सुबह से घर में एक अफरा तफरी का सा माहौल था । दो महीने छोटे बेटे के घर रहने के बाद, आज बाबूजी दो-तीन महीने के लिए यहाँ यानि बड़े बेटे के पास आने वाले हैं ।
दो महीने से बंद रखी हिदायतों की पोटली फिर घर के बीचोबीच खोल दी गयी है| बच्चों को घर में उधम नहीं मचाना, खास तौर पर दोपहर में जब बाबूजी आराम करते हैं। राकेश को ऑफिस से सीधे घर आने की कोशिश करनी है। थोड़े दिन के लिए दोस्तबाजी पर कंट्रोल रखना है| रश्मि को खाने में घी नमक कम हो , इसका विशेष ध्यान रखना है । और हाँ, परी की डांस क्लास के बारे में उन्हें कतई पता नहीं लगना चाहिए। काम वाली को फ्रिज में रखे अंडे और रसोई में रखे प्याज-लहसुन पकड़ा दिए गए हैं । बस दो-तीन महीने की तो बात है। बाबूजी थोड़े से पुराने विचारों और कड़क स्वभाव के है | परिवार के अच्छे संस्कार आज तक इस कठोर अनुशासन का मान रखते आये हैं ।
दोपहर को बाबूजी का स्वागत अति सुव्यवस्थित और शांत घर ने किया । उन्हें खाना खिलाने के बाद रश्मि जब बच्चों के साथ खाना खाने बैठी तो सन्न रह गयी । दाल में तो नमक तेज था | शायद दो बार डाल गयी, लेकिन बाबूजी ने तो......? शायद आते ही डाँटना ठीक न समझा हो वर्ना तो ........।
लेकिन, आज तो नियति बाबूजी को उकसाने में लगी थी| खाने के बाद बाबूजी जब आराम कर रहे थे, तो परी की सहेलियों ने लगातार कई बार दरवाजे की घंटी बजा डाली और दरवाजा खुलते ही -"ओ परी अभी तक तैयार नहीं हुई? डांस क्लास को देर हो रही है स्टुपिड!" चिल्लाते हुए घर में घुसीं। परी ने अपनी जीभ दांतों तले दबा ली, लेकिन अब तो तीर कमान से निकल चुका था। फिलहाल तो चुप है बाबूजी, शायद सफर की थकान की वजह से .? ...शायद राकेश के आने पर एक साथ क्लास लगे सबकी..?
दिल की धुकधुकी दबाये रश्मि कयास लगा रही थी। शाम को राकेश के आते ही रश्मि ने एक सांस में सारा वर्णन कर डाला ।
"हम्म, तो बाबूजी ने कुछ नहीं कहा ? नरेश कह तो रहा था कि बाबूजी का गुस्सा आजकल कुछ कम..., खैर जो हुआ सो हुआ आगे ध्यान रखना ।"
तभी बाबूजी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आवाज लगाईं, "बहू! चाय बना रही हो ? बरसात के मौसम में कुछ पकौड़े हो जाते तो ...।"
"जरूर बाबूजी !"
"और देखो बच्चों के लिए प्याज के पकौड़े बनाने से पहले मेरे चार पकौड़े आलू के निकाल देना।"
"बाबूजी...प्या..प्याज ...? वो तो घर में... नहीं है ।"
"अरे तो कौन-सा दूर है बाजार ? मँगवा लो! मुझे पता है बच्चों को प्याज के पकौड़े ज्यादा पसंद है।"
"..............."
“"अरे परी बेटा इधर तो आ, कौन सा डांस सीख रही है, अपने दादाजी को दिखाएगी ना|”
"हैरान न हो रक्कू! रश्मि बेटा इधर आओ| मुझे तुमसे कुछ कहना है| देखो बच्चों, मैं नहीं चाहता, जमाने से उल्टा तो मैं चलूँ और वृद्धाश्रम भेजने का इल्ज़ाम बेटों-बहुओं पर आये।" कहते बाबूजी की नज़रों के सामने वृद्धाश्रम जाते अपने बेबस दोस्त की छवि तैर रही थी|