सरौता
अमिताभ मिश्र
“ अरे अरे ये क्या कर रहे हैं।“
“ यह आपके सामान के साथ नहीं जा पाएगा।“
“ क्यों इसमें क्या दिक्कत है जी।“
“ माताजी ये अलाउड नहीं है। इसे बाहर निकालिए और समय मत बरबाद कीजिए।“
“ अरे पर ये तो सरौता है, हम इससे सुपारी भर कतरेंगे और क्या। पिछली बार तो ले गए थे तो कोई मना नहीं किया।“
“ गलती हो गई थी अम्मा जी पिछली बार पर इस बार नही आप इसे नहीं ले जा पाएंगी।ं
“ अजीब तमाशा है ये तो। अब हमें वहां नया खरीदना पड़ेगा, ऐसा तो मिलेगा नहीं। हमें ये वापस कैसे और कहां मिलेगा भैयाजी।“
“ मैं नहीं जानता। आप खामोखा समय बरबाद कर रहीं हैं अपना, मेरा और अपने पीछे खड़े पैसेन्जर्स का।“
“ अरे अरे आप समझ नहीं रहे हैं भैयाजी ये कितना पुराना और अच्छा सरौता है। ऐसे सरौते अब मिलते तो क्या बनते भी नहीं होंगे।“
"O God, she is wasting my and passenger’s time."
“ अंग्रजी में मत बोलिए और इसे हमारे घर पहुंचाइये।“
“ ये अच्छी प्राब्लम है अब इसे घर कैसे और क्यूं पहुंचाए ?“
“ अच्छा भैयाजी ऐसा कीजिए बाहर अभी हमारा बेटा होगा। नामी डाक्टर है बड़ा नामी गिरामी। उनके पास पहुंचा दीजिए।“
“ बताइये उनका नंबर। पहुचाते हैं उन तक।“
माताजी ने नंबर बताया और बाहर सरौता बेटे तक पहुंचा कर ही चैन लिया उन्होंने। इसकी तसल्ली भी उन्होंने फोन पर पूछ कर कर ही ली तब वे आगे खिसकी।
दरअसल वे जा रहीं थीं अपनी नातिन के ब्याह में भोपाल से रायगढ़। रायपुर तक हवाई जहाज से फिर वहां से टैक्सी से। इसी दरम्यान यह हादसा हुआ। वे बहुत मायूस हो गईं। पिछले दिनों वे यूं भी परेशान चल रहीं थीं अपनी छोटी बहू के पर निकलने की वजह से और इधर बेटा भी उसकी तरफदारी कर रहा है सो वे दस दिन पहले से अपनी बड़ी बेटी के घर जा रहीं थीं। तिस पर ये सरौता प्रसंग हो गया वे बिलकुल ही हत्थे से उखड़ गईं। मसला यहीं पर वे निपटाने वाली नहीं थीं। उन्होंने प्लेन के भीतर बैठते ही घंटी बजाना शुरू कर दिया पहले पानी मंगवाया औेर जब वो एयर होस्टेस पानी ले कर नमूदार हुई तो उन्होंने पानी लेकर उसे सुपारी का गोल साबुत टुकड़ा पकड़ाया और बोलीं
“लीजिए अब इस सुपारी के टुकड़े कर के लाइये। हमारा इत्ता अच्छा सरौता तो वहीं चैकिंग में ही ले लिया वो तो अच्छा रहा कि हमारा बेटा था वहीं पर तो कम से कम सरौता घर तो पहुच गया वरना वो सरौता साले वहीं कचरे में डाल देते या घर ले जाते। उस सरौते को हमने मुरैना से खरीदा था तब से वैसा का वैसा ही है, हमारा छोटा बेटा बहुतै छोटा था अब तो बड़ा भरी डाक्टर बन गया है। बहुत बड़ा अस्पताल है उसका। अरे जाइये न बारीक बारीक टुकड़े कर के लाइये इस सुपारी के। “
सामने खड़ी एयर हास्टेस हतप्रभ थी। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। इस सुपारी का वो क्या करे। उसने तो अंडरग्राउंड वाली सुपारी सुनी भर थी। सो वो जो गई तो लौटी ही नहीं। इधर दस मिनट में अम्मा जी ने तो तूफान खड़ा कर दिया।
“ अब देखो वो साली सुपारी ले कर गई तो पलटी ही नहीं। हमारा सरौता होता तो हम कतर कतर कर खा लेते। यें कोई तरीका है साला तंग करने का। हद कर दी इनने। अब पता होता तो हम घर से टुकड़े कर के चलते। यहां क्या पता था कि हमसे दुष्मनी निकालेंगे पता नहीं कौन जनम की। साला न घर में चैन न बाहर। अब कुछ नही ंतो साला सरौता ही नहीं है अब क्या करें हम। “
उधर हड़कम्प मचा था अंदर। वो सुपारी का गोल टुकड़ा कैसे टूटे यह विकट समस्या थी। वो एयर होस्टेस बोल रही थी “ वो साला सरौता अगर अम्मा जी को लाने दिया जाता तो कौन सा डेन्जर था साला। अब ये सुपारी टूटे कैसे। मैं तो इस अम्माजी के नाम की ही सुपारी दे देती हूं किसी भाई को।
“माइन्ड योर लैन्गवेज।“ उसकी सीनियर ने डांटा।
इधर अम्माजी धाराप्रवाह जारी थीं “ अब साला वहां जा कर भी दिक्कत होगी। इन लोगों ने मूड का सत्यानश कर दिया। इससे तो ट्रेन क्या बुरी थी साली, रास्ते भर खाते पीते चबाते निकल जाओ। अड़ौस पड़ौस वाले से बतिया भी लो। यहां तो साला एकदम चुप बैठो। अब कुछ खाने वाने को मिलेगा भी कि नहीं इसमें। “
इतना सब कुछ गुजर जाने के बाद दादा जी ने एन्ट्री मारी और सीन पर नजर आए “ अब चुप भी बैठोगी भला कि खुद भी परेषान होगी और दूसरों को भी परेषान करोगी।“
इसी बीच एक एयर होस्टेस सीटबेल्ट बांधने की प्रक्रिया बताती हुई नमूदार हुई। उसकी हरकतों पर अम्माजी का उकताना जारी रहा “ अब ये ससुरी क्या नौटंकी चल रही है।”
दादाजी ने डपटा जो बहुत ध्यान से उस एयर हास्टेस की बातें सुन रहे थे और उसी के मुताबिक सीट बेल्ट बांध रहे थे। अपना बेल्ट बांध कर उन्होंने अम्माजी का भी सीटबेल्ट बांध दिया।
उधर अंदर सुपारी तोड़ो अभियान में दो क्रू मेंबर्स लग गए थे जिनके लिए बेहद टेढ़ी खीर था ये काम। किसी भी फायटर प्लेन चलाने से भी दुष्कर काम था ये। अंततः एक बंदे ने छोटी हथौड़ी से उसके टुकड़े कर ही दिये और उसे उस एयर होस्टेस को विजयी भाव से पकड़ा दिया। और उस बंदी ने उसी विजयी भाव से अम्मा जी को वो सुपारी के टुकड़े थमा दिए। अम्मा जी ने उसे गले लगा लिया और ढेरो आशीर्वाद से उसे लाद दिया मसलन जल्दी शादी हो, सुन्दर पैसे वाला पति मिले, बहुत से बच्चे हों वगैरा वगैरा। और तो और ब्लाउज के भीतर से एक ठो सौ का नोट भी पकड़ा दिया चुपके से। इतने सब भावुक सीन को उस एयर होस्टेस ने चुपचाप सहन किया और बिलकुल चुपचाप अपनी जगह आ गई। उसे वाकई अपनी दादी याद आ गईं थीं।
अब दादा जी को भूख लग आई थी सो उन्होंने घंटी बजाकर वेज ब्रेकफास्ट का आर्डर दे दिया। पूछा गया साउथ इंडियन या सैण्डविच। उन्होंने एक सैण्डविच और एक साउथ इंडियन का बोल दिया था। आगे की टेबल आगे खोली अपनी भी और दादी की भी। ब्रेकफास्ट आया और साथ में पानी भी। बहुत तबियत से दोनो ने नाश्ता किया और ट्रे दे कर ऊंघने लगे। कुछ समय गुजरा होगा कि एक एयर होस्टेस नमूदार हुई और उसने उन्हें एक बिल थमा दिया जो तकरीबन साढ़े चार सौ रूपये का होगा। अब दादा जी को कुछ समझ नहीं आया। उन्होंने आश्चर्य से पूछा
" What is this? "
" This is bill sir "
"What should I do of it? "
उसने कंधे उचका कर बोला
" You should pay it now either through cash or through card "
”मैं नहीं पे करने वाला। लूट मचा रखी है साली।“
"Pardon sir "
” अब ये पार्डन वार्डन गया साला चूल्हे में। दिमाग खराब कर दिया पता होता तो ट्रेन से ही चले जाते। call your boss, I want to talk to him"
वो लड़की गई और केबिन से एक आदमी को पकड़ लाई।
” जी सर बताइये मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं। “
” अब सेवा वेवा तो आप क्या करेंगे ये जो बिल है उसे देने की जरूरत है क्या। तुम पैदा भी नहीं हुए होगे तब से हम प्लेन से आ जा रहे हैं और ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि खाने नाश्ते के कभी पैसे मांगे गए हों फिर ये आज क्यूं “
” सर माफी चाहूंगा पर अब कुछ भी फ्री नहीं है। नई और जो प्राइवेट एयरलाईन्स आईं हैं उनमें हर चीज चार्जेबल है यहां तक कि पानी भी एक बाटल के बाद। मुफत के दिन हवा हुए सर।
But looking to the insistence and their age we will wave off this. From now on please check the ticket and the instructions thoroughly uncle. Have a nice trip.”
ये कह कर वो शख्स चल दिया वापस अपने केबिन में।
माता जी ने पूछा ”क्या कह गया“
”जूता मार गया प्रेम से पर चलो पैसे तो बचे। अब आगे से ये जेट वेट या इंडिगो फिंडिगो की बजाय अपनी एयर इंडिया ही भली । सरकारी की बात ही अलग होती है। ये भिखमंगे भला क्या बराबरी करेंगे सरकारी की“
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