चीकू और मीकू Neerja Dewedy द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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चीकू और मीकू

चीकू और मीकू

एक जंगल में एक बंदरों का परिवार रहता था. उनके दो बच्चे चीकू और मीकू बहुत नटखट थे. जब उनकी मम्मी उन्हें खाने को कहती तो उन्हें खेल सूझता. उनकी मम्मी उनके पीछे-पीछे दौड़कर उनके मुँह में ज़बर्दस्ती एक-एक कौर भोजन खिलाती. बच्चों! तुम्हें मालूम है न कि सही भोजन करने से शरीर ताकतवर बनता है और उल्टा-सुल्टा खाने से शरीर कमज़ोर हो जाता है. मीकू तो अपना भोजन ठीक तरह से करता था पर चीकू को पौष्टिक भोजन बिल्कुल न भाता. जैसे ही मम्मी खाना उसके मुँह में देती वह मुँह घुमाकर थूक देता. जंगल में उनके घर से कुछ दूर पर एक पिकनिक स्पौट था जहाँ लोग पिकनिक मनाने आते थे. झूले भी थे वहाँ पर. मम्मी के मना करने पर भी चीकू कुछ बंदरों के साथ पिकनिक स्पौट की ओर चला जाता. बच्चों के गिराये चिप्स, बर्गर, पीज़ा के टुकड़े खाने से चीकू का पेट न भरता. भोजन ठीक से न करने से उसका शरीर कमज़ोर होने लगा और वह चिड़चिड़ा भी हो गया.

चीकू को चिप्स, चौकलेट, बर्गर, पीज़ा आदि खाने का चस्का लग गया था. उसे कोई यह बतानेवाला तो था नहीं कि कभी–कभी ये चीज़ें खाने में कोई हर्ज़ नहीं है पर इन्हें रोज़ खाना नुक्सान करता है. अब चीकू को भूख लगती तो चुपचाप अकेले पिकनिक स्पौट की ओर चल देता और वहाँ आये बच्चों से खाने की चीज़ें छीनकर खा लेता. एक दिन उसने चिप्स का पैकिट छीनने के चक्कर में एक बच्चे को डरा कर काट लिया. मीकू ने मम्मी को चीकू की हरकतों के बारे में बताया. यह सुनकर चीकू की मम्मी बहुत दुखी हुई. उसने चीकू को समझाया—

“बेटा! तुम मुझको बिना बताये पिकनिक स्पौट पर चले जाते हो. वहाँ पर दूसरे बच्चों की चीज़ें छीनते हो यह ठीक नहीं है. किसी की चीज़ छीनना या चोरी से लेना अच्छी आदत नहीं है. यदि वहाँ पर कोई तुम्हें पकड़ ले या मारे-पीटे तो हमको पता भी नहीं चलेगा. आगे से हमें बताये बिना कहीं दूर न जाना.”

“ठीक है मम्मी. मैं आपको बिना बताये कहीं नहीं जाऊँगा.”—चीकू बोला.

दो दिन तो चीकू को मम्मी की बात याद रही पर अगले दिन वह उनकी सीख भूल गया. उसने बंदरों के एक झुंड को पिकनिक स्पौट की ओर जाते देखा तो उसका मन भी मचल गया. उसने सोचा दस मिनट में पिकनिक स्पौट का एक चक्कर लगाकर वापस आ जाऊँगा. मीकू को भी उसने यह सोचकर साथ नहीं लिया कि वह चीकू की शिकायत कर देगा. बच्चों अनहोनी कभी बता कर नहीं आती. हुआ यह कि बंदरों की छीनाझपटी और काटने के आतंक की शिकायत वन विभाग के उच्च अधिकारियों से की गई थी अतः बंदरों की छीनाझपटी से बचने के लिये उस दिन पिकनिक स्पौट पर एक बंदर पकड़ने वाले को बुलाया गया था. चीकू बच्चा था अतः अपनी रक्षा के उपाय नहीं जानता था. हुआ यह कि उसने जैसे ही झूले पर बैठे एक बच्चे के हाथ से चिप्स के पैकिट छीनने की कोशिश की कि बंदर पकड़ने के लिये फैलाये जाल में फँस गया. अन्य दूसरे बंदर तो चालाक थे, वे कूदकर पेड़ों पर छिप कर बैठ गये. चीकू बिचारा शरीर से भी कमज़ोर था अतः फुर्ती से अपने को जाल से बचा न सका. वह जितना हाथ-पैर मारता उतना ही फंसता जाता. हताश होकर वह रोने लगा. उधर चीकू को घर पर न देखकर उसकी मम्मी चिंतित हो उठी. उसे लगा कि चीकू जरूर घूमने निकल गया है. मीकू राजा बेटा था. वह अपनी मम्मी को बिना बताये कहीं नहीं जाता था. मम्मी के कहने पर मीकू चीकू को ढूँढने चला. उसने सोचा कि हो न हो चीकू पिकनिक स्पौट पर ही गया होगा. मुझे भी साथ नहीं लिया. बच्चू ने सोचा होगा कि मैं उसकी शिकायत मम्मी से कर दूँगा. अब मैं चलकर उसकी खबर लेता हूँ. ऐसा मज़ा चखाऊँगा कि बच्चू को दिन में तारे दिखाई दे जायेंगे. अचानक मीकू को चीकू के रोने चीखने की आवाज़ सुनाई दी तो वह चौंक पड़ा. मीकू बहुत चतुर था. उसने एक झाड़ी के पीछे से छिप कर देखा तो उसके होश उड़ गये. चीकू जाल में बुरी तरह फँस कर रो रहा था. भाई की यह दुर्दशा देखकर मीकू से रहा नही गया. वह चीकू के पास आकर उसे सांत्वना देते हुए स्वयं भी रोने लगा. मीता नामक एक छोटी सी लड़की चीकू और मीकू को एक–दूसरे को तसल्ली देते और रोते देखकर बहुत दुखी हुई. शैतान बंदर के बच्चे को शीघ्रता से चिड़ियाघर ले जाने की बात हो रही थी. वन अधिकारी कह रहे थे कि यदि जल्दी नहीं की गई तो बंदरों के झुंड आकर घिराव कर देंगे. वे आपस में भले ही लड़ते हैं पर उनमें एक दूसरे के प्रति बहुत प्रेम होता है. एक संकट में हो तो पूरा समूह उसकी सहायता के लिये आ जाता है. मीता सोचने लगी कि जब ये दो बच्चे एक दूसरे के लिये इतना रो रहे हैं तो इनकी मम्मी कितना रोयेगी? ये इतना छोटा सा बच्चा अपने मम्मी-पापा और भाई-बहिनों के लिये कितना रोयेगा? यह सोचकर मीता की आँखों से भी आँसू बहने लगे. मीता के पापा वन विभाग के उच्च अधिकारी थे. उसने अपने पापा से उस बच्चे को छोड़ने की विनती की. मीता के पापा ने कहा कि यह बहुत शैतान है, इसे सजा तो दी जायेगी. चीकू को जाल से बाहर निकालकर उसकी पीठ पर पेंट से लिखा गया—‘कटखना-चोर-चीकू.’ इसके बाद उसे छोड़ दिया ग जो कोई उसे रास्ते में मिलता वह उसे चिढ़ाता. चीकू बहुत शर्मिंदा हुआ. उसकी मम्मी तो शर्म के कारण कई दिन घर से बाहर नहीं निकली. चीकू ने मम्मी से वादा किया कि अब वह उनकी बात हमेशा मानेगा. कभी किसी की चीज़ नहीं छीनेगा और ठीक से भोजन करेगा.

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