ए आई डिटेक्टिव bharat Thakur द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ए आई डिटेक्टिव

आखिरकार हुसैन ने वो चीज बना ही ली थी जिसके लिए उसने अपने जीवन की आहुति दे दी। रात दिन एक कर लिए थे। यहाँ तक कि उसकी बीवी भी उसे छोड़ चली थी। उसका तलाक हो चुका था पर हुसैन ने अपनी जिद नही छोड़ी। आज हुसैन फुला न समा रहा था। उसने प्लग निकाला, मशीन पूरी तरह चार्ज हो गयी थी। मशीन हूबहू किसी इंसानी शक्ल वाली तो नही थी पर किसी रोबोट की तरह प्रतीत हो रही थी। भिन्न भिन्न धातुओं से बना हुआ था उसका शरीर। आंखे अंडाकार और भयानक लग रही थी। हुसैन ने मशीन के पीछे लगे लाल बटन को दबाया। बटन दबाते ही मशीन हरकत में आ गयी। उसने अपनी आंखें झपकाई और हुसैन को देखा। उसका निर्माता उसके सामने खड़ा था। मशीन बिल्कुल पहली बार आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से सुसज्जित थी। इसमें हुसैन ने कई प्रकार के नए नए पैच और प्रोग्रामिंग की थी। मशीन समझ सकती थी और अपने फैसले खुद ले सकती थी। पर मशीन ऐसी थी के वो सेंसर द्वारा अपने क्रिएटर के अनुदेश का अच्छे से पालन कर सकती थी। जल्द ही हुसैन ने मशीन पर किसी इंसानी शक्ल की त्वचा लगाई। त्वचा लगाते ही मशीन और इंसान में फर्क करना बिल्कुल नामुमकिन सा था। हुसैन ने मशीन की ओर देखा और मुस्कुराया। मशीन ने भी उसे प्रतिसाद दिया। उसका सिस्टम कह रहा था 'रेसिप्रोक्रेट स्माइल'।

हुसैन कुछ दिनों बाद मशीन को लेकर कही चला गया। एक अनचाहे सफर पर मशीन और हुसैन साथ थे। एक वैन में हुसैन अपने मशीन के साथ बैठा हुआ था। मशीन की शक्ल किसी हूबहू इंसान जैसी थी। हुसैन ने उसका नाम साहिल रखा। फिरोजपुर पहुंच कर मशीन यानी साहिल को एक घर के दरवाजे के बाहर खड़ा कर दिया और खुद अपनी वैन के पीछे बैठ गया था। वैन पूरी तरह बंद थी। वैन के अंदर तरह तरह के मॉनिटर और एंटेना रखे हुए थे। हुसैन ने एक काली सी मेटल की स्कल कैप लगाई। उसमें तरह तरह की वायरिंग की हुई थी। हुसैन अब साहिल की कैमरा नुमा आंखों से सब देख सकता था। हुसैन ने साहिल को ऐसे प्रोग्राम किया हुआ था कि हुसैन अगर कुछ भी कहे या हाव भाव करे, साहिल भी वही अनुदेश का पालन करेगा। हुसैन सब देख सकता था पर हुसैन को कोई नही देख सकता था! हुसैन ने एक फोन लगाया और किसी और को भी बुलावा भेजा।

दरवाजे की घंटी साहिल ने बजाई। सामने किसी बुढ़िया ने दरवाजा खोला। दरवाजे के सामने साहिल को देख वो बुढ़िया बौखला गयी। उसे विश्वास नही हो रहा था कि क्या सामने खड़ा व्यक्ति वही है जिसकी मौत की खबर से पूरा मोहल्ला गमगीन हो गया था। बुढ़िया चक्कर खा कर गिरने ही वाली थी कि मशीन ने उसे सम्हाल लिया और कस कर झकड दिया। बुढ़िया का हाथ मुड़ते मुड़ते रह गया था। बुढ़िया की आंखों में आंसू निरंतर टपक रहे थे। उसकी जुबान को जैसे लकवा मार गया था। कुछ भी बोल नही पा रही थी। बुढ़िया ने पूरा दरवाजा खोला, साहिल घर के अंदर प्रवेश कर गया और एक ओर कोने में बैठ गया। चलते वक़्त साहिल के पुर्जो से मशीनी आवाज आ रही थी। बुढ़िया को लगा जैसे साहिल के घुटनो से आवाज आ रही है।

"साहिल तुम जिंदा हो? तुम तो म.....र....चुके थे,,असंभव है ये!!" पास ही किचन से आवाज आई। एक औरत सफेद कपड़े पहने हुई थी जिसकी उम्र तकरीबन 30 के करीब थी। उसके गाल बिल्कुल किसी लाल सेब की तरह थे, तो आंखे बिलोरी जैसी। गर्दन सुराहीदार तो कमर बिल्कुल मुलायम रुई की तरह थी। सफेद कपड़ो में भी वो बला की खूबसूरत थी। उसका नाम रश्मि था।

साहिल ने हाँ में सिर हिलाया। सिर हिलाते हुए साहिल किसी रोबोटिक डांस वाले मूव की तरह लग रहा था। वो औरत दौड़ कर आई और साहिल के गले लगने ही वाली थी कि साहिल ने उसके सामने हाथ से रुकने के अंदाज में इशारा किया। उस औरत को कुछ अजीब लगा पर उसकी आंखें उस बुढ़िया की आंखों की तरह नम हो चुकी थी।

"तुम कहाँ थे इतने सालों तक? कहाँ गायब हो चुके थे? तुम्हारे कपड़े और बाकी सामानों के साथ लाश मिली थी? वो कौन था? वो किसकी लाश थी जिसका हमने क्रियाकर्म कर दिया? कुछ तो बताओ यू मूकदर्शक क्यो हो?" रश्मि की आंखे गीली हो गयी थी।

"सब बताऊंगा! पहले मेरे कातिल को तो सजा दे दु!" साहिल बिल्कुल ऐंठ कर बैठा हुआ था।

"मतलब? क्या तुम्हें किसीने मारा था? कौन है तुम्हारा कातिल?" उस औरत की आंखे गुस्से से लाल हुए जा रही थीं।

"राज अभी धीरे धीरे खुलेगा... खुलेगा.... खुलेगा..." साहिल लगभग एक ही शब्द को तीन चार बार दुहरा चुका था। हुसैन ने बाहर वैन में बैठे बैठे ही साहिल की आवाज को म्यूट किया और रिसेट किया। शायद साहिल रूपी मशीन के वोकल कॉर्ड में खराबी आ रही थी। हुसैन ने बाकी सेंसरों को रीएक्टिवेट किया। सभी के चेहरे को स्कैन कर, उनकी आवाजो सहित वीडियो रिकॉर्डिंग अपने आप हो रही थी मशीन द्वारा।

"तुम ऐसे क्यो बोल रहे हो बेटा?" बुढ़िया ने पूछा।

"माँ! मैं कातिल को पकड़वाने आया हु। मेरी आवाज और हाव भाव पर न जाओ। मौत से सामना कर आया हु। गहरा धक्का लगा है। मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया हूं।" बिल्कुल यही बात हुसैन वैन से कह रहा था जो इंट्रानेट से साहिल तक रिले होकर साहिल उन्हों शब्दो के जरिये अनुवाद कर बोल रहा था।

"बहु! पानी लाओ! कुछ खाने को दो साहिल को!" बुढ़िया ने कहा। रश्मि अंदर किचन की ओर मुड़ी। उसे साहिल के हाव भाव अलग लग रहे थे। एक अजीब ही विस्मयकारी भाव रश्मि के चेहरे पर उभर आये थे। रश्मि आश्यर्चकित तो थी पर परेशान भी थी।

कुछ देर बाद,

"बेटा! तुम्हारे खून के आरोप में आदित्य जेल में है। तुम्हारा कातिल वही है न!" बुढ़िया ने साहिल की ओर देखते हुए कहा।

"रुक जाओ अम्मा, पहले असली कातिल को तो पकड़ लू! जिसने मुझे अधमरा समझ लिया वो तो अभी भी खुला घूम रहा है। जिसने कुछ न किया वो जेल में है।" साहिल की आवाज स्पीकर से आती हुई प्रतीत हो रही थी। बुढ़िया को लगा उसके कान में खराबी है। बुढ़िया को विश्वास नही हो रहा था कि साहिल का कातिल आदित्य नही बल्कि कोई और है! बुढ़िया की आंखे निस्तेज थी। पास में बैठे साहिल को देख तो रही थी पर वो पल भी याद कर रही थी जब उसकी अर्थी उठी थी।

*******

रश्मि किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी।

"ये कैसे मुमकिन है? मैं अभी आता हूं?" सामनेवाला जैसे मानो रश्मि की बातों पर विश्वास ही नही कर पा रहा था। तुरंत दौड़कर वो उसके घर पहुंच गया।

उसकी आंखें फ़टी की फटी रह गयी। सामने उसका लंगोटिया यार साहिल खड़ा था। साहिल ने अपना एक हाथ ऊंचा किया। एक पल के लिए श्याम के पैरों तले जमीन खिसक गई। श्याम और साहिल बचपन के अच्छे दोस्त थे।

"ओह्ह! माय गॉड!! रश्मि सच बोल रही थी। पर तुम तो..."

"मर गया था,, पर ऊपरवाले ने दुबारा जिंदा कर दिया जिससे मैं अपने ऊपर हमला करने वाले को पकड़वा दु!" साहिल की आवाज किसी स्पीकर से आती हुई लग रही थी। श्याम ने इग्नोर किया।

"तुम्हे किसने मारा? आदित्य तो जेल में है!"

"वो मेरा कातिल नही है?"

"तो??"

"गुत्थी सुलझ जाएगी। सब्र करो दोस्त।"

"वो छोड़ यार! कहा था इतने दिनों तक! पता है क्या हाल हो गया था मेरा आई मीन हमारा?"

"क्यो? मैं ठीक हु! अब आशा करता ही कि तुम लोग भी ठीक ही हो! कुछ दिनों के लिए मेरी याददाश्त गायब थी। अब होश आया गया है। अब पुलिस के पास जा रहा था सोचा पहले आप सभी से मिल लू।"

श्याम की आंखों में संशय दौड़ पड़ा।
"तुम्हे किसने मारा था?"

"है कोई अपना?" साहिल ने तपाक से उत्तर दिया।

इतना कह साहिल ने रश्मि की ओर देखा। रश्मि का मुँह बिल्कुल पीला पड़ गया था।

"क्यो रश्मि याद है न?"

रश्मि की हालत खराब हो रही थी। उसकी आंखें बार बार श्याम की तरफ जा रही थी।

"मुझे क्या... क्या ... या.. याद ?"

"यही की कैसे मेरी मौत मेरे अपनो के हाथ हो गयी!" साहिल के चेहरे पर कोई भाव नही थे। बुढ़िया सकते में आ गयी थी।

"कौन अपने? तुम पहेलियां क्यो बुझा रहे हो? मुझे कैसे पता?" रश्मि लगभग रुआंसा हो गयी थी।

"बताता हूं,, बताता हूं,,, बताता हूं..." हुसैन ने दुबारा साहिल को म्यूट किया और तुरंत रिसेट किया। हुसैन समझ गया था कि मशीन में कुछ तकनीकी खराबी आ गयी है। जल्द से जल्द कातिल को स्कैन करके सबूत इक्कठा करने थे।

"बेटा! तो क्या आदित्य तुम्हारा कातिल नही है?" बुढ़िया ने साहिल की ओर देखकर कहा।

"ना माँ! कातिल इस वक़्त इसी घर मे मौजूद है।" यह सुनते ही सभी को सांप सूंघ गया।

सीढ़ियों से उतरते हुए एक और इंसान लिविंग रूम में प्रकट हुआ। साहिल के स्कैनर ने उसे पहचान लाया वो रघु था। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी। साहिल को देखते ही मानो किसी भुत को देख लिया था।

"भैया!! आप ?"

"क्यो रघु? मैं जिंदा हु भुत नही! अपना खुला हुआ मुँह बन्द कर दो!" साहिल अब भी ऐंठ कर बैठा हुआ था।

"हाँ तो रश्मि! मेरे जाने के बाद सुना है तुम्हे कोई और मिल गया! अगले हफ्ते शादी भी है तुम्हारी!"

रश्मि की हालत बिल्कुल ही खराब हो गयी थी। श्याम साहिल से आंखे चुरा रहा था।

"है न श्याम!" साहिल एक बार फिर बोल पड़ा।

"साहिल! मैं समझाता हु!!" श्याम की बातों को मध्य में ही काटते हुए रश्मि बोल पड़ी।

"तुम्हे क्या लगता है तुम्हारे जाने के बाद मेरी क्या हालत हुई? कैसे कैसे दिन देखने पड़े थे! मैं भीतर से टूट गयी थी। सुसाइड तक का सोच लिया था। वह तो श्याम ही था जिसने मुझे सम्हाला!"

"ओह्ह! आई सी! पर श्याम को तो तुम अपनी शादी से पहले से जानती थी। पर तुमने कभी जिक्र नही किया। खैर! मेरे कत्ल से बड़ा फायदा तुम्हे ही हो रहा था। मेरी वसीयत के मुताबिक मालिकाना हक तुम्हारे पास ही था।"

"साहिल! मुझे कुछ न चाहिए था। मुझे तुम्हारी जरूरत थी और कौन सी जायदाद! सारी तो उड़ गयी बिजनेस के लॉस को कवर करते करते। यहाँ तक कि यह घर भी गिरवी रखा हुआ है।" रश्मि जैसे फट पड़ी थी।

"अच्छा! बिजनेस में लॉस!" साहिल ने अपनी गर्दन रघु की तरफ घुमाई। रघु जमीन की ओर देख रहा था। बुढ़िया से रहा न गया।

"बेटा! इतने दिनों बाद आया और इस तरह की बाते क्यो कर रहा है?"

"माँ! कातिल मेरे सामने ही इसी घर मे मौजूद है। आज आप सभी के सामने उसका पर्दाफाश होना जरूरी है... जरूरी है....जरूरी है..." हुसैन एक बार फिर तुरंत साहिल को म्यूट किया और रिसेट किया। हुसैन के चेहरे पर बल पड़ गए थे। उसे लग रहा था कि जल्द ही नाटक का अंत होने वाला है।

सभी साहिल की तरफ शक से देखने लगे गए थे। आखिर साहिल अजीब अजीब हरकते क्यो कर रहा था?

"माँ! मेरी सौतेली माँ!! कितना प्यार करती हो मुझसे!" साहिल ने बुढ़िया की ओर देखते हुए पूछा।

"ये क्या बदतमीजी है साहिल?" बुढ़िया की आंखों में गुस्सा उतर आया था।

"पूछ रहा हु माँ! पिताजी ने तुम्हे हमारी जिंदगी में लाकर बड़ा एहसान किया था। फिर रघु का जन्म हुआ। जैसे मेरा भाई पैदा हुआ। पर उसके लिए मुझसे बढ़कर मेरी जायदाद प्यारी थी। तुम भी कुछ कम न थी। इसलिए पिताजी ने मृत्यु के पहले सारी जायदाद मेरे नाम कर दी थी।"

"ये क्या बक रहे हो साहिल भैया!" रघु तिलमिलाया।

"मैं तो यही कह रहा कि उस काली रात तुम भी तो मेरे साथ ही थे।" यह सुन रघु पुनः अपने होंठ को भींचकर रह गया।

"तुम कहना क्या चाहते हो? क्या मैंने मारा तुम्हे? साफ साफ बोलो!" रघु चिल्ला उठा।

"रघु! तुम क्यो तिलमिला रहे हो। ये श्याम भी तो है यहाँ मेरे मरने के बाद उसे मेरी बीवी रश्मि मिल जाती जिससे उसका कॉलेज से प्रेम था और रश्मि के जाते ही तुम जायदाद के असली वारिस बन जाते। कुछ ऐसा ही लिखा था मैने मेरी जायदाद में। है न माँ!"

बुढ़िया की आंखे चौड़ी हो गयी थी। रश्मि अब बुरी तरह रो रही थी। श्याम अपनी मुट्ठी भींच कर खड़ा था।

"रघु तो पहले से ही नशेड़ियों की संगत में था। अय्याशी के लिए पैसे चाहिए थे जो मैने बन्द कर दिए थे। तुम्हे भी बुरा लगा था न माँ।" साहिल ने बोलना बन्द कर दिया। बैटरी लौ का इंडिकेट कर रही थी। हुसैन को समझ नही आ रहा था कि आगे क्या होगा? साहिल का राज शायद जल्द ही खुलने वाला था।

रघु को लग रहा था कि ड्रावर से गन निकाल इस साहिल के सीने में सारी गोलियां दाग दे। जिससे इसका मुँह बन्द हो जाए।

"माँ! तुम बताओ मेरा कातिल कौन है?"

बुढ़िया ने आँचल से अपने मुख पर उतर आये पसीने को पोंछने लगी। श्याम खड़े खड़े सोच रहा था कि साहिल दुबारा फिर कभी न आता तो ही ठीक था। रश्मि से उसकी शादी हो जाती और वो फिर से रश्मि का साथ पा जाता।

"माँ से क्या पूछता है? माँ को क्यो परेशान कर रहा है?" रघु बोल पड़ा।

"क्यो की तुम्हारे साथ साथ माँ की भी पल्स रेट बढ़ी हुई है। माथे पर पसीने की बूंदे निर्मित हो गयी है।" साहिल वही बोल रहा था जो हुसैन वैन में बैठे बैठे साहिल के द्वारा सभी लोगो की जांच कर रहा था।

"तू कहना क्या चाहता है कमीने!" रघु का गुस्सा सातवें आसमान पर था।

"यही की माँ उस रात कहा थी। जब मैं और आदित्य उस सड़क से निकल रहे थे। आदित्य और मैं तो बेहोश हो गए थे। पर कोई था जो हमे फॉलो कर रहा था। हैं न रघु?"

"क्या बकवास है? तुम कहना चाहते हो कि मैंने तुम्हारा खून किया?"

"ना, ना, मैंने अब तक नही कहा... कहा...कहा.." हुसैन ने तुरंत इमरजेंसी बैटरी को एक्टिवेट कर लिया। साहिल को रिसेट कर दिया।

"बेटा! इस बुढ़िया की तो यही आस थी कि तुम दोनों साथ साथ रहते। पर तुम्हारे जाने के बाद रश्मि का दर्द देखा न गया इसलिए श्याम से उसका रिश्ता तय कर लिया। अब तुम आ गए हो ..."

"तो सभी के लिए मुसीबत बन गया हूं!" साहिल ने बुढ़िया की बात को काटते हुए कहा।

"आप लोगो को याद है उस दिन जब मेरा कत्ल हुआ था तब तुम सभी के मोबाइल पूरी तरह स्विच ऑफ थे। सभी ने अपने अपने तर्क दिए पुलिसियो के सामने।"

सभी के चहरे पीले पड़ गए थे।

"रश्मि और श्याम एक साथ थे किसी होटल में!" साहिल ने कहना जारी रखा।

"क्या बकवास है ये! मैं तो बस खाना खिलाने ले गया था मेरी नई नौकरी लगी थी।" श्याम बोल पड़ा।

"तो तुमने मुझे जरूरी नही समझा और मेरी बीवी रश्मि को होटल ले गए। ताकि खून के वक़्त तुम उसके साथ रहो जिससे तुम पर शक न हो। और रघु तुम मेरा पीछा कर रहे थे। तुम्हारी गाड़ी उसी टोल नाके से गुजरी थी। टोल की स्लिप पर तुम्हारी गाड़ी का नंबर लिखा हुआ था पर अफसोस पुलिसियों को सीसीटीवी रिकॉर्ड में कुछ न मिला। उस दिन वहाँ का रिकॉर्डिंग सिस्टम खराब था।"

"क्या बकवास है ये! मैं अगर गुजरा भी था तो तुम्हारे खून से क्या लेना देना। मैं क्या तुम्हें जान से मारने थोड़े ही आया था।"

"पर मुझे मारने वाला मेरा अपना ही था। देसी कट्टा लेकर किसीने मुझ पर पीछे से गोली चलाई थी। इसके पहले की आदित्य कुछ समझ पाता उस पर बेहोशी का स्प्रे कर दिया गया था। बिचारा जग जागा तब उसके हाथ मे पिस्तौल थी और मेरी लाश कुछ कदम दूर थी।"

"तो तुम जिंदा कैसे हो गए?" रघु चिल्लाया।

"कुदरत! यू समझो बरखुरदार कुदरत ने भेजा है मेरे असली कातिलों को पहचानने और उन्हें जेल भेजने के लिए!" साहिल की बैटरी क्रिटिकली लौ हो गयी थी।

"माँ मेरे मरने के बाद आप ने सारी जायदाद अपने और इस रघु के नाम करने की झूठी वसीयत क्यो बना दी?"

बुढ़िया ने अपने आंसू पोछते हुए बोलने लगी,"बेटा! रश्मि तो पराई हो रही थी, इसलिए अपना बुढापा और रघु के भविष्य के लिए ऐसा किया।"

"तो इसीलिए आपने बिजनेस में लॉस दिखा दिया जिससे रश्मि जायदाद में हिस्सा न मांगे और इस घर से निकल जाए। बड़ी गजब की प्लानिंग करती हो माँ!"

बुढ़िया खामोश थी। उसके माथे से पसीने की बूंदे अब कुछ ज्यादा ही निर्मित हो गयी थी। साहिल ने एक अलग ही किस्म का दिमागी सिग्नल भांप लिया जो इन सभी मे से किसी एक के शरीर से निकल रहा था। इसी सिग्नल के जरिये पॉलीग्राफिक टेस्ट में झूठ को पकड़ा जाता है।

"माँ उस दिन तुम कहा थी?" साहिल ने दुबारा पूछा।

"मैं मंदिर गयी हुई थी बेटा!"

"उस दिन तो अमावस था , मंदिर तो सारे बन्द थे। फिर कहाँ थी?"

"मंदिर बन्द भी थे तो भी भजन कीर्तन तो चल ही रह था।"

"तुम कहाँ थे रघु?"

"अभी तो तुम्हीने बताया कि मैं तुम्हारे पीछे था। तुम्हीने तो कातिल ठहरा दिया मुझे।" रघु आश्वस्त था कि कई दिनों की मुराद आज पूरी होने वाली थी। आज साहिल यहाँ से जिंदा न जाएगा।

"अब बहुत हो गया लुक्का छिपी! किसने मारा है तुम्हे?" रश्मि बोल पड़ी।

"मेरी प्यारी बीवी! इतनी भी क्या जल्दी है। कातिल खुद अपने मुँह से बोलेगा की उसीने मारा है मुझे।"

हुसैन को पता है कि अब उसके पास ज्यादा वक़्त नही है। ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की सीमा भी खत्म होने आए थी। हुसैन ने जल्द ही आखिरी दांव खेला।

"माँ,, क्यो मारा मुझे?"

बुढ़िया सकते में आ गई। रघु का आक्रोश फट पड़ा।

"क्या बकवास कर रहे हो? बहुत हो गयी तुम्हारी बकवास!!" रघु ड्रावर की ओर मुड़ा और पिस्तौल निकाल ली। पिस्तौल की नोंक साहिल की ओर कर ली।

"उस दिन तो मैं तुम्हे नही मार पाया था। तुम पहले से ही मरे हुए थे। पर आज तुम नही बचोगे।" इतना कहते ही आदि ने एक गोली चलाई और सीधे साहिल के हार्ट में जा लगी जहाँ पहले से बैटरी रखी हुई थी।

गोली लगते ही बुढ़िया जोर से चीखी। "साहिल! है भगवान! रघु....बेवकूफ ये क्या किया? बड़ी मुश्किल से तो पिछली बार इसका कत्ल किया था कि तुम किसीकी निगाहों में न आओ। मैंने देख लिया था कि कैसे तुम बंदूक लिए इसके पीछे निकल पड़े थे। तुम्हे अच्छी जिंदगी देने के लिए इसका खून भी करना पड़ा। बेवकूफी की भी हद है, अब इन दोनों को भी मारो!"

श्याम पास में ही खड़ा था। उसने फुर्ती दिखाई और पास ही पड़ा वास दे मारा रघु की ओर। वासके लगते ही पिस्तौल हाथ से छूट गयी और जमीन पर जा गिरी। श्याम ने न आवे देखा और न ताव, सीधे रघु के ऊपर लपक गया। दोनों में खूब हाथा पाई हुई।

रश्मि ने साहिल की ओर देखा। रश्मि ने अपनी आंखों से आंसू पोछे और दुबारा साहिल की ओर देखने लगी। साहिल के हार्ट में शार्ट सर्किट हो रहा था। साहिल की आंखे बेतहाशा गोल गोल घूम रही थी। बुढ़िया पास ही बैठी थी उसने पास पड़ी छोटी तिपाई को साहिल के मुख पर दे मारा। साहिल की चमड़ी उखड़ गए थी। पीछे सिर्फ चमकीला मेटल ही दिख रहा था।

बुढ़िया को कुछ समझ नही आ रहा था की आखिर साहिल के शरीर मे ये कौनसे पुर्जे डले हुए है?

हाथा पाई में श्याम रघु से अव्वल ही रहा उसने जल्द ही रघु पर काबू पा लिया। रघु के चेहरे से खून आ रहा था और वो फर्श पर औंधे मुँह गिरा हुआ था। श्याम की नज़र साहिल पर गयी। साहिल के शरीर मे भिन्न भिन्न वायर बाहर आये हुए थे। हुसैन तब तक दरवाजे पर आ खड़ा हुआ था। उसके साथ साथ दो पुलिस वाले भी आ चुके थे। बुढ़िया को कुछ समझ नही आ रहा था कि इत्ती जल्दी पुलिस कहाँ से आ गयी। पुलिस ने बुढ़िया और रघु को गिरफ्तार किया। हुसैन ने साहिल को उठाया और वैन में ले गया। रश्मि और श्याम तो साहिल को एकटक देखे जा रहे थे। उन्हें विश्वास नही हो रहा था कि सब इतने जल्दी जल्दी में हो क्या रहा है?

********

हुसैन ने चाय की कप हाथ मे ली। सामने मशीनी रोबोट उसके सामने प्लेट ले खड़ा था।

"आप और कुछ लेना चाहेंगे!" रोबोट ने हुसैन से कहा।

"नही!"

इंस्पेक्टर विजय पास ही बैठा हुआ था।

"कमाल का रोबोट है आपका! कातिल को पकड़वा दिया उसने!"

"ये तो मेरा पेशा है विजय जी। आदित्य के माता पिता मेरे पास आये थे अपने बेटे की बेगुनाही को साबित करने। मेरे पास और कोई चारा नही था। अपनी इंजीनिरिंग की डिग्री कब काम आती। रात दिन एक कर लिए और इस रोबोट को बना दिया। मेरी खुद की जिंदगी भी उथलपुथल हो गयी थी।"

"तुमने कैसे जांचा की खूनी उसकी माँ ही थी। हमे तो शक उसके बेटे पर था पर कोई सबूत नही था। उसीने हमे काल करके बुलाया था और आदित्य के ही हाथ के निशान मिले थे उस कट्टे पर। मुश्किल काम था आदित्य को बचाने का, पर आपने कमाल कर दिया। यूंही नही आपको रोबोट किंग कहकर बुलाते है।"

"पर बुढ़िया ने बताया कि वो कैसे पहुंच गई थी वहां?" हुसैन ने पूछा।

"उसने कैब हायर की थी किसी और नाम से! शक तो उस पर गया ही नही था क्यो की मंदिर में कोई सीसीटीवी फुटेज नही था। बाकी औरतों ने तो यही कहा कि बुढ़िया उनके साथ थी इसलिए शक की सुई रघु पर और बाकी सदस्यों पर ज्यादा थी। वो पीछे पीछे हो ली थी। रघु दारू पीने के चक्कर के रास्ता भटक गया था पर बुढ़िया तेज थी। उसने पीछा किया और मौका देखते ही स्प्रे छिड़क दिया और कट्टे से गोली चला दी। पर आपको वैन में बैठे बैठे बुढ़िया पर शक क्यो हुआ?"

"कुछ तो आपने मदद कर दी थी, टोल बूथ वाली बात और उनके गवाही के बयानात! कुछ टेक्नोलॉजी ने कर दी। पॉलीग्राफिक टेस्ट करते वक़्त दिमाग से P3 की तरंगें निकलती है। हार्ट रेट, पसीना, सांस की गति, पल्स रेट इत्यादि के साथ ही दिमागी तरंग P3 भी इम्पोर्टेन्ट है झूठ को पकड़ने में। चूंकि आप लोगो ने पॉलीग्राफिक टेस्ट किया नही था और बेचारे आदित्य को पहले ही पकड़वा दिया था इसलिए मुझे इस मशीन में उस तरह की किट डलवानी पड़ी जिससे झूठ पकड़ा जा सके। मंदिर वाली बात पर झूठ पकड़वा दिया और फिर क्या था, मैंने भी अंधेरे में ही तीर चलाया। पहले तो शक मुझे भी रश्मि या रघु पर ही था। बुढ़िया तो सरप्राइज पैकेट निकला।"

ये सुन हुसैन और विजय दोनों हंस पड़े। रोबोट वही पास खड़ा अपनी आंखें घुमा रहा था।

****समाप्त****

भरत ठाकुर

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