हुए, दफ्तर दफ्तर घूमकर, चाय पानी आदि का प्रबंध करने के बाद अंत में मिल ही जाते थे. जो विधवाएं देवरों –जेठों –ससुरों से अपनी अस्मत और गैस एजेंसी या पेट्रोल पम्प बचा पाती थीं वे ‘बेचारी‘ लगनी बंद हो जाती थीं. समझदार लडकियों को एक नयी सोच मिली कि एक बेचारा फ़ौजी यदि जाते जाते भी पेट्रोल पम्प या गैस एजेंसी दिलवा गया तो बाद में कई सूरमा गैरफ़ौजी अपने अपने जीवन दांव पर लगाकर स्वयंवर के मैदान में कूद पड़ेंगे- उनकी शेष ज़िंदगी की नय्या खेने के लिए.

पर यह सौभाग्य मुख्यतः थलसेना के ही हिस्से में आ पाया. यद्यपि ‘71 के युद्ध में मुख्यतः और ‘98 के कारगिल युद्ध में लगभग शत प्रतिशत थलसेना के जवान और अफसर शहीद हुए थे पर उसके बाद शान्ति का मौसम ही चल रहा था अतः थलसेना वालों की शादी के बाज़ार में फिर कुछ सुगबुगाहट आने लगी. पर वायुसेना का भाग्य बुरा निकला. उसके ऊपर अब एक ऐसे दुश्मन ने हमला बोल दिया जिससे वह आज दसियों साल से लगातार पिटती चली आ रही है. कोई बचाव, कोई समाधान नहीं दिखता है. वायुसेना अफसरों की शादी का बाज़ार ऐसी मंदी का शिकार हुआ है कि उसके सामने रियल एस्टेट का बुलबुला फूटने के बाद अमेरिकन वित्त संस्थाओं का दिवालियापन भी मात है. महमूद गजनवी ने तो भारत पर केवल सत्रह बार हमला किया था और उसमे भी वह सोलह बार पिट कर भागा था. पर इस दुश्मन की प्यास सत्रह बार नहीं, सत्तर बार हमला करके भी नहीं बुझी है. जिस सवार पर वह आक्रमण करता है वह स्वयं बच भी जाए तो उसका घोड़ा ज़ुरूर दम तोड़ देता है. इस बेहद खतरनाक दुश्मन की प्रसिद्धि उड़ने वाले ताबूत (फ़्लाइंग कौफिन) के नाम से फ़ैली हुई है. पर यह उसका प्यार से पुकारने का नाम है. असली नाम है MIG 21 ( मिग-21). मृत्यु का तोहफा देने के अलावा अकेले मिग -21 ने जितने वायुसेना अधिकारियों की शादियाँ रोकी हैं, शायद लूप, कॉपर-टी व माला-डी, तीनों ने मिलकर उतने बच्चों को जन्म लेने से नहीं रोका होगा. भारत के किसी भी कोने मे कोई लडकी किसी पड़ोसी लड़के के साथ भागने का प्लान बनाती हुई पकड़ी जाये तो उसका ज़ालिम बाप उसकी शादी मिग 21 पाइलट के साथ करने की धमकी देकर उसे रोक सकता है, पर कठिनाई ये है कि मिग 21 का नाम लेते ही भय के मारे उन कन्याओं के अभिभावक स्वयं ही कांपने लगते हैं.

बद अच्छा बदनाम बुरा. सारे वायुसेना अधिकारी पाइलट नहीं होते. जो होते हैं वे सब लड़ाकू विमान के पाइलट नहीं होते. जो फाइटर पाइलट होते हैं वे सभी मिग 21 नहीं उड़ाते. पर किसी के पीछे जंगल में तेज़ी से सरकता हुआ सांप आ रहा हो तो उससे यह आशा करना व्यर्थ होगा कि वह रुक कर ध्यान से जांचेगा कि वह गेंहूँअन, करैत या कोबरा है या फिर साधारण चूहे खाने वाला सांप. फिर कितने लोगों को सांपों की किस्मों की पहचान ही होती है. जिसने तय कर रखा हो कि मिग 21 पाइलट से अपनी पुत्री या बहन को दो हाथ दूर ही रखना है वह सुरक्षा की दृष्टि से पूरी वायुसेना की कौम से ही दूर भागे इसमें ताज्जुब क्या. थे न एक सज्जन जिनकी पत्नी ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि दोस्तों के चक्कर में आकर शराब को वे हाथ भी न लगाएं. उन्हें कोई शराब ऑफर करता था तो कहते थे “माफ़ करियेगा, एक तो मैं शराब नहीं पीता, दूसरे मंगलवार को (या जो भी दिन हो) शराब नहीं पीता, और तीसरी बात ये है कि मैंने पहले से ही जियादा पी रखी है. ” इसी तर्ज़ पर यदि कोई मिग 21 का पाइलट या उसका कोई सगा संबंधी किसी लडकी के पिता से मिलने का समय भी मांगे तो उत्तर मिलता था “देखिये, एक तो मेरी कोई बेटी नहीं है,दूसरे वह अभी शादी नहीं करना चाहती, तीसरी बात ये है कि वह कल ही एक सोफ्टवेयर इंजीनियर के साथ भाग गयी“ कन्याओं के पिता ये समझने की ज़ुरूरत ही नहीं समझते थे कि लड़का मिग 21 उडाता है या पतंग. उसका वायुसेना में होना ही अपने आप में एक बड़ी बुराई था. मैंने एक परिचित को समझाना चाहा था कि वे जिस लड़के को नकार रहे थे वह एयर फ़ोर्स में टेक्नीशियन है पाइलट नहीं. पर वे बोले “बुरी सोहबत में रहेगा तो इसकी क्या गारंटी है कि कल को मिग 21 नहीं उड़ाने लगेगा. ”

एक और सज्जन अपनी कन्या का विवाह एयर फ़ोर्स में एकाउंट्स ब्रांच के अफसर से करने से कन्नी काट रहे थे. मैंने उन्हें समझाना चाहा कि एकाउंट्स ब्रांच का अधिकारी उड़ाना तो दूर जहाज़ की कॉकपिट में झाँकने भी नहीं जाता. बल्कि उसके सामने तो मिग 21 के पाइलट अपनी पोस्टिंग आदि से सम्बंधित भत्तों का बिल रखकर भुगतान के लिए रिरियाते हुए खड़े रहते हैं. पर वे निकले पक्का इरादा और दूरदृष्टि वाले. बोले “ अच्छा ये बताओ शान्ति के दिनों में तो मिग 21 दुश्मन के क्षेत्र में नहीं उड़ता है न?”

मैंने सहमति में जोर से सर हिलाया तो वे बोले “ फिर तो अपने ही एयर फ़ोर्स बेस के ऊपर आसमान में उड़ानें भरता होगा. ”

मुझे दुबारा सहमति में सर हिलाना पडा तो उत्साहित होकर बोले “तो फिर क्या ज़मीन पर क्रैश होने से पहले मिग 21 देखेगा कि वह धरती पर खड़े किसी टेक्नीकल या एकाउंट्स अफसर पर तो नहीं गिर रहा है? पाइलट को तो फिर भी विमान से कूद कर जान बचाने के लिए सुना है इजेक्शन सीट होती है जो विमान से परे होकर कम से कम पैराशूट की सुरक्षा तो मुहय्या करती है. फिर भी कई बार पाइलट विमान के अन्दर क़ैद होकर उसके साथ ही क्रैश कर जाता है. तो फिर उसी बेस पर नियुक्त ग्राउंड ड्यूटी अफसर किसी गिरते हुए फाइटर विमान के नीचे दबकर क्यों नहीं मर सकता है?”

मुझे इस बेहूदे तर्क के सामने अवाक रह जाने का विचार नहीं सुहाया. बहस को जारी रखते हुए मैंने कहा “अरे एक लडकी का बलात्कार हो जाए तो क्या सारी लड़कियों को घर में क़ैद करके रखने लगते हैं क्या?”

वे तपाक से बोले “ ऑफ़ कोर्स ! समझदारी इसी में है. मैंने तो अपनी बेटी से कह रखा है कि बहुत बहादुरी दिखाने का मन कर रहा है तो शौक से दिल्ली जू में जाकर शेर की मूंछें उखाड़ ला पर खबरदार गुडगाँव की एम् जी रोड की तरफ कभी रुख भी किया. “

मैं खुशकिस्मत था. व्यक्तिगत रूप से मिग 21 के हमले से बचा हुआ था क्यूंकि मैं उन अगले वक्तों का हूँ जब मिग 21 विमान नए नए आये थे. उसके कल पुर्जे नए नए थे. अतः इन विमानों के दुर्घनाग्रस्त होने के आंकड़े इतने भयंकर नहीं थे. आज के दिन तो सारे क्रैश हुए मिगों के सलामत बच गए कल पुर्जों को इकठ्ठा करके दुबारा इस्तेमाल कर लिए जाने को छोड़ और कोई चारा भी नहीं है. क्या पता इस तरीके में और प्रगति हुई हो. शायद दो तीन क्रैश हुए मिग 21 विमानों के अस्थि पंजर जोड़ जोड़ कर एक नया मिग 21 अब तैयार कर लिया जाता हो. वैसे इस प्रकार की तकनीकी की महान संभावनाएं दीखती हैं. आगे चल कर शायद हिमालय की बर्फीली चोटियों पर नियुक्त फौजियों की मांस खाने के बाद चबा कर फेंकी हुई हड्डियों को दुबारा जोड़कर नए बकरे बना पाने की री-साइकिलिंग विद्या से फौज में खाने की आपूर्ति में बहुत सहायता मिल सके. मिग 21 के रिप्लेसमेंट आने की प्रतीक्षा में दो तीन दशक निकल चुके हैं. शायद अभी तक उनकी खरीद में कमीशन कितना बनेगा तय नहीं हो पाया है. एक और संभावना है. अभी तक ऐसे फैसलों के चक्कर में रक्षा मंत्रालय के इतने सारे वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सी बी आई की जांच चल रही है कि सी बी आई में अफसरों की घोर कमी हो रही होगी. इस कारण न जाने कितने अरबों रूपये खा जाने वाले नेताओं की जांच रफा दफा कर के बंद कर दी गयी होगी. अब इस सब के चलते कौन से नए लड़ाकू जहाज़ और प्रशिक्षण विमान खरीदे जाएँ इसका जल्दी फैसला लेकर फंसने वाला कौन बेवकूफ होगा. सबको अपना कार्यकाल पूरा करके चैन से सेवानिवृत्त जो होना है. मिग 21 का रिप्लेसमेंट जाए भाड में.

क्रमशः ----------

(नोट – देश का सौभाग्य है कि दशकों तक किसी न किसी बहाने से टालते रहने के बाद वायुसेना को रफेल जैसा शक्तिशाली नया लड़ाकू विमान देने का फैसला ले लिया गया है. वह जहाज़ जिसे उड़ाते हुए विंग कमांडर अभिनन्दन वर्तमान पाकिस्तान में गिरा दिए गए मिग 21 ही था. )