pyar aek jindgi ka raaz books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार एक जींदगी का राझ

प्यार एक जिंदगी का  राझ......

प्यार या नशा भी बहुत अदभुत होता है.किसी के लीए मर जाना, प्यार भी इश्वर की। तरह निर्मल पवित्र होता है कीसे कब कीसके साथ हो जाए पता न चलता .कभी प्यार का सफर जींदगीभर का  होता है ,तो कभी प्यार जींदगी का एक राझ बनके रह जाता है. प्यार कि पुजा करते है ,उसे इश्वर का दरज्जा दिया जाता है ,कोई लोगों ने तो जरुरत समज के रख दिया हैऔर प्यार शब्द को शर्मसार करके रख दिया है.हम सपने तो देखते है अपने प्यार के साथ जीने मरने के पर वो जींदगी कि एक राझ बनके रह जाता है. जब प्यार पास होता है तब तो हम कदर नी करते जब चला जाता है तब देर हो जाती है.तब हम प्यार कि किंमत समझते है. तब प्यार एक जींदगी या राज बनके रह गया होता है. समजने के बाद हो वो प्यार कहते है देखते हो वो आकर्षण होता है वो कुछ पल का नशा होता है जो उतरने मे देर नहीं लगती, वो प्यार सजा बनके रह जाता है. प्यार् जींदगी से कब्र तक की मुसाफरी होती है, जो हम को कीसी हमसफर के साथ निकाल नी पडती है.

ज़िंदगी में जो हम चाहते हैं वो आसानी से नहीं मिलता, लेकिन ज़िंदगी का एक सच यह भी है कि जो हम चाहते वो आसान नहीं होता।


    जिंदगी हमको अेसे मोड पर लाते खडा करती है हमको हम मौत मागे तो मौत तक नसीब न होती.हम जीतना उसे  जीतना दुर भागे इतना  हमको वही परस्थिती केउलझन मे लाके  खरडा कर के रख देती है.
      

     हम जीसे दुर भागो वही सामने आता है यही हकीकत है जींदगी कि हम जी से जी जान चाहते है वो हमको धोखा कर जाते है.यातो वही इन्सान न मिलता यही जींदगी की कडवी हकीकत है. एसी ही दुखद कहानी कह रही हु आप सुन कर बोलेगे "हाय जींदगी कैसा तेरा इन्तहाम है." 

      कोमल और अक्षय की। उनकी जींदगी ने कैसे कैसे मोड लीए आप सुनोगे तो रो पडोगे.ए बात को दो साल उन  दोनों को बिछडे हो गये है. 

            कोलेज काल सी बात है जब वो पहली बार मिले थे. तब हाय हेलो ही हुआ, पर उनका हाय हेलो कब प्यार के सफर तक ले गया ,उनको पता न और धीरे धीरे एकदुसरे के करीब आने लगे.वो पता भी न चला, पर उन्की दोस्ती एकदीन प्यार मे बदल गई वो पता भी न चला .की। कब वो आगे बढ गए देखते देखते,अपने रिलेशनशीप मे.हमजो चाहे वो किस्मत को  मंजुर न होता. एसा भी उन दोनों के साथ हुअा उनसे उनकी किस्मत तो   कुछ और चाहती थी .जब घर मे पता चला तो कोमल को घर के बहार निकलवाना भी बन करवा दिया गया तो पढाना  तो दुर कि बात रही. और उन्हों ने अपनी बात की तो अक्षय को और उसे  बहुत मारा कोमल के पापा ने और अक्षय को  तो उसे पापा ने तो मारा वो तो मुफ्त मे.और कोमल पर शादी के लीए दबाब डालने लागे. और वो न मानी तो अक्षय को मारने की। धमकी देने लगे.अब कोमल क्या करे करके भी बिचारी. अब उसे कुछ न सुझ रहा था. अपने प्यार को भी कैसे मरने देती.उसको अपने पापा सी बात माननी पडी उसे सब मे कोमल सी मां उसको संभले और प्यार करने कि जगह अपने पापा से मरवा रही थी केसी मा थी कि एक औरत होके अपनी बेटी को समाज न रही थी .
       
    और वो अपने घर मे जंजीरो मे बंध गइ थी पुराने खयालो की ,उसको जबरदस्ती उसकी सादी कर वादी. और वो भी जलसे जल्द. और वो अक्षय को न मिले उस पर नजर रखने लगे.पर शादी के दिन भी बिचारी के साथ अच्छा बर्ताव न किया.जेसे बोज़ न हो वो एसे बर्ताव किया.
और कीसिको भी दुख न था उसके जाने का ,असली किस्मत या खेल शादी के बाद हुअा. वो लडका कोमल से दुगनी उम्र का.

     और कोमल के मा बाप सबसे बोलने लगे सी शादी कि शादीकुशल मंगल से हो गई. और अच्छा घर है.वो लोग कितने अच्छे है वो तो बिचारी कोमल ही जानती थी.एसे बेकार मा बाप कीसीको न दे. बिचारी लडकी करे तो क्या ं करे ,उसका पति ही अच्छा न हो जी सके साथ जीना मरना हो वो ही अच्छा न हो तो बिचारी क्या करेगी ?और  बिचारी को रोज दारु पी के आता था और उसे मार पीट करता था. ओर जबरदस्ती करता था, अनाब  सनाफ तो बोलता था वो तो फ्री मे.उसके मा बाप को कोई परवा भी  न थी.पता न कि उन लोगो को समाज मे क्या छाप पानी थी पता नहीं कोमल जेसी बहुत लडकीयां होती है .जब घर मे पता चले कि लडकी रिलेशन मे है.तो कुछ बी करके शादी करदो.वो अच्छा हो य न हो पीछा छुडावो. ए कहां का न्याय है? बिचारी कोमल अक्षय को याद कर करके बहुत रोती थी पर क्या फायदा उसने अक्षय को भुला ना चाह कर भी न भुला रही थी.वो बिचारी के मा बाप भी अपने न थे.बिचारी कि यही गलती कि उसने प्यार ही कीया था.और उसका प्यार उसकी जींदगी का एक राझ बन गया था.और उसे कुछ हाथ न लगा.और वो जींदगी को जीने सी कोशिश करने लगी थी.

"उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है!
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है!
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर!
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है! "
   
अक्षय काम तो पता न की। क्या हुआ.ऊनदोनो को मिले पांच साल हो गये. कोमल ने अब अपनी जींदगी से समझौता कर लाया.और कोमल ने अेक  बेटी को जन्म दिया. धीरे धीरे सब ठीक होने लगा था.बाद मे कुछ साल बाद कोमल ने बेटे को भी जन्म दिया.  बेटी और बेटा बडे होने लगे. उसकी जींदगी मे सब कुछ उसकी जींदगी मे  खुशी आ रही थी .ठीक हो रहा था पर किस्मतको तो कुछ और ही पसंद था .उसको एसे मोड पर ला दीया करे तो क्या करे.पता न किस्मत  भी क्या  चाहती थी उससे.कोमल के पति काम अवसान हुआ बिमारी के कारण .बिचारी अकेली हो गई.और उसके पास  कोई न था. किस्मत भी अजीब खेलती है.

      "  दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं!
हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ!
कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब!
मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं! "
 
    इंसान को बहुत दर्द देती है. जब दोनो को मिलाती है.बाद मे मिलाती है. बाद मे जुदा करती है.प्यार एक गहरा राझ बन कर रह जाता है.. हम जीसे  प्यार करते है वही   हमसे वे ही जुदा होता है और दो प्यार करने वाले एक न  होते है.क्यों कुदरत हमको अैसे हाल मे लाकर खड़ा कर  देती है,कि हमने कभी सोचा भी न हो.

      "   वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए!
वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए!
कभी तो समझो मेरी खामोशी को!
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें! "

ली .......शैमी प्रजापति

Disclembar, 

Ae ghatana kalpnik he mene ,he ae samaj ki hakikat   ko logo    ke  samane Lanka he. n koi jati dhrm  samaj ko thesh pabochaneka nahi he. Ae story logo keke khayalat or dabav pe likhi he. Logo to rudhi o ki aad me aake apno ko bhi bhul jate he. Or MA bap Bhi Dushman ban jate he. 



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