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प्यार का सफर - भाग २

मेरे खयालात को तुने पढा तो तुने क्यों ए दिन दिखाया मुझे? जब हमको तुम चाहिए थे तब तुम क्यों नहीं थे?.......

हमने तुमे अपने जसबात मैं समाया,तुमे  ही अपना दिल माना तो क्यों हमारी दुनिया को छोडने की वजा बन गये थे?.....

प्यार की बहुत दिल धडक बातें हमको सुनाई जब हमको ए निभाने बारी आयी तो तुम क्यों 'थे' बन कर रहे गयें?........

तुजे न पता तुम दुनिया है मेरी, तुजसे ही शुरु हुइ थी जब हम समजने लगे थे  तुमको सब कुछ ,तब तुम हमको दुनिया क्या है वें समजा कर क्यों चले गये.......

"प्यार सा सफर"भी सुहाना होता है, दिखता कुछ और है, होता कुछ और......

तुमको हमने पुजा था हम तुमको अपना सब कुछ माना था पर तुम हमको दुनिया दारी शीखाकर क्यों गए?.......

खामोशी के शब्द भी तुम हो तो हमको खामोशी देके तुम क्यों चले गये?......

हम तुज मे हमारी दुनिया देखी पर हमको दुनिया क्या है वो तुमने क्यों शीखाई?......

प्यार की बाते सब करते है पर प्यार के पीछे का काला सच बताके ,तुम क्यों चले गये?......
२.
क्याें ए जले हुए दिल को मैं 
नमक छीडक तुली है ए दुनिया......

क्यों दिल को बहुत मुश्किल 
से शुकुन मिला था......
वो भी छीनने मे क्यों लगी है ए दुनिया.....

पता है दिल तो कीसी के पीछे दीवाना था....
वो तो मेरा  अतीत था न जाने  मुजे क्यों 
रु लाने मैं तुली है ए दुनिया......

मेरे सपने थी अजीब तुमको पाने कां , नशा छा गया था दिल को तेरा पर हम तेरी याद मैं बहुत रोए थे, पर हम लाचार थे हम को क्यों लाचारी का फायदा उठा ने मे लगी है ए दुनिया.......

तेरी बातों मे कुछ खाश था , तेरे प्यार को हम हम भुला नहीं पाये, पर बहुत मुश्किल से हम खुद को  संभाला है पर हम को क्यों नहीं खुद को संभलने देती  है ए दुनिया........

हम सोच रहे थे की हम अकेले रहे हम खुश रहे तो हम को क्यों न् अकेला छोड देती है  ए दुनिया......

"प्यार का सफर"भी सुहाना होता है, जिंदगी को जीने सी वजह बनाता है,तो हमको ए यादो पर क्यों न जीने देती है ए  दुनिया......

शैमी ओझा.....
३.
हम चुप रहे पर हमारी कलम बहुत कुछ बोल गई
होठ चुप रहे आंखों लेकिन आंखे कहा मेरी सुनने वाली थी.......

पतंग तो सिर्फ दो दिन ही उडती है, मन को हसांती है, वो पल हमने खुल को जी लिए पर दिल हमारी सुनता कहां, पर ए दिल को कैसे समजाए हम नवा.......

मन तन्हा था इश्क रुस्वा था पर ए घाव हमने छुपा दिये, दिल रो रो कर पगला गया इसे हम कैसे 
समजाये?

तेरा हुस्न मेरे दिल को बहेका गया, तेरी बाते तेरी यादे मन को छु गयी पर हमारा दिल तो रो कर सारे घाव पी गया पर ए दिल को कैसे समजाये?

आपने पल्को को संभालो मत करो पागल 
बहुत मुश्किल से बचे हे हम ए भुखार से पर 
हम कैसे समजाये ए नादा दिल को.......

शैमी ओझा .....
५.
मत चडावो अपने प्यार नशा......

मुझे तेरे प्यार का नशा ,
मुझपे न कर ए जुल्म हम पे.
हट पगले हमको  अब तुम्हारे
 मत चडावो अपने प्यार का नशा.....

तुमने अपनी तेरी कातिल
निगाहों से बहुत....
गोलियाँ चलाई पर 
हमको अब तुम्हारे निगाहो से 
निशाना न बनावो 
मत चडावो 
अपने प्यार का नशा.....

फ़क़त बहुत अभी अभी 
तो तेरे इश्क या नशा,
डर है की फिर न लौट
आये खुमार,मुझे दुर रख अपने सें
हमको अब और न उतारो 
अपने प्यार में
मत चडावो
अपने प्यार का नशा.....

बहुत मुश्किल से हमारा 
प्यार का भुत उतरा है।
हमको और न भटकावो 
ए बावरा मन बहुत मुश्किल से माना है
हमको और अपना भुत न चडावो....
मत चडावो अपने प्यार  का नशा ......

बहुत मुश्किल से बचे है तेरे हुस्न से 
अब हमको मत उतारो अपने हुस्न में
अब न लगावो अपनी आदत
मत चडावो अपने प्यार का नशा......

बहुत मुश्किल से बदला है ए मौसम...
अब न बदलो अपने सुहाने चेहरे से मौसम.....
हमको मत लगावो अपने प्यार की हवा.....
मत चडावो अपने प्यार का नशा.,.....

दिल में महौब्ब्त की
आग ठंडी  भी न हुई,
डर है की वौ आग फिर से न जले,
तुम अे आग को चिंगारी न लगावो.....
मत चडावो अपने प्यार का नशा......

में अपनी मंजिल न भटक जावुं,
तेरे तेरै हुस्न का शराब पी के,
कही डर है की फिर से न,
हो जाये प्यार हमको तुमसे,
मत चडावो अपने प्यार का नशा.....

दिल में जल रही है तुमको पाने की आग,
डर है की हमको जला के राख न कर दें
मुझे दुर रख खुद से, मत चडावो 
अपने प्यार का नशा......

- शैमी प्रजापति
६.
एक मासूम सा लड़का....

एक मालुम सा लड़का जो 
मेरे दिल की गलीयों मे रहता था.....

मेरे साथ बच्चों की। तरह बात कर रहा था
एक मासूम सा लड़का.......

उसकी नजर भी बहुत कातिल थी,
उसकी कातिल नज़र का मुझे ,
शिकार बना गया ,
एक मासूम सा लड़का......

पर मेरे दिल को खुद की आदत 
लगा के गया एक मासूम सा लड़का......
वो मुझसे कहता था की 
मुझे भी किसी से प्यार करना है....
वो कैसे कीसीको 
अपनी मीठी बातो मे फसाते है,
उसके खयालो मे रात दिन डुबा रहता था
एक मासूम सा लड़का........
पगली पगली सी नादानियां,
से मेरे दिल को खुश कर देता था.
एक मासूम सा लड़का.......

न कोइ जान पहचान न 
कोइ न कोइ लगाव 
मुझे उसकी आदत का लगाव
छोड के गया 
एक मासूम सा लड़का.......

न जाने वो मेरे दिल मे छा गया
न जाने उसके एक मेसेज के लिए ,
मेरा दिल क्यों बेचेन सा हो जाता है....
मेरे दिल को भी मुझसे छीनके ले गया
एक मासूम सा लड़का.........

अब वो मेरी जरुरत बन गया था,
उसने मुझे मेरी जिंदगी मे खालीपन था 
वो जो भर दिया था।
अौर वो हर बार उसका वही बच्चे जेसी मासुमियत जो  मुझे दिवानगी का
झुनुन चडा गइ थी...
उसकी आदत लगा के गया मुझे.....
एक मासूम सा लड़का......

मे उसकी नादानी की राह देखती रही,
जी करता है की उसको सुनती रहु.
कुछ एसा करु की वो 
बच्चे जेसी हरकत करता रहे,
एकसमय वो अंजान सा था
पर कब मेरे दिलपे हुकूमत जमा ली....
सब को छोड अब मुझे 
उसीकी ही जरुरत हो गई.....
उसका साथ अब मेरी कविता
और शायरी बनके  
किताबों मे रह गया था.....
मुझे उसकी याद दे गया 
एक मासूम सा लड़का..........

Writen by shaimee Prajapati.... 

This poem specially my sweet friend 


("दुनिया मे वही लोगों को प्यार हो जाता है की जो प्यार या मतलब तक न जानते "

शैमी ओझा

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