खुशीओं की दस्तक........
सपने तो सब सजाते पर हकीकत तो उनके ही होते है,जीनमें कुछ कर दिखाने का झुनुन होता है,भगवान भी वही लोगो का साथ देता है। सिर्फ सपने देखने से कुछ नहीं होता,उसे पुरे करने के लिए जी जान महेनत करनी पडती है।
आपके अंदर छुपी हुई प्रतिभा ही आपको आपकी मंजिल तक पहुंँचा सकती है आप अपने दिल की सुने किसीके दबाव में आकर या तो जल्दबाजी में आकर कोई भी फेंसला न ले जींदगी में आने हर दुःख भी हमारे मित्र है,हर परिस्थिति मे हम जो खुश रहते है तो किस्मत हमारी मित्र बन जाता है। ए बात है ६० वर्षीय वृद्ध महिला की जो गरीब परिवार से तालुक करती है और अपनी प्रतिभा से जग में मशहुर होती है, इनकी चर्चा तो हमारा मित्र देशों मेतो होती ही थी सब तारीफ करने से थकते नहीं थे, पर उनके गायकी को हमारे पडोशी दुश्मन देश पाकिस्तान में भी वो अपने आवाज के जादु से चर्चा का विषय बन गई है।सब अचंबे में पड गए की कोई भिख मांगने वाले में भी इतना टेलेन्ट होता है।
एक गरीब महिला की जो रेल्वे स्टेशन पे भीख मांग के और बोलीवुड के गानें गा कर अपना गुजारा करने वाली गरीब महिला आज रातो रात स्टार बन चुकी है। आप सब ने उनका नाम सुना ही होगा में जीससे वाकेफ कराने जा रही हुं इसका नाम अब पोप्युलर पर्शनालिटी रानु मंडल मुझे बात करनी है, उनके भिख मांगने से लेकर एक मशहुर गायिका बनने का ए सफर बहुत सुहाना रहा था।
रानु मंडल का जन्म पश्चीम बंगाल के कृष्णानगर नादिया में रहनेवाले गरीब परिवार में हुआ था। उनका पुरा नाम रानु मारिया मंडल है, उनको अपने उपनाम रानु मंडल से लोगो में विख्यात हुई थी। उनकी आर्थिक परिस्थिति बहुत नाजुक होने की वजह से उनको रेल्वे स्टेशन पर रहना पडता था। वहाँ वो बोलिवुड के गाने गा कर और भीख मांग के अपना गुजारा करा करती थी। पर उनका वर्तमान शहर रानाघाट नादिया पश्चिम बंगाल है।
उनकी शादी बबलु मंडल नामके शख्स से हुई थी।तब वो कम पश्चिम बंगाल में रहने वाली रानु अब मुंबई में शिफ्ट हो गई थी। रानुजी की जींदगी की गाडी बहुत अच्छी चल रही थी,उनको पहेले से गाने में बहुत रुचि थी। वो क्लब में गाना गाया करती थी। वहाँ वो बोबी के नाम से जानी जाती थी। उनकी एक बेटी भी है, उन्का नाम साथी रोय है।
उनकी अच्छी खासी जिंदगी में एक मोड आया, वो घटना ने उसकी पुरी दुनिया बदल डाली,उनके पति बबलु मंडल की अचानक से मृत्यु हो गई थी,रानु मंडल तब से अकेली हो गई थी। वो डिप्रेशन का शिकार बन गई थी। उन्हें पता नहीं था की आगे क्या करना है। वो रेल्वे स्टेशन पर बेठकर भिख मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।अपनो ने भी उसको घर के बहार का रास्ता दिखा दिया।रानु मंडल अब पहेले की तरह रेल्वे स्टेशन पर रहने लगी थी।खुद की बेटी ने भी अपनी मां को घर से बहार निकल दिया। जब वख्त बुरा आता है तब अपने भी पराये होते है। ए बुढ्ढी मां बेचारी लाचार हो कर स्टेशन पर रहने लगी थी। उसके अल्वा कोई रास्ता भी नहीं बचा था।
सु:ख और दुःख एक सिक्के की दो बाजुए है। दोनो के बीना जिंदगी बेजान सी लगती है,दुःख आता है तब ही तो सुःख की एहेमियत समज आती है। जो ए सच अपने दिल में उतारकर कोई परिश्रम करता है, वही सफलता का असली हकदार होता है,सफलता भी एसे लोगों की ही मित्र होती है। निष्फलता हमको लोगों से अपगत कराती है, और सफलता हमसे लोगों को अपगत कराती है। पर कहते है न की सबका एक दिन आता है,रानु बा ने हिंमत नहीं हारी अपने हालात को कोशने की जगह उन्होंने सख्त परिश्रम करना शुरु
किया,अपने ए गाने के पेशन को कभी मरने नहीं दिया।
पर उनकी आवाज़ में एसा जादु था की लोग सुनते ही दिवाने हो जाए। प्रसन्न हो कर लोग यही बात कहते "काश इन्हें कोई बॉलिवुड में मोका देदे, जी करता है की इनको सुनते ही जाए,ए तो बहुत अच्छा गाती है।
एक बार वो रेल्वे स्टेशन पर वो मोहम्मद रफी साहब का गाना गा रही थी। तो वहाँ एक अटिन्द्रा चक्रबोर्टी नामके एक सोफ्टवेयर इंजिनियर को इतना अच्छा लगा की उसने उनका गाना रेकोर्ड कर सोशीयल मिडिया मैं अपलोड कर दिया।वो गाना था ए "प्यार का नग्मा है "उनका ए गाना काफी वायरल हुआ। दुसरो की तरह हिन्दी फिल्म के कलाकार हिमेश रेशमिया ने भी सुना होगा,वह गाना और उन्की आवाज़ इतनी पसंद आया की इन्हें अपनी फिल्म हेप्पी हार्डी एण्ड हीर में गाने का एक मोका देना सोचा पर इन्का ए निर्णय बिलकुल सही साबित हुआ। इस गाने से रानु मंडल जल्द से जल्द प्रसिद्ध हो गई,उन्हे चलते चलते इन्डिया नाईडल शो में भी रानु मां को गानेका मौका मिला और रानु मंडल का तेरी मेरी कहानी वाला सोंग लोगों के वोट्सअेप के स्टेटस,म्युज़िक के लिस्ट मे और रिंगटोन में रह चुका था।
जो बेटी ने उनको रेल्वे स्टेशन पर छोड दिया था। वही बेटी आज अपनी मां को अपने घर वापस लेने आ गई यही तो है प्रसिद्धि का कमाल बुरे वख्त में कोई हमारा नहीं होता तब सब हमसे दुर चले जाते है यहाँ तक की हमारे मां बाप यां बच्चे भी हमारा सब हमारा साथ छोड देते है, तब सच्चा मित्र ही हमारी महेनत है,निष्फलता तो सफलता की शुरुआत है,भगवान आपकी परिक्षा इस लिए लेता है की वो देखने के लिए की आप बडी सफलता के लायक हो की नहीं वो इस लिए हताश होने की जगह इसे सफलता का संकेत समज कर निस्वार्थ महेनत करें,निष्फलता में हारे नहीं और सफलता में उछले नहीं,तो कुदरत हमारा मित्र बनजाता है।आपकी अंदर जो टेलेन्ट है, वह अपनी जगह ढुंढ ही लेता है,चाहे आप कोई भी बेकग्राउन्ड से तालुक ही क्यों न करते हो वो कहीं मायने नहीं रखता,
आप अपने अंदर कुछ पा लेने झुनुन को जीवंत रखे एक न एक दिन सफलता आपकी गुलाम होगी।
सब में अलग अलग खुबियां होती है। पर आपको पहचान ने की जरुरत है की आपके अंदर क्यां खुबि है,पर आप सच्चे दिल से परिश्रम करते है तो दुनिया का कोना कोना आपको आपकी मंजिल से मिलाने में लग जाता है। कुदरती शक्तियाँ कीसीके बाप की जागीर नहीं होती,सबके लिए एक समान और एक ही दिशा में काम करती है,वो चाहे अमीर होया गरीब वो नहीं देखती,जो महेनत करता है, उसे ही फल मिलता है।
शैमी ओझा "लफ्ज "