भूतवाले पतिपरमेश्वर Author Pawan Singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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भूतवाले पतिपरमेश्वर

हेलो

मेरा नाम प्रशांत दुबे है और मै एक भूत हु जी बिलकुल सही सुना आपने। वैसे तो हम काफी सीधे साधे भूत है लेकिन ज्यादा मिलनसार नहीं है इसलिए हम अपनी भूतिया मण्डली के साथ नहीं रहते। और वैसे भी कौन रहिएगा ऐसे लोगो के साथ जो न नहाते है और न अपने आप को साफ़ करके रखते है खून भी निकलता रहता है जिनके शरीर से हमे तो घिन आती है भैया हम ठहरे बनारसी पंडित। हम तो भूत बनने के बाद भी हमने नॉनवेज नहीं खाया और न ही नॉनवेज किया साफ़ सुथरा रखते है हम अपने आप को

वैसे हमारी मृत्यु 1904 में हुई थी हमारे घर में हमारे माँ पापा के साथ दो बड़े भाई भी थे जो उस समय ब्रिटिश इंडिया के लिए काम करते थे और एक हम थे जो उनके खिलाफ काम करते थे हमारी उम्र 17 साल की थी हम एक आजाद परिंदे थे लेकिन एक दिन हमारे बड़े भाईसाहब पर ब्रिटश इंडिया सरकार की तरफ गबन करने का आरोप लगा दिया जो की हमारे भाई ने किया भी नहीं था लेकिन ब्रिटिश सरकार को लगता था की हमारे भाईसाहब क्रांतिकारियों की मदद करते है

हमने अपने भाई को बचाने के लिए खुद को दोषी ठहरा दिया जिसके बाद हमें फांसी दे दी गई।

मै काफी जवान था इसलिए मेरे समर्थन में कई क्रांतिकारियों ने अपनी क्रांति तेज़ कर दी थी

अब मुझे मरे हुए 100 साल से ज्यादा हो गए है और मेरे ख़ानदान में सिर्फ मेरी एक पोती है जो हमारे पुश्तैनी घर में रहती है जो अब काफी बदल गया है। मै समय मिलता है तो उसे देख आता हु वह भी काफी बूढ़ी हो गई है और यही मेरा सबसे बड़ा डर है लेकिन मै अब भी 17 साल का ही दिखता हु भूत होने का शायद यही फायदा है

खेर यह उस समय की बात है जब मै रात को टहल रहा था समय हो रहा था 2:30AM रात के तो जाकर एक बस स्टॉप पर बैठ गया

तभी वंहा एक काले कपड़ो में एक औरत जिसका चेहरा भी उसी काले कपडे से ढका हुआ था हमारी तरफ चली आ रही थी। भोले बाबा की क़सम हम तो डर के मरे काँपने लगे मतलब क्या बताये भूत होकर भी हम इतना डर गए थे उस समय की कुछ बता नहीं सकते और वो भी उसी बस स्टैंड पर आकर बैठ गई अब हम बस उसे ही देखे जा रहे थे तभी वह हमारी तरफ मुड़ी

क्यों देखे जा रहे हो कभी लड़की नहीं देखी क्या बुरके में? और समझ लो रात में यंहा बैठे है इसका मतलब यह नहीं है की हम अकेले है बगल वाले थाने में चचाजान पुलिस हवलदार है हमारे

मतलब तुम भूतनी नहीं हो? प्रशांत ने आश्चर्यचकित होकर पूछा

अल्लाह तोवा मतलब हम आपको भूतनी नजर आते है तभी उस लड़की ने अपने चेहरे से बुरका हटा दिया

आँखों में काजल, खूबसूरत चेहरा, प्रशांत उसे देखता ही रह जाता है वैसे प्रशांत भी काफी हैंडसम था शायद इसलिए वो लड़की भी प्रशांत को देख रही थी

तो तुम अकेली यंहा क्या कर रही हो रात ज्यादा हो गई तुम्हे घर में रहना चाहिए

या अल्लाह देखो तुम हमारे अब्बू बनने की कोशिश मत करो

तभी कुत्तो के रोने की आवाज आती है वह एक दम से चौंक जाती है

बताओगी भी क्यों रात में घूम रही हो प्रशांत ने दुबारा पूछा

हम घर से भाग रहे है

लेकिन क्यों? प्रशांत ने पूछा

खाला अपने बेटे के साथ हमारा निकाह पक्का करने आ रही है

तो लड़का तुम्हे पसंद नहीं है क्या?

पसंद तो तब आएगा न वो जब लड़के से हम कभी मिले हो दूर वाली खाला का लड़का है जो हमेसा दूर ही रहा है तो बताओ बिना देखे कैसे करले निकाह। या अल्लाह इतना कह कर वह रोने सी लगती है

लेकिन तुम्हे घर जाकर एक बार उस लड़के से मिलना तो चाहिए क्या पता जैसा सोचो वो वैसा न हो चलो घर चलो में तुम्हे वंहा छोड़ देता हु वैसे नाम क्या है आपका?

साफिया कुरैशी

मेरा नाम प्रशांत दुबे है

शुक्रिया मुझे समझाने के लिए

कोई बात नहीं आइये चलिए

साफिया और प्रशांत दोनों टहलते हुए साफिया के घर के पास रुक जाते है

शुक्रिया आप को!

शुक्रिया मत कहिये बस ध्यान रखिये अपना

जी फिर भी शुक्रिया वरना आज कल एक लड़की को इतनी रात अकेला पाकर तो लोग उसे गलत करने की कोशिश करते है लेकिन आप काफी नेक लड़के है इतना कह कर साफिया अपने घर के अंदर चली जाती है

प्रशांत एक दम से स्तब्ध खड़ा हुआ है वो भूल ही गया था की वो एक भूत है तो साफिया ने उससे देखा कैसे? इतने सालो के बाद उसने किसी से बात की थी इसलिए वह एक दम से नाचने लगता है। आखिरकार उसे कोई देख सकता था

यह किसी चमत्कार से काम नहीं था प्रशांत को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन उसे इस चीज़ की कोई फ़िक्र नहीं थी आखिरकार कोई थी जिससे वह मिल सकता था बात कर सकता था वह तुरंत उस लड़की के कमरे में पहुंचा तब तक साफिया सो चुकी थी

बड़ी जल्दी सो गई ये तो अभी तो इन्हे अकेला छोड़े 15 मिनट ही हुए है लेकिन इससे देख कर कोई नहीं कह सकता की ये भोली सूरत वाली लड़की अभी कुछ देर पहले घर से भागने वाली थी

सुबह होती है चारो तरफ चिडियो की मधुर आवाज गूंजने लगती है सूरज की रोशनी खिड़की से अंदर आकर साफिया के चेहरे पर पड रही थी और उसका चेहरा चमक रहा था तभी साफिया उठती है धीरे धीरे आंखे खोलते हुए उसकी नजर प्रशांत पर पड़ती है जो सामने वाली कुर्सी पर ही बैठा है

गुड मॉर्निंग प्रशांत

गुड मॉर्निंग बोलकर प्रशांत भी सफिया का जबाब देता है

कितनी अजीब बात है प्रशांत यही है तभी एक दम से साफिया को होश आता है और वो चिल्ला पड़ती है

या अल्लाह मतलब तुम तो बहुत ही बेगरत इंसान निकले हम तुम्हे सरीफ समझ रहे थे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे कमरे में आने की अगर हमारे अब्बू ने देख लिया तो काट कर फेंक देंगे इसी बनारस की गंगा में किसी को लाश भी नहीं मिलयेगी हम बता रहे है भाग जाओ यंहा से

अरे अरे ठहर जाइये महोतरमा हम बहुत ही सरीफ भूत है

भूत? मतलब तभी हम समझे की सफ़ेद धोती और कुरता आज कल बनारस में कौन पहनता है वो भी रात में मतलब तुम नशेड़ी हो

अरे हम सच में भूत है यार नहीं विश्वास हो रहा तो ये देखो

प्रशांत तुरंत गायब हो जाता है और एक दीवार के अंदर से निकलता है ये दृश्य देख्रकर साफिया बेहोश हो जाती है

धीरे धीरे साफिया की आंखे खुलती है और सामने प्रशांत को फिर सामने पाकर वो एक दम से चिल्ला पड़ती है "अब्बू भूत"

साफिया के अब्बू और अम्मी कमरे में भाग कर आते है लेकिन तब तक प्रशांत फिर गायब हो जाता है

क्या हो गया है?

साफिया चुप हो जाती है कुछ नहीं अब्बू एक बुरा सपना देखा बस

ये लड़की भी न हद कर देती है इतना कह कर वो नीचे चले जाते है

बहुत बहुत धन्यवाद! प्रशांत एकदम से पीछे से निकल कर आता है

अल्लाह तोबा सामने से नहीं आ सकते डरा ही दिया तुमने तो

तुम्हारा नाम क्या है वैसे?

प्रशांत दुबे

यार तो तुम हमे क्यों दिख रहे हो

मतलब

मतलब ये की हम तो मुसलमान है और तुम हिन्दू भूत हो तो तुम्हे तो किसी हिन्दू को दिखना चाहिए था न

क्या पागलो वाली बात कर रही है आप

अच्छा एक बात बताओ तुम जब मरे तो ऊपर भगवन मिले थे या अल्लाह?

दोनों मिले थे एक थाली में खाना खा रहे थे और तुम पर हॅंस रहे थे की कोई इंसान इतना बेब्कुफ़ भी कैसे हो सकता है

या खुदा अच्छा ठीक है न गुस्सा क्यों हो रहे हो हम कभी मरे नहीं है न तो बस जिज्ञासा वश पूछ रहे थे

तो तुम हमे दिख रहे हो तो कोई बात तो होगी जैसे मूवी वगैरह में होता है मुक्ति दिलवाने के लिए भूत किसी को दिखने लगता है

वैसे तुम मरे कब?

प्रशांत साफिया को सब कुछ बता देता है

ए मेरे खुदा तुम 100 साल से भी ज्यादा उम्र के हो और इतने जवान दिखते हो मेरी उम्र के वैसे मै तुमसे एक मदद मांग सकती हूँ

जी हाँ बोलिये

मेरा आज स्वन्त्रन्ता आंदोलन का एग्जाम है तो क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो

तुम मेरे जरिये नकल करना चाहती हो नहीं हम आपकी मदद नहीं कर सकते है हम पंडित है हम कभी छल कपट का साथ नहीं देते

या अल्लाह क्या बिगड़ जायेगा तुम्हे तुम तो उसी समय के हो तुम मेरी मदद कर दोगे तो

अच्छा ठीक है लेकिन वादा करो की इसके वाद तुम मेरी मदद करोगी

ठीक है

पक्का वादा?

हाँ न पक्का

चलो ठीक है अब नीचे चलो खाना भी खा लेना साथ में

हम तुम्हारे साथ नहीं खा सकते हम शाकाहारी है

अल्लाह तोबा कैसे भूत है आप

ठीक है चलो नीचे इतना कहकर दोनों नीचे चले जाते है और प्रशांत एक खाली सोफे पर बैठ जाता है जो बिलकुल साफिया के कुर्सी के पीछे ही है तभी साफिया के अब्बू साफिया से पूछते है

एग्जाम देकर घर आ जाना सीधे तुम्हारी खाला आ रही है शाम को ठीक है

ठीक है अब्बू

खाना खत्म करके साफिया कॉलेज चली जाती है रास्ते में सभी लोग साफिया को घूरते रहते है क्योकि साफिया खुद से बात करती चल रही हो ऐसा प्रतीत हो रहा था लेकिन प्रशांत भी साथ में चलते हुए बात करता हुआ चलता है

एग्जाम में साफिया को सारे जबाब प्रशांत बता देता है साफिया आज बहुत खुश थी क्योकि इससे पहले इतना अच्छा एग्जाम उसका कभी नहीं हुआ था दोनों जब घर आते है तब तक मेहमान आ चुके होते है तो साफिया अंदर चली जाती है और सोचने लगती है तभी मुस्कराते हुए पूछता है की क्या हुआ?

तुम तो देख ही रहे हो वो आ गए है अब मेरे निकाह की बात भी हो जाएगी मुझे बिना लड़के से मिलवाये

तो तुम मिल लो न जाकर

अरे इतना आसान नहीं है हमारे यंहा हराम है शादी से पहले लड़के लड़की का मिलना

तो मै बात करके आउ

तुम कैसे करोगे तुम तो भूत हो

हाँ सही कहा लेकिन मै तुम्हे लड़का दिखा सकता हु इतना कह कर प्रशांत उस लड़के के शरीर में घुश जाता है और कहने लगता है देखिये हम काफी खुले विचारो के है हम पहले लड़की से बात कर लेते है हो सकता है की मै उसे पसंद न आउ और इतना कह कर प्रशांत उसका शरीर छोड़ देता है

सभी लोग चौंक जाते है और लड़के को कुछ समझ नहीं आता की आखिरकार ये हुआ कैसे लेकिन उससे साफिया से मिलने दिया जाता है शायद साफिया के अब्बू भी यही चाहते थे

साफिया को लेकिन वह लड़का बिलकुल भी पसंद नहीं आता क्योकि वह बिलकुल पुराने ज़माने की सोच वाला होता है और साफिया एकदम खुले विचारो वाली वह रोनी सूरत के साथ प्रशांत को देखती है और प्रशांत मुस्करा कर फिर उस लड़के के शरीर में घुस जाता है और बहार जाकर मुझे लड़की पसंद नहीं है कह देता है जिसके चलते साफिया के अब्बू उनको भगा देते है और गुस्से से बड़बड़ाने लगते है तभी साफिया वंहा खड़ी हो जाती है

जरूर इस लड़की ने कुछ किया होगा!

अरे अजीब बुढ़ऊ है प्रशांत हँस कर कहता है

प्रशांत ! साफिया चिल्लाती है

प्रशांत? साफिया के अब्बू एकदम से चौंकते हुए कहते है

मेरा मतलब था अब्बू शांत हमने ऐसा कुछ नहीं किया उसे अगर हम पसंद नहीं आये तो इसमें हमारा क्या कसूर

इतना कह साफिया अपने कमरे में चली जाती है और ख़ुशी से नाचने लगती है शुक्रिया प्रशांत

अरे इसमें शुक्रिया केसा बनारसी पंडित है चाहे तो नछत्र बदल डाले तुम्हारे लिए

अच्छा अच्छा ठीक है

अब बताओ तुम्हे हमारी क्या मदद चाहिए

रहंदो

अरे तुमने हमारी मदद की तो बताओ तुम्हे किस चीज़ की मदद चाहिए हम करेंगे न

लेकिन तुम हमारी मदद नहीं कर पाओगी इसलिए रहनेदो

हम करेंगे तुम्हारी मदद अब बोलो

हमारी मुक्ति इसलिए नहीं हो पाई क्योकि हम बेकसूर थे और फिर भी हमे एक धोकेबाज़ के रूप में फांसी दी गई लेकिन अगर भारत सरकर दवरा वो दोष मुझसे हटा दिया जाये तो मुझे मुक्ति मिल जाएगी लेकिन वो कैस होगा

मेरे पास एक योजना है अगर मै राष्ट्रपति दवरा तुम्हारे पोती को तुम्हारे नाम का सम्मान दिलवाया जाये तो तुमसे वो दाग हट जायेगा

लेकिन तुम यह करोगी कैसे?

अरे हमारा नाम भी साफिया कुरैशी है हम चाहे तो पूरा बनारस हिला दे खुदा क़सम देखो कल राष्ट्रपति बनारस आ रहे है महापूजा में सम्मलित होने और उनकी देख रेख में लगेंगे हमारे चचाजान तो बस कल हम मिलएंगे और बात करेंगे इस बारे में

कल तड़के साफिया तैयार हो जाती है और महापूजा में सम्मलित होने के लिए अपने चचाजान से बात भी क्र लेती है जैसे राष्ट्रपति मंदिर में प्रवेश करके उस कुंड में नहाने के लिए पानी में डुबकी मारते है वैसे ही अंदर से साफिया उनको खींच लेती है और रस्सी अपने आप उनके हाँथ पैर बांध लेती है प्रशांत उनके शरीर में घुस जाता है और उनको तैरा कर एक पुराने घाट पर पहुँच जाते है जैसे ही प्रशांत उनके शरीर से निकलता है तभी राष्ट्रपति को होश आता है

कौन हो तुम और मुझे पकड़ कर लाई हो?

हमारा नाम साफिया कुरैशी है

अच्छा तुम अल्कएदा तालिबान से जुडी आंतकवादी हो

महानुभाव हर मुसलमान आंतकवादी नहीं होता है ठीक है फिर साफिया उनको सारी कहानी बता देती है लेकिन उन्हें विश्वाश तब होता है जब उनकी रस्सी खुदवा खुद खुल कर हवा में उड़ती नजर आती है

अगले दिन ही राष्ट्रपति प्रशांत के पुराने घर जाते है और वंहा प्रशांत के नाम से उनकी पोती को सम्मान देते है जिससे प्रशांत की पोती रो देती है जैसे जैसे उसके आँशु निचे गिरते है वैसे वैसे प्रशांत ऊपर एक रौशनी में खोने लगता है जो सिर्फ साफिया को दिख रहा था वह भी रो रही थी शायद साफिया प्रशांत को प्यार करने लगी थी लेकिन अब बताने में काफी देर हो गई थी

साफिया उदास मन से घर आती है तभी उसके अब्बू कहते है साफिया तैयार हो जा एक मेरे पुराने अमेरिकन बनारसी दोस्त आये हुए है अपने लड़के को लेकर तेरे साथ अपने बेटे का निकाह की बात करने के लिए लेकिन हमने साथ बोल दिया की हमारी लड़की पहले लड़के से बात करेगी अगर उसे पसंद आएगा लड़का तभी निकाह होगा इसलिए वो लड़का तेरे कमरे में बैठा हुआ है इंतज़ार कर रहा है मिल ले और बता फिर पसंद आया की नहीं

साफिया बस एक भीनी मुस्कराहट के साथ जी अब्बू कह देती है और तैयार होकर कमरे में जाती है

साफिया उदास मन से अपना दरवाजा खोलती है तभी वो एकदम से बोल पड़ती है

" प्रशांत "

अल्लाह तोबा कौन प्रशांत हम तो जुनैद अंसारी है अमेरिका से खुदा क़सम

इतना सुनते ही साफिया जोर जोर से हॅसने लगती है और साथ में जुनैद भी हॅसने लगता है

ऊपर गए तो कौन मिला वैसे अल्लाह या भगवान?

दोनों मिले थे एक थाली में खाना खा रहे थे और तुम पर हॅंस रहे थे और उन दोनों ने मुझसे कहा की इस बेब्कुफ़ के लिए तुम्हे वापस नीचे जाना पड़ेगा

तभी नीचे से साफिया के अब्बू की आवाज आती है की बेटा कैसा लगा लड़का ?

अब्बू कबूल है

इतना सुनते ही साफिया फिर हॅसने लगती है बाद में दोनों का निकाह हो जाता है लेकिन यह रहस्य सिर्फ साफिया और मेरे बीच में ही रहा की जुनैद में ही हु यानि प्रशांत दुबे तो यह थी मेरी कहानी प्रशांत दुबे की कहानी

AUTHOR PAWAN SINGH SIKARWAR