पांच अफ़साने Anil Makariya द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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पांच अफ़साने

अंधेरे-उजाले के बीच★

एक अंतरिक्ष यात्री को पता होता है कि ईश्वर की रचना में अंधेरा और ठंड ही शाश्वत सत्य है। प्रकाश और गर्माहट मात्र क्षणभंगुर अनुभूति है ।
मुझे अहसास है कि प्रकाश स्वंय अदृश्य होता है और उसे दृश्य होने के लिए किसी अवरोधक की जरूरत होती है ।
क्या मैं कोई अंतरिक्ष यात्री हूं?
नही, बिल्कुल नही ..एक अंतरिक्ष यात्री के हाथ में लालटेन का क्या काम ?
"मैं तो अंधा हूँ " मेरा जवाब था खुद से ही ।
"तो फिर तुम्हारे हाथ में लालटेन का क्या काम?"
"ताकि इस अंधेरे में लोग मुझसे न टकरा जाएं"
अगर अंधेरा ही शाश्वत सत्य है तो मुझे प्रकाश को दृश्य करने के लिए उसका अवरोधक होना मंजूर है ।
"शुक्रिया! बाबा, आप न होते तो हम इस पत्थर से ठोकर खा जाते " कहीं पास से किसी की आवाज आई ।
"बेटा, मैं न होता तो भी इस लालटेन को पकड़ने वाला कोई-न-कोई जरूर होता" मैंने अपना लालटेन वाला हाथ थोड़ा ऊंचा उठा दिया ।

#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)
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ऑनर किलिंग★

भालचंद्र मिश्रा और सैयद शब्बीर ने आज वे दोनों वृक्ष कटवा दिए क्योंकि वे पेड़ अब सरहद तोड़ने लगे थे ।
मिश्राजी और सैयद साहब के आंगन में लगे वृक्षों की डालियां जब भी साझा दीवार रूपी सरहद को पार करती तो दोनों घरों में से किसी एक घर से जोर की आवाज आती ।
"अपने झाड़ को संभालो उसके पत्ते हमारे आंगन में नही गिरने चाहिए।"
उस आवाज के तत्काल प्रभाव से वृक्ष का मालिक अपने दोषी पेड़ की डालियां छांट डालता।
दोनों में से किसी वृक्ष का फल उस दीवार के परली तरफ न गिरा न गिरने दिया गया फिर भी गाहे-बगाहे दोनों वृक्षों की डालियां गलबहियां करने को तैयार हो जाती । लेकिन अब तो प्यार की पींगे बढ़ाने वाले वृक्ष ही नही रहे ।
रह गयी तो केवल जमीन के नीचे न दिखने वाली आपस में गुंथी हुई उनकी जड़ें ।

#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)
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कर्मपथ★

"एक असफल कोशिश क्या हो सकती है ?"
"जब आप किसी मंजिल पर पंहुचते ही वापस वहीं पहुंच जाएं जहाँ से आपने शुरू किया था।"
"वही मैं रोज करती हूं और रोज असफल होती हूं।"
"चलना तुम्हारा कर्तव्य है, कहीं पहुंचकर रुक जाना नही।"
"पर तुम तो एक ही जगह टंगी रहती हो।"
"वह मेरा कर्तव्य है, अगर हम अपने कर्तव्य बदल लें तो हमें कबाड़ में फेंक दिया जाएगा।"
घड़ी की बात सुनने के लिए क्षणभर रुकी सुइयां कर्तव्य बोध से टिक-टिक आवाज के साथ फिर से चलने लगी ।

#Anil_Makariya
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जन्नतनशीं★

मृत्यु की घोड़ागाड़ी धर्मयुद्ध में शहीद विभिन्न धर्मों के जवानों की आत्माएं लिए नियत स्थान की ओर चल पड़ी ।
जन्नतनशीं होने की उम्मीद में आत्माएं बेहद खुश थी।
एक चौराहे पर गाड़ी रुकी और घोड़े विपरीत दिशाओं की ओर मुंह करके गाड़ी को खींचने लगे और बोलने लगे ।
"स्वर्ग"
"जन्नत"
"हेवन"
यह देख एक आत्मा ने मृत्यु से सवाल किया "क्या इन्हें सही रास्ता नही पता या यह सभी घोड़े मंजिल को लेकर एकमत नही है ?"
मृत्यु ने रहस्यमयी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया ।
"यह घोड़े भी धर्मयुद्ध में ही मारे गए थे"

#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)
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रक्त पिपासु ★

बहुत ही महीन बुनावट थी इस अवरोध की, जैसे बहुत सारी गणितीय आकृतियां हो और उसमे से अपेक्षित मान निकालना हो।
खैर वह महीन बुनावट को जैसे-तैसे पार करता हुआ उस ओर पंहुच गया मानो किसी कठिन सरकारी हिसाब-किताब से किसी खंजाची ने अपने लिए कुछ पैसे बचा लिए हो ।
उसकी मेहनत का पुरस्कार उसके सामने था बस स्ट्रा डालने की देरी थी और गरमा गरम रक्त उसके उदर की भूख को शांत करता ।
आज उसने अपनी भूख से कई ज्यादा रक्त उदरस्थ कर लिया इसलिए उसका उड़ना दूभर हो गया।
किसी तरह वह उस मच्छर दानी की महीन बुनावट वाले अवरोध के पास पंहुचा पर फूले हुए उदर के कारण अब उसे पार करना असंभव हो गया ।
थककर चूर वह मच्छर उसी मोटे सरकारी कर्मचारी के पास बैठ गया जिसका उसने खून पिया था ।
सुबह हो चुकी थी ।
अचानक कुछ लोग तेज कदमों से उस रूम में दाखिल हुए और उस मोटे कर्मचारी को नींद से उठाकर हाथों में हथकड़ियां डाले, किसी नई मच्छर दानी में डालने के लिए ले गए ।
मच्छर को समझ आ गया की उसके शिकार ने भी भूख से ज्यादा खून उदरस्थ किया है ।

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