भूत बंगला.... - भाग ६ Sanket Vyas Sk, ઈશારો द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भूत बंगला.... - भाग ६

आगे के भाग ५ में हमने देखा की प्राची अचानक ही कोई दूसरे अंदाज़ में चेतन से कहने लगती है की "तुम लोग अगर जो निकल गए तो मेरा क्या होगा ? मैं तो अकेला ही रह जाउँगा" प्राची का ऐसा जवाब सुनते ही चेतन ऐसीबातों मेंनहीं मानताफिर भी उसके तो होश ही उड जाते हैं और अब आगे.....

प्राची का एसा जवाब सूनकर चेतन के तो होश ही उड जाते हैं, वो बहुत ही डर जाता है और चेतन प्राची को गभराते हुए पूछता हैं,"प्राची तुझे ये क्या हो गया है ? तु एसा क्या बोल रही है ?" वो कुछ जवाब नहीं देती तो चेतन उसको जोर से हिलाने लगता हैं और चिल्लाते हुए कहता हैं,"प्राची तूम मुझे सूनती हो या नहीं ?" उस समय प्राची के भीतर घुसी हुई आत्मा कहने लगती हैं, "मैं प्राची नहीं हूं, मैं वो आत्मा हूँ जो तुमने बंगला खरीद रखा है वहाँ रहता हूं, मैं भैरुनाथ हूँ," ये प्राची के मुंह से सुनते ही चेतन के होश उड जाते हैं और प्राची के भीतर से भैरुनाथ बोलता रहता है, "मैं उस बंगले में कई साल पहले रहता था मगर कुछ लोग उस बंगले को मुझसे छिनना चाहते थे, उन्होने ही मेरे शरीर को जलाकर खाक कर दिया था तभी से में उस बंगले में आत्मा का रुप लेकर रहता हूं और जो भी यहाँ रहने आते हैं उनसे सहायता लेना चाहता हूँ पर सभी जो यहा रहने आए वो मुझे भूत के रुप में देखकर डर जाते हैं कोई मेरी सहायता करने नहीं रुकता, वे सभी बंगला छोडकर चले गये तभी से में यहा किसीको भी रहने नहीं देता, उनके आते ही में डराने लगता हुँ मगर आप लोग का मेरे मकान में अरे माफ करना आपका मकान हो गया है वहाँ रहना मुझे पता नहीं क्यो पर अच्छा लगा और आपको सताने का मेरा बिलकुल भी आशय नहीं था मगर क्या करु मैं एक आत्मा हूँ मनुष्य नहीं जो सीधा आपके सामने आ जाऊ" एसी बात सुनकर चेतन थोडा परेशान तो हुआ मगर थोडी हिंमत जुटाकर बोला ,"भैरुजी तो अब आप ही बताओ आपके लिए हम क्या करे, एसा कोई उपाय बताओ जिससे आपको ईस तरह रहने से मुक्ति मिल जाए ।" प्राची के भीतर रहे भैरुनाथ ने जवाब दिया, "आप लोग वहाँ रहो मुझे कोई दिक्कत नहीं में थोडा भी परेशान नहीं करूंगा और आपकी बात भी सही है की एसे दर-बदर यहा कब तक में घूमता रहूंगा ? मेरी बस एक ही चाह है की मेरी जो लाश हैं जो उन लोगों ने मुझे जलाया और जब शरीर से में जुदा हुआ तो मेरा बचा हुआ शेष भाग बंगले के सामने दफन कर दी है तो उसे निकालकर वहा मेरे शव के पास ही गलती से उनमे से किसी एक की घड़ी वहाँ गिरी हुई हैं वो घड़ी से उनकी पहचान करवाके उनको सजा दिलाकर मेरे शव के अंतिम-संस्कार करवा देना शायद ऐसा करवाके मेरी आत्मा को शांति मिल जाए। मगर तुम लोग उस बंगले में आराम से रह सकते हो मैंने यह जो कहा वो करवाने की कोई जरुरत नहीं, मैं परेशान नहीं करूंगा।" फिर चेतन उन्हें जवाब देता है, "भैरुजी ठीक है मैं मेरी ओर से पूरा प्रयास करूंगा, आपके हत्यारे को जरुर सजा दिलाऊँगा मगर आप मेरी प्राची को कुछ मत करना, उसको पहले जैसी ही प्यारी दो।" तब वो भैरुनाथ की आता कहती है, "अरे भाई तुम चिंता मत करो, यह तो थोडी देर में पहले थी वैसी ही हो जाएगी, मैं परेशान भी नहीं करूंगा। मगर उस बंगले में आपको ही रहना पड़ेगा.....