अस्वत्थामा (हो सकता है) - 2 Vipul Patel द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अस्वत्थामा (हो सकता है) - 2

उसी दिन सुबह किशनसिंहजी के राज्य गुजरात के अहमदाबाद में मनोविग्नान के प्रोफेसर जगदिशभाई सुबह सुबह अपने बंगले में अपने कमरे को अंदर से बंध करके बैठे बैठे भगवद् गीता का पठन कर रहे थे । उसके बंगले के बाहर दीवार पर उनके नाम की नेम प्लेट लगी हुई थि जिसपे उसका नाम लिखा हुवा था “ जगदिशभाई एम. उपाध्याय “ । और उसके नीचे उसका व्यवसाय लिखा हुवा था “ प्रो. गुजरात युनिवर्सिटी “ । जिससे साफ पता चलता था की वे गुजरात की प्रख्यात युनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे । जगदिशभाइ के कमरे के बाहर उनकि बीबी संध्या नई साडी में तैयार होकर चिल्ला के अपनि साँसुमां से कहे रहि थि की वहा मैरी भतीजी सादी करके बिदा होके अपने ससुराल चली जायेगि फिर भी यहा आपके लाडले अपने पूजापाठ से नहीं परवारेगे । यदि एक दिन गीताजी का पठन ना करे तो कौन सा आसमान तूट पड़ेगा ? और इस उम्र में भक्ति आपको सोभा देती है , आपके बेटे को नहीं । पर यहा तो उलटी गंगा बहे रही है । जिन्हें भक्ति करनी चाहिये वो सुबह सुबह टीवी पे साँस बहु की सीरियलों में उलजे हुए है । और जिसे इस वक्त अपनी ग्रुहस्थि मैं ज्यादा ध्यान देना चाहिये वो गीताजी को लेकर ग्नान के सागर में डूबे है । और ग्नानी भि कैसे, यदी मंदिर में भगवान की मुर्ति के आगे माथा टेकने को कहो तो उसमें साहब को अंधश्रद्धा लगती है। और हररोज सुबह सुबह पोपट की तरह एक एक अध्याय रटने में जीवन मानो सफल हो जाता है इनका। तभी जगदिशभाई अपने कमरे से बाहर आए और भागवद गीता की पुस्तक को संभालकर अपने पुस्तको के कबाट में रख दीया । और जल्दी से अपनी माँ के पैर छूकर उनके आशीर्वाद लेकर , मूँ फुलाके खड़ी संध्या की ओर देखकर हँसते हुए बोले चलो चलो जल्दी करो ओर कितनी देर लगाओगी ? सादी के लिए देर नहि हो रही है ? और संध्या का हाथ पकड़कर उसे खिचते हुए बंगले से बाहर ले गए और अपनी कार लेकर सादी मे जाने के लिये निकल पडे । कार मैं बैठे बैठे संध्या ने बताया की आज पूरी रात आप मेरे साथ बिस्तर पे नहि थे । क्या आज फिर से छ्त पे जाकर सो गये थे ? जगदीशभाई बोले हा , रात को थोडी बैचेनी सी लग रही थी इसलिये छत पे चला गया था ।

वहा संध्या की भतीजी की सादी में जगदीशभाई को अपना दोस्त प्रताप मिल गया । जो जगदीशभाई के साथ मे हि कोलेज मे पढ़ता था । और अब अहमदाबादमें डेप्यूटी पोलिस कमिश्नर था ।जगदीशभाई उसके पास गये तभी वो किसी के साथ फोन पे बात कर रहा था । और जगदीशभाई को देखते ही उसने फोन पे कहा ठीक है , जैसे ही तुम्हें कुछ पता चले तुम मुजे इनफोर्म करना मत भूलना, ठीक है। चल अभी रखता हु। और फोन रख दीया और जगदीशभाई से मिले । प्रताप ने जगदिशभाई को मिलते ही कहा मै तेरा ही इंतजार कर रहा था । तूने अभी न्यूज देखे है ? जगदीशभाई बोले कौन से न्यूज ? क्यू ? क्या हुवा है ? प्रताप बोला हमारे साथ कोलेज में जो किशन पढ़ता था ना , उसके बारे में अभी न्यूज़ मे बता रहे है की यू.पि. के रामनगर नाम के एक गाव में उसकी मौत हो गई है । जगदीशभाई उतावले होकर बोले कौन किशन , वो हिस्ट्री डिपार्टमेन्ट वाला चावडा ? प्रताप ने कहा हा वही। जगदीशभाई अपनी आंखें बंध करके हाथ जोडकर बोले “ हे राम “ । फिर प्रताप से पूछा कैसे हुवा ये ? प्रताप बोला ये तो मालूम नहीं है पर न्यूज वाले किशन की मृत्यु को महाभारत के अश्वत्थामां के साथ जोडकर तरह तरह की बाते बना के सुना रहे है । इस बारे में वे लोग घूमा घूमाकर ये बात कह रहे है कि किशन कि मौत के पीछे अश्वत्थामा का हाथ है । जगदीशभाई नकार मे मुंडी हिलाते हुए और निश्वास छोडते हुए बोले ये मीडिया वाले भी ना, यहा एक आदमी की जान चली गई है । और उन्हे ईस मौके पे अपनी टी.आर.पी. बढाने के लिये ऐसी कहानिया सूज रही है । प्रताप बोला, वहा यु.पि. में ईस केस की इंकवायरी ऐस. पि. आश्विन कपूर कर रहा है । और वो मेरा दोस्त है । हम दोनो एक ही बेंच के IPS ओफिसर है । मेरी उससे अभी फोन पे बात हुई । वो बता रहा था की मामला कुछ पेचीदा है , क्युकि मृत्यु कैसे हुई है ईस बारे में ना तो फोरेंसिक वाले कुछ बता पाए है और नाही पोस्ट मोटॅम वाले डॉक्टर पता लगा पाए है । ऊसकी टीम छानबीन कर रही है जैसे ही कूछ पता लगेगा वो मुजे बताएगा । जगदीशभाई बोले हे भगवान, किशन के साथ अचानक ये सब कुछ क्या हो गया ? उसके परिवार पे इस वक्त क्या बित रही होगी ? उसकी छोटी बहेन अर्चना मेरे पास ही पढ़ रही है। उस बेचारी का कोलेज में ये आखरी यर है । ना जाने इस घटना का उस पर कितना बुरा असर पड़ेगा ? अचानक जगदीशभाई को कुछ याद आया और वो बोले , अरे प्रताप, किशन के जिगरी दोस्त ईश्वर को ये बात बतानी पडेगी , यार । प्रताप बोला हा इन दोनोकी दोस्ती पूरे कोलेज मे मशहुर थी । फिर उसने जगदीशभाई से पूछते हुए कहा ईश्वर अभी भी तेरे साथ यूनिवर्सिटी मैं ही पढा रहा है ? या अमेरिका सेटल होने की बात कर रहा था तो अमेरिका तो नही चला गया है ना ? जगदीशभाई बोले नहि नहि अभी यही पे ही है, कही नही गया है । मे अभी उसे फोन करता हूँ । और फिर जगदीशभाई ने प्रोफेसर ईश्वर पटेल को फोन लगाया। जैसे ही ईश्वर ने फोन उठाया जगदीशभाई बोले हेलो ईशु तू कहा है इस वक्त ? सामने से ईश्वरभाई बोले , जगदीश मेरे दोस्त मुजे सब मालूम है । मै अभी टीवी पे यही मनहूस समाचार देख रहा हू । ये सब क्या हो गया मेरे दोस्त ? जगदीशभाई बोले , भगवान की शायद यही मरजी थी , किशन के भाग्य में शायद इतना ही जिवन लिखा होगा । ईश्वरभाई उदास चहेरे के साथ बोले शायद एसा ही है । फिर वो बोले, दोपहर तीन बजे के आसपास किशन के पार्थिव देह को लेकर वो लोग यहा पहोच जाएगे । तू आ रहा है ना ? जगदिशभाई बोले हा मै और प्रताप दोनो आ रहे है । चल, अब किशन के घर पे मिलते है , अभी फोन रखता हूँ । और जगदीशभाई ने फोन रख दीया । फिर वो प्रताप से बोले , चल अब हम निकलते है घर जाकर कपडे बदल के किशन के घर पे पहोचते है । फिर जगदीशभाई ये सारी बात संध्या को बता के उसे सादी में ही छोडकर वहा से निकल गए।

शाम छे बजे के आसपास स्मशान मैं किशनसिंहजी की चिता जल रही थी , पूरा स्मशान परिचित लोगो से खिचोखिच भरा हुआ था । किशनसिंहजी की बीबी चारुलता अपने सात साल के बेटे अजय को अपनी छाती से लगाकर हैयाफाट रूदन कर रही थी । किशनसिंहजी के दोनो भाईओ की बीबिया आंसू बहाती हु़ई चारुलता को संभाल रही थी । किशनसिंहजी की छोटी बहेन अर्चना अपने भाई की चिता को देखकर बेहोश होके नीचे गिरने ही वाली थी की तभी ईश्वरभाई की धर्मपत्‍‌नी निरूपाबहेन ने उसे संभाल लिया और उसे वहा से दूर ले गई । किशनसिंहजी के दोनो बडे भाई वीरेन्द्रसिंह और रामदेवसिंह के साथ साथ उनके जिगरि दोस्त ईश्वरभाई और दुशरे स्वजनो की आँखों से आसूँओ की अविरत धाराए बहे रही थी । जगदीशभाई और प्रतापभाई उन सबको आश्वाशन दे रहे थे । स्मशान मे जो लोग पीछे खड़े थे उनमें से ज्यादातर लोग गुपचुप एक दूसरे के साथ किशनसिंहजी की मौत के बारे में ही बाते कर रहे थे । कोई इशका कनेक्शन अश्वत्थामा के साथ जोड़ने मे सहमत था तो कोई इस बात को सिर्फ अफवा बता रहा था । किसी का कहेना था की हो ना हो ये काम उसके आसीटण्ट कुमार का हो सकता है । कुछ लोग ये भी अनुमान लगा रहे थे की हो शकता है की किशनसिंह ने अत्मह्त्या की हो । और कुछ लोगो का दावा था की उनकी मृत्यु सायद कुदरती तरीके से हुइ हो जैसे हार्ट अटैक या कुछ और घटना घटी हो । लेकिन बात जब पत्थर पे लिखे हुए किशनसिंहजी के अंतिम वाक्य और फोरेंसिक व पोस्ट मोटॅम रिपोर्ट पे आती , तब सब की जबान बंद हो जाती थी ।