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खाली हाथ

"नहीं मां....मुझे राहुल से शादी नहीं करनी....आप उन लोगों को इनकार कर दो"

"तू पागल हुई है क्या.... इतना अच्छा लड़का तुझे फिर नहीं मिलेगा" हेमा ने रानो को समझाया!!

"मां राहुल में ऐसा क्या है कि मैं इस शादी के लिए हां कर दू.... दो कमरों का छोटा सा मकान और मार्केट में एक छोटी सी दुकान... बस ये देख कर मैं राहुल से शादी कर लूं... और अगर मैं ये शादी कर भी लूं तो उस छोटे से सीलन भरे घर में मेरी पूरी जिंदगी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने में ही निकल जाएगी और मैं ऐसी जिंदगी नहीं जीना चाहती... मेरे सपने तो कुछ और ही है" रानो ने सपने शब्द पर जोर देते हुए कहा!!

"और तेरे सपने क्या है ये मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं" विनय ना जाने कबसे कमरे के बाहर खड़ा मां और रानो की बात सुन रहा था। जब उससे रहा नहीं गया तो कमरे के अंदर आकर बोला "देख रानो जो तू चाहती है वो कभी नहीं हो सकता... राहुल एक बहुत अच्छा लड़का है और वो तुझे पसंद भी करता है" विनय ने भी रानो को समझाते हुए कहा!!

'देखो भैया... यह सब आप इसलिए कह रहे हो क्योंकि राहुल आपका दोस्त है... जैसे मेरे लिए राहुल आपकी पहली पसंद है और राहुल को मैं पसंद हूं वैसे ही मेरी भी एक पसंद है, सपने हैं और सपने देखने का हक सबको है... और अगर मैंने थोड़े बड़े सपने देख लिए तो क्या गलत किया"

रानू की बात का मां और बेटे दोनों के ही पास कोई जवाब नहीं था। अब वे दोनों रानो को कैसे समझाते कि हम मिडिल क्लास के लोग बड़े सपने तो देख सकते हैं लेकिन उनको पूरा नहीं कर सकते!!

"आपने भी तो अपनी पसंद की लड़की से शादी की है भैया और मुझे भी पूरा यकीन है कि जो मैं चाहती हूं मुझे वो जरूर मिलेगा" रानो ने कुछ सोचते हुए विनय से कहा!!

विनय ही जानता था कि उसने राहुल से कैसे इंकार किया था। राहुल उसके बचपन का दोस्त था। दोनों की फैमिली का एक दूसरे के घर आना जाना था। राहुल रानो को पसंद करता था और उसने अपने दिल की बात विनय को बताई थी कि अगर उसे कोई एतराज ना हो तो वो रानो के लिए रिश्ता लेकर अपने मां बाप को भेजें, पर यहां तो मामला ही उल्टा हो गया था। विनय राहुल से बहुत शर्मिंदा था!!

"कोई बात नहीं यार... रानो को पूरा हक है अपनी पसंद की शादी करने का... शादी दो दिलों का मेल है इस मामले में जबरदस्ती नहीं की जाती" राहुल ने विनय के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। राहुल ने कहने को तो कह दिया था लेकिन उसका दिल बहुत बुरी तरह से टूटा था!!

फिर रानो जैसा जीवनसाथी चाहती थी उसे वैसा ही जीवन साथी मिल गया। निखिल बहुत अमीर था। पॉश इलाके में बड़ा सा बंगला कई गाड़ियां नौकर चाकर बैंक बैलेंस सभी कुछ था निखिल के पास। निखिल की दादी बड़ी सी गाड़ी में सर से पैर तक सजी संवरी फलों और मिठाइयों के साथ रानों का रिश्ता लेकर आई थी। उन्होंने रानो को किसी शादी में देखकर अपने पोते निखिल के लिए पसंद कर लिया था। रानो थी भी तो बहुत खूबसूरत!!

"ये एक बेमेल रिश्ता है मां... उनमें और हम में जमीन आसमान का फर्क है आप रानो को समझाती क्यों नहीं है"

"मैं क्या कहूं विनय... रानो तो कुछ सुनना ही नहीं चाहती.. उसे कुछ कहती हूं तो वो उल्टा मुझसे ही कहती है कि आपको तो खुश होना चाहिए कि आपकी बेटी के लिए इतने अमीर घराने से रिश्ता आया है...ऐसा ही तो चाहतेे है मां बाप अपनी बेटी के लिए और आप इस रिश्ते से इंकार कर रही है" तो बता विनय.. अब मैं क्या करूं... हेमा ने फिक्र मंदी से कहा। मां बेटे दोनों को रानों की बात माननी पड़ी और इस तरह से रानो शादी करके बड़े से बंगले में आ गई!!

रानो के पैर तो जमी पर टिक ही नहीं रहे थे। उसे तो सब कुछ सपना सा लग रहा था। शादी की रात निखिल ने उसकी खूबसूरती की बहुत तारीफ की थी और उसे एक डायमंड का सेट मुंह दिखाई में दिया था। रिसेप्शन के बाद दोनों घूमने के लिए शिमला निकल गए। बर्फीली वादियों में निखिल के हाथों में हाथ डालकर रानों अपने आप को किसी मलिका से कम नहीं समझ रही थी!! 

"निखिल मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं... आपको पाकर मैं पूरी हो गई हूं" रानो ने अपना सिर निखिल के कंधे पर रखते हुए निखिल के हाथों में हाथ डालते हुए कहा। "एक पल के लिए भी आपसे दूर हो जाऊं तो मेरी सांसे रोकने लगती है"

"इतना प्यार करती हो मुझसे तुम" 

"और क्या... क्या आप प्यार नहीं करते मुझसे" रानो ने झूठी नाराजगी से निखिल से कहा!! 

"मेरी पत्नी हो तुम... तुमसे प्यार नहीं करूंगा तो किस से करूंगा" निखिल ने रानों का हाथ दबाते हुए कहा!!

एक दूसरे की संगत में प्यार मोहब्बत के साथ एक महीना कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला!! 

हनीमून से लौटते ही निखिल अपने ऑफिस के कामों में लग गया था। एक हफ्ता ऐसे ही गुजर गया तो रानो ने निखिल से हल्की सी शिकायत कर दी!!

"शादी और हनीमून की वजह से ऑफिस में सारे काम पेंडिंग पड़े हैं रानो.... इसलिए तुम्हें वक्त नहीं दे पा रहा हूं" निखिल ने फाइलों में उलझते हुए कहा!! 

रानो को निखिल की बात सही लगी तो उसने और कुछ नहीं कहा!!

निखिल बिजी रहने लगा था। जब रानो बोर होने लगती तो शॉपिंग के लिए निकल पड़ती है। या रिश्तेदारों और घरवालों से मिलने पहुंच जाती। अब तो रानो ने ड्राइविंग भी सीख ली थी। लेकिन वो ये सब कितने दिन तक कर सकती थीं। एक दिन रानो निखिल से उलझ पड़ी!!

"निखिल.... इस घर में तुम्हारी एक पत्नी भी रहती है.... जिसे तुम्हारी जरूरत है" ये कहते हुए रानो निखिल के ऊपर चीख पड़ी!! 

"सबसे पहले तो अपनी आवाज नीची करो... आज तक इतनी ऊंची आवाज में मुझसे किसी ने बात नहीं की और आइंदा तुम भी नहीं करोगी...और दूसरी बात मुझे अपना काम भी देखना है" 

"काम काम काम.... काम के आगे तुम्हें अपनी पत्नी भी दिखाई नहीं देती.... कितने दिन हो गए हैं हमें साथ बैठे हुए..... मैं अपने आप को बहुत अकेला महसूस करती हूं "

"तो शॉपिंग करो... घूमो फिरो.. चाहो तो क्लब जॉइन कर लो तुम्हें मना किसने किया है"

"मुझे इन सब चीजों की जरूरत नहीं है निखिल.... मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.... तुम्हारा वक्त चाहिए" 

'अच्छा तो तुम चाहती हो मैं तुम्हारे पल्लू से बंधे तुम्हारे पास बैठा रहा हूं" निखिल ने चीखते हुए कहा "मेरे पास इन फालतू बातों के लिए वक्त नहीं है"

"फालतू बात.... ये तुम्हे फालतू बात लग रही है... पत्नी के पास बैठना... उसका हाल मालूम करना... ये फालतू बात है..... अगर ऐसा ही था तो मुझसे शादी क्यों की"

"मेरा शादी का कोई इरादा नहीं था और ना ही मैं इस झंझट में पढ़ना चाहता था, वो तो उस दिन शादी में ऐसे ही तुम्हारी थोड़ी तारीफ क्या कर दी, तो दादी मेरे पीछे ही पड़ गई और तुमसे शादी करनी पड़ी... दादी के कहने पर मैंने शादी की" निखिल अपनी बात कहकर कब का जा चुका था और रानो इस खुलासे पर बैठी रह गई थी। वो तो अब तक यही समझ रही थी कि निखिल उससे प्यार करता है और इसीलिए उसने रानो से शादी की। उसकी दादी ने तो रानों से ऐसा ही कहा था!!

पूरे दिन रानो कमरे से बाहर नहीं निकली। शाम को जब निखिल की दादी क्लब से आई तो उन्हें नौकरों की जुबानी निखिल और रानों के झगड़े का पता चला। प्रमिला अपना पर्स सोफे पर डालते हुए रानों के कमरे में आ गई!!

"रानो तुमने अपना ये क्या हाल बना रखा है और तुमनें निखिल के साथ झगड़ा क्यों किया" प्रमिला ने बेड पर आड़ी तिरछी पड़ी रानो को देखते हुए कहा!! 

"मैंने कोई झगड़ा नहीं किया दादी... मैं तो बस निखिल से यह कहना चाहती थी कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं... मुझे भी थोड़ा वक्त दो" रानो ने आंसू साफ करते हुए कहा!!

"रानो... निखिल ऐसा ही है... उसे अपने काम से बहुत प्यार है"

"और मुझसे कोई प्यार नहीं है निखिल को.... दादी क्या आपने मेरे साथ निखिल की शादी जबरजस्ती कराई थी... बोलिए दादी" 

"नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है... निखिल जब 8 साल का था तो मेरा बेटा इस दुनिया से चल बसा। बेटे के जाने की 3 महीने बाद ही निखिल की मां ने दूसरी शादी कर ली, उसने निखिल के बारे में भी नहीं सोचा और अपनी नई दुनिया बसा ली... इस बात का निखिल पर गहरा असर हुआ। वो इस दुनिया से और रिश्तो से दूर होता चला गया। वो पूरी तरह से बिजनेस में डूब चुका था और शादी के नाम से दूर भागता था। जब भी मैं उसे शादी की बात करती तो वह मुझसे कहता मुझे शादी नहीं करनी। किसी की शादी में उसने तुम्हें देखकर तुम्हारी तारीफ कर दी तो मुझे लगा निखिल तुम्हें पसंद करता है। मैंने निखिल को तुमसे शादी करने के लिए कहा। पहले तो निखिल ने आनाकानी की लेकिन फिर शादी के लिए मान गया। मुझे लगा था निखिल शादी के बाद बदल जाएगा लेकिन यह मेरा वहम था"

आगे की कहानी जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करें।

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