स्टॉकर - 20 Ashish Kumar Trivedi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टॉकर - 20




स्टॉकर
(20)



रॉबिन और मेघना से बात होने के बाद एसपी गुरुनूर ने इंस्पेक्टर अब्राहम को रॉबिन के बारे में कुछ और बातें पता करने को कहा था।
रॉबिन का कहना था कि जिस रात शिव टंडन की हत्या हुई वह रात साढ़े नौ बजे से मेघना के साथ था। क्योंकी मेघना ने उसे बताया था कि शिव उस रात कहीं बाहर जाने वाला है। उसका यह भी कहना था कि अक्सर वह और मेघना शिव की गैरहाज़िरी में साथ रात बिताते थे।
जबकी मेघना इस बात से साफ इंकार कर रही थी। उसका कहना था कि रॉबिन झूठ बोल रहा है। अंकित ने भी अपने और मेघना के संबंध के बारे में बताया था। जबकी मेघना का कहना था कि अंकित उसके पीछे पड़ा था। उसने उसे समझाने की कोशिश की पर वह नहीं माना। इसीलिए उसे शिव से शिकायत करनी पड़ी। शिव ने अंकित को गुंडों से पिटवाया। उसे धमकी दी कि वह मेघना का पीछा छोड़ दे।
मेघना का कहना था कि इसी वजह से अंकित ने शिव टंडन की हत्या कर दी। पर अंकित इल्ज़ाम लगा रहा था कि शिव की हत्या के लिए मेघना ने उसे उकसाया था। पर उसने हत्या करने से इंकार कर दिया।
इस केस में शिव टंडन और चेतन शेरगिल दो लोगों की हत्या हुई थी। पर शक के घेरे में तीन लोग थे। ये तीनों अलग अलग कोंणों पर थे। यह तय था कि तीन में से कोई दो लोग मिले हुए थे।
पुलिस ने अंकित और मेघना के कोंण से केस को परखा था। उसके बाद मेघना और रॉबिन के कोंण से केस को देखा। पर दोनों ही सूरतों में बात सुलझने की जगह और उलझ रही थी। कई सवाल खड़े हो रहे थे जिनके जवाब नहीं मिल रहे थे।
इंस्पेक्टर अब्राहम ने भी शुरुआत इन्हीं दो पहलुओं से की थी। तब उसे कुछ बातें पता चली थीं। उसने पहले इस बात की जाँच शुरू की कि जैसा रॉबिन का कहना था कि वह और मेघना अक्सर एक साथ रात बिताते थे सच है कि नहीं। रॉबिन ने बताया था कि शिव की अनुपस्थिति में वह रात बिताने मेघना के पास टंडन सदन पहुँच जाता था। इसलिए इंस्पेक्टर अब्राहम ने मेघना के घर पर काम करने वालों से बात की।
टंडन सदन में स्थाई रूप से दो नौकर काम करते थे। एक थी अनीता जो पिछले तीन साल से वहाँ काम कर रही थी। दूसरा था रमन जो पिछले तीन महीनों से ही टंडन सदन में था। इंस्पेक्टर अब्राहम ने सबसे पहले अनीता से बात की।
अनीता का कहना था कि मेघना एक बहुत भली औरत है। उसके तीन साल के काम के दौरान उसने कभी भी उससे गलत व्यवहार नहीं किया। कभी गलती होने पर भी वह डांटने की जगह प्यार से उसे समझा देती थी। मेघना अपने यहाँ काम करने वालों का पूरा खयाल रखती थी। उन्हें सही समय पर उनकी तनख्वाह मिल जाए इसका पूरा ध्यान रखती थी।
अपना एक व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए अनीता ने कहा कि पिछले साल उसकी छोटी बहन की कॉलेज की फीस के लिए उसके पास पैसे कम पड़ रहे थे। वह बहुत परेशान थी कि क्या करे। वह उधार लेने की सोंच रही थी। जब मेघना को इस बात का पता चला तो उसने पैसे निकाल कर देते हुए अनीता से कहा कि आगे अगर कोई ज़रूरत हो तो मुझे बताना।
जब इंस्पेक्टर अब्राहम ने उससे पूँछा कि क्या शिव टंडन के पीछे से मेघना से मिलने कोई रॉबिन आता था तो उसने कहा कि मेघना जैसी देवी के बारे में ऐसा सोंचना भी पाप है। रॉबिन नाम का कोई आदमी ना तो साहब के सामने या साहब के पीछे इस घर में आया। अनीता का कहना था कि शिव और मेघना के बीच बहुत प्यार भरा रिश्ता था। उसने कभी भी दोनों को लड़ते झगड़ते तो दूर तेज़ आवाज़ में एक दूसरे से बात करते हुए भी नहीं सुना।
अंकित की बात पूँछने पर अनीता ने बताया कि वह अधिक कुछ नहीं जानती है। पर उसने सुना था कि मेघना के जिम का कोई आदमी उसे तंग कर रहा है।
कत्ल वाली रात के बारे में उसने बताया कि शायद मेघना और शिव को कहीं जाना था। मेघना शिव की राह देख रही थी। पर वह नहीं आया। बहुत देर होने पर मेघना परेशान हो गई। उसने शिव को फोन करने की कोशिश की पर फोन स्विचऑफ था। इससे मेघना परेशान हो गई। पर बहुत रात हो जाने के कारण वह कुछ और नहीं कर सकी। वह यह सोंच कर शिव का इंतज़ार करने लगी कि वह किसी काम में फंस गया होगा और देर रात तक लौट आएगा। सारी रात मेघना जागती रही। अनीता उसे ढांढस बंधाती रही।
सुबह होने पर मेघना पहले तो उन सभी जगहों पर शिव की तलाश में गई जहाँ उसके होने की संभावना थी। पर जब उसका कोई पता नहीं चला तो पुलिस में शिव की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी। उसके दो दिनों के बाद एसपी गुरुनूर ने यह सूचना दी कि जंगल में शिव टंडन की लाश मिली है।
इंस्पेक्टर अब्राहम ने जब रमन से पूँछताछ की तो मेघना के बारे में उसकी राय भी वही थी जो अनीता की थी। पर उसका कहना था कि रॉबिन के देर रात टंडन सदन आने के बारे में वह कुछ नहीं कह सकता है। क्योंकी रात आठ बजे के बाद उसकी ड्यूटी समाप्त हो जाती थी। वह अपने घर चला जाता था।
टंडन सदन के दोनों कर्मचारियों के हिसाब से मेघना एक बहुत भली औरत थी। हलांकि इंस्पेक्टर अब्राहम के मन में यह सवाल ज़रूर उठ रहा था कि मेघना ने रॉबिन को अपने फार्म हाउस में क्यों छिपाया था। पर अनीता ने जो कुछ बताया उससे स्पष्ट था कि रॉबिन अपना और मेघना का जो रिश्ता बता रहा था वह नहीं था।
इंस्पेक्टर अब्राहम पुलिस स्टेशन में अपनी सीट पर बैठा केस के बारे में ही सोंच रहा था। उसने एक कागज उठाया। सबसे ऊपर मेघना का नाम बीच में लिखा। उसके बाद नीचे दोनों कोनों पर अंकित और रॉबिन का नाम लिखा। उसने पहले एक लाइन खींच कर मेघना का नाम अंकित के नाम से जोड़ा। इन दोनों के संबंध पर वह विचार कर चुका था। यदि घर के नौकरों पर यकीन किया जाए तो ऐसा लग रहा था कि अंकित झूठ बोल रहा है। फिर उसने एक और लाइन खींच कर रॉबिन और मेघना का नाम जोड़ा। यहाँ भी रॉबिन की बात पर यकीन करना कठिन था।
अंकित और रॉबिन दोनों ही झूठ बोल रहे थे। इंस्पेक्टर अब्राहम सोंच में पड़ गया। किसे सही माने और किसे गलत। सोंचते हुए अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया। उसने एक लकीर खींच कर अंकित का नाम रॉबिन से मिला दिया।
यह एक नया कोंण था जिस पर अभी किसी ने विचार नहीं किया था। इंस्पेक्टर अब्राहम के मन में आया कि इस बात की भी संभावना हो सकती है कि इन दोनों के बीच कोई सांठगांठ हो।
इंस्पेक्टर अब्राहम ने अपनी जाँच का रुख इन दोनों के बीच की सांठगांठ का पता लगाने की तरफ मोड़ दिया।
इंस्पेक्टर अब्राहम ने अंकित और रॉबिन के बीच का संबंध पता लगाने के लिए रॉबिन के फार्म हाउस के आसपास रह रहे लोगों से बात करना शुरू किया। बातचीत के दौरान उसे पता चला कि वैसे तो रॉबिन के फार्म हाउस पर कोई स्थाई नौकर नहीं रहता था। पर साफ सफाई के लिए बिरजू नाम का एक आदमी फार्म हाउस पर जाता रहता था। बिरजू रामलाल गंज में ही रहता था।
इंस्पेक्टर अब्राहम बिरजू से उसके घर पर जाकर मिला। बिरजू ने उसे बताया कि वैसे तो वह केवल साफ सफाई के लिए फार्म हाउस पर जाता था। पर रॉबिन अक्सर उससे अपने अन्य काम भी करवा लेता था। वह उसके लिए अलग से पैसे देता था।
इंस्पेक्टर अब्राहम ने बिरजू से पूँछा कि रॉबिन से फार्म हाउस पर कौन कौन मिलने आता था। बिरजू ने बताया कि वैसे तो अधिकतर लोग देर रात ही रॉबिन से मिलने आते थे। तब तक वह अपना काम कर घर जा चुका होता था। अतः वह कुछ कह नहीं सकता है। पर इधर कुछ दिन पहले ही रॉबिन का एक नया दोस्त बना था। वह दिन में ही उससे मिलने आता था।
इंस्पेक्टर अब्राहम ने उससे उस दोस्त के हुलिए के बारे में पूँछा। बिरजू ने बताया कि वह कोई कम उम्र का लड़का था। कसरती बदन था। उसने जो हुलिया बताया था वह अंकित से मेल खाता था। इंस्पेक्टर अब्राहम के फोन पर अंकित की तस्वीर थी। उसने बिरजू को दिखा कर पूँछा कि क्या वह इसकी ही बात कर रहा है। बिरजू ने अपना चश्मा लगा कर ध्यान से तस्वीर को देखा। तस्वीर देख कर उसने स्वीकार कर लिया कि रॉबिन का नया दोस्त यही है।
यह स्पष्ट हो गया था कि रॉबिन और अंकित एक दूसरे को जानते थे। अब इंस्पेक्टर अब्राहम को यह पता करना था कि यह दोस्ती शुरू कैसे हुई ? सबसे बड़ी बात दोनों की इस दोस्ती का मकसद क्या था ?
अंकित एक जिम ट्रेनर था। रॉबिन का जिम से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। इंस्पेक्टर अब्राहम उस सूत्र के बारे में सोंचने लगा जो इन दोनों को आमने सामने लाया होगा।
मेघना क्योंकी अंकित और रॉबिन दोनों को जानती थी इसलिए वह दोनों को मिलाने की एक कड़ी हो सकती थी।
इंस्पेक्टर अब्राहम सोंच रहा था कि यदि मेघना ने ही दोनों को मिलाया था तो फिर उसे उन दोनों के बीच की सांठगांठ का पता क्यों नहीं चला।
या फिर उसने जान पहचान तो कराई थी पर उन दोनों के बीच की दोस्ती की उसे भनक नहीं लग पाई। उसे पता नहीं चला कि उन दोनों के बीच कब खिचड़ी पकनी शुरू हो गई।
अंकित और रॉबिन के बीच जो खिचड़ी पक रही थी उसकी आँच का कारण क्या था ?
इंस्पेक्टर अब्राहम अब इन सवालों के जवाब तलाशने लगा।