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घडी - दी टाइम इज रनिंग आउट

“घडी”

दी टाइम इज रनिंग आउट

By Prashant Vyawhare

! यह कहानी समर्पित है उस वीर जवानो और मेहनती किसानो को जो आज हमारे देश की धड़कन है!

!कहते है समय बड़ा बलवान है और कब किसी का समय बदलेगा ये कोई नही बता सकता!

इस कहानी के सभी पत्र एवं घटनाये काल्पनिक है.

सुबह का वक़्त था पीपल पार्टी के नेता श्री रावसाहेब उनके आवास के आँगन में सोफे पर बैठ कर हाथ में अख़बार लिए, चाय के चुस्किया भर रहे थे, के तभी उनका असिस्टेंट दौड़ कर आता है और कहता है, सर दिल्ली से फ़ोन है.

दिल्ली का नाम सुन कर नेताजी थोड़े से सपक गए. उन दीनों पार्टी ने काफी साल बाद इलेक्शन में बड़ी जीत हासिल की थी और मंत्री मंडल में शामिल होने के लिए सभी जीते हुए उमीदवार आस लगाए बैठे थे, रावसाहब भी उन्ही में से एक थे, जिनके दादा और पिताजी ने पार्टी के लिए काफी काम किया था और अब वो कर रहे थे!

रावसाहब: जी सर सांसद रावसाहब बोल रहा हूँ, वैरी गुड मॉर्निंग!,

पार्टी सेक्रेटरी : फ़ोन पर दूसरे तरफ, जी रावसाहब जी पार्टी सेक्रेटरी माणिक मुखर्जी बोल रहा हूँ! आप को हाई कमान ने याद किया है, तुरंत दिल्ली आइये कैबिनेट मंत्री मंडल के निर्वाचन हेतु आप का नाम आगे आया है!

रावसाहब: जी माननीय बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! के आप ने हमे इस योग्य समझा! में आज ही दिल्ली के लिए निकलता हूँ!

पार्टी सेक्रेटरी : हाँ हाँ तुरंत पहुँचिये, मीलकर बात करते है आगे की!

फ़ोन रख कर ख़ुशी खुशी राव साहब आवास की तरफ दौड़ लगते है!

तभी उनकी पत्नी दरवाजे पर उन्हें मिलती है! जो शायद पूजा के लिए मंदिर की और निकल रही है!

रावसाहब की पत्नी: अरे सांसद जी कहा दौड़ रहे हो! अब तो आप की पार्टी चुनाव जीत गयी है अब तो थोड़ा आराम कर लो!

रावसाहब: अरे क्या आराम अब तो मुझे कैबिनेट मंत्री की कुर्सी के लिए दिल्ली से बुलावा आया है! अब लाल बत्ती के गाड़ी में बैठोगी तुम!

रावसाहब की पत्नी: जी ये तो बहोत बड़ी खुशी की बात है! लगता है भगवान ने मेरी सुन ली! आज ही मंदिर में जा कर पुजारी जी को हवन और दान करने के लिए कहूंगी!

रावसाहब: सुनो! अभी आज ही में दिल्ली निकल रहा हूँ! अब तो मंत्री बन कर ही वापस लौटूंगा!

रावो साहब की पत्नी: जी तो ठीक है, में पहले आप की दिल्ली जाने की तैयारियां कर देती हूँ! मंदिर बाद में चले जाउंगी और खूब इत्मिना से पूजा और हवन करूंगी!

थोड़ी ही देर में रावसाहब दिल्ली के लिए रवाना हो जाते है! और उनकी पत्नी मंदिर की और!

एयर पोर्ट पहुँच कर क्लीयरेंस कर कुछ कार्यकर्ता और उनके असिस्टेंट को ले कर हवाई जहाज में सवार हुए!

आज उनकी खुशी उनके चेहरे और बर्ताव से साफ़ झलक रही थी! उन्होंने उसी खुशी से एयरपोर्ट पर छोड़ने आये कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया और किये सभी वादे मंत्री बनकर पूरा करने का वचन दे कर विदा किया, जब उनके लिए जोश भरे नारे लगे तब उन्हें जीवन में सफलता पाना किसे कहते होंगे वो उनके शिक्षक के बोल याद हुये! जब ज्यादा लोगो को तुम्हे किसे पद पर देख कर खुशी होगी उसे ही असली सफलता कहते है!

और ऐसे कई ख़याल उनके मन में चल रहे थे! उन्हें पता भी नहीं चला के वो कब नींद में डूब गए! दो घंटे बाद एयरप्लेन दिल्ली में उतरने लगा तब उन्हें सेक्रेटरी ने जगाया!

एयरपोर्ट पर उन्हें रीसिव करने खुद सेक्रेटरी जी आये थे! जो उन्हें उनके निजी निवास पर ले गए !

कुछ जल पान और विश्राम के बाद! वही दोपहर में बाकी सांसद और पार्टी हाई कमान की मीटिंग हुयी !

पात्र सांसदों को एक एक कर मंत्री पद बहाली के लिए हाई कमान घोषणाएं करने लगी ! उसमे से रावसाहब की बारी आयी !

पार्टी अध्यक्ष : तो रावसाहब जी आप का पार्टी के लिया काम और पारिवरिक रक्षा विभाग की सेवा के चलते आपका नाम रक्षा मंत्री पद के लिया चुना गया है ! आप के इस पर क्या विचार है !

रावो साहब: जी माननीय मुझे बहुत खुशी होंगी के मुझे इस जिमेंदार पद के लिए चुना जाये ! और इसमें में निश्चित ही आप को अच्छा काम कर के दिखाऊँगा !

पार्टी अध्यक्ष: जी रावसाहब जी पार्टी को आप की काबिलियत पर विश्वास है !

दूसरे दिन पार्टी की औपचारिक पत्रकार परिषद् में रावसाहब जी को रक्षा मंत्री का पद दिये जाने के घोषणा की गयी और कुछ हे दिनों में शपथ विधि के बाद उन्होंने विभाग का जिम्मा लिया !

अब रावसाहब जी को दिल्ली में एक सरकारी मकान जारी हुआ जिसमे वे उनके परीवार के साथ शिफ्ट हो गए.

उनके परिवार में उनके बेटी सिमरन थी जो की आई टी इंजीनियरिंग की पढाई कर रही थी उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन ली , उनका बेटा युवराज रक्षा अकादमी से पास हो कर हाल ही में मिलिट्री में शामिल हुआ था, उसे वीआईपी, पारिवारिक सुरक्षा की वजह से दिल्ली में ही पोस्टिंग दे दी गयी.

अब कुल मिला कर सभी लोग खुश थे खास कर मिसेस रक्षा मंत्री जी क्यूंकी !उन्हें उनके पुस्तैनी मकान से दिल्ली के उस आलिशान घर में और इतने सुविधाओ में दिल लग गया था !

एक दिन रक्षा मंत्री उनके घर में ही बने ऑफिस में बैठे थे और कुछ फाइल देख रहे थे तभी वह की पत्नी जी आयी उनका मूड कुछ ठीक नहीं लग रहा था ! और मंत्री जी ने उसे भाप लिया

राव साहब जी : क्यों मिसेस मंत्रीजी क्या हुआ कही हम्ला हुआ है क्या कहो तो फ़ौज भेज दू !

मिसेस मंत्री : जी हमला तो बस आप इस ट्रैफिक पुलिस पर कर दो, जरा कही सिग्नल टूटा तो हमपर चलन कर दिया है और जब हम बताने लगे के हम मिसेस रक्षा मंत्री के धर्म पत्नी है तो उल्टा डबल चलन लिया ! अब कुछ नहीं आप उसे नौकरी सी निकल दे लगाइये प्रधान पुलिस जी को फ़ोन !

रावसाहब : अरे रे बस इतने सी बात ! क्यों उस ईमानदार की नौकरी लेने पर तुली हो उसने तो बस अपना काम किया है ! और ये राजधानी पुलिस है ये किसी का नहीं सुनते बस अपना काम करते रहते है चाहे सरकार कोई भी आये ! तो अब आप गुसा छोड़ो और ड्राइवर से कहो के आगे से गाड़ी कायदे में चलाये ! ठीक है और चलो कही घूम कर आते है ! बिटिया सिमरन को भी बुला लो चलो जरा दिल्ली घूम आते है!

मिसेस मंत्री : ये तो बहुत अच्छी बात है ! आप तैयार हो जाइये जल्दी से हम तो रेडी है बस बिटिया को फ़ोन कर बुला देते हूँ !

राव साहब जी : चलो ठीक है, चलते है, जरा हम भी तो दिल्ली के ठाठ देखे !

अब रावसाहब और उनका परिवार दिल्ली में घूम रहे थे,

सिमरन : पापा हमे भैया के लिए कुछ गिफ्ट लेना चाहिए ताकि वो खुश हो जाये ! एक तो उन्हें ग्राउंड ड्यूटी चाहिए थी मगर अब वीईपी सुरक्षा के कारन उन्हें स्टाफ ड्यूटी करने पड रही है ! और उसमे उनका मन नहीं लग रहा !

रावसाहब : बेटी वो सही है फ़ौजी के सीमा पैर ड्यूटी हे ज्यादा पसंद करते है मगर क्या करे डिपार्टमेंट प्रोटोकॉल तो तोड़ नहीं सकते ! चलो ठीक है तो आज युवराज के लिए कुछ गिफ्ट लेते चलते है !

सिमरन : हां पापा भैया के लिए तौफे में एक अच्छी सी घड़ी कैसे रहेंगी आज कल सिटी मॉल में सेल चल रही है, और मेरे दोस्त का वह एक इम्पोर्टेड घडियो का शो रूम है ! अच्छा सा डिस्कॉउंट भी मील जायेगा !

रावसाहब जी : बहुत खूब बेटी, तो चलते है! ड्राइवर चलो मॉल ले चलो तुरंत !

अब उनके गाड़ी दिल्ली के भीड़ भाड़ वाले रास्ते से सिटी मॉल की और चल पड़ती है !

रक्षा मंत्री के पद पर बैठने के बाद उनका पहले काम था देश में आतंरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए ठोस इंतजाम करना ! और इसके लिए उन्होंने कदम उठाने शुरू किये ! एक नये सुरक्षा विभाग का गठन किया गया राष्ट्रीय रक्षा गुप्तचर विभाग ! जो की एक गोपनीय संस्था थी जिसके सदस्य देश की सुरक्षा के लिए कभी आम आदमी बन कर, या पुलिस विभाग, सेना विभाग, कर विभाग और बाकी सभी केंद्रीय और राज्य विभागों में नियुक्त किये गए और उनका काम उन सभी विभागों में घट रही घटनाओ पर निगाह रखना और देश की रक्षा के बारे में हो तो उसे रिपोर्ट करना और उचित कदम उठाना था. ये विभाग बाकी सभी सरकारी मशीनरी से अलग गोपनीय तरीके से काम करने के लिया बनाया गया था और प्रधान मंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रपति को छोड़ कर किसे को इस विभाग या इसके कार्य कलापो की कोई भी खबर नहीं थी !

इस विभाग का प्रमुख बयाया गया पूर्व रक्षा अधिकारी महावीर सिंह को जो के रक्षा विभाग में काफी साल सेवा के बाद और सर्वोच्चा रक्षा सन्मान ले कर निवृत्त हुए थे !

देश में आतंरिक विद्रोह देश में कुछ जगहो पर हिंसक चरम पर थे ! और उसके साथ पड़ोसी देश के आतंकवादी संगठन भी देश की शांति में आये दिन खलल डालने के कोशिश में थे ! ऐसे में इस विभाग के बहोत ज्यादा जरूरत थी!

महावीर सिंह रक्षा रक्षा अकादमी से सेना में शामिल हुए होंनहार छात्रों में से एक थे ! उन्हें देश और देश के बाहर गोपनीय रक्षा सेवा का काफी साल का तजुर्बा था और वो वापस अपने देश के सेवा में उनकी स्वइच्छा से वापस लौट आये थे! उन्होंने एक एक कर गोपनीय रक्षा संगठन में ऐसे लोग चुने जो देश के लिए मर मिटने को तैयार थे और ऐसे लोगो का नेटवर्क बना कर उन्हें देश को एक ऐसा सुरक्षा कवच बनाने के मंशा थे जिसे कोई भी अपराधी या आतंकवादी भेद ना पाए !

और कुछ ही दिनों में उन्होंने वो कर भी दिखाया ! रक्षा गोपनीय संगठन ने कुछ हे दिनों में काफी हद तक आतंकवादी और हिंसक गति विधियों को ढूंढ कर सही समय पर उन पर कार्यवाही की, और कई आतंकवादी और हिंसक अपराधी मार दिए गए या तो उन्हें जेल के काल कोठरी में डाला गया !

संगठन का काम काफी अच्छा चल रहा था के तभी !

एक दिन एक आपातकालीन मीटिंग रक्षा मंत्री के दालान में बुलियी गयी ! महावीर सिंह को किसी गोपनीय इनफार्मेशन के जरिये मंत्री जी से कार्यवाही के बारे में बात करनी थी.

रक्षा मंत्रालय, मंत्री जी के दालान के रिसेप्शन पैर महावीर सिंह आते है!

रिसेप्शन असिस्टेंट: जी महावीर सिंह जी, आप का अपॉइंटमेंट ११ बजे का बुक है और आप नौ बजे ही आ गए ! क्या टैक्स विभाग में कोई इमरजेंसी है!

महावीर सिंह : जी मैडम, रक्षा विभाग के कॉन्ट्रैक्टर्स का कुछ टैक्स मैटर है ! उसके बारे में मंत्री जी से डिसकस करना है!

रक्षा गोपनीय विभाग के सभी सदस्यों को दूसरे विभागों में बतौर कर्मचारी नियुक्त कर दिया गया था जैसे की महावीर सिंह को रेवेनु मंत्रालय में जॉइंट--सेक्रेटरी की पोजीशन दी गयी थी, मगर काम वो रक्षा गोपनीय विभाग के लिए करते थे! औरो के लिए उनकी आइडेंटिटी रेवेनु डिपार्टमेंट के जॉइंट-सेक्रेटरी की थी !

कुछ ही देर में मंत्री रावसाहब जी उनके दालान में पधारे, उन्होंने आते से ही महावीर सिंह को वेटिंग रूम में देख लिया और उनके केबिन में बैठते ही ! असिस्टेंट को बाहर जा कर महावीर सिंह जी को सबसे पहले अंदर भेजने के लिए कहा !

रिसेप्शन असिस्टेंट: चलिए महावीर जी आप का नंबर तो पहले लग गया ! जाइये मंत्री जी ने आपको याद किया है!

महावीर सिंह : थैंक यू मैडम !

और वो मंत्री जी के दालान के और बढ़ता है !

मंत्री जी के दालान में जाने के बाद मंत्री जी उनके असिस्टेंट को कुछ काम से बाहर भेज देते है और

राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री जी को वीडियो लाइन पर जोड़ लेते है !

प्रधान मंत्रीजी : कहिये महावीर क्या कारन है के आज तुमने हमे हॉट लाइन पर बुलाया ! क्या कोई इमरजेंसी है !

महावीर सिंह : माननीय प्रधान मंत्री जी बात ही कुछ ऐसी है ! अगले महीने हमारा इंडिपेंडेंस डे आने वाला है ! और हमने एक ऐसे आतंकवादी को पकड़ा जो के उसे एक अंतर्राष्टीय आतंकवादी संघठन का सदस्य है, जिसने हमे आने वाले दिनों में वो कोई बड़ा हमला करने की सुचना पता चली है ! हमने उसके पास से एक गोपनीय सन्देश बरामद किया है जो के उसे एक अंतर्राष्टीय आतंकवादी संघठन से प्राप्त हुआ है जिसे समझने में हमारी टीम लगी हुए है! उस के मुताबिक उसके जैसे और पांच लोग और है जिन्हे उन्होंने उस काम को करने के लिए ट्रेनिंग दी है, मगर वो उन्हें नहीं जानता के वो कौन है और कहा से आये है, इस वक़्त क्या कर रहे है, वो बस इंटरनेट से एक दूसरे को कॉल या मैसेज में बात करते है, जिसे हम आसानी से ट्रेस नहीं कर पाते और उससे हमे पता चला है की वो सभी आतंकवादी अलग अलग देशो से है, अलग अलग भाषा में बात करते है और वो एक साथ मिलकर हमारे देश में कोई बड़ा हमला प्लान कर रहे है!

रक्षा मंत्री रावसाहब : ये तो काफी सीरियस बात है ! तो महावीर जी हमे ये बताये के जिसे आपने पकड़ा है क्या उसने कुछ और बताया ताकि हम उन बचे हुए लोगो को भी पकड़ सके!

महावीर सिंह : जी सर हमारी उससे पूँछ ताछ जारी, अभी तक उसने हमे बताया के वो उन लोगो के लिए इंडियन गाइड बन कर उन्हें ट्रांसपोर्ट और लोकल सपोर्ट देने वाला है और उसके लिए उसे एक बड़ी रकम एडवांस में दी गयी है ! बाकी वो लोग हमला कैसे करने वाले है ये उसे भी नहीं पता ! उसके मुताबिक वो सभी लोग अलग अलग देशो के रहने वाले और अलग अलग भाषा बोलने वाले लोग है ! और वो उनसे एक ऑनलाइन एप्लीकेशन की मदद से बात करते है! हमने उसका लैपटॉप और कुछ और सामान जप्त किया है! शायद आने वाले दिनों में कुछ और इनफार्मेशन मील जाये तो हम कुछ कर पायेंगे! ये आतंकवादी है के हमारा सारा टॉर्चर झेल हमारा सारा टॉर्चर झेल कुछ और बताने को तैयार हे नहीं !

राष्ट्रपति जी : महावीर हमे विश्वास है के तुम और तुम्हारी टीम हमेशा की तरह ये केस भी सुलझा लोगे! अगर हमसे कोई मदद चाहते हो तो हमारे फ़ोन लाइन्स और दरवाज़े तुम्हारे लिए खुले है, तुम कभी भी और किसी भी तरह की मदद हमसे मांग सकते हो !

महावीर सिंह : जी माननीय राष्ट्रपति जी, प्रधान मंत्री जी और रक्षा मंत्री जी मुझे शायद इस केस में बहुत ज्यादा पावर के जरुरत है फिलहाल हम एक्सपोज़र लिमिटेशन की वजह से ज्यादा तर किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्शन के लिए लोकल सपोर्ट पर निर्भर है! मगर शायद इस केस में हमे इंडिविजुअल पावर्स चाहिए ताकी हम खुद एक्शन ले सके! बाकी में मेरी टीम की और से आपको विश्वास दिलाता हूँ की हम लोग इस हमले को भी विफल करने के लिए जी जान से कोशिश करेंगे!

प्रधान मंत्री जी: ठीक है महावीर हम आपके लिए जरूरी ऑर्डर्स जारी कर देते है, और अगर जरुरत पड़े तो बे झिज़क तुम हमसे बात कर सकते हो ! मगर याद रहे तुम्हे इस बात का किसी भी हालत में पता लगाना है अगर इसमें कोई चूक हुए तो लोगो के ज़िंदगी खतरे में पद सकती है सो बे केयरफुल ओके

महावीर सिंह : ओके सर वो आप मुझ पर छोड़ दे, ये हमारे लिए इम्तेहान की घड़ी है और हमे हर हाल में पार होना है!

रावसाहब जी : तो ठीक है महावीर तुम और तुम्हारी टीम इस काम में लग जाओ और हमे पल पल की खबर देते रहना नाउ यू कैन लीव !

महावीर सिंह : ओके सर, सी यू सून विथ विक्ट्री इन आवर हैंड !

और महावीर सिंह बाहार निकल कर उसकी कार में बैठ कर हेड क्वार्टर्स के लिए निकलता है ! अब उसके दिमाग में एक ही सवाल चल रहा है की इस मसले को कैसे सुलझाये.

के तभी उसका फ़ोन बज उठता है ! फ़ोन उसकी वाइफ सुनीता का होता है ! महावीर फ़ोन उठाता है !

सुनीता : अरे दरोगा जी कहा हो ! घर जल्दी आ रहे हो या नहीं ! देखो तुमने प्रॉमिस किया था के आज मुझे शॉपिंग के लिए ले कर जाओगे !

महावीर सिंह : अरे हां सुनीता बस एक जरूरी मीटिंग चल रही थी! बस आ ही रहा हूँ तुम तैयार रहना आज सिटी मॉल चलते है ठीक है ! तुम घर के बहार सिग्नल पर आओ, वही से तुम्हे पिक करता हूँ, ठीक है !

सुनीता : ठीक है जल्दी आओ में तैयार हूँ !

सुनीता तैयार हो कर घर के पास वाले सिग्नल के चौराही के तरफ निकलती है!

वह जा कर वो इंतज़ार करने लगती है! तभी वह एक फटे हाल दिखने वाला वृद्ध भिखारी आता है!

सुनीता उसकी तरफ देख कर पर्स में से कुछ छुट्टे पैसा निकलने लगते है के ताकि उसे दे सके के तभी!

भिखारी : मैडम जी मुझे आप से कुछ काम है

सुनीता : हां कहो बाबा जी !

भिखारी : क्या आप मुझसे कुछ खरीद सकती है,

सुनीता : हां हां क्यों नहीं, बताओ क्या बेच रहो हो !

भिखारी उसके जब से एक घड़ी का बक्सा निकल कर सुनीता को दीखाता है!

सुनीता घड़ी को देख कर चौक जाती है, वो बक्से को उलट पुलट कर देखती है उसपर लिखा होता है रोलेक्स-मेड इन स्विसरलैंड लेडीज वाच!

सुनीता : बाबा जी आप को ये घड़ी कहा से मिली, ये तो काफी कीमती है! आप किसे ज्वेलरी या घडी शॉप में जाओ वह आप को इसके अच्छे दाम मिलेंगे कम से कम दस लाख!

भिखारी : मैडम जी वो लोग मुझ जैसे से क्यों खरादिंगे, उल्टा चोरी की है ऐसा कह कर मुझे पुलिस की हवाले कर देंगे!

सुनीता: वैसे बात तो सही है! ये घड़ी आप के पास कहा से आयी!

भिखारी : एक विदेशी सैलानी ने मुझे ये दी है! उसने कहा के इसे बेच कर में उन पैसो से एक ऑटो खरीद सकू और मुझे कभी भी भीख न माँगना पड़े! और में इसे काफी दिनों से बेचने के कोशिश कर रहा हूँ , पर कोई तैयार ही नहीं है इसे खरीदने के लिये !

सुनीता कुछ सोचती है!

सुनीता : ठीक है आपको कितने पैसो पैसो जरूरत है!

भिखारी : मैडम कम से कम १ लाख रुपीये, क्यूंकी 8० हजार में एक पुराना ऑटो और बाकी बचे में मेरा कुछ महीने का खर्च चलेगा और उसके बाद मुझे ऐसे भीख मांगने की कभी जरुरत नहीं पड़ेगी और आप को किसे को सहारा देने की लिए दूवा भी लगेंगी!

सुनीता : बाबा जी एक लाख रुपीये तो मेरे पास अभी नहीं है! आप थोड़ी देर रुके, मेरे पती अभी आने ही वाले है उनसे पूछ कर देखती हूँ ठीक है!

भिखारी : ठीक है मैडम जी में थोड़ी देर यही कोने में बैठता हूँ आप मुझे आवाज़ दे दो !

इतना कह कर वो भिखारी उस सिग्नल के बगल में बस स्टॉप के एक कोने में बैठ जाता है!

तभी महावीर की कार सुनीता के पास आ कर रुकती है ! महावीर बाहर निकलता है और सुनीता के लिए कार का दरवाज़ा खोलता है!

महावीर सिंह : आइये मैडम चले शॉपिंग करने!

सुनीता : हां जरा एक बात तो सुनो, वो वह एक भिखारी के पास कीमती लेडीज रोलेक्स वाच है! और उसे बेच कर वो खुद के पैरो पर खड़ा होना चाहता है!

महावीर सिंह: कहा है वो, देख तो लू,कही नकली घड़िया तो नहीं बेच रहा है !

सुनीता बस स्टॉप के तरफ इशारा करती है! मगर वहां देखने पर उसे वो भिखारी कही नज़र नहीं आता!

सुनीता : अरे वो बाबा जी कहा गए अभी तो इसे बस स्टॉप के पास बैठे थे !

महावीर सिंह : भाग गया शायद ! अच्छा हुआ तुमने उससे कुछ खरीदा नहीं! ऐसे लोग ज्यादा तर नक़ल की चीज़े बेचते है या फिर चोरी की!

सुनीता : चलो ठीक है कोई बात नहीं मैंने तो बस भलाई के लिए सोचा था ! कोई बात नहीं चलो चलते है !

कुछ समय बाद दोनों मॉल में पहुँचते है , शॉपिंग करते वक़्त सुनीता के नज़र स्विस वाच शोरूम की तरफ जाती है और वो महावीर से कहते है के वो उस शॉप में जा कर घड़िये देखे !

दोनों उस शोरूम में दाखिल होते है!

दरवाजे पर एक सेल्स एग्जीक्यूटिव उनका स्वागत करता है!

शौरूम सेल्समेन : आइये सर! क्या देखना पसंद करेंगे, अभी अभी नया स्टॉक आइए है और डिस्कोउन्ट्स भी बढ़िया करा दूंगा ! ये देखिये ये नयी लेडीज वाच के मॉडल्स आये है गोल्ड एंड डायमंड वर्क वाले और कीमत भी बिलकुल बजट में ओनली ५ लाख से शुरू!

थोड़ी देर महावीर और सुनीता डिस्प्ले में रखी हुए घडिया देखते है!

सुनीता : बाप रे इनके प्राइस में तो एक स्माल कार आ जाएगी ! इन्हे कौन पहनता होगा!

महावीर सिंह : अरे बीवी जी, ये तो उन अमिर लोगो के खिलोने है जो उनके स्टेटस को प्रेजेंट करने के लिए इन्हे पहनते है ! बाकी ये हम जैसे मिडिल क्लास के कुछ भी काम के नहीं है !

महावीर : क्या इनमे से वो घड़ी थी जो तुमने देखी थी !

सुनीता : नहीं इनमे से कोई नहीं !

सेल्समन : सर, क्या आप कोई लिमिटड एडिशन वाली वाच के बात कर रहे है जो आज कल मार्किट में चल रही है! वो ज्यादा महंगी है ! सो उन्हें हम डिस्प्ले पर नहीं रखते! आप ये कैटलॉग देखिये शायद इसमें आप जो मॉडल देखना चाह रहे हो वो मिल जाये !

महावीर : हाँ हाँ, देख लेते है उसे भी!

सेल्समेन उन्हें काउंटर के पास वाले सोफे पर बिठा कर! एक कैटलॉग ले कर आता है और महावीर को थमता है!

अब वो दोनों उसके पन्ने पलट कर उस वाले मॉडल को ढूंढने लगते है!

कैटलॉग में लिमिटेड एडिशन की सभी महंगी घड़िया के बीच उन्हें उस घड़ी का फोटो दीखता है!

सुनीता : अरे ये वही घड़ी का मॉडल है!

महावीर : इस मॉडल के क्या प्राइस है !

सेल्समन : सर ये लिमिटेड एडिशन डायमंड वाली वाच है, मगर ये जोड़े में आती है इसे सिंगल पीस बेचना मना है इनकी वैल्यू आप को डिस्काउंट के बाद 2५ लाख तक फाइनल प्राइस हो जायेगा !

महावीर : तभी तो ! मगर हमे आज इसका सिंगल पीस १ लाख में मील रहा था !

सेल्स मन : हां सर वो चोरी वाला माल होगा! वैसे आप को वो कौन और कहा दे रहा था !

सुनीता : हां ! दरिया गंज बस स्टॉप के पास एक भिखारी ये घड़ी १ लाख में मुझे बेच रहा था ! तभी तो हम उसके असली प्राइस पता करने यहाँ आये है!

सेल्स मन : मैंम, या तो वो नकली होंगी या फिर वो उस कन्साइनमेंट से होंगी जो उस कन्साइनमेंट से चोरी हो गया जो हमने मंगया था, हमें दिल्ली गवर्नमेंट से ऐसे वॉचेस की सप्लाई के टेंडर मिले थी जो के डिफेन्स डिपार्टमेंट और सभी पार्लियामेंट मेंबर्स को इस इंडिपेंडेंस डे को गिफ्ट में दी जाने वाली है !

महावीर : तो क्या उस चोर का पता चला !

सेल्समेन : हां और एक मजे की बात सर उसमे से १ पीस छोड़ कर बाकी घड़िये हमे वापस मील गयी है उस चोर ने उन्हें हमे वापस पार्सल कर दिया!

महावीर : क्या ! भला ऐसा भी कोई चोर करता है ! कही उसने असली रख कर नकली तो नहीं भेज दी !

सेल्स मन : नहीं सर हमने कंपनी के तकनीशियन से उन्हें चेक कराया, जिसे की स्विरलैंड के घड़ी कंपनी से हमने बूलाया था और उसके मुताबिक वो सभी घडिया असली हे है जो कंपनी ने हमे भेजी थी!

ये देखिये उनका सर्टिफिकेशन जिसमे उस तकनीशियन की रिपोर्ट और फोटो है!

महावीर और सुनीता उस सर्टिफिकेट उस फोटो के तरफ देखती है!

सुनीता उस फोटो की तरफ देखती है और चौक जाती है !

सुनीता : अरे ये तो कुछ कुछ उस बूढ़े बाबा के तरह हे देख रहा है बस उसके कपडे फटे पुराने थे और ये इस फोटो में सूट पहने देख रहा है

महावीर : अरे ये तो कुछ अजीब बात है !

सेल्स मन : नो मन ऐसा तो हो हे नहीं सकता चल ढल और बात चीत से तो वो काफी विदेशी लहजे वाला शरीफ बाँदा था, हे वो इंडियन था ये बात अलग है! हां मैडम अगर आपने उस आदमी को वापस कही देखा तो हमे फ़ोन जरूर कीजिए, और वो उसका विजिटिंग कार्ड सुनीता को देता है !

सुनीता : ओके ठीक है हम आप को जरूर फ़ोन करेंगे !

महावीर : क्या में ये फोटो मेरे मोबाइल कैमरा से क्लिक कर सकता हूँ! ताकि अगर अगली बार हमे ये दिख गया तो हम तुम्हे बता सके!

सेल्स मन : ओके सर नो प्रॉब्लम !

अब महावीर और सुनीता दोनों अपने अपने मोबाइल में वो फोटो क्लिक कर लेते है और उस सेल्स मन से विदा ले कर उस शो रूम से बहार निकलते है!

महावीर के जहम में इस घटने से देश के सुरक्षा के लिए किसे बड़ी घटना का सम्बन्ध होने का विचार आता है!

थोड़े देर शॉपिंग करने के बाद, वो सुनीता को घर छोड़कर! वापस उस जगह आता है जहा से उसने सुनीता को पिक किया

अब वो उसकी टीम को बुला कर उन्हें देता है और पूरी घटना समझाता है और अलग अलग टीम बना कर उस फोटो के सहारे उस आदमी को ढूंढ़ने का काम शुरू करते है!

मगर उन्हें उसका कोई सुराग नहीं मिलता !

अब दिन ढलने लगा था मगर महावीर सिंह और उसके टीम को उस आदमी का कोई सुराग कही से भी नहीं मिलल रहा था ! तभी वह उन्हें एक भिखारी नज़र आया जो एक आदमी को कुछ दीखा रहा था!

महावीर ने पास जा कर देखा तो उसके हाथ में कोई घड़ी थे जो उस आदमी को दीखा रहा था!

भिखारी : ले लो बाबूजी इम्पोर्टेड घडी है! ऐसे २५ लाख में दो मिलते है आप एक लाख हे दे दो!

तभी महावीरने उस भिखारी को पीछे से पकड़ लिया,

महावीर सिंह : भाई हमे भी तो बताओ तुम क्या बेच रहे हो!

भिखारी अचानक इतने सारे लोगो को देख कर डर गया!

भिखारी : कुछ नहीं बाबू साहिब, कुछ नहीं बस मुझे पैसे की जरूरत है सो मेरी ये घड़ी बेच रहा हूँ!

महावीर सिंह : बता कहा से चुराई है ! वराना हवालात के चक्कर और पुलिस के लात खायेगा!

भिखारी : नहीं साहब मेरी अपनी ही है! कोई चुराइ हुइ नहीं है!

महावीर और बाकी लोगो को देख कर वो आदमी जिससे भिखारी बात कर रहा था वह से भाग गया !

महावीर सिंह : सच बता कौन है तू ! तू ऐसे नहीं मानेगा जब हवालात में जायेगा तो तुझे पता चलेगा!

भिखारी महावीर सिंह के तेवर देख कर समझ गया के अब उसे सच बताना हे पड़ेगा !

भिखारी : क्या आप पुलिस लोग हो

महावीर सिंह : नहीं मगर तुम चाहो तो हम तुम्हे पुलिस के हवाले कर सकते है ! अगर तुमने सब सच नहीं बताया, बताओ ये घड़ी तुम्हे कहा से मिली !

भिखारी : ठीक है सर में अपने बारे में आप को बताता हूँ, मगर पहले मुझे किसे सेफ जगह ले चलिए यहाँ मेरी जान को खतरा है और आप के देश को भी ! कुछ लोग है जो मुझे मारने के लिए ढूंढ रहे है! अगर मुझे किसे सुरक्षित जगह पर लेकर जा सको तो में आप को उनके बारे में आप को कुछ बता सकूगा!

महावीर सिंह उसे उसके उसके कार में बिठा कर उनके एक ठिकाने पर उसे ले कर ले आता है! वह वो उसे कुछ खाना देते है और थोड़ी देर बाद उससे पूछताच शुरू करते है !

महावीर सिंह : अब बताओ के तुम कौन हो!

भिखारी : में एक एन आर आई हूँ मेरा नाम जोसफ वर्घीस है! में एक स्विस कंपनी में बतौर तकनीशियन काम करता हूँ और उसे सिलसिले में यहाँ भारत आया था ! मगर कुछ लोगो ने मुझे एयरपोर्ट से अगवा कर उनके अड्डे पैर ले गए, मुझे पहले तो १० दिन भूखा रखा और रोज टॉर्चर किया और मुझे जान से मरने के धमकी दे कर ! उन्होंने मुझे एक एक शोरूम में हमारे कंपनी ने बनायी हुए घडियो की झूटी ओरिजिनालिटी इंस्पेक्शन रिपोर्ट बनाने के लिए दबाव डाला ! और जैसे हे मैंने वो रिपोर्ट उन्हें बना कर दी ! उन्होंने मेरे पैसा मेरा पासपोर्ट और कागजात छीन लिए ! और वो मुझे मारने हे वाले थे के एक दिन मई मौका देख कर वह से भाग निकला और निकलते वक़्त मैंने उनके यहाँ से ये घडियो के बोक्स चुराये ! और अब मई इन्हे बेच कर कुछ पैसा बना लू ताकि में स्विजरलैंड लौट सकू.

महावीर सिंह: तुमने ये बात पुलिस को क्यों नहीं बताई ! वो तुम्हे तुम्हारे देश वापस छोड़ने का इंतजाम कर देते !

जोसफ (भिखारी) : सर, में बहुत डर गया था ! और मुझे लगा कही आगे में पुलिस के पास गया और मुझे उन बदमाशों ने वापस ढूंढ लिया तो वो मुझे जान से मार डालेंगे और इसी लिए मै भिखारी के रूप में इस घड़ी को बेचने के कोशिश कर रहा था, ताकि कुछ पैसा जमा कर सकू ! कम से कम इंटरनेशनल कॉल कर मेरी फॅमिली को इन्फॉर्म कर सकू और वो मेरी मदद कर सके!

महावीर सिंह : उन घडियो के इंस्पेक्शन रिपोर्ट उन लोगो को क्यों चाहिए थी! क्या वो नकली थी!

जोसफ (भिखारी) : नहीं सर उनमे कुछ बदलाव किया हुआ था ! और वो लोग नहीं चाहते के में उसे रिपोर्ट करू! और उन लोगो की बातो से ऐसा लग रहा था के मनो वो कोई बड़ा आपराधिक कांड करने जा रहे है ! उनके पास काफी सारा गोला बारूद है और उनका ठिकाना एक खँडहर में है जिसे उन लोगो ने एक आलीशान किले में तब्दील कर रखा है !

महावीर सिंह : तो क्या तुम उन लोगो का ठिकाना भी जानते हो !

जोसफ (भिखारी) : हां मगर में वह अब नहीं जाऊंगा ! वो लोग मुझे मार देंगे!

महावीर सिंह : अगर तुम मुझे उन लोगो तक पंहुचा दोगे तो में तुम्हे तुम्हारे घर वापस जाने के इंतजाम कर दूंगा! बोलो मंजूर है!

जोसफ (भिखारी) : हां सर मंजूर है ! सर वो लोग बहुत खतरनाक है मैंने उनके पास आधुनिक हथियार देखे है !में आप को उन लोगो का ठिकाना दूर से ही दीखा दूंगा ठीक है, बाकी आप जानो और वो लोग जाने!

महावीर सिंह : ठीक है तुम हमे उन लोगो के ठिकाने तक ले चलो बाकी हम संभल लेंगे और तुम्हे मेरे लोग वह से बिना कोई नुकसान पहुँचिये वापस आयेंगे! बोलो मंजूर है !

जोसफ (भिखारी) : हां सर मंजूर है !

दूसरे ही दिन महावीर सिंह उसे ले कर उसके बताये हुए रास्ते पर उसकी टीम के साथ निकल पड़ता है ! अब वो दिल्ली शहर के बाहर छोटे गाव् के रास्ते पर जा रहे थे !

थोड़ी देर उस रस्ते से चलने के बाद, जोसफ उन्हें एक जगह रुक कर जंगल में बने पगडंडी के रस्ते से चलने के लिए कहता है! महावीर सिंह और उसकी टीम उनकी गाड़िया वह खड़ी कर उस कच्चे रस्ते से आगे बढ़ने लगते है ! कुछ दूर चलने पर जोसफ उन्हें झाड़ियों में एक खँडहर बने हवेली के और ईशारा करता है और कहता है के यही उन लोगो का ठिकाना है!

महावीर सिंह अब उसके कुछ लोगो को जोसफ के साथ वापस भेज कर उस खँडहर के तरफ सावधानी से बढ़ने लगते है!

के तभी उन्हें गोली की आवाज़ और जोसफ की चीख सुनाइ देती है ! और देखते ही देखते जोसफ चिल्लाता हुआ खून से लथपथ जमीन पर गिर जाता है ! महावीर सिंह मौके पर संभल कर सभी को वहा पड़े कुछ बड़े पत्थरो की आड़ में छुपने के लिए कहता है!

अब खँडहर की तरफ से भारी गोलाबारी शुरू हो जाती है ! और महावीर सिंह और उसकी टीम भी उनके तरफ से काउंटर फायर करते है ! मगर दूसरे तरफ से राकेट लांचर और ग्रेनेड दागे जाते है जिसके वजह से महावीर सिंह के कुछ साथी जख्मी हो जाते है ! इसके अलावा उसके टीम के पास बन्दूक के गोलिया भी ख़तम हो जाते है ! सो वो उनके सुरक्षा के लिए वापस लौटने का फैसला करते है !

वो एक एक कर पीछे हट्टकर वापस उनकी व्हीकल्स के तरफ जाने लगते है ! मगर महावीर सिंह के दिमाग में जोसफ का ख्याल आता है

महावीर सिंह : टीम आप सभी लोग आगे जा कर गाड़ियों में हमारा इंतज़ार करो और २ लोग मेरे साथ आओ हम जोसफ को वह से उठा कर लाना होगा वर्ण हमे सबूत की तलाश में फिर से भटकना पड़ेगा !

तुम लोग बस १५ मिनट रूकना अगर हम लौटे तो ठीक नहीं तो यहाँ से निकल जाना ठीक है !

सभी हामी भरते है अब महावीर सिंह उसके साथ दो साथियो को ले कर वापस उस जगह वापस छुपता हुआ निकल पड़ता है और बाकी टीम व्हीकल में सवार हो कर महावीर सिंह के लौटने का इंतज़ार करते है !

वह अब सिर्फ महावीर सिंह और उसके २ साथी उनकी पिस्तौल संभाले छुपते हुए उस जगह तक आ पहुँचते है जहा जोसफ को गोली लगी थी !

तभी महावीर ड्रोन के पंखे की आवाज़ सुनता है जो के शायद उस खँडहर की तरफ से उनकी और बढ़ रहा था, वो और उसके साथी चुपके से वह उगी झाड़ियों के बीच में ऐसे छुप जाते है ताकि वो उस ड्रोन को नज़र न आ सके!

थोड़ी ही देर में खामोशी को तोड़ता हुआ वो ड्रोन वह आ पहुँचता है ! कुछ देर वह मंडराने के बाद ! वो वापस लौट जाता है, अब महावीर सिंह और उसके साथी जोसफ को उठाने के लिए झाड़ियों से लपकने ही वाले थे के तभी उन्हें कुछ लोगो के भागकर आने की आवाज़ सुनायी देती है, सो वो वही छुपने का फैसला लेते है !

थोड़ी हे देर में वहा कुछ लोग मुँह पर कपडा बांधे और हाथ में मशीन गन लिए आ धमकते है ! जो के स्ट्रेचर पर जोसफ को उठाने ही वाले होते है के तभी जोसफ संभल कर उठ जाता है ! कहो साथियो कैसे लगी एंट्री क्यों नरगिस!

जोसफ को यु उठकर खड़ा होते और बोलते देख देख महावीर सिंह और उसके लोगो को शॉक लगता है !

उनमे से एक आतंकवादी उसके मुँह पर बंधा कपडा खोल कर

नरगिस : यस बॉस ! इस बार तो मैंने आप को रंगो वाली हे गोली मारी है, हमारे प्लान के तहत ! ताकि वो महावीर सिंह और उसके लोग हमारे जाल में फस सके और हम उन्हें ख़तम कर सके!

जोसफ : छोड़ो ना नरगिस वैसे भी अब महावीर और उसके लोगो की रूह मरने के बाद भी हर दिन ये सोच कर तड़पेंगी के उन्होंने क्यों मुझ पर भरोसा किया, शायद तुमने उनके गाड़ियों में बम लगा दिए होंगे ! चलो अब दबाओ रिमोट का बटन और काबूम !

नरगिस : क्या आप ने उन लोगो को ऐसे ही सीधी मौत मारना चाहते है, थोड़ा और तड़प तड़प कर मार देते हमारी गिरफ्त में ला कर !

जोसफ : नहीं वो महावीर सिंह काफी चालक है उसे ऐसे हे मौत मरना अच्छा है , लाओ वो रिमोट ! अभी धमाका होगा !

नरगिस : बड़े शौक से बॉस !

और वो एक रिमोट कण्ट्रोल जोसफ को देती है! जोसफ उसका बटन दबाता है और उसके साथ, एक बड़ा विस्फोट उन गाड़ियों में होता है जो महावीर सिंह और उसके लोग रास्ते के किनारे पर लगा कर आये होते है, महावीर सिंह उस जगह से एक बड़ा धुए का गुबार उठता है और महावीर सिंह के साथियो की चीखने की आवाज़े उस जंगल के खामोशी को तोड़ देती है!

उधर झाड़ियों में छुपा महावीर सिंह उसके शहीद साथीयो के लिए तड़प उठता है ! मगर वो वही मौके की गम्भीरत को समझता हुए वही छुपे रहने का फैसला लेते है, ताकि वो जोसफ और लोगो से उसके साथियो की मौत का बदला ले सके!

थोड़ी ही देर में महावीर सिंह के साथियो के चीखे मौत के खामोशी में बदल जाती है और इसे के साथ वहा का माहोल भी शांत हो जाता है !

मगर महावीर सिंह के दिल में गुस्से और दर्द का उफान उठता है

और अब जोसफ उसके आतंकी साथियो के साथ उस खँडहर की और निकल और है !

महावीर सिंह उसके साथियो को ढाढस बांधता है और नए प्लान के मुताबिक वो तीनो एक सुरक्षित दूरी बना कर जोसफ के पीछे पीछे चल पड़ते है!

वो देखते है के वह खँडहर एक पुराने किले का है जिसके चारो और खंदक बने हुए है, उसके मुख्य दरवाजे के सामने उस किले में आने जाने के लिए एक लकड़ी का पूल है जिसे उप्पर नीचे किया जा सकता है !

अब नरगिस फिर से उसका नक़ाब हटा कर एक सिटी बजाती है, अंदर से वो लकड़ी का पूल चर चर की आवाज़ के साथ उस खंदक पर झूल जाता है ! अब जोसफ और उसके साथी उस पूल की मदद से खंदक में दाखिल होते है ! और फिर से उस पूल को ऊपर उठा लिया जाता है!

अब महावीर सिंह और उसके साथी उस किले में दाखिल होने के लिए एक प्लान बनाते है जिसके मुताबिक रात में वो एक जगह पर किले से झूल रही सूखी बेलो के सहारे उस किले में दाखिल होंगे.

महावीर सिंह और उसके साथी रात का इंतजार करते है! ताकि वो उस किले में दाखिल हो सके

थोड़ी ही देर में रात होती और जंगल का नूर रात्रि में निकलने वाले कीड़ो और जानवरो की गूँज से भर जाता है ! महावीर सिंह को पता चलता है के किले के ऊपर से कुछ लोग पहरेदारी कर रहे है, उनके पास हाई बीम टोर्च है जिससे वो हर आधे घंटे के बाद खंदक की दीवारों का मुआइना करते है और वो जब भी उन दीवारों पर पहरे के लिए चलते थे तो वो सिर्फ खंदक के बाहरी दीवारों की और देख रहे था ना की किले के सीधे दीवारो पर!

तभी महावीर सिंह देखता है के उस जंगल की खामोशी को इंजन की गड़गड़ाहट से चीरता हुआ एक हेलीकाप्टर उस किले की और जा रहा है !

महावीर सिंह और उसके साथी अब कुछ देर और इंतजार करने का फैसला लेते है! उन्हें लगता है के अगर जोसफ कही उस हेलीकाप्टर की मदद से भाग जाये तो उन्हें वापस लौट कर दूसरा कोई प्लान बनाना पड़ेगा !

मगर वापस काफी देर तक वो हेलीकाप्टर किले से वापस नहीं आता है, सो वो उनके प्लान पर कायम रहने का फैसला लेते है !

उन्होंने जिस जगह को चुना था वो एक सीधी दीवार है जिसपर कई जंगली बैले लटक रही है जो के उस किले के ऊपर बनी चौकियों तक जाती है, अब उन्हों कई खतरे एक साथ उठाने थे एक तो बेल के टूटने का और दूसरे उन बेलो की चरमराहट के आवाज सुन अगर कोई आतंकवादी उस तरफ आया तो वो उन्हें सीधे देख कर गोली मार सकता था मगर महावीर सिंह और उसके साथियो ने उस खतरे को मोल लिया और वो उस सीधी दीवार के तरफ बढ़ने लगे!

एक एक कर वो उन बेलो पर चढ़ने लगे ! उन्हें एक बड़े खतरे से भी निपटना था जो के थे पहरेदार !

तीनो अब उन चौकियों तक पहुँचने हे वाले थे की तभी उनपर बैटरी की तेज रोशनी की चमक पडी

उस रोशनी की वजह से उनके आँखे चौंधिया गयी ! मगर महावीर सिंह ने देख लिए के ऊपर से एक आतंकवादी ने उनपर बन्दूक तान दी है !

उसे देख कर महावीर सिंह और उसके साथियो के शरीर में कांटे की लहार सी दौड़ गयी और वो एक जगह हे रुक गए !

आतंकवादी: ठहरो कही जा रहो क्यों ! यहाँ तक तो तुम पहुँच गए हो मगर अफ़सोस के अब तुम्हारी ऊपर जाने की बारी है !

तभी महावीर सिंह ने मौके पर संभल कर फुर्ती से एक चाकू उस आतंकवादी पर दे मारा और किस्मत से वो सीधा उसके सीने में घुसकर उसके प्राण ले गया और उसे संभलने का कोई मौका ही नहीं मिला और न ही गोली चलाने का! अब ऊपर से उसका खून महावीर सिंह और उसके साथियो पर बरसने लगा था और वो बेल चिप चिपी होने लगी थी ! महावीर सिंह ने अब एक छलांग लगा कर उस चौकी की दीवार का कोना पकड़ लिया और ऊपर चढ़ गया, फिर उसने उसके साथियो को भी ऊपर खींच लिया, अब उन्होंने उस आंकवादी का टोर्च और उसके हथियार कब्जे में लिए!

महावीर सिंह ने उस आतंक वादी के कपडे उतर कर उन्हें पहन लिया और उसकी लाश को वही चौकी में छिपा दिया. अब वो तीनो उनके मुँह पर कपडा बांध कर और हाथ में हथियार ले कर आगे बढ़ने जैसे के वो भी पहरेदार हो ! ताकि अगर अब कोई पहरेदार उनके सामने आये तो उसे लगे के ये उसके साथि है.

थोड़े देर आगे बढ़ने पर उन्हें एक बड़ा सा कमरा देखा जिसमे काफी सारी रोशनी थी !

वह कुछ गार्ड्स भी खड़े थे मगर उन्होंने महावीर सिंह और उसके साथियो को उनके लोग समझ कर आगे जाने दिया !

जैसे ही वो तीनो आगे बढे उस कमरे में दाखिल हुए उन्हें एक राज महल के शानो शौकत का अहसास हुआ ! उन आतंकवादीयो ने उस खँडहर में उनका ठिकाना किसी राज महल की शान में फिर से बना दिया था ! शायद अंदर उनकी जीत का जश्न चल रहा था ! आगे बढ़ने पर उन्हें एक बड़ा सा दालान दिखा उसमे जोसफ एक बड़ी डाइनिंग टेबल थे उस पर बैठ कर जश्न मन रहा था !

वही वह दुसरी तरफ नरगिस के साथ कुछ और लड़किया नाच रही थी, जोसफ और वह बैठे लोग वाह वाह कह कर शराब के पेग भर रहे थे !

वहा कुछ गार्ड्स भी खड़े थे सो महावीर सिंह और उसके साथी भी उनके साथ वही खड़े हो कर मौके का इंतज़ार करने लगे !

पता नहीं जोसफ को कुछ एकदम से क्या हुआ वो अचानक उसकी कुर्सी से एकएक उठ कर खड़ा हो गया और! उसने महावीर सिंह सहित वह खड़े बाकी पहरेदारो को उसके पास आने के लिए कहा !

महावीर सिंह और उसके साथियो को एक पल ऐसा लगा के शायद ये उन्हें पहचान तो नहीं गया ! मगर हिम्मत बांध कर वो उन सभी गार्ड्स के पीछे पीछे जोसफ के पास जा कर खड़े हो गए !

जोसफ : इधर आ जाओ मेरे जवान आज तुम लोगो के वजह से इंडियन इंटेलिजेंस के लोगो को ख़तम करने में हमे कामयाबी मिली ! आज तूम जो चाहो हमसे मांग सकते हो!

महावीर सिंह : जी हुज़ूर हम तो बस आपके आदेश का पालन कर रहे थे अगर हमे आपका आशीष मिल जाये तो आप के लिए जान भी नौछावर कर देंगे!

जोसफ: तो इधर आओ जवांनो हमारे गले लगो, और अपना बक्शीश ले जाओ.

अब महावीर सिंह ने उस गार्ड् से लिया हुआ चाकू उसके शर्ट के आस्तीन में छुपा लिया और उसके साथियो को इशारे से प्लान समझाया !

वो गार्ड्स एक एक कर आगे बढ़ने लगे जोसफ उन्हें आशीष दे कर वह एक एक तश्तरी में रखे सोने के जेवर भेट स्वरुप देने लगा जैसे हे महावीर और उसके साथियो के बारी आयी !

महावीर ने उसे आलिंगन दिया और पलक झपकते ही उसके गले पर चाकू लगा लिया ! उसके बाकी साथियो ने उनके बन्दूक से निशाना लगा कर सभी बचे गार्ड्स को ढेर कर दिया ! वह नाच रही लड़किया चिल्ला कर अंदर भागी !

गोला बारी की आवाज़ सुन कर उस जगह उसके बाकी गार्ड्स भी आ गए मगर जोसफ को महावीर सिंह के कब्जे में देख कर वो वही भौचक्के खड़े रह गए !

महावीर सिंह : जोसफ अब तुम्हारे पाप का घड़ा भर गया है ! हमारी मातृभूमि पर हमले करने वाले दुश्मन अब तेरे साथियो को कह के उनके हथियार नीचे करे, वरना तेरी जान चली जायेंगी !

जोसफ : दोस्तों दोस्तों आहिस्ता से ! मेरे बात सुनो तुम्हे भारत सरकार क्या देंगी ! में तुम्ही इतने दौलत दूंगा के तुम दुनिये के किसे भी देश में रईसों की जिंदगी जी सकते हो ! यहाँ हिंदुस्तान में भूंख और गरीबी के सिवा और क्या है!

महावीर सिंह : अरे किस भूख और गरीबी के बात कर रहा है तू यही तो हमारा हिन्दुस्तान है जो अब एक सुपरपावर बन रहा है जो के कुछ समय बाद पूरी दुनिया को तौलने लगेगा ! तू सिर्फ अपने और तेरे साथियो के बारे में सोच ! के तुम क्यों मासूम लोगो को मार रहे हो ! और अपने ही देश के लोगो को एक कभी न ख़तम होने वाले युद्ध में झौंक रहे हो !

मगर अब ऐसा कभी नहीं होगा ! और तू तेरे और तेरे आकाओं के मंसूबो में कभी कामयाब नहीं होगा !

अब तू हमारे गिरफ्त में है अब तुझे कही जाने नहीं देंगे !

चुप चाप से तेरे साथियो से हथियार डालने के लिए कह वराना तेरा किस्सा ही ख़तम समझ ले आज !

जोसफ : अभी भी सोच लो सिपाही बाद में न कहना के मौका दिया था मगर पसंद नहीं आया

महावीर सिंह : अरे चुप हो जा चूहे ! तेरे आदमियों से कह के सरेंडर कर दे वरन तेरे साथ इनको भी ऊपर पंहुचा देंगे !

जोसफ : लगता है तुम्हे तुम्हारी चाहने वाली के दर्शन अब कराने ही होंगे, नरगिस उसे ले आओ !

तभी नरगिस और कुछ हथियार बंद लड़किये वहा एक नक़ाब वाली औरत को बन्दूक बे बल पर ले आयी !

नरगिस : तुम्हे क्या लगा महावीर सिंह के हमे तुम्हारे बारे में कुछ पता नहीं ! अरे तुम्हे क्या पता के तुम्हारे ही लोग हमे कुछ रुपियो के लिए खबर देते फिरते है ! अब तुम और तुम्हारी लोग अपने अपने हथियार डाल कर सामने आओ और कर लो तुम्हारी बीवी के आख़री दर्शन ! वैसे भी तुम्हारे और तुम्हारी गवर्नमेंट के पास पास कुछ घंटे ही तो बचे है !

नरगिस उस औरत के मुँह से नक़ाब हटती है ! और वो और कोई महावीर के बीवी सुनीता होती है !

नरगिस उसे एक तमाचा मारती है जिससे सुनीता नीचे गिर जाती है ! महावीर देखता है के उसके मुँह से खून टपक रहा है !

महावीर सिंह : कमीनी उसे हाथ मत लगाना ! वरना तुम लोगो को में जला कर राख कर दूंगा !

नरगिस : जल कर रख होने की तो अब तेरी बारी है !

जोसफ : तो चलो कुछ मजा हो जाये ! नरगिस तुम इसे तैयार कर लाओ ! देखे तो सही क्या ये हमारा दिल बहला सकती है या नहीं !

महावीर सिंह : कामिनी जोसफ तुझे तो में !

जोसफ : महावीर सिंह अब में नहीं तुम और तुम्हारी चाहती मेरे कब्जे में है ! अगर उसके जान प्यारी है तो अपने आप को मेरे गार्ड्स के हवाले कर दो !

अब महावीर सिंह के पास कोई चारा नहीं होता वो खुद को असहाय महसूस कर नीचे बैठ जाता है और जोसफ के गार्ड्स उनके सर पर बन्दूक लगा देते है !

अब नरगिस सुनीता को तैयार करने के लिए अंदर ले जाती है

नरगिस : चल नचनिया तैयार हो जा ! बहुत देश भक्ति है तेरे पती के दिल में अब उसे तड़पा तड़पा कर बहार ना नीकाल दिया तो मेरा नाम नरगिस नहीं !

सुनीता : हां तुम सही कहती हो ये देश भक्ति वक्ती कुछ काम के नहीं ! जिंदगी जीने के लिए तो बस चाहिए धन दौलत !

नरगिस : तुम तो तुम्हारा पती से काफी होशियार हो ! चलो खैर तुम्ही तैयार कर दू! बॉस का दिल जो बहलाना है!

उसकी बात सुन नरगिस सुनीता के लिए थोड़ी सी ढील दे देती है

और जैसे ही वो सुनीता को तैयार करने के लिए उसके हथियार बाजु में रख देती है, के तभी सुनीता उसे अपने बातो में फसा कर खुद को अबला दिखा रोने बिलखने लगती है ! जिससे नरगिस थोड़ीसी ढील दे कर उसकी गन और चाकू निकल कर टेबल पर रख देती है और सुनीता को तैयार करने में जुट जाती है मगर उसे ये पता नहीं है के !

सुनीता एक जुडो ब्लैक बेल्ट चैंपियन है और सिर्फ उसके बन्दूक की वजह से वो अब तक शांत थी !

अब सुनीता मौका देख कर नरगिस को दबोच लेती है ! नरगिस भी उसका मुक़ाबला करती है

नरगिस किसे तरह चाकू हथिया कर सुनीता को मारना चाहती है मगर सुनीता उसी चाकू से उसे मार देती है!

और सुनीता नरगिस को मरने के बाद उसके बन्दूक हथिया लेती है और बाकी सभी लड़कियों को धमका कर एक कमरे में बंद कर देती है !

अब उस दालान में सुनीता आती है जिसने बड़ा सा घूंघट ओढ रखा है! सुनीता के दालान में आते ही जोसफ वह म्यूजिक लगाने के लिए कहता है और सुनीता उस बज रहे म्यूजिक पर नाचने लगती है !

जोसफ उसे देख नाचता हुआ देख और महावीर सिंह को बेबस देख बहुत खुश होता है और इसी खुशी में होश खो कर सुनीता के पास जाता है और उसका हाथ पकड़ लेता है !

सुनीता को भी इसे मौका का इंतज़ार होता है ! वो उसकी कमर में छुपाई हुए पिस्तौल जोसफ के सर पर लगती है! जिससे जोसफ बौखला जाता है !

जोसफ : ओह नरगिस ये क्या है ! इस हसीना के हाथो में तुमने पिस्तौल क्यों थमा दी !

सुनीता : जोसफ नरगिस तो पहले ही मर चुकी है और ये हसीना अब तेरे मौत बन कर आयी है ! अब तेरे बारी है, तू तेरे लोगो को सरेंडर करने के लिए कह और मेरे पती को छोड़ दे ! वरना जितने भी गोलिया इस पिस्तौल में है उतने तेरे सर में छेद होंगे !

जोसफ : गार्ड्स अपनी गन नीचे कर, महावीर को छोड़ दो !

सुनीता के तेवर देख कर जोसफ ने उसके साथियो को उनके हथियार जमीन पर फेंकने के लिए कहा !

महावीर सिंह उसकी बीवी का साहस देख कर दंग रह जाता है !

महावीर सिंह : वैरी गुड सुनीता ! देख जोसफ इस देश की नारिया भी कितनी बहादुर है ! अब तो तेरी कोई खैर नहीं!

अब महावीर सिंह वह पड़ी बन्दूक उठा कर जोसफ की कनपटी पर लगता है और उसे उसके कब्जे में लेता है ! सुनीता भावुक हो कर महावीर से लिपट जाती है!

अब महावीर के साथी जो अभी तक चुप चाप खड़े थे, तुरंत हरकत में आ जाते है और सभी गार्ड्स की गन्स उनके कब्जे में कर उन सभी को रस्सी से बांध देते है !

महावीर फ़ोन कर और बैकअप फ़ोर्स मंगवा लेता है, वह उन्हें जोसफ का एक लैपटॉप भी मिलता है जिसे वो उनके कब्जे में करते है. महावीर सुनीता को वहा से उसकी कुछ टीम के मेंबर्स के साथ वापस सुरक्षित घर भेज देता है और जोसफ की छान बीन करने में लग जाता है !

महावीर जोसफ को एक चेयर से बांध देता है.

महावीर सिंह : जोसफ अब तेरा खेल ख़तम, बस अब जल्दी बता दो के तुम्हारा प्लान क्या है ! जितने जल्दी तो मुँह खोलेगा उतना तुझे कम दर्द होगा !

जोसफ : तू मुझे चाहे जा से भी मार दे महावीर मगर हमारा प्लान क्या है ये में तुझे नहीं बताऊंगा !

महावीर उसकी उंगलिया मरोड़ ता है जोसफ दर्द से कराहता है मगर महावीर के बातो का जवाब में कुछ भी नहीं बोलता !

महावीर सिंह : बोल तुम्हारे प्लान के बारे में बताता है के नहीं के नहीं !

जोसफ दर्द से बिलख उठता !

जोसफ : तू कितना भी उछाल महावीर मगर हम तेरे देश को हिला देंगे ! और उधर बॉर्डर पार हमारी सेना खड़ी है ! जो उस खबर के आते हे तुम्हारे देश पर हमला कर देंगे और तुम्हे संभलने का मौका भी नहीं मिलेंगे !

महावीर जोसफ को टॉर्चर करता है मगर वो टस से मस नहीं होता काफी देर तक!

तभी महावीर सिंह का आईटी एक्सपर्ट विजय आता है जो के जोसफ के लैपटॉप को हैक करने में जुट जाता है !

जोसफ : तुम्हे उस में से कुछ भी नहीं मिलेगा ! अब तुम्हारे पास बस चंद घंटे बचे है ! कल १५ अगस्त तुम्हारा स्वतंत्रता दिन हम राष्ट्रीय मातम दिन में हम बदलने वाले है !

जोसफ : विजय तुम उसके बातो पर ध्यान मत दो बस इस लैपटॉप को खुलवाओ !

विजय : सर इसका पासवर्ड डिकोड नहीं हो पा रहा है ! और इसमें एन्क्रिप्ट सॉफ्टवेयर सेंसर्स लगे जिसके वजह से अगर में मेरे हैकिंग डीवाइस इससे कनेक्ट करनेकी कोशिश कर रहा हूँ मगर ये उन्हें रन नहीं होने दे रहा ! इसके लिए इसका ओरिजिनल पासवर्ड हे लगेगा !

जोसफ : मेरी जान तुम्हे वो कभी नहीं मिलेगा !

महावीर सिंह : ओके विजय एक आखरी बार " मेरी जान नरगिस" टाइप करो !

विजय जैसे ही वो टाइप करता है लैपटॉप खुल जाता है !

जोसफ उसे देख कर झल्ला उठता है !

जोसफ : काफिरो तुम आगे हमारा मैसेज कभी डिकोड नहीं कर पाओगे ! उतनी तुम्हारे काबलियत नहीं है !

महावीर सिंह : जोसफ तू बस देखता हे जा हम कैसे तेरे प्लान का पता लगा कर उसकी धज्जिया उडा देते है !

विजय उस लैपटॉप को चेक करता है जिसमे कई घंटे लग जाते है आखिर में वो जोसफ के ईमेल बॉक्स को ओपन करने में कामयाब हो जाता है उसमे उसके ईमेल बॉक्स में लास्ट मैसेज भेजा है वो था "न बचेंगे राजा तो क्या करेंगे प्रजा " जिसे वो महावीर सिंह को दीखाता है !

जोसफ : अब वो घड़ी आ गयी है महावीर ! देख घड़ी में तेरा समय अब ख़तम और हमारा शुरू हुआ है अब सुबह के ८ बजने वाले है कुछ मिनट के बाद हमारा प्लान सफल हो जाएगा और तू कुछ भी नहीं कर सकेगा ! " यू आर रनिंग आउट ऑफ़ टाइम नाउ"

विजय : सर इसमें से तो हमे कुछ भी पता नहीं चल रहा है और ये भी मुँह नही खोलेगा, तो हम इनके इरादे को अब कैसे रोके ! इस के टाइम गिनने का क्या मतलब हो सकता है !

महावीर सिंह : विजय ! अब मेरी समझ में कुछ कुछ आ रहा है ! रुको और वो कुछ सोच कर एक साइड हो कर उसके मोबाइल से कुछ कॉल करता है !

थोड़ी देर के बाद उसे फिर से किसी का फ़ोन आता है इस वक़्त उसके चेहरे पैर एक खुशी से झलक जाती है !

महावीर सिंह : मुस्कुराता हुआ ! देख जोसफ हमने तेरा प्लान फ़ैल कर दिया !

जोसफ : कैसे तुझे तो पता भी नहीं हमारा प्लान क्या है फिर तू उसे कैसे फ़ैल कर देंगे !

महावीर सिंह : अपनी बेबसी को संभल कर रख जोसफ ! अभी तो तुझे सलाखों के पीछे उसके जरुरत पड़ेगी .

जोसफ और उसके साथियो की बरात उस खँडहर से लेकर जेल के दीवारों के पीछे जल्द ही थमा दी गयी !

जेल की सलाखों पीछे जोसफ को पंहुचा कर महावीर सिंह उसकी और देखता है!

महावीर सिंह : देख दुश्मन बंद कर दिया तुझे इस सलाखों के पीछे ! अभी तेरे आकाओं के बारी है !

जोसफ : तू लेकर तो आया सिपाही एक शेर को मगर ! बंद न कर पायेगा उसके दहाड़ को ! तुम और तुम्हारा देश इसके बहुत बड़ी कीमत चुका देख लेना !

महावीर सिंह : कीमत तो तू और तेरे आका चुकायेंगे इस मिटी को मलीन करना के तू बस देखता हे रह जायेगा !

महावीर सिंह : तू मुस्कुरा क्यों रहा है ! तुज़हे किस बात की खुशी है!

जोसफ : तुझे पता नहीं था के आज हे गणतंत्र दिन पर तेरे मिनिस्टर्स के हाथो में सजी घड़िया ही उनकी अब मौत बन चुकी होंगी अब तू कुछ नहीं कर सकता !

महावीर सिंह : तूने अभी घड़ी और वक़्त की बात करी ! तू भूल गया जब तुझे हमने पहली ही बार पकड़ा था उस वक़्त तूने एक सच बोला था की उन घडियो की डिज़ाइन चेंज कर दी गयी है जो के इंडिपेंडेंस डे पर पॉलिटिसिएंस को गिफ्ट में दी जाने वाले थी! मैंने उसे वक़्त डिफेन्स और होम मिनिस्टर साहब को उनके डिज़ाइन वापस चेक करने के लिए फ़ोन किया था तो पता चला के उसमे तुम लोगो ने एक ऐसा मैकेनिज्म लगाया था जो के रिमोट कंट्रोल्ड है और उसमे जहर लगी सूइ से हमारे देश के सभी बड़े पॉलिटिशंस और डेलीगेट्स को मारने का तुम लोगो का प्लान था जिसे हमने वक़्त पर उसी दिन फ़ैल कर दिया है ! अब उन घडियो को जब्त कर दुसरी घडियो से बदल दिया गया था!

इस बात को सुन कर जोसफ बहुत नाराज हो जाता है !

महावीर सिंह : अब जोसफ तू समझ ले तेरे जैसे शैतान के लिए इस जेल की कोठरी से फांसी के तख्ते की दूरी मिटाने में मई कोई कसार नही छोडूंगा यार रखियो !

कुछ हे दिनों के बाद जोसफ से उनके आतंकी संगठन के कई राज मालूम करने में और उनका नेटवर्क कमजोर करने में महावीर सिंह और उसकी टीम को सफलता मिलती है !

और जोसफ के लैपटॉप से विजय उनके संगठन से जुड़े लोगो की जानकारिया और उनके प्लान्स डिकोड करने में सफल हो जाता है ! जिससे देश के ऊपर मंडरा रहे खतरे को पहचान कर दूर करने में एक बड़ी सफलता मेल जाती है !

अब देश के पास वो सुबूत होते है जिनकी मदद से वो इंटरनेशनल लेवल पर उन बड़े आतंकवादियों को पहचान कर उनके ठिकानो पर मिलिट्री कार्यवाही करने में सफल हो जाता है !

और उसकी वजह से उन आतंकवादियों का संगठन कमजोर होता है , और देश के उपर से आने वाला एक बहुत बड़ा खतरा टल जाता है !

और उसके बाद एक दिन महावीर सिंह और उसकी टीम को वापस रावसाहब जी मिलने के लिए बुलाते है, इस वक़्त वह पर प्रधान मंत्री जी भी उनसे मिलकर उनकी वीरता के लिए उसे और उसकी टीम को सन्मानित करते है !

कुछ दिनों के बाद ! संसद में रावसाहब जी का भाषण हो रहा था तभी नेता ने प्रश्न पुछा !

एक नेताजी : माननीय रावसाहब जी आपने उन लोगो के बारे में क्या सोचा है जिन्होंने हमारी जान बचाई ! क्या हम उन्हें खुले आम सन्मानित कर जनता के बीच नहीं लायेंगे !

रावसाहब : जी नेता जी में भी आप की बातो से सहमत हूँ ! मगर पर्सनल सेफ्टी की वजह से हम उन लोगो को खुले आम सन्मानित नहीं कर सकते जिन्होंने देश के ऊपर, इस लोक तंत्र के ऊपर आये एक बड़े खतरे को टाल दिया ! मगर हम सभी मीलकर उनके लिए शुभ कामनाये कर सकते है के उन्हें उनके हर काम में सफलता मिले और उनके ताक़त बने ताकि हमारा देश निर्भय और विकास के और अग्रेसर रह सके!

और पूरा सदन शुभ कामनाये शुभ कामनाये की गूँज से विभोर हो उठा !

प्रधान मंत्री जी और अध्यक्ष जी ने उनके भाषणों में उन वीरो के लिए उनका धन्यवाद प्रगट किया ! और उसे दुसरे दिन न्यूज़ में भी दिखाया गया ! अब पूरा हिंदुस्तान उन वीरो को शुभ आशीष दे रहा था !

और उसे देख.

महावीर सिंह और उसकी टीम खुश तो थे मगर उससे ज्यादा उन्हें उनके साथियो के खोने का गम था मगर उनके बलिदान ने देश पर आये इतने बड़े संकट को टाल दिया इस बात का भी गर्व था !

दूसरे दिन सुनीता और महावीर उनके घर पर बैठे है बाते कर रहे है.

महावीर : सुनीता अगर उस दिन तुम साहस ना करती तो आज हम यहाँ ऐसे जिन्दा बैठे नहीं होते ! तुम्हारा शुक्रिया कैसे करू, मेरे पास तो कोई शब्द नहीं है !

सुनीता : उसकी कोई जरुरत नहीं ! मेरे असली ताक़त तो आप ही हो ! बस मुझे आप के हे चिंता थी !महावीर : सुनीता तुम् जैसे नारी शक्ति ही हमारे हिंदुस्तान की असली पहचान है, तुम हम जैसे सिपाहियों का परिवार संभल लेती हो जो कभी उनके परिवार को समय नहीं दे पाते मगर तुम ही हो जो हमें हमारे देश के प्रती कर्त्तव्य से कभी चूकने नहीं देती !

सुनीता : वो तो हमारा कर्त्तव्य है नहीं तो एक सिपाही की बीवी कहलाना इसे ही तो कहते है !

महावीर : आज कल तुम तो बड़ी महान बाते करने लगी हो !

सुनीता : हां क्यों नहीं एक बहादुर और महान इंटेलिजेंस अफसर के बीवी जो हूँ !

इस जवाब को सुन दोनों हंसने लगते है !

महावीर जैसे सिपाहियों की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अभी ख़तम नहीं हुइ थी क्यूंकी जोसफ तो बस एक प्यादा था अब उसके आकाओं की बारी थी और न जाने उन्होंने और कितने और जोसफ बना कर रखे थे, जो देश की शांति को बार बार क्षति पहुंचने के लिए प्रयत्न रत थे !

मगर एक बात थी के जब तक महावीर सिंह जैसे बहादुर इंटेलीजेन्स अफसर इस देश में है तब तक उनके इरादे सफल कभी नहीं होने वाले थे !

आज भी हमारे हिन्दुस्तान में महावीर जैसे कई इंटेलिजेंस ऑफिसर्स, पुलिस और मिलिट्री फोर्सेज के जवान है जो देश की सुरक्षा को उनका प्रथम कतर्व्य मान कर काम कर रहे है !

इस कहानी के माध्यम से उनके त्याग और कर्तव्यतत्परता को शतशः नमन!

!! ये अंत तो नहीं बल्कि एक नयी शुरुवात है !!

!! जय हिन्द !!

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