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आत्महत्या

आत्महत्या

आर 0 के 0 लाल

शहर के कस्बे में एक मॉर्निंग वॉकर क्लब में रोज सुबह दस बारह लोग मॉर्निंग वॉक के पश्चात इकट्ठा होकर योग एवं थोड़ी देर किसी सामाजिक विषय पर चिंतन करते हैं। कल आत्मचिंतन के बैठक में एक साहब ने कहा- "भाई साहब! आज आपने अखबार पढ़ा, फ्रंट पेज पर ही लिखा है कि थाना कोतवाली इलाके के रेलवे स्टेशन के पास दसवीं कक्षा में फेल होने पर एक छात्र ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मृतक छात्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।"

उनके बगल में बैठे व्यक्ति ने उत्तर दिया - "आज तो अभी अखबार नहीं पढ़ा, लेकिन कल घोषित हुए दसवीं की परीक्षा परिणामों से जहां पास हुए छात्रों के परिवार में खुशी का माहौल है वहीं कई जगह से बेहद दुखद खबरें आ रही हैं। चर्चा का विषय है कि पास के मोहल्ले में एक छात्र परीक्षा परिणाम देखने के बाद वापस घर नहीं लौटा। जब देर रात तक घर नहीं आया तो घर वालों को उसकी चिंता होने लगी। काफी खोजबीन के बाद भी वह नहीं मिला। पुलिस में रिपोर्ट लिखाई गई। अभी कुछ देर पहले पुलिस ने फोन करके बताया कि उस लड़के का शव रेलवे स्टेशन के पास मिला है। घटना की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया।" फिर वे बोले – “अक्सर सुनाई पड़ता है कि कोई बच्चा नदी के पुल से कूद गया] किसी ने गले में फंदा डाल लिया या फिर जहर खा लिया। हर अखबार में रोज यही सब रहता है। आत्महत्या करने वालों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है इसके लिए हमें लोगों को कुछ न कुछ जागरूक करके इसे रोकना चाहिए।"

वहां बैठे एक मास्टर साहब ने कहा - "बारहवीं साइंस का रिजल्ट आज ही घोषित होना है। लेकिन उसके पहले ही स्टूडेंट्स काफ़ी टेंशन में है। सिविल लाइंस में एक छात्रा ने इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि उसे डर था कि वह दसवीं की परीक्षा में फिर से सफल नहीं हो पाएगी। कागज पर लिखा – “मैं जा रही हूं मम्मी। जिंदगी से तंग आ चुकी हूं । दो बार परीक्षा में असफल हो चुकी हूं। मम्मी और पापा आप बहुत प्यारे हो। मुझे अफसोस है कि मैं साबित नहीं कर पाई कि मैं आपकी प्यारी बेटी हूं।"

क्लब के कई साथी एक साथ बोल पड़े- "न जाने आजकल बच्चों को क्या हो गया है] बच्चे यह भी नहीं सोचते हैं कि कितने प्यार से उनके मां-बाप पालते हैं मगर वे कितनी आसानी से अपनी जान दे देते हैं। मां बाप पर क्या बीतती है उन्हें क्या पता। फिर उन्होंने बताया कि उनके पड़ोस की एक लड़की ने इसलिए आत्महत्या कर लिया क्योंकि उसके घर वाले शादी कराने के लिए राजी नहीं हुए ।

मॉर्निंग वॉकर क्लब के एक बुजुर्ग ने बताया कि मध्य प्रदेश से भी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। बेटी ने महंगा फोन खरीद लिया जिस पर उसकी मां ने उसे डांट दिया। इस बात से नाराज होकर उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अब तो बच्चों को डांटने फटकारने में भी डर लगता है कि कहीं कुछ उल्टा सीधा न कर लें। अभी कुछ दिन पहले शर्मा जी की बड़ी बेटी जो कक्षा 8 में पढ़ती थी] को पंचानवे प्रतिशत अंक मिलने पर उसके पापा ने उसे डांट दिया था। उसे पता नहीं क्या सूझा कि उसने घर में रखा फिनायल ही पी लिया। वह तो भगवान का शुक्र है कि उसकी मम्मी ने देख लिया] उसे फौरन अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने किसी तरह उसकी जान बचाई। इस बात से शर्मा जी बहुत परेशान हैं और घर से बाहर ही नहीं निकलते।

संजू भाई ने सब को बताया कि जब बच्चों के साथ कुछ उल्टा सीधा हो जाता है या उनकी गलती से कुछ काम बिगड़ जाता है तो वे चिंतित हो जाते हैं और तनाव की स्थिति में आ जाते हैं। ऐसा नहीं कि समझते नही] वे सब समझते हैं परन्तु यदि वे अपनी बात को किसी के सामने नहीं रख पाते तो उनके मन की भड़ास नहीं निकाल पाती। आज इस व्यस्ततम जीवन में कोई उनसे बात करने वाला भी नहीं है। इसलिए वे गुमसुम होकर अपने जीवन से ही ऊब जाते हैं । उन्होंने कहा कि मुझे तो लगता है कि ज्यादातर बच्चे समझते हैं कि आत्महत्या करना एक घृणित अपराध है मगर शायद उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता । तभी तो ज्यादातर आत्महत्या करने वाले बच्चे अपने इस कार्य के लिए सुसाइड नोट लिखकर माफी भी मांगते हैं।"

सभी ने हैं में हां मिलाया कि बच्चों में आत्मबोध तो रहता है । यदि समय रहते उसे उत्प्रेरित कर दिया जाए तो मामला सुलझ सकता है। उदाहरण के तौर पर इंटर पास हिमांशी ने सुसाइड नोट में लिखा कि मम्मी पापा मुझे माफ कर देना कि मैं ऐसा कदम उठा रही हूं पर मैं क्या करूं मेरे पास कोई विकल्प नहीं है। वास्तव में मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है। मैंने एक गलत इंसान से प्यार किया उसने मुझे धोखा दिया। पापा मुझे माफ कर देना मैंने आप सब को हर्ट किया मगर अब अभिषेक को मत छोड़ना उसे सजा दिलवाना। उसने मुझे मजबूर कर दिया सुसाइड करने को। मैंने आपसे बहुत बातें छुपाई हैं लेकिन हमारी बहनें जानती हैं। आप लोग दुनिया के सबसे अच्छे मम्मी पापा हो। हिमांशी के पिता का कहना है कि उन्हें इस प्रेम प्रसंग की कोई जानकारी नहीं थी और जब उसने अपनी जान दी थी तब सारी चीजों को पता चला। इस घटना से स्पष्ट है कि मां बाप को पता ही नहीं होता कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं। वे अपने में मस्त हैं और बच्चे अपने में मस्त।

इस तरह की कई खबरे लोगों ने सुनाई – बेंगलुरु में एक चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने खुद को आग के हवाले कर आत्महत्या कर ली और अपने सुसाइड नोट में लिखा मम्मी आई लव यू। मैं पिछले एक हफ्ते से स्कूल नहीं गई। प्लीज मुझे माफ कर देना। पता चला की मां ने स्कूल ना जाने के लिए उसे मार दिया था।

अहमदाबाद में सोलह वर्षीय एक छात्रा ने सुसाइड नोट में अपने साथ पढ़ने वाले दो लड़कों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों लड़के उसकी गंदी फोटो खींचकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे रहे हैं थे। इसी प्रकार कई छात्रों ने प्यार में असफल होने पर फांसी के फंदे पर लटक कर जान दे दी। एन वक्त घर वाले के देख लेने से हादसा टल गया था।

किसी ने बताया कि चौक में रहने वाले संतोष के पुत्र ने कुछ करने की सोच साकार नहीं होने से आत्महत्या कर ली थी। उसके दोस्तों के अनुसार पढ़ाई में कमजोर होने के कारण कक्षा सातवीं से ही उसने आत्महत्या करने की सोच बना लिया था और जब उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध कोटा में इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए जाना था तो जाने के चंद घंटे पहले घर की तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी। उसने अपने सुसाइड नोट पर सभी से क्षमा याचना करते छोटी बहन से पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बनने की अपेक्षा जताई थी। सुसाइड नोट में भारत में एजुकेशन सिस्टम को खराब होना भी बताया था। उसने लिखा था कि घर वाले मुझसे बहुत ज्यादा उम्मीद करते हैं इसे मैं पूरा करने में समर्थ नहीं हूं।

पंडित जी से रहा नहीं गया उन्होंने कहां आजकल की मां बाप न जाने बच्चों से क्या चाहते हैं हम लोग तो अगर हाई स्कूल में पचस प्रतिशत आंक लाते थे तो पूरे मोहल्ले में मिठाइयां बांटी जाती थी। आजकल बच्चे अगर 100 मैं 98 नम्बर लाएंगे तब भी मां-बाप खुश नहीं होते । इससे बच्चों में निराशा होती है और वह उल्टा-सीधा हरकत कर बैठते हैं। जब आप समझदार हों तो आत्महत्या जैसे प्रकरण को रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि भोपाल से खबर है कि स्कूल के दसवीं के एक छात्र को परीक्षा से पहले ही नींद आना बंद हो गई थी सोने पर उसे डरावने सपने आते थे। उसे हमेशा लगता था कि वह पास नहीं हो पाएगा इसलिए उसने एक सुसाइड नोट लिखकर रख लिया था कि अगर वह फेल हो गया तो आत्महत्या कर लेगा। कहीं से घर वालों को इसकी भनक लग गई। वे नींद न आने की समस्या लेकर मनोचिकित्सक के पास गए। वहां काउंसलिंग के दौरान बच्चे ने सारी बातें बताई। उसका इलाज हुआ। बाद में बच्चा स्वयं बोला कि मैं पागल था जो ऐसा सोच रहा था।

इसी तरह एक छात्रा को इम्तिहान के दिनों में नींद नहीं आ रही थी। वह किताब को खोल कर बैठी रहती है और उसके माता-पिता समझते कि वह पढ़ रही है। मगर उसे बहुत घबराहट और बेचैनी होती थी। सही समय पर इलाज किया गया तब जाकर उस बच्ची का डर खत्म हुआ।

देखा गया है कि बच्चे इस दुनिया में आने के ढाई साल बाद ही स्कूल में जाने लगते हैं और खेलने की जगह बस्ते के अंदर होमवर्क के बोझ से कांपते रहते हैं। शत प्रतिशत अंक पाने हेतु तथा अपनी सोच के मुताबिक उसे बनाने के लिए अक्सर घर वाले उसकी जिंदगी रौंदते रहते हैं भले ही उसमें उसकी प्रतिभा और रुचि न हो। अगर वह थोड़ा सा भी पीछे रह जाता है तो उसके ऊपर मां-बाप] आंटी‌] दोस्त] टीचर सब टूट पड़ते हैं। इन सब का प्रभाव बच्चे के मन: स्थित पर पड़ता है और उसे फिर डर लगने लगता है कि मैं किस किस को जवाब दूं। धीरे धीरे बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है। हर क्षेत्र में तो वह सफल नहीं हो सकता। असफलता को सहने के लिए यदि उस तैयार नहीं किया गया तो उसका इगो हर्ट होगा और फिर वह इस तरह के कदम उठा सकता है। पारिवारिक संघर्ष] दुर्व्यवहार] हिंसा] जुड़ाव की कमी] माता पिता की मानसिक स्वास्थ] बच्चों से दुष्कर्म आदि इसके कारण हो सकते हैं।

अंत में निष्कर्ष निकाला गया कि आत्महत्या को रोकने के लिए सभी को सजग रहना चाहिए। जब आपका बच्चा गुमसुम रहे अथवा खाना पीना छोड़ दे तो आपके कान खड़े हो जाने चाहिए। उचित होगा कि उसे मनोचिकित्सक के पास काउंसलिंग के लिए ले जाएं। उसको दोस्तों के साथ भी समय बिताने का मौका दें । यदि बच्चा परीक्षा के समय खुद को संकट में मानता है तो ऐसे में उसकी मदद करनी चाहिए उसे डराना अथवा हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। वे बेहतर तो कर सकते हैं लेकिन शायद डिप्रेशन के चलते अपना नुकसान कर रहे हैं। अपने देश की संस्कृत में हम ईश्वर में विश्वास करते हैं और वह हर परिस्थिति में हिम्मत और धैर्य रखने की क्षमता देता है। बच्चों को समझाना चाहिए कि जिंदगी परीक्षा लेती है तो उसे लेने दीजिए आप में जीतने का दम होना चाहिए और अगर हार भी जाते हैं तो उसे निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि असफलता ही सफलता दिलाती है यह विश्वास हर बच्चे के मन में भरना चाहिए।
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