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रेव पार्टी

“रेव पार्टी”

आर 0 के 0 लाल


अशोक जी संडे को दोपहर का खाना खाकर के सो रहे थे कि उनके मोबाइल की घंटी बजी। उनके ही अपार्टमेंट के रस्तोगी जी की काल थी। बोले- "भाई साहब! आज तो बहुत अच्छा मौसम हो गया है, पानी भी बरस रहा है। क्यों नहीं चार बजे आप मेरे यहां आ जाते। रमन और हर्ष भी आ रहें हैं। चाय और पकौड़ी के साथ थोड़ी गप्प मारेंगे।"

हां भाई, आ जाऊंगा। आप बुलाएं हम न आएं ऐसा नहीं हो सकता। वह अपने गांव वाला सिरका भी निकलवा लीजिएगा तो मजा ही आ जाएगा।" अशोक ने निमंत्रण स्वीकार किया।

सभी शाम को उनके फ्लैट पर पहुंच गए। उस एपार्टमेंट में उन्होंने तीन बड़े-बड़े फ्लैट ले रखे हैं। दो एक साथ हैं और एक ऊपर वाला है। ऊपर वाले फ्लैट को घर के अंदर से ही जोड़ रखा है और पूरा घर शानदार ढंग से सजाया है। ऊपर शीशे लगे एक मॉडर्न बार् डिजाइन किया है जिससे बाहर का नजारा बहुत बढ़िया दिखाई पड़ता है। रस्तोगी जी एक बड़े बिजनेसमैन हैं और अक्सर यहां पार्टी ऑर्गेनाइज करते रहते हैं। उन्होंने वहीं पर सभी को बैठाया। थोड़ी देर में गरम- गरम पकौड़ी और कई नाश्ते के सामान आ गए। रस्तोगी जी ने कहा कि मौसम बहुत आशिकाना है इसलिए एक एक पेग हो जाए। रमन और हर्ष पीने के शौकीन थे इसलिए उन्होंने हामी भर दी। अशोक ने तो खाली चाय की फरमाइश की। बोले कि भाई साहब आप तो जानते हैं कि हम यह सब नहीं लेते।

लगभग एक घंटे तक पीना पिलाना चलता रहा। किसी काम से रस्तोगी साहब अपने नीचे वाले फ्लैट में चले गए तो हर्ष ने धीरे से कहा- " अशोक भाई! देख रहे हैं कि हम लोगों की कितनी खातिरदारी हो रही है। आपको पता है अभी हाल में नोएडा में एक रेव पार्टी में करीब दो सौ लड़के-लड़कियां पुलिस द्वारा छापे में पकड़े गए थे जो वहां इंजॉय कर रहे थे। चर्चा है कि उस रेव पार्टी में रस्तोगी जी का लड़का भी पकड़ा गया था। खुल्लम खुल्ला तो किसी में कहने की हिम्मत नहीं है। कोई कुछ कहे न, इसलिए रस्तोगी बारी-बारी से सोसायटी के तमाम नामी - गिरामी लोगों को अपने घर पर बुला रहे हैं और उनसे दोस्ताना व्यवहार कर रहे हैं। इतना कुछ वैभव होने के बाद भी उनका लड़का तो नालायक ही निकला।"

"अरे भाई! यह रेव पार्टी क्या बला है? अशोक ने पूछा और कहा कि मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं है। अगर पुलिस वालों ने इतनी बड़ी संख्या में लोगों को पकड़ा है तो लगता है कि कुछ इललीगल वाला काम है यह।"

हर्ष ने मजाक करते हुए कहा रमन को तो इन बातों में अच्छा खासा अनुभव है। वही बताएंगे।

रमन ने कहा क्यों बदनाम कर रहे हो भाई। वैसे मैंने अखबारों में जो पढ़ा है आप लोगों को बताता हूं कि रेव पार्टी का मतलब है मौज मस्ती की पार्टी। आप लोगों ने तो वह गाना सुना होगा “ आती क्या खंडाला।“ अब तो प्रेमी लोग अपनी प्रेमिका से पूछते हैं “ आती क्या फार्म हाउस” । वैसे तो हर प्रेमिका को पता होता है कि वहां क्या होता है फिर भी जिसे नहीं पता होता और पूछती है कि वहाँ क्या होगा? तो प्रेमी का जबाव होता है – “ वहां एसिड होगा, रात भर ट्रांस म्यूजिक पर नाचेंगे, 'हट' में एन्जॉय करेंगे और क्या” ? पूरी रात डांस,नशे और एंटरटेनमेंट से गुलजार होती हैं ये पार्टियां। एक रात की इस पार्टी में लाखों रुपये बहा दिये जाते हैं। जो युवा यहां आते हैं, वो बड़े घरों के होते हैं। उनके साथ ज्यादातर उनकी गर्ल्स पार्टनर भी होती हैं।"

हर्ष ने कहा कि इससे तो समाज पर बहुत खराब प्रभाव पड़ता होगा। लड़के,लड़कियां अपना जीवन बर्बाद कर लेते होंगे। देखा देखी तमाम लोग इसमें बुरी तरह फस जाते होंगे।

रमन ने जवाब दिया - "हां! खबर है कि अब जयपुर, लखनऊ, कानपुर और बेंगलुरु जैसे शहरों में भी युवक-युवतियों के बीच ऐसी पार्टियों का क्रेज बढ़ता जा रहा है। दिल्ली-मुंबई, गोवा में तो अक्सर पकड़ धकड़ होती ही रहती है। मैं आप लोगों को एक कस्बे से आई एक युवती की कहानी सुनाता हूं जो इसके चक्कर में आ गई थी और उससे उसका पूरा जीवन बर्बाद हो गया।"

उसका नाम आशा था। वह पतली-दुबली, गोरी और बहुत खूबसूरत थी। किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी। काम करते करते अपने एक बॉयफ्रेंड रोहित से प्यार करने लगी थी। उसके साथ वह मॉल जाती, मूवी देखती और कैंडल लाइट डिनर करती। देर रात घर लौटती। एक दिन रोहित ने उसे गोवा चलने को कहा। थोड़ी न नुकुर के बाद वह तैयार हो गई। वहां क्लब पार्टीज के मजे लिए। एक शाम रोहित ने आशा को अपने मोबाइल पर एक एस एम एस दिखाया कि उसे किसी रेव पार्टी का आमंत्रण मिला है। बोला जान! तुम्हें फ्री एंट्री मिलेगी, केवल मेरे को दस हजार रूपए देना पड़ेगा, सभी लड़कियों को फ्री एंट्री दी जाती है। अंदर बस खाने पीने का पैसा देना होगा। आज की रात हम वहीं पर इंजॉय करेंगे। तुम अपने ए टी एम से बीस हजार रुपए निकाल लो, वहां खर्च होंगे। मैं भी कुछ पैसे निकलवा लेता हूं।"

आशा ने रेव पार्टी के बारे में सुन रखा था परन्तु कभी वहां जाने की हिम्मत नहीं हुई थी। उसने कहा रोहित मैं नहीं जाऊंगी क्योंकि वहां लोग बहुत ज्यादा नशा करते है। कभी कभी इज्जत भी लुट जाने का भय रहता है। रोहित ने कहा मैं तो रहूंगा ही। क्यों परेशान होती हो तुम्हारे साथ ऐसा कुछ नहीं होगा। मैंने तुम्हारे लिए स्पेशल पैकेज लिया है। जल्दी से तैयार हो जाओ। बहुत दबाव के बाद आशा तैयार होकर कैफे पहुंच गई। वहां का दृश्य देखकर बहुत खुश हुई लेकिन मन ही मन उसे डर लग रहा था। वहां की सजावट अत्यंत मनमोहक थी। विदेशी बैंड पर तेज आवाज में डीजे बज रहा था। वहां की दीवारें साउंड प्रूफ थीं, शराब व ड्रग्स मिल रहे थे । पार्टी में बड़े बड़े हुक्के भी लगे थे। वहां लड़के-लड़कियों का एक बड़ा हुजूम था। काफी विदेशी लोग भी थे जिनकी युवतियां आपत्तिजनक हालत में डांस कर रही थी। एक हाथ में बीयर या दारू लेकर लोग हिप-हॉप नृत्य का मजा ले रहे थे।

बीयर और शराब लेने में आशा को तो कोई हिचक नहीं रह गई थी इसलिए रोहित और आशा दोनों ने उसी से शुरुआत की। कुछ देर बाद जब नशा चढ़ने लगा तो रोहित ने उसे डांस के लिए आमंत्रित किया। थोड़ा डांस करने के बाद ही आशा ने कहा हम बहुत थक गए हैं हमसे डांस नहीं होगा। रोहित बोला अभी तो पूरी रात पड़ी है, मैं तुम्हें एक शक्तिवर्धक डोज दे देता हूं। न चाहते हुए भी उसने वह डोज ले लिया। खास तरह के ड्रग्स लेने के बाद युवा छह से आठ घंटे डांस कर सकते हैं। आशा झूमने लगी तथा होश खोने लगी। अब तो कई मनचले उससे लिपट रहे थे। जब रोहित नहीं देख पाया तो उसे खींच कर एक किनारे चला गया। आशा को कोई होश नहीं रहा कि आगे क्या हुआ। सुबह वह रो रही थी। रोहित ने उसे समझा कर सांत्वना दिया। कई दिनों तक वे गोवा में रहे। आशा को तो मजा आने लगा था। प्रायः वह इन पार्टियों में देखी जाने लगी। बाद में पता लगा कि वह किसी ग्रुप के साथ आसाम चली गई है । आज उसका कोई पता नहीं चल रहा है कि कहां है, घर वाले भी हार थक कर बैठ गए हैं।" इस तरह की अनेकों कहानियां हैं। लड़के भी इस लत के चक्कर में ड्रग्स लेने लगते हैं और पैसे की कमी को पूरा करने के लिए अपराध करने लगते हैं। सुनने को मिलता है कि कभी कभी तो उनकी जान भी दांव पर लग जाती है।

हर्ष ने भी बताया कि अखबारों में खबर है कि बड़ी संख्या में लड़कियां नशे के लिए बदनाम रेव पार्टियां की गिरफ्त में आ रही हैं जिनमें स्टूडेंट भी हैं।

अशोक ने जानना चाहा कि हिप हॉप क्या है? रमन ने बताया कि हिप-हॉप एक फ्री स्टाइल प्रतियोगितात्मक नृत्य है।

अभी भी रस्तोगी जी नीचे से वापस नहीं आए थे। सभी ने कहा हमें यहां नहीं आना चाहिए था। हमारे घर वाले और पड़ोसी यही समझेंगे कि हम ऐसे आदमी के यहां पार्टी कर रहे थे। आइंदा हम नहीं आयेंगे।

अंत में अशोक ने पूछा कि अब सवाल ये है कि अपने बच्चों को कैसे इस सबसे बचाया जा सकता है?

हर्ष ने अपनी राय दी - "मेरे हिसाब से तो इसे रोकना बहुत मुश्किल है। आजकल का जमाना तड़क-भड़क का है और सब पागल हो करके मौज मस्ती की जिंदगी गुजारना चाहते हैं। फिर भी यदि बच्चों में बचपन से ही एक अच्छा संस्कार डालें तो वह संस्कार ही काम कर सकता है। अभी देखिए काफी दबाव के बाद भी अशोक भाई साहब ने दारु नहीं पी और चाय पी के काम चला लिया। यह उनका मजबूत संस्कार ही है।

संस्कार बच्चों में ठीक उसी तरह काम करता है जैसे बचपन में उन्हें पोलियो या मलेरिया का टीका लगाया जाता है और बच्चे उन रोगों से बच जाते हैं। इसी तरह अच्छे संस्कार इन कुरीतियों की तरफ आकर्षित होने से बचाएंगे। मगर उससे पहले पैरेंट्स को खुद भी इन सबसे दूर रखना पड़ेगा। अगर घर में इस तरह का बार खोल करके पार्टी करनी है तो बच्चे तो भटक ही जाएंगे।

दूसरी बात आपको स्मार्ट बनना पड़ेगा और बच्चों पर कड़ी नजर रखनी पड़ेगी। लोगों का कहना है कि ज्यादातर बच्चे बहाने बनाकर रात की पार्टी में जाते हैं। इसलिए आपको देखना होगा कि वे किस तरह के बहाने बना रहे हैं। घर वालों को पता ही नहीं होता कि बच्चों को रेव पार्टी जाने की लत लग गई है। उन्हें तो तब पता चलता है जब पुलिस उसकी सूचना देती हैं। ऐसे में माता पिता देखें कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं, उनके दोस्त कौन हैं, दोस्तों संग उनका व्यवहार कैसा है? आकस्मिक रूप से उनके मोबाइल फोन और उनके सोशल मीडिया एकाउंट पर नजर रखें । अगर कुछ गलत मिले तो उन्हें भविष्य में ऐसा न करने के लिए सख्त हिदायत दें। इस प्रकार हो सकता है कि कुछ बदलाव हो सके।

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