"मां बहुत भूख बहुत लगी है.... जल्दी खाना लगाओ" राज ने कोट सोफे पर डालते हुए कहा। लेकिन मां को फोन पर बातें करते देख राज बाथरूम में घुस गया!!
"बेटा तीन दिन से तुम लेट आ रहे हो... क्या बात है" माँँ ने पानी का जग टेबल पर रखते हुए कहा!!
"माँँ...फेस्टिवल सीजन है कस्टमर भी ज्यादा आ रहे हैं.... बस इसी वजह से देर हो जाती है" राज ने पालग की सब्जी प्लेट में डालते हुए कहा "आज आप बहुत खुश लग रही है क्या बात है"
"अभी तेरी लता आंटी का फोन आया था... बता रही थी कि रश्मि को बेटा हुआ है... तेरे अंकल आंटी बहुत खुश है पोते को देखकर... आखिरकार उनके स्वर्गीय बेटे की इकलौती निशानी है" शोभा इतना कहकर कहीं खो गई!!
"क्या हुआ मां... कहां गुम हो"
"'रश्मि के बारे में सोच रही थी.... उसकी जिंदगी में तो हमेशा के लिए अंधेरा हो गया...कैसे जिएगी की एक बच्चे के साथ.... ये पहाड़ सी जिंदगी'
राज खाना खाते खाते रूक गया था। उस ने मां के चेहरे को देखा तो शोभा के चेहरे पर दर्द था। वो जानता था कि माँ क्या सोच रही है। राज छ साल का था जब उसके पिता उसको और उसकी मां को अकेला छोड़ कर इस दुनिया से चल बसे। बाप के जाते ही सब रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ लिया था। शोभा भी निढाल हो चुकी थी इतने बड़े सदमे से। शोभा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो घर को कैसे चलाए। सारी जमापूंजी तो पति की बीमारी में लग चुकी थी। ऐसे में रमेश अंकल की फैमिली ने हमारा बहुत साथ दिया। रमेश अंकल पिता जी के बहुत अच्छे दोस्त थे। रमेश अंकल की मदद से ही माँँ को एक स्कूल में टीचर की जॉब मिल गई थी। लेकिन मेरी पढ़ाई घर का खर्चा,घर का खर्चा और घर का किराया इन सब के लिए मां की तनखा पूरी नहीं होती थी। फिर मां ने स्कूल के बाद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना भी शुरू कर दिया। लता आंटी भी अपने आस-पड़ोस के बच्चे ले आई थी ट्यूशन के लिए। मां दिन-रात मेहनत करके मेरी परवरिश कर रही थी। मेरी मां की जिंदगी बस मुझ तक ही सिमट कर रह गई थी। और आज मेरी मां की मेहनत रंग लाई थी। मैं पढ़ लिख कर एक होंडा कंपनी में जनरल मैनेजर की पोस्ट पर लग गया था। पांच साल के अंदर ही मैंने मां के लिए अपना घर भी ले लिया। इस बीच रमेश अंकल का ट्रांसफर आगरा हो गया। लता आंटी के जाने से मां बहुत दुखी थी। मुझे याद है जब करण की शादी थी तो रमेश अंकल और लता आंटी हमें शादी के लिए इनवाइट करने आए थे। मैं काम की वजह से जा नहीं पाया था लेकिन मां गई थी। मेरे ना जाने की वजह से करण भी मुझ से बहुत नाराज हुआ था। करण और रश्मि की शादी की फोटो मैंने मां के मोबाइल में देखी थी। मां ने बताया था कि करण और रश्मि की लव मैरिज हुई है। उनकी शादी को अभी 6 महीने ही हुए थे की करण का एक रोड एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया। एक पहाड़ टूटा था रमेश अंकल की फैमिली पर। जवान बेटे की मौत का ज़ख्म बहुत बड़ा होता है। पर वक्त हर जख्म को भर देता है!!
खाना खाने के बाद मैं टीवी में न्यूज़ देख रहा था कि मां मेरे पास आकर बोली!!
"'राज दो दिन पहले गीता आई थी... तुम्हारे लिए अपनी भांजी प्रिया का रिश्ता लेकर.... तुम क्या चाहते हो मुझे बता देना" माँँ ये कह कर सोने के लिए जा चुकी थी!!
बेड पर लेटा मैं सोचो मे घिरा था। मैं प्रिया को अच्छी तरह से जानता था। प्रिया में वो सारी खूबिया थी जो पति अपनी पत्नी में चाहता है। फिर मैं एक फैसला करके मुतमईन हो कर सो गया!!
अगले दिन ऑफिस जाने से पहले जब मैंने मां को अपने दिल की बात बताई तो मां मेरे मुंंह को देखती रह गई!!
"ये तुम क्या कह रहे हो राज" माँ ने बेताबी से कहा!!
"मैंने बहुत सोच समझकर ये फैसला किया है कि मैं रश्मि से शादी करूंगा" मैंंने मां को देखते हुए कहा!!
"लेकिन तू तो प्रिया से प्यार......
"नहीं माँँ....प्रिया मेरी बहुत अच्छी दोस्त है... ये तो मुझे रात ही पता चला कि प्रिया और उसके आंटी मेरे बारे में क्या सोचती है.... मैंने प्रिया को कभी इस नजर से देखा ही नहीं" राज ने अपनी मां की बात काटते हुए कहा "मां...प्रिया को तो कोई भी लड़का मिल जाएंगा लेकिन मैं रश्मि और उसके बेटे की जिंदगी में रोशनी करना चाहता हूं... मैंने आप के अकेलेपन को महसूस किया है और मैं नहीं चाहता... कि रश्मि एक और शोभा बने.... मैं रश्मि और उसके बेटे को वो सारी खुशियां देना चाहता हूं जिससे आप मैहरूम रही... मैं मैहरूम रहा.... आप रमेश अंकल और लता आंटी से बात कीजिए" इतना कहकर राज कमरे से निकल गया!!
और शोभा को आज अपने बेटे पर बड़ा नाज़ हो रहा था!!