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हिमाद्रि - 6

 

               
                      हिमाद्रि(6)
 
 
 
गगन चौहान ने फोन कर उमेश से मिलने की इच्छा जताई। वह पुलिस स्टेशन के बाहर कहीं मिलना चाहता था। उमेश ने उसे बंगले पर बुला लिया। बुआ चाय की ट्रे रख कर जाने लगीं तो गगन ने उन्हें बैठने को कहा।
"उस दिन जब कुमुद जी के साथ वह हादसा हुआ तब आप बंगले के पिछले हिस्से में बने क्वार्टर में थीं। फिर भी क्या आपने कोई आवाज़ सुनी थी।"
"जी नहीं.... अगर हमको ज़रा भी आहट लगती तो हम बहूजी की मदद को ज़रूर आते।"
"हाँ ये बात सही है। पर कभी कभी ऐसा होता है कि हम कुछ सुनते हैं फिर मन का वहम समझ कर ध्यान नहीं देते हैं।"
"रोज़ रात सोने से पहले हम गीता के कुछ श्लोकों का पाठ करते हैं। उस दिन तो हम पूरा एक अध्याय समाप्त कर सोए थे। मतलब बहुत देर तक जागते रहे थे। हमको कोई आवाज़ सुनाई नहीं पड़ी।"
गगन चौहान कुछ देर शांत रहा। फिर बुआ को धन्यवाद देकर अपना काम करने को कहा। बुआ के जाने के बाद वह उमेश से बोला।
"दरअसल उस दिन आपके जाने के बाद एक बात मेरे दिमाग में आई। उसी के बारे में आपसे बात करनी थी।"
"कहिए क्या कहना था ?"
"आप जब पिछली बार थाने आए थे तो आपने बताया था कि आप अपनी पत्नी का इलाज प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. गांगुली से करवा रहे हैं। उनके हिसाब से कुमुद जी सेज़ोफ्रेनिया नामक बीमारी से ग्रसित हैं। इसमें रोगी कल्पना और वास्तविकता में अंतर नहीं कर पाता है। अपनी कल्पना को ही सच मानता है।"
उमेश उसकी बात का केस के साथ संबंध नहीं समझ पा रहा था।
"वो सब तो मुझे पता है। आप स्पष्ट रूप से बताइए कि कहना क्या चाहते हैं।"
"देखिए मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की कोई पुष्टि नहीं हो रही है। फिर भी हम प्रयास कर रहे हैं कि कोई....."
उमेश ने बात बीच में ही काट कर कहा।
"चौहान साहब आप अभी भी मुद्दे पर नहीं आए हैं। साफ साफ कहिए।"
"मैं उसी पर आ रहा था। खैर आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए। कुमुद जी के साथ गलत हुआ है यह बात पहले उन्होंने बताई थी या आपके पूँछने पर उन्होंने आपको जवाब दिया था।"
उमेश गगन की बातों का सिर पैर नहीं समझ पा रहा था। कुछ झल्ला कर बोला।
"ये क्या सवाल हुआ ? आप यही सब बातें करने आए हैं ?"
गगन कुछ देर उमेश के चेहरे को देखता रहा। फिर गंभीरता से बोला।
"मि. सिन्हा इस तरह उत्तेजित होने की ज़रूरत नहीं है। मैं बेकार की बात करने नहीं आया हूँ।"
गगन की बात सुन कर उमेश कुछ नरम पड़ गया। गगन ने आगे कहा।
"जब आप अपनी पत्नी के साथ हुए दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखाने थाने आए थे तब आपने कहा था कि जब आपने घर पहुँच कर अपनी पत्नी को देखा तो आपको लगा कि उनके साथ बलात्कार जैसी घटना हुई है। आपने कुमुद जी से बार बार पूँछा पर वह कुछ नहीं बोलीं। बाद में बहुत ज़ोर देने पर उन्होंने बलात्कार होने की बात कही। ठीक है।"
गगन उमेश की तरफ देखने लगा।
"हाँ....मैंने यही कहा था।"
"हलांकि आपने प्रेत वाली बात छिपा ली थी। जब सब इंस्पेक्टर अचला ने आपकी पत्नी का बयान लिया तब उन्होंने प्रेत को दोषी ठहराया। आपने कहा कि कुमुद जी को गहरा आघात लगा है इसीलिए ऐसी बातें कर रही हैं।"
उमेश ध्यान से सब सुन रहा था। पर अभी भी वह बात को केस से नहीं जोड़ पाया था। उसकी मनोदशा समझ कर गगन बोला।
"मैं कहना यह चाह रहा हूँ कि जैसे आपकी पत्नी ने प्रेत की कल्पना की वैसे ही आपके बार बार बलात्कार की बात करने पर उन्होंने यह भी सोंच लिया कि उनके साथ ऐसा हुआ है। यह हरकत प्रेत ने की है।"
उमेश ने इस तरह से नहीं सोंचा था। लेकिन जब लौटने पर उसने कुमुद को देखा था तब उसकी हालत देख कर यही लग रहा था कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया है।
"मैंने घर लौट कर जब कुमुद को देखा तो उसकी हालत बहुत बुरी थी। उसकी कलाइयों पर निशान थे जैसे किसी ने जबरन उसे पकड़ा हो। वह बहुत डरी हुई और गुमसुम थी। आप क्या कहना चाहते हैं कि यह सब महज़ कल्पना के कारण था। कलाइयों पर पकड़े जाने के निशान झूठे थे। मेडिकल रिपोर्ट में भी उन निशानों का ज़िक्र है।"
गगन एक बार फिर शांत हो गया। कुछ ठहर कर बोला।
"देखिए....कानून के तहत हमने रिपोर्ट लिखी है। हम कानून के दायरे में तफ्तीश भी करेंगे। मैं बस एक संभावना जता रहा हूँ। आप यह बात डॉ. गांगुली को बताइए। उन्हें शायद कोई मदद मिले।"
अपनी बात कह कर गगन खड़ा हो गया। उमेश से नमस्ते कर चला गया। उमेश वहीं बैठ कर सारी बात पर विचार करने लगा। एक दृष्टिकोंण से उसे गगन की बात सही लग रही थी। लेकिन जब वह उस दिन कुमुद की हालत के बारे में सोंचता तो उसे अपना दृष्टिकोंण सही लगता था। वह बार बार उस दिन कुमुद की स्थिति का चित्र अपने मन में बना रहा था। हर बार उसे यही लगता था कि उसका सोंचना सही था। गगन ने उसकी उलझन और बढ़ा दी थी। उसने बुआ को बुलाया।
"क्या बात है भैया ? इंस्पेक्टर साहब कुछ खास बात बता गए।"
उमेश ने उन्हें अपने सामने बैठा कर सवाल किया।
"बुआ एक बात बताइए। उस दिन आपके ज़िद करने पर जब कुमुद ने दरवाज़ा खोला तो उसकी हालत देख कर आपको क्या लगा कि उसके साथ क्या हुआ होगा ?"
सवाल सुन कर बुआ सोंच में पड़ गईं। मन ही मन उस पल को याद करने लगीं।
"भैया जब हम कमरे में घुसे तो उन्हें देख कर घबरा गए। हमें लगा कि ज़रूर कुछ बहुत भयानक हुआ है। पर क्या हुआ ऐसा कुछ समझ नहीं आया था।"
उमेश ने बुआ की बात पर विचार कर फिर पूँछा।
"मतलब यह कि कुमुद के साथ किसी आदमी ने दुष्कर्म किया हो ऐसा आप नहीं कह सकती थीं।"
"भैया हम बहुत घबरा गए थे। कुछ सोंच नहीं पा रहे थे। इसलिए फौरन तुमको बुला लिया।"
उमेश ने बुआ को गगन की बात बताई। उसे सुन कर वह भी परेशान हो गईं।
"बुआ मुझे अब यकीन है  कि कुमुद ने हमको जो कहानी सुनाई वह उसकी कल्पना थी। जिसे वह सच मान रही है। मैं अभी डॉ. गांगुली से बात कर समय मांगता हूँ।"
बुआ की आँखें नम थीं। साड़ी के पल्लू से उन्हें पोंछते हुए बोलीं। 
"जो सही लगे वही करो भैया। बहूजी और तुम्हारी ये हालत देख कर कलेजा फटता है।"
 
डॉ. गांगुली ने उमेश की सारी बात सुनी। उन्होंने एक बार फिर कुमुद से बात की। कुमुद अपनी बात से ज़रा भी इधर उधर नहीं हुई थी। 
"उमेश बाबू आपकी पत्नी की बीमारी गंभीर है। मैंने पुलिस ने जो मेडिकल कराया था उसकी रिपोर्ट देखी। उसके हिसाब से तो दुष्कर्म जैसी कोई चीज़ साबित नहीं होती। पर आपकी पत्नी प्रेत द्वारा उनके साथ बलात्कार किए जाने की बात कर रही हैं। ये सब उनके दिमाग की उपज भी हो सकती है। अब हमें उनके साथ जल्दी जल्दी सेशन्स करने पड़ेंगे। आपको भी उनकी देखभाल ठीक तरह से करनी होगी।"
"जी आप जब कहेंगे मैं कुमुद को सेशन्स के लिए लेकर आऊँगा। इसका खास खयाल रखूँगा।"
सेशन समाप्त हो गया था। उमेश जाने के लिए उठा। फिर कुछ सोंच कर बैठ गया।
"सर क्या आप किसी डॉ. निरंजन प्रकाश को जानते हैं ?"
नाम सुनते ही डॉ. गांगुली भड़क गए। 
"वह एक नंबर का बदमाश है। मेरे मरीज़ों के रिश्तेदारों को भूत प्रेत का डर दिखा कर अपने जाल में फंसाने की कोशिश करता है।"
"सर मैं भूत प्रेत पर यकीन नहीं करता। मैंने आपको उसके बारे में इसलिए बताया क्योंकी आपकी क्लीनिक से किसी ने उसे हमारा पता दिया था। कुमुद के बारे में जानकारी दी। वह मेरे घर आया था। यह ठीक नहीं है। आप इसका ध्यान रखिए।"
यह सुन कर डॉ. गांगुली शर्मिंदा हुए। उन्होंने दोषी के खिलाफ कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। 
 
कुमुद के साथ हुए हादसे को एक महीना होने वाला था। लेकिन अब तक गुत्थी ज़रा भी नहीं सुलझी थी। गगन ने जो कहा उसके बाद वह और उलझ गई थी। इन सबके बीच कुमुद के बारे में सोंच कर उमेश बहुत परेशान रहता था।
बुआ का रोज़ सुंदरकांड पढ़ने का नियम जारी था। अब कुमुद भी नहा कर उनके साथ मंदिर में बैठ कर पाठ सुनती थी। उमेश हॉल में बैठा हुआ था। तभी कॉलबेल बजी। उसने उठ कर दरवाज़ा खोला। सामने कुमुद के मम्मी पापा थे। दरअसल अपने पिता तथा कुमुद के परिवार को उसकी स्थिति के बारे में ना बताने का बोझ वह सह नहीं पा रहा था। इसलिए उसने पूरी बात तो नहीं बताई पर यह खबर भिजवा दी कि कुमुद बीमार है। साथ में यह भी तसल्ली दी कि वह और बुआ सब संभाल लेंगे। पर शायद अपनी बेटी के बारे में जान कर वह परेशान हो गए होंगे। इसलिए मिलने चले आए।
कुमुद की मम्मी सरला ने घुसते ही अपनी बेटी के बारे में पूँछा। उमेश ने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा।
"कुमुद ठीक है। बुआ रोज़ सुंदरकांड का पाठ करती हैं। वह मंदिर में बैठी पाठ सुन रही है। पाठ बस कुछ ही देर पहले शुरू हुआ है। आप तब तक इत्मिनान से बैठिए।"
कुमुद के पिता मुकेश ने अपनी पत्नी को समझाया कि शांत होकर बैठ जाए। पाठ हो जाने पर बेटी से मिल लेना। उमेश दोनों के लिए पानी ले आया। मुकेश ने कहा।
"बेटा जब से तुमने बताया कि कुमुद बीमार है यह परेशान हैं। उससे मिलने की ज़िद कर रही थीं। तो मैं ले आया।"
"अच्छा किया। कुमुद को भी बेहतर महसूस होगा।"
सरला अपनी बेटी के बारे में जानने को इच्छुक थीं। वह बोलीं। 
"यह बताओ बेटा कि अचानक कुमुद को हो क्या गया। जब आई थी तो अच्छी भली थी।"
उमेश जानता था कि यह प्रश्न होगा। उसने भी सब सच बताने का मन बना लिया था। उमेश ने अब तक जो भी घटा सब साफ साफ बता दिया। सब जान कर कुमुद के मम्मी पापा भावुक हो गए। सरला रोने लगीं।
"इतना कुछ हो गया मेरी बेटी के साथ। पर अगर इस में प्रेत है तो यहाँ क्यों रह रहे हैं।"
उमेश ने समझाया।
"देखिए.....यहाँ कोई प्रेत वेत नहीं है। मैंने बताया ना कि प्रसिद्ध ममोचिकित्सक डॉ. गांगुली कुमुद का इलाज कर रहे हैं। उनका मानना है कि कुमुद को सेज़ोफ्रेनिया नामक बीमारी है। वह मन में जिन बातों की कल्पना करती है उसे सच मान लेती है।"
इस बार मुकेश बोले।
"बेटा पहले तो वह कभी ऐसी बातें नहीं करती थी। अचानक यह सब कैसे हो गया ? फिर उसके साथ वह....."
कहते हुए मुकेश बहुत भावुक हो गए। सरला भी रोने लगीं। उमेश ने दोनों को शांत कराया। 
"मेडिकल रिपोर्ट में तो कुछ नहीं आया है। डॉ. गांगुली का कहना है कि यह भी उसकी कल्पना हो सकता है।"
यह सुन कर सरला और भी अधिक परेशान हो गईं। तभी बुआ और कुमुद मंदिर से बाहर आए। कुमुद भाग कर अपनी माँ के गले लग गई।
 
 
 
 
 

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