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प्यार का सफर भाग - ३

1.आंखो मैं बीठा कर रख दिया 
हम दिल मैं उतारना भुल गए.......

तेरे आने के इंतजार मैं हम 
पर वखत का पहियें ने एक
 पल भी नहीं सोचा तेरी याद
मैं हमारी उम्र गुजरती गई हम जींदगी मैं हसना भुल गए........

वखत तेजी रफ्तार तो चलता
 रहा आप तो हमको भुला चुके होगे,
पर हम तुमे ख्याल से निकालना भुल गए......

हम प्यार में तो एसे लिपट गए की ,
हम इस समंदर मैं उतर तो गये 
पर बहार निकलने का रास्ता भुल गए.......

हमको नहीं पता था की 
प्यार भरे आलिंगन में एक 
चहेरा और भी था जीसे 
हम पढना भुल गए.........

हम चल पडे थे "प्यार का सफर" कांटने 
पर हम एसे मोड पें आ गये जहा से 
वापस आना भुल गए........

हम राह कांटते कांटते 
मंजिल तक आ पहोंचे,
तब तुम थे पर तुमने हमको देखते 
ही अं देखा कर दिया,पर हम 
तुमसे नजरे छुडाना भुल गए........

ए खेल तो खुदा तो खेल रहे थे 
हमको मिलना का और जुदा करने का 
पर इस खेल का असर एसा हुआ की
 हम की हम  खेल खेलना तक भुल गए.........

हम तुम पे  मरते रहे, 
तुमने हमको तन्हा कर दिया
हम ने वफाओ से तुमको पाला,
पर तुम हमसे बात करना 
तक भुल गए........

जींदगी के इस मुकाम मे हम एसे गीरे 
की हम फीर से उठना तक भुल गए......

शैमी ओझा........




2आंखों सें आंखें मिलने से प्यार का पौधा बनता
बातों ही बातों में हम कीसी को अपना मानने लगते है, से तो इश्क बनता है......

किसीकी लत तो एसे लगती है जैसे सराब की
वो हमारी जींदगी कोई भी हमसे छीनता है,
बातों ही बातों से तो इश्क बनता है.....

आग तो सीने मैं ही  लगती है प्यार का नशा जो दिल पे छा जाता है, बातों मैं डुबने से ही तो इश्क बनता है.. 

कोई हमको अपना सा लगता है,पता नहीं कोई कब हमारे जींदगी मैं आ जाता है, पता ही नहीं चलता उसकी बातों में उतर ने से तो इश्क बनता है.....

कोई अंजान हमसे हमारा दिल छीनता है,हमारा चैन चुराता है, दिल कीसीकी चाहत मैं हाथ से निकल जाता है कीसीको अपने खवाब मैं सजाने से तो इश्क बनता है.......

   कीसीके आने का इंतजार, हर पल कीसी खास को याद करने की लत और  प्यार यादों में खो जाने से तो इश्क बनता है.......

"प्यार का  सफर" भी सुहाना लगता हैं, हमारी जींदगी मे चार चांद लगाता है, अपने के साथ हाथों मैं हाथ रखके चलने से ही तो इश्क बनता है........

ए सफर सारी जींदगी कांटेगे, हम जींदगी के सारे इतहाम खुशी खुशी देगे, ए होश और आवाज से तो इश्क बनता है.........

फर्क कुछ न हो हम एक दुसरे मैं समा देंगें खुद को
हम बातों ही बातौं मैं वादे जो करते है, वादें से तो इश्क बनता है.......

प्यार की इस तरह कदर होनी चाहिए ,
भुखे को भोजन,प्यासे को पानी,
ए भावनाओं से तो इश्क बनता है.......

ख्याल और हकीकत मैं कोई फ़र्क ना हो मेरे खुदा,
जब दुवा मैं प्यार की महेफुसी मांगते हो तो इश्क बनता है.........

प्यार के गवाह के सिलसिले सें ,न मिलि 
राहतों की अधुरी प्यास से तो इश्क बनता है.......

3.
ना सवाल हो, न जवाब, 
न बात हो, न जसबात,
न ईशारे, चुपी से ही 
न होश हो ना ख्याल
तुमने  तो  सब बीना बोले सब  कुछ कह दीया,

मेरे बातो मैं तो आवो,मेरे 
आंखों मैं उतर जावो न ,
मेरे ख्यालो मैं आवो न ,
जिस्म को पाने के लिए 
पागल न हो जाओ,
तुम ने तो सब  बीना बोले सब कुछ कह दीया........

मेरी आंखो मैं तो एक रात तो गुजारो,
फिर कभी एसा दिन आये न आये,
मेरी रुह मे समा जाओ न,
तुम ने तो बीना बोले सब कुछ कह दीया......

"प्यार के सफर"मैं मेरे साथ
मुसाफ़िर बनके चलो न,
मेरे "प्यार के सफर " को जरा
खुशनुमा बनावो ना,
तुम ने तो बीना बोले सब कुछ कह दीया.......

मेरे इश्क की इन्तहा है,
तुजमे गुजरे मेरे हर पल,
तेरी याद बया कर रही है,
तुम ने तो बीना बोले सब कुछ कह दीया.....

वो "प्यार का सफर "ही क्या 
जो प्यार के रास्तें  में तरारे नहो
न सवाल हो न जवाब,
वो बातें ही कयां जीसमे,
तुमने तो बीना बोले सब कुछ कहा दिया हो..,.....

होने दे बेपर्दा मोहब्बत, 
तेरे मेरे अलावा कोई न हो,
सुहाना मौसम हो जीसमे मे
और तुम एक दुसरे को आगोस मे लेके 
एक दुसरे की धड़कनो को सुनते रहै,
खुशनुमा मौसम हो,
हम दोनो की सांसे बोलती हो,
तुमने बीना बोले सब कुछ कह दीया हो........

4.
मेरी नजर तेरे होने बयां करती है.
मेरी कदम तेरे और बढ रहे है....
ए कब हुआ कैसे हुआ हमे भी न पता.....

तेरी बाते हमको रुलाती है,
तेरे होने हमको महेफूस होने 
का अहसास करताती है,
हम कब तेरी आंखों 
से आंख लड गई, 
ए कब हुआ कैसे
हुआ हमे भी न पता..........

जब हम सोचते तब तुम्हारे 
खयालो ने हमको कुछ सोचने से,
भी भटका दिया, 
तेरी बाते भी तुम्हारी तरह खास थी 
तुम्हारे मेरे पास होने का सबुत दे रही है
ए कब हुआ कैसे हुआ हमे भी न पता.....

उलझन भी बहुत थी, 
पर कैसे रोके हम 
अपने खुद को तेरी तरफ बढने से
ए कब हुआ कैसे हुआ हमे भी न पता...........

दिल दर्द से सिस्का रहा है,
आंखें रो रो कर सुख गई,
मन तेरे ख्यालो मैं कैसे फँसा ,
ए कब हुआ  कैसे हुआ हमे भी न पता............. 

5.
मेरे खयालात को तुने पढा तो तुने क्यों ए दिन दिखाया मुझे? जब हमको तुम चाहिए थे तब तुम क्यों नहीं थे?.......

हमने तुमे अपने जसबात मैं समाया,तुमे  ही अपना दिल माना तो क्यों हमारी दुनिया को छोडने की वजा बन गये थे?.....

प्यार की बहुत दिल धडक बातें हमको सुनाई जब हमको ए निभाने बारी आयी तो तुम क्यों 'थे' बन कर रहे गयें?........

तुजे न पता तुम दुनिया है मेरी, तुजसे ही शुरु हुइ थी जब हम समजने लगे थे  तुमको सब कुछ ,तब तुम हमको दुनिया क्या है वें समजा कर क्यों चले गये.......

"प्यार सा सफर"भी सुहाना होता है, दिखता कुछ और है, होता कुछ और......

तुमको हमने पुजा था हम तुमको अपना सब कुछ माना था पर तुम हमको दुनिया दारी शीखाकर क्यों गए?.......

खामोशी के शब्द भी तुम हो तो हमको खामोशी देके तुम क्यों चले गये?......

हम तुज मे हमारी दुनिया देखी पर हमको दुनिया क्या है वो तुमने क्यों शीखाई?......

प्यार की बाते सब करते है पर प्यार के पीछे का काला सच बताके ,तुम क्यों चले गये?......

हमको  मुश्किल से तो भरोसा आया था दुनिया ये 
हमको भरोसा शब्द का अर्थ समजा के क्यों चले गये ?.....

हमारी कहानी अधुरी रही, हमारी कहानी अधुरी रखके क्यों गये?.......
Shaimee oza 


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