मेरी डायमंड ग्रह की अनोखी यात्रा - 5 Hareesh Kumar Sharma द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी डायमंड ग्रह की अनोखी यात्रा - 5

जब वो सभी आदिवासी लोग मुझे अकेला छोड़कर बाहर चले गए, तो मैंने वहां से पलटकर नीचे गिर गया और मेरी कांच की रस्सी टूट गई। मैं तुरंत खड़ा हुआ और बिना कुछ सोचे-समझे वहां से भाग निकला, और फिर मैं सीधा अपने अंतरिक्ष यान में जाकर बन्द हो गया। मैं अंदर बैठकर सोचने लगा कि यार अगर अब मैं बाहर निकला तो ये लोग पक्का मुझे खा जायेंगे। लेकिन जब उन लोगों को पता चला कि मैं उनके चंगुल से निकल कर भाग गया हूं, तो वो लोग मुझे ढूंढते हुए मेरे अंतरिक्षयान के पास आ गये। मैंने उन्हें देख लिया लेकिन अभी तक उन्होंने मुझे नहीं देखा था। मैं बहुत डर गया था और भूखा भी था, जिससे मुझे चक्कर आ गया और मैं गिर गया लेकिन अंतरिक्ष यान से आवाज सुनकर उन्हें भी पता लग गया कि मैं अंदर हूं। वो लोग अंतरिक्ष यान का दरवाजा तो नहीं खोल सकते थे। फिर वो लोग अंतरिक्ष यान को जोर-जोर से खटखटाने लगे। लेकिन उनके दरवाजे के खटखटाने से जब दरवाजा नहीं खुला तो वो लोग मुझे वहीं छोड़कर चले गए। मुझे शाम तक होश नहीं आया, लेकिन जब मुझे होश आया तो मेरी नज़र एक डब्बे पर पड़ी जिसमें कुछ कैप्सूल रखे थे। जब हमें अंतरिक्ष में भूख लगती है तो उन कैप्सूलों को खाकर अपनी भूख मिटा सकते हैं। लेकिन मैं उन कैप्सूलों के बारे में तो भूल ही गया था। फिर मैं उठा और एक कैप्सूल खाया तब कहीं जाकर मुझमें जान आयी। रात को मैं अपने अंतरिक्ष यान के कंट्रोल रूम में लेटकर यही सोच रहा था कि यार यहां सब कुछ उल्टा क्यों है? सारे लोग वही हैं, जगह वही है और यहां तक कि उस चक्रवात के बनने की बात भी ठीक है तो यहां सब कुछ उल्टा कैसे हो गया? मैंने मन में सोच लिया था कि कल मैं वापस राजा जॉजफ के पास जाकर इस बात को जानने की कोशिश करुंगा। फिर मैं सो गया। सुबह होते ही मैंने एक कैप्सूल खाया और फिर मैं अपने अंतरिक्ष यान के साथ राजा जॉजफ के राज्य की तरफ चल दिया। कुछ ही देर में मैं वहां पहुंच गया, लेकिन इस बार मैंने अपना अंतरिक्ष यान राज्य से बाहर ही छोड़ दिया और उन लोगों की तरह वेश भूषा बनाकर मैं उनके राज्य में घुस गया। मैं राज्य में कई जगहों पर गया लेकिन वहां सब कुछ वैसा का वैसा ही था। मैं घूमते-घूमते परेशान हो गया था लेकिन तभी मेरी नज़र कुछ सैनिकों पर पड़ी जो एक कमजोर व्यक्ति को घसीटते हुए महल की तरफ ले जा रहे थे। मैं तुरंत उनके पीछे-पीछे चल दिया। लेकिन रास्ते में मुझे वो बच्चा मिल गया जिसने सपने में मुझे वैव रिसीवर लाकर दिया था। मैंने उस बच्चे को अपने पास बुलाया और मैंने उससे पूछा कि बेटा तुम्हारा नाम क्या है? उसने मुझे जबाव दिया कि-" मेरा नाम वैश्टन है। लेकिन आप इस भाषा में क्यों बोल रहे हो? अगर नये राजा को पता चला तो वो तुम्हे जान से मार देगा।" मैं ये बात सुनकर दंग रह गया कि यार यहां नया राजा कौन आ गया? फिर मैंने उस बच्चे से पूछा कि बेटा नया राजा कौन है? वो बच्चा बोला कि आपको नहीं पता क्या? मैंने उससे झूठ बोला कि बेटा मैं आज ही दूसरे राज्य से आया हूं। क्या तुम मुझे यहां के बारे में बता सकते हो क्या? उस बच्चे ने कहा कि ठीक है मैं तुम्हें सब बताऊंगा लेकिन यहां नहीं यहां कोई देख लेगा तो हम दोनों को मार देंगे। मैंने कहा कि ठीक है हम कहीं अलग चलकर बात करते हैं। फिर वो बच्चा मुझे उस जगह पर ले गया जहां मैं सपने में अक्सर लेटकर आसमान को देखा करता था। मुझे उस जगह को देखकर बहुत अच्छा लगा। फिर बच्चा बोला कि अब बताता हूं। मैंने कहा कि हां बताओ। बच्चा बोला कि कुछ दिनों पहले ही हमारे दुश्मन राज्य के क्रुर राजा ने हमारे राज्य पर आक्रमण कर दिया और हमारी सेना दुश्मन सेना की अपेक्षा कमजोर थी। तो हमारे दुश्मन राज्य की सेना ने हमारी सेना को हराकर हमारे राज्य पर कब्जा कर लिया है। लेकिन ये बात सिर्फ हमारे राज्य में ही पता है कि हमारा राजा कौन है? बाकी सभी राज्यों को तो अब भी यही लगता है कि हमारे राज्य पर कोई आक्रमण नहीं हुआ है। लेकिन हमारे राज्य में अब सभी नियम कानून उसी क्रुर राजा के हैं। और जो भी उसके आदेशों का पालन नहीं करता है तो वो उसका हाल सेनापति जी जैसा कर देगा। मैंने बीच में ही उसे रोक कर तुरंत पुछा कि सेनापति जी को क्या हुआ है? तो उसने मुझे बताया कि शुरुआत में सेनापति जी ने उस क्रुर राजा की बात नहीं मानी थी। तो उसने सेनापति जी पर काला जादू करके अपने वश में कर लिया था। और अब सेनापति जी वही करते हैं जो उस राजा का आदेश होता है। मैं तुरंत समझ गया कि उस दिन सेनापति जी ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया। लेकिन एक बात अब भी मेरी समझ में नहीं आ रही थी कि यहां इतनी टैक्नोलॉजी कहां से आई? तो बच्चे ने मुझसे कहा कि उस राजा ने टैक्नोलॉजी सिर्फ महल में ही लगाई है। बाकी राज्य तो अब भी वैसा का वैसा ही है। फिर मैंने उस बच्चे से पुछा कि बेटा सेनापति जी को ठीक करने का कोई उपाय है क्या? उसने कहा कि हां, उपाय तो है। लेकिन आज तक कोई भी इस काम में सफल नहीं हुआ है। मैंने कहा कि सफल होंगे या नहीं ये बाद में देखेंगे पहले तुम ये तो बताओ कि वो उपाय क्या है? उसने मुझे बताया कि हमारे राज्य में दक्षिण-पूर्व दिशा में एक डायमंड टैंम्पल है जिसमें एक जादूई डायमंड है उसे छुने से अगर वो डायमंड तुम्हारे शरीर में घुल गया तो आपके अंदर अनेकों शक्तियां आ जाएंगी। फिर तुम जिसे भी छुओगे वो हर प्रकार के जादू से मुक्त हो जाएगा। मैं बोला अबे ये सब अब बाद में बताना अभी मेरे साथ चल वहां पर। मैं जल्दी कर रहा था क्योंकि अब मेरे पास सिर्फ 2 ही दिन बाकी बचे थे। 2 दिनों के बाद फिर आखिरी बार वो चक्रवात बनने वाला था। अगर मैं उसमें नहीं जा पाया तो मैं कभी अपनी पृथ्वी पर वापस नहीं जा पाऊंगा। फिर मैं और वो बच्चा उस डायमंड टैम्पल की तरफ चल दिए। जब हम दोनों वहां पहुंचे तो वहां तो टैम्पल के चारों ओर सैनिक खड़े हुए थे। लेकिन उस टैम्पल में वो लोग पूजा के लिए अंदर जा सकते थे जो लोग बाहर खड़े सैनिक से " जय राजा सैफर्ट की " बोल रहे थे। मैं तो वैसे भी 1 नंबर का ड्रामेबाज हूं। तुरंत बिना देर किए ही जय राजा सैफर्ट की कहकर घुस गया अंदर। थोड़ी ही देर में मेरा भी पूजा करने का नंबर आता गया। मैं तुरंत उस डायमंड को छुने लगा लेकिन वो डायमंड तो पूरा बेसर्म था। मेरे शरीर में आसानी से घुल ही नहीं रहा था। इतने में ही एक सैनिक ने मुझे देख लिया और वो दौड़कर अंदर आने लगा। मैं डर गया कि बेटा अब अगर ये मेरे शरीर में नहीं घुुुला तो ये सैनिक मुझे मार डालेंगे। मैं जल्दी-जल्दी उस डायमंड को हाथ से रगड़ने लगा। और मेरे मुंह से डर के कारण यही निकल रहा था कि-" अरे मेरे बाप घुल जा, क्यों मेरी जान के पीछे पड़ा है "। वो सैैनिक मेरे पास आ गया। लेकिन तभी वो डायमंड मेरे हाथ में घुल गया। फिर तो मेरी सांस में सांस आ गई। मैंने तुरंत उस सैैनिक के सर पर हाथ रख दिया वो सैैनिक फिर से ठीक हो गया। फिर मैंने उसे सब कुछ समझा दिया कि आप इन सभी सैनिकों के साथ पहले की ही तरह रहिए। उस सैनिक को सारी बात समझाकर फिर मैं और वो बच्चा सेनापति जी के पास चल दिए उन्हें ठीक करने के लिए। हमें सेनापति जी महल के बाहर ही मिल गये। उन्होंने तो मुझे देखते ही मुझपर तलवार लेकर आक्रमण कर दिया। लेकिन मैं भी सख्त लौंडा हूं मैं भी उनके सामने ऐसे ही खड़ा रहा। हां, मैं थोड़ा सा तो डर रहा था। लेकिन जैसे ही सेनापति जी ने मुझपर आक्रमण किया मैं थोड़ी देर तो मैं उनसे बचाव करता रहा फिर गलती से मेरा हाथ उनके हाथ से छू गया। और सेनापति जी फिर से पहले जैैैसे ठीक हो गये। फिर मैंने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बताया, और ये भी बताया कि अब मेरे पास आपके डायमंड ग्रह की सारी शक्तियां हैं। मैं अब उस क्रुुर राजा को हराने के लिए वापस आया हूं ये सुनकर सेनापति जी बहुत खुश हुए। सेनापति जी ने मुझसे कहा कि-" आप निश्चिंत रहें मैं भी आपकी पूरी मदद करुंगा। " मुझे भी ये सुनकर खुशी हुई कि मेरे साथ कोई तो है जो मेरे साथ है। लेकिन अब शाम हो चुकी थी। सेेनापति जी ने मुझसे कहा कि चलो अभी आराम कर लेेेतें हैं कल हम उस राजा का अन्त करेगें। मैंने कहा कि नहीं, सेनापति जी हमें सब-कुछ आज रात ही करना पड़ेगा क्योंकि कल मुझे वापस अपने ग्रह पृथ्वी पर लौटकर जाना है। सेनापति जी ने कहा कि ठीक है तो हम अभी उस राजा का अन्त करेगें। तभी मेरे दिमाग में एक बात आयी कि हमारी पृथ्वी पर जितने भी जादूगर होतें हैं, उनमें से लगभग सभी लोगों की शक्ति का कोई तो तोड़ होता है। इसलिए मैंने सेनापति जी से पूछा कि सेनापति जी, इस जादूगर राजा की शक्तियों की कोई कमजोरी नहीं है क्या? सेनापति जी ने मुझसे कहा कि हां, लेकिन वो कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि उसकी सारी शक्तियां ही उसमें हैं।
मैं- किसमें हैं उसकी शक्ति?
सेनापति जी- उसके सर के ताज 👑 में लगा हुआ नीला डायमंड 💎।
मैं-‌ डायमंड!! वैसे यार यहां शक्ति वाले कितने डायमंड हैं?
सेनापति जी- यहां पर कुल 3 शक्ति डायमंड हैं। जिनमें से एक जिनमें से एक डायमंड तुम्हारे पास है, एक इस क्रुर राजा के पास है और तीसरा डायमंड हमारे महल के राज सिंहासन में लगा हुआ है।
मैं- तो अब तक तो उस क्रुर राजा ने उस डायमंड को अपने शरीर में घोल लिया होगा?
सेनापति जी- नहीं, जिसके शरीर में एक डायमंड घुला हुआ है तो बाकी दो डायमंड भी उसके ही शरीर में घुल सकते हैं।
मैं- मतलब एक डायमंड मुझमें है तो वो दोनों डायमंड भी मुझमें ही घुलेंगे।
सेनापति जी- हां।
मैं- तो फिर चलो, अब किस बात का इंतजार कर रहे हो?
सेनापति जी- हां, अभी सारे सैनिक भी नींद में होंगे। और वो कमीना राजा भी सो रहा होगा।
मैं- तो चलें?
सेनापति जी- हां तो चलो।

फिर मैं और सेनापति जी उस सैनिक को अपने साथ लेकर महल के पीछे वाली दिशा में गये। महल में दूसरी मंजिल पर उस राजा का कक्ष था, जिसमें वो सोया हुआ था। मैंने सेनापति जी से कहा कि आप बस यहां सेना को देखते रहना कभी वो राजा जागकर आवाज करने लगे। तो आप सैनिकों को ऊपर मत आने देना। ठीक है? सेनापति जी ने कहा कि ठीक है, तुम जाओ मैं यहीं रहकर रखवाली करता हूं। फिर मैं पीछे के बागीचे से होकर महल में घुस गया और फिर दिवार के सहारे मैं ऊपर चढ़ने लगा। यार बड़ी मुश्किल से मैं ऊपर चढ़ रहा था, कि अचानक 2 सैनिक पहरा देते हुए महल की खिड़की पर आ गए। मैं यार जैसे तैसे करके उनसे छुपा। फिर जब वो चले गए तो मैं वापस से उस राजा के कक्ष की तरफ बढ़ा। लेकिन जैसे ही मैं राजा के कक्ष में घुसा तो तुरंत राजा सोते हुए ही धीरे से बोला_" आ गये तुम।" भाईसाहब ये सुनते ही मेरी सांस गले में ही अटक गई।


फिर क्या हुआ? क्या मैं पकड़ा गया या भाग गया? क्या मैं वापस अपनी पृथ्वी पर लौटा? ये सारी बातें जानेंगे पार्ट-6 में। तो अभी के लिए नमस्कार।

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©Hareesh Kumar Sharma