अभिनव उर्फ चिंटू त्यागी (कार्तिक आर्यन) एक सरकारी अफसर है जिसे अफसोस है की जिंदगी के असली मजे लेने से पहेले ही उसे शादी के बंधन में बांध दिया गया है. वेदिका (भूमि पेडनेकर) उसकी पत्नी है जो कानपुर जैसे छोटे शहर से नीकलकर दिल्ली जैसे मेट्रो सिटी में बस जाना चाहती है. तपस्या सिंह (अनन्या पांडे) एक बिजनेस वुमन है जो अचानक ही चिंटु की जिंदगी में आकर खलबली मचा देती है. ‘वो’ के करीब जाने के लिए ‘पति’ एक जूठ बोलता है और उस जूठ को छुपाने के चक्कर में जूठ पे जूठ पे जूठ बोलने की नौबत आ पडती है, जिसकी वजह से क्रिएट होता है ढेर सारा कन्फ्युजन. फिर क्या होता है..? वही होता है जो मंजूरे ओडियन्स होता है… खूब सारा धमाल, बहेतरिन कोमेडी और मनोरंजन का विस्फॉट होता है.
फिल्म का हीरो सही मायने में देखे तो फिल्म की लिखावट ही है. स्टोरी ठीकठाक सी है, स्क्रिप्ट थोडी और बहेतर हो सकती थी, लेकिन भैया जो असली कमाल हुआ है वो डायलोग राइटिंग में हुआ है. एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी… जो पंच लाइन्स की बौछार इस फिल्म में हुई है उसकी जितनी तारीफ करे कम है. हंसी के फव्वारे पहेले सीन से फूटने शूरु होते है और आखिरी सीन तक फूटते ही रहेते है. फिल्म के ट्रेलर में जितना देखा था उससे कहीं ज्यादा कोमेडी है इस फिल्म में. न सिर्फ मुख्य अदाकार बल्की छोटे से छोटे अभिनेता के हिस्से में ऐसे ऐसे संवाद आए है की हर किसी को चौके-छक्के मारने का मौका मिल गया है. और सभी कलाकारों ने इसका जमकर फायदा उठाया है.
कार्तिक आर्यन कई मायनो में अक्षय कुमार के छोटे भाई लगते है. उनका लूक, उनकी आवाज, उनकी हंसी… सभी कुछ अक्षय कुमार से खूब मिलता है, और इन सब चीजों को एनकेश कैसे करना है ये कार्तिक पूरी तरह जानते है. अक्षय कुमार की तरह वो भी इस फिल्म में बडे प्यारे लगे. उनका कन्फ्युजन, उनका रोमान्स, उनकी बॉडी लैंग्वेज, उनकी नर्वसनेस, उनकी डायलोग डिलिवरी… सभी परफेक्ट है. इस भूमिका को उनसे अच्छा और कोई शायद ही नीभा सकता. उनका ट्रेडमार्क बन चुका एक मोनोलॉग भी फिल्म में है, जो हम ओलरेडी फिल्म के ट्रेलर में देख चुके है. दर्शकों को हमेशा अपने अभिनय से प्रभावित करनेवाली भूमि पेडनेकर ने फिर एक बार दमदार परफोर्मन्स दी है. साडी में लिपटी घरेलू + मोर्डन महिला के किरदार को उन्होंने खूब अच्छे से अदा किया है. एक सीन में वो अपने दबंग स्वाभाव का परिचय देते हुए बोलती है, ‘पतिव्रता अब आउट ओफ फेशन है, जमाना कुल्टाओं का है…’ भई वाह..! चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे के बारे में क्या कहे..? अपनी पहेली फिल्म ‘स्टुडन्ट ओफ द यर’ में वो बहोत अच्छी थीं, और यहां ‘पति पत्नी और वो’ में वो अपनी पहेली फिल्म से भी कहीं ज्यादा अच्छी लगीं. लूक्स में और अभिनय में भी उनका कोन्फिडन्स पर्दे पर साफ नजर आता है. अभिनेत्री के रूप में ये लडकी बहोत आगे जानेवाली है.
तीन मुख्य पात्रों के उलावा जितने भी सहायक कलाकार है वो बेंग ओन परफेक्ट है. स्पेशियल रोल में सनी सिंह मस्त लगे. खाने के शौकीन मौसाजी के पात्र में नीरज सूद और उनके ‘सेन्स ओफ ह्युमर’ ने खासा रंग जमाया. लेकिन, लेकिन, लेकिन… अगर किसी एक्टर ने इस फिल्म में कोमेडी का धमाका किया है तो वो है अपारशक्ति खुराना. कार्तिक के दोस्त बने अपारशक्ति ने जो डायलोगबाजी की है वो दर्शकों को हसां हसां के लोटपोट कर देती है. ‘पत्नी’ और ‘वो’ के बीच फंसे दोस्त ‘पति’ की मुसीबतों पर चुटकीयां लेते अपारशक्ति की कोमिक टाइमिंग जबरजस्त है. वैसे तो फिल्म के सभी कलाकारों को फनी डायलोग बोलने को मिले है लेकिन सबसे ज्यादा हास्यप्रचूर संवाद अपारशक्ति के खाते में ही आए है और उन्होंने उसका जमकर फायदा उठाया है. निःसंदेह ये उनकी करियर का बेस्ट पर्फोर्मन्स है.
कलाकारों के बीच की केमेस्ट्री बहेतर से बहेतरीन है. जहां आर्यन और अपारशक्ति के बीच की नोंकझोंक इस फिल्म की जान है, वहीं आर्यन-भूमि और आर्यन-अनन्या के बीच की केमेस्ट्री भी अफलातून है.
इस से पहेले ‘हैपी भाग जाएगी’ जैसी मस्त कोमेडी देनेवाले निर्देशक मुदस्सर अजीज का काम ‘पति पत्नी और वो’ में प्रशंसनीय है. उन्होंने बडी ही सफाई से रोमान्स और ड्रामा को कोमेडी की चाशनी में डूबोकर पेश किया है. सोशियल मेसेज देते हुए भी उन्होंने ये ध्यान में रखा है की फिल्म कहीं भी बोरिंग ना बन जाए. हिन्दी फिल्मों में सबसे उपर होता है मनोरंजन, जिसे इस फिल्म में बडे ही सही ढंग से परोसने में निर्देशक पूरी तरह से कामियाब हुए है. निनाद खानोकलर का एडिटिंग ऐसा है की कहीं भी कोई सीन लंबा या बेफिजूल नहीं लगता.
कानपुर का माहोल कालाकारों के पहेनावे और बोलचाल में अच्छे से झलकता है. मजेदार क्लाईमैक्स में एक प्यारा सा सस्पेन्स भी है, जो दर्शकों को जरूर पसंद आएगा. फिल्म का संगीत पक्ष कुछ खास नहीं है. ‘अंखियों से गोली मारे का…’ का रिमिक्स तथा ‘धीमे धीमे…’ ये दो गाने पर्दे पर अच्छे लगे.
कुल मिलाकर देखे तो ‘पति पत्नी और वो’ एक साफसूथरी एन्टरटेनिंग फिल्म है, जिसे पूरी फेमिली के साथ बैठकर देखा जा सकता है. अगर आप कुंवारे है तो दोस्तों के साथ जाएं. अगर आप शादीशुदा है तो अपनी पत्नी के साथ जाएं. और अगर आपके जीवन में कोई ‘वो’ है तो उसके साथ भी जाएं, लेकिन जाएं जरूर, क्योंकी ये फिल्म बहोत ही बहोत मजेदार है. बॉक्सऑफिस पर 100 करोड तो पक्के है. तगडे मनोरंजन के साथ एक प्यारा सा मेसेज भी देनेवाली इस रोमेन्टिक कोमेडी को मेरी और से 5 में से पूरे 4 स्टार्स. सभी पत्नीओं से प्यारभरी गुजारिश है की अपने पति को खींचकर ये फिल्म दिखाने को ले जाए. उसके दिमाग में कभी भी किसी ‘वो’ का ख्याल नहीं आएगा. एन्जोय.