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हिमाद्रि - 17




हिमाद्रि(17)



मगन एक बोरे में छिपा कर घड़ा ले जा रहा था। ताकि किसी की नज़र ना पड़े। वह घड़ा लेकर अपने छोटे से कमरे में पहुँचा जहाँ दोनों भाई रहते थे। कमरा अंदर से बंद कर उसने घड़ा बाहर निकाला। पहली बार उसने घड़े को ध्यान से देखा। वह पीतल का था। मिट्टी में दबे रहने के कारण काला पड़ गया था। उसके मुंह पर कपड़ा बंधा था जो लगभग सड़ चुका था।
मगन ने घड़ा हाथ में लेकर वज़न का अंदाज़ लगाया। घड़ा भारी था। उसके मन में आया कि अवश्य इसमें बहुत धन होगा। उसने घड़ा कोने में रख दिया। वह छगन की राह देखने लगा।
उधर छगन काम तो कर रहा था किंतु उसके मन में भी दौलतमंद बनने के खयाल आ रहे थे। वह जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहता था।
अपने कमरे में बैठा मगन बार बार घड़े की तरफ ही देख रहा था। वह चाहता था कि जल्दी ही घड़े का मुंह खोल कर उसके अंदर का धन निकाल कर देखे। लेकिन छगन के आने तक यह संभव नहीं था। किंतु उससे इंतज़ार हो नहीं पा रहा था।
छगन को लग रहा था जैसे समय बीत ही ना रहा हो। बेसब्री में वह काम भी सही से नहीं कर पा रहा था।
स्टुअर्ट काम का मुआयना करने आया तो देखा कि छगन काम रोक कर बैठा है। उसने टोंका तो छगन ने भी बीमारी का बहाना बनाया।
"क्या बात है ? दोनों भाई बीमार पड़ गए।"
"वो साहब कल रात हमने बासी खाया था। शायद उसके कारण हो गया हो। आज मैं भी जा रहा हूँ। कल हम दोनों भाई आपका काम पूरा कर देंगे।"
स्टुअर्ट और क्या कह सकता था। उसने जाने की इजाज़त दे दी।
मगन से रहा नहीं गया। वह घड़ा उठा कर ले आया। फर्श पर बैठ कर उसे अपने सामने रख लिया। वह कपड़ा हटाने की कोशिश करने लगा।
मगन ने घड़े के मुंह पर बंधा कपड़ा हटाया। ढक्कन खोला। ढक्कन खुलते ही मगन को लगा जैसे कोई साया सा उठ कर ऊपर की तरफ बढ़ा। पर उसे कुछ दिखा नहीं। धन के लालच में उसने अधिक ध्यान भी नहीं दिया। उसने घड़े के भीतर देखा उसमें लोहे के कुछ टुकड़ों के अलावा कुछ नहीं था।
छगन भागता हुआ अपने कमरे में पहुँचा। उसने दरवाज़ा खटखटाया। लेकिन मगन ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने और ज़ोर से दरवाज़ा पीटा। पर कुछ नहीं हुआ। उसका माथा ठनका। उसने खिड़की से झांकने का प्रयास किया। पर वह भी भीतर से बंद थी। कोई रास्ता ना देख छगन ने दरवाज़ा तोड़ दिया।
अंदर का दृश्य देख कर वह डर गया। मगन फर्श पर मृत पड़ा था। उसकी लाश की तरफ देखा नहीं जा रहा था। खाली घड़ा उसके सामने रखा था।
हिमाद्रि आज़ाद हो गया था।

सभी बड़े ध्यान से हिमाद्रि के आज़ाद होने की कहानी सुन रहे थे। डॉ निरंजन ने कहा।
"हिमाद्रि इतने सालों के बाद तुम आज़ाद हुए थे। उसके बाद दोबारा बेसमेंट में बने कमरे में कैसे कैद हो गए ?
हिमाद्रि ने बताया।
"कई सालों से उस घड़े में कैद मैं आज़ादी के लिए तड़प रहा था। पंडित शिवपूजन ने मुझे कैद करने से पहले अपने मंत्रों द्वारा मेरी सारी शक्ति हर ली थी। ऐसे में एक प्रेत लहू पीकर ही अपनी ताकत पा सकता है। मुझे भी अपनी ताकत दोबारा पानी थी। अतः जिसने मुझे आज़ाद किया मैंने उसका ही लहू पी लिया।"

आज़ाद होने के बाद हिमाद्रि ने कई और लोगों का लहू पिया। हिमपुरी और उसके आसपास के गांवों में तहलका मच गया। बात मीडिया तक पहुँच गई। कई तरह की खबरों का बाज़ार गर्म हो गया। कोई इसे भूत प्रेत का चक्कर कहता था तो कोई किसी सनकी आदमी द्वारा किए गए कत्ल बताता था। कुछ लोग इसे शातिर गिरोह का काम बता रहे थे जो लोगों के शरीर से खून निकाल लेता है। सोशल मीडिया पर भी यह बात खूब वाइरल हुई।
पर समय के साथ खून चूसी हुई लाशों का मिलना बंद हो गया। लोग भी धीरे धीरे शांत हो गए।
हिमाद्रि अपनी खोई हुई ताकत दोबारा पा चुका था। अब उसके भीतर की काम अग्नि पुनः धधक उठी थी। किंतु इस बार वह अपना शिकार दूसरी तरह से करना चाहता था। उसे एक नवयुवक की तलाश थी। जो देखने में आकर्षक हो। जिसके शरीर में प्रवेश कर वह अपनी वासना पूरी कर सके। उसकी नज़र फिलिप पर पड़ गई। फिलिप बहुत खूबसूरत था। हिमाद्रि की तरह उसकी आँखें भी नीली थीं।
फिलिप को एक नया शौक लग गया था। स्वयं अपना चित्र बनाने का। बेसमेंट में एक कमरा था। जिसका दरवाज़ा बहुत ऊँचा नहीं था। इस कमरे में सदैव ताला लगा रहता था। फिलिप ने इसके दरवाज़े के ऊपर की दीवार पर एक हुक लगाकर उस पर एक आदमकद आईना लगा दिया। था। वह उसमें अपना अक्श देखते हुए चित्र बनाता था।
हिमाद्रि को भी स्वयं का चित्र बनवाने का शौक था। अतः जब फिलिप अपना चित्र बनाता तब वह उसके शरीर पर कब्ज़ा कर लेता था। फिलिप आईने में देखता तो हिमाद्रि दिखाई पड़ता था। किंतु उस समय वह हिमाद्रि के कब्जे में होने के कारण कुछ समझ नहीं पाता था। चित्र पूरा होने पर जब हिमाद्रि उसके शरीर को छोड़ता तब वह यह देख कर आश्चर्य में पड़ जाता कि उसने अपनी जगह किसी और का चित्र बना दिया। हिमाद्रि फिलिप के सोंचने समझने की शक्ति पर भी कब्जा किए हुए था। इसलिए फिलिप एक अजीब सी मानसिक स्थिति में रहता था। किंतु किसी से कुछ कह नहीं पा रहा था।
हिमाद्रि गांव की स्त्रियों की दिनचर्या पर नज़र रखे हुए था। इस बार वह बहुत सावधानी से अपना शिकार बनाना चाहता था। उसकी निगाह बीना पर थी। बीना पास के गांव में रहती थी और कुछ बंगलों में काम कर पैसे कमाती थी। हिमाद्रि मौके की तलाश में था।
हिमाद्रि फिलिप के शरीर में प्रवेश कर बीना पर नज़र रखता था। बीना जब घर लौटती थी तो वह जंगल के बीच से गुजरती थी। किंतु घर लौटते समय उसके साथ एक और औरत होती थी। वह भी उसकी तरह बंगलों में काम करती थी। इसलिए हिमाद्रि उस दिन की राह देख रहा था जब वह अकेली हो।
हिमाद्रि को अवसर मिल गया। बीना उस दिन अकेली घर लौट रही थी। उसकी सहेली बीमार थी। बीना को आज देर भी हो गई थी। हिमाद्रि ने इस अवसर का लाभ उठाया। जब वह जंगल से गुजर रही थी तब उसे दबोच लिया।
अपनी वासना पूरी करने के बाद हिमाद्रि ने बीना को मार दिया। उसके बाद वह फिलिप के शरीर को छोड़ कर चला गया।
हिमाद्रि के शरीर से निकलते ही फिलिप होश में आया तो पास पड़े बीना के शव को देख कर दंग रह गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि वहाँ कैसे पहुँचा। किंतु अपनी स्थिति देख कर उसे लगा कि शायद उसने ही उस औरत के साथ गलत किया है। वह घबरा गया। फौरन वहाँ से भाग गया।
फिलिप घबराया हुआ घर पहुँचा। वह सीधे अपने कमरे में चला गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि आजकल उसके साथ हो क्या रहा है। उसे लगता था कि कोई उस पर काबू किए हुए है। अपने हिसाब से उससे काम करवाता है। वह एक मशीन की तरह उसके इशारे पर काम करता था। जब वह उस पर हावी होता था तो फिलिप होश में नहीं रहता था। उसके जाने के बाद वह समझ पाता था कि क्या हुआ।
फिलिप ने कई बार इस विषय में स्टुअर्ट से बात करने के बारे में सोंचा। किंतु जब वह कहने जाता था तो उसे लगता कि जैसे कोई उसे रोक रहा हो।
स्टुअर्ट अपने कमरे में था जब उसने देखा कि फिलिप घर लौट कर सीधा ऊपर अपने कमरे में चला गया। वह पिछले कुछ दिनों से फिलिप में आए बदलाव से परेशान थे। वह अजीब सी हरकतें करने लगा था। दोनों मजदूर फिश पांड की खुदाई छोड़ कर भाग गए थे। स्टुअर्ट ने एक दूसरा मजदूर बुला कर काम पूरा कराना चाहा। इस पर फिलिप ने कहा कि अब फिश पांड की ज़रूरत नहीं है। जितना गढ्ढा खुदा था उसे भी भरवा दिया।
उसकी हरकतों से स्टुअर्ट परेशान हो रहे था। उसे लगता था कि जवान लड़का है। ना जाने किस परेशानी में है। कहीं गलत राह पर ना चला जाए। वह इस बात की प्रतीक्षा कर रहा था कि फिलिप खुद अपनी परेशानी उससे साझा करेगा। लेकिन फिलिप तो अब उससे कतराने लगा था। अतः आज उससे बात करने के लिए स्टुअर्ट उसके कमरे में गया।
स्टुअर्ट ने फिलिप से कहा कि आजकल उसे उसका बर्ताव सही नहीं लग रहा है। यदि कोई परेशानी हो तो उसे बताए। वह पूरी मदद करेगा। लेकिन फिलिप ने कोई जवाब नहीं दिया। वह चुपचाप सर झुकाए स्टुअर्ट की बात सुनता रहा।
स्टुअर्ट की परेशानी और बढ़ गई।

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