नाईटमेयर - सपना या हकीकत - पारस जैन की कहानी Author Pawan Singh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

नाईटमेयर - सपना या हकीकत - पारस जैन की कहानी

हेलो , 
मेरा नाम पारस जैन है और जो मै आपको बताने जा रहा हूं। यह एक सच्ची घटना है। कुछ लोगो को भविष्य की झलकियां उनके सपने में दिख जाती है लेकिन वह ज्यादतर बुरी ही होती है। जिसे लोग बुरे सपने कह देते है लेकिन जब वह सच हो जाती है तो सोच में पड़ जाते है कि यह घटना मेरी कंही देखी हुई है। खैर यह उस रात की बात है जब में थोड़ा जल्दी सो गया था। क्योंकि कल सुबह मुझे अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाना था। 
मेरी सुबह नींद खुली एक भयानक आवाज के साथ जो मेरी माँ की थी। वह रोज ही मुझे ऐसे ही उठाती थी क्योंकि मै ज्यादा अच्छा लड़का नही था। न तो मै पढ़ाई करता था और ना ही कोई काम बल्कि मैने कई गुंडों से उधार भी ले रखा था। 
उठ जा नालायक । भगवान जाने इस लड़के का क्या होगा। 
मेरी इस बात से पूरी तरह से नींद खुल चुकी थी और घड़ी में देखा तो सुबह के 9:30 हो रहे थे। मै फिर से लेट हो चुका था अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए 
मैने जल्दी से मुँह हाँथ धोया और अपने बेहतरीन मांगे हुए कपड़े पहन लिए लेकिन मेरी किस्मत मेरा साथ नही दे रही थी इसलिए वो फटे हुए थे। पता नही कैसे । 
माँ ने कहा – तू कोई जॉब वैगरह क्यों नही ढूंढता है में कब तक घर चलाऊंगी। तुझे पता है मै भी बूढ़ी हो रही हु। 
माँ यार ये सुबह सुबह रोना मत चालू किया करो। 
मेरे बाद तू कैसे रहयेगा ?
रह लूंगा जैसे सब रहते है ठीक है अब मै जा रहा हु
कँहा लेकिन
इस घर और तुमसे दूर । घुटन होती है मुझे यंहा।
मेरी माँ रोने लगती है। लेकिन यह रोज का ही था इसलिए में ऐसे ही छोड़ कर चला गया। 
अभी 10:30 बजे थे तभी 10:35 पर एक औरत ने मेरे कपड़ो पर पानी गिरा दिया मैने उसे बडी गुस्से से घूरा। 
देख कर पानी नही गिरा सकती। अंधी है क्या?
मै 11 बजे बस स्टेंड पर पहुंचा तो देखा सृष्टि मेरी गर्लफ्रैंड काफी देर से मेरा इंतज़ार कर रही थी। देर से आना मेरी बीमारी हो गई थी।  इस बार मे फ़टी शर्ट , जूते ना मिलना , माँ से बहस हो जाना, उस औरत का पानी गिराना बहूत सारे कारण थे। लेट आने के। 
जैसे ही मेने अपनी घड़ी की तरफ देखा उसमे 11:10 बज गए थे। मेरी गर्लफ्रैंड ने मुझे वैसे हु डाँटना शुरू कर दिया। 
तुम फिर लेट हो पारस
सॉरी जान आज तुम मानोगी नही मेरे साथ क्या क्या हुआ। 
फिर नए बहाने। बहानो की तो तुम्हारे पास सूची हे ना। 
अरे मेरा यकीन करो। 
वो मुझे लगातार कुछ न कुछ बोल रही थी और मेरी नजर एक बच्चे पर थी जिसकी मम्मी फ़ोन पर बात कर रही थी और वह बच्चा खेलते हुए सड़क पर जा रहा था। अभी समय 11:23 हो रहे थे। 11:25 होते ही सामने से एक ट्रक ने उस बच्चे को उड़ा दिया। यह काफी भयानक ओर दर्दनाक था। मानो मेरी भी उसी बच्चे के साथ जान निकल गई हो। 
सब तरफ भीड़ जमा हो चुकी थी। मुझे वंहा से जाना ही अच्छा लगा। इसलिए मेने अपनी गर्लफ्रैंड को साथ लेकर वंहा से निकल गया। मै एक गली से निकला उसको लेकर जिसमे सिर्फ एक ही छोटी सी दुकान थी। 
मेरी नजर चलते हुए उस दुकान में टंगी हुई एक घड़ी पर पड़ी जिसपर 11:35 हो रहे थे। 
तुम कोई जॉब क्यों नही करते पारस। 
इस बात ने मेरा ध्यान उस घड़ी से हटाई। 
कोई अच्छी जॉब मिलती ही नही है। 
तुम बोलो तो मै तुम्हारे लिए अपने पापा से बात कर सकती हुँ। उनकी कंपनी में एक वेकैंसी खाली है।
जिसे तुम्हारे पापा का एहसान हो जाये मुझपर। रहनेदो फिर तो।
तुम ऐसा क्यों सोचते हो। मेरे पिता ऐसे नही है। वैसे भी तुमने MBA किया हुआ है वो नोकरी तुम्हारी योग्यता से मिलयेगी ना कि जान पहचान से। मुझे तुमपर विश्वास है पारस। 
लेकिन मुझे तुम्हारे पिता का एहसान नही लेना इसलिए ये विवाद यहीं खत्म ठीक है। 
तुम इतने ज़िद्दी क्यों हो?
पता नही।
तभी सामने से गुंडे लड़के आते हुए दिखाई दिए शायद उन्होंने मुझे देख लिया था। इसलिये में जल्दी से अपनी गर्लफ्रैंड को निकल गया वंहा से। 
हम एक होटल में गए जंहा हमने शारीरिक संबंध बनाए वैसे ये पहली बार नही था। लेकिन ये पहले वालो से कुछ अलग ही था। वो मेरी बाँहो में लेटी हुई थी। 
पारस मेरे मन मे एक बात उठी है। 
क्या?
अगर मै इस दुनिया से चली गई तो तुम कैसे रहोगे?
शायद यही सवाल था जो आज दो बार पूछा गया। 
मैने एक माँ को अपना छोटा सा बेटा खोते हुए देखा है। मुझे नही पता कि इस सवाल का क्या जबाब है।
मुझे नही पता। 
लेकिन तुम्हे पता होना चाहिए पारस।
हम दोनों ने रात का खाना खाकर बस ऐसे ही टहल रहे थे। सृष्टि का घर अब पास में ही था। इसलिए अब वह अकेले ही जा सकती थी। मैने उस एक चुम्बन के साथ विदा किया और जैसे ही में पीछे मुड़कर देखा।
तभी सामने से वो गुंडे लड़के सामने से आ गए। 
उनमे से एक के पास बंदूक भी थी। जो उसने मुझपर तानी हुई थी। 

क्यों बे साले तेरे पास लड़की पर खर्च करने के लिए पैसे है लेकिन हमारा उधार वापस करने के लिए तेरे पास नही होते। 
आज या तो हम पैसे लेंगे या तुझे मार देंगे। 
देखो में तुम्हारा पैसा दे दूंगा। मेरा यकीन मानो।
उनमे से एक ने मेरे घुसा मारा। मै तभी सड़क पर चित गिर पड़ा। 
मैने वंहा से भागने में अपनी भलाई समझी इसलिए में वंहा से भाग निकला। 
लेकिन वह सभी मेरे पीछे पड़े हुए थे और मुझे जान से मारना चाहते थे। वह लगातार गोली भी चला रहा था। तभी एक गोली मेरी तरफ आ रही थी और मेरे पास अब कंही भागने का रास्ता नही था। 
शायद मेरी जिंदगी बस इतनी ही थी। मैने अपनी आंखें बंद कर ली। तभी किसी ने मुझे धक्का मारा और गोली उसके लग गई। 
मैने आंख खोली तो वो सृष्टि थी। जो मर चुकी थी। मै बहुत बुरी तरह से चीखा। मैने जैसे ही सृष्टि को हाँथ लगाया। 
तभी मेरी आँख खुल जाती है। यह एक बुरा सपना था। मैने घड़ी में देखा तो अभी 9:20 हो रहे थे। मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कोई सपना इतना साफ कैसे हो सकता है जैसे वो हकीकत हो। 
तभी 9:25 हुए और मेरी माँ की आवाज आई 

उठ जा नालायक । भगवान जाने इस लड़के का क्या होगा। 
ये बात मै सुन चुका था मैने फ़ौरन घड़ी में देखा तो 9:30 हो रहे थे। 
अब मुझे सही में कुछ नही समझ आ रहा था। मानो मेरे आस पास शांति हो गई हो और बस घड़ी की टिक टिक सुनाई दे रही थी। 
लेकिन मेरे पास इतना समय नही था सोचने का इसलिये मेने जल्दी से मुँह हाँथ धोये और अलमारी में कपड़े ढूंढने लगा तो मै एक दम से चोंक गया जब वह शर्ट सही में फ़टी हुई थी। 
तभी मेरी माँ ने कहा – तू कोई जॉब वैगरह क्यों नही ढूंढता है में कब तक घर चलाऊंगी। तुझे पता है मै भी बूढ़ी हो रही हु। 
मै सिर्फ उनकी शक्ल देख रहा था मेरी आँखों में आँशु थे। मै समझ चुका था रिश्तों की अहमियत।
मेरे बाद तू कैसे रहयेगा ?
मैने अपनी माँ को गले लगा लिया। मै नही जाने दूंगा तुझे कंही भी माँ। नही जी सकता तुम्हारे बिना। 
मेरी माँ को विश्वास ही नही हो रहा था। मैने इस बर्ताव कभी नही किया था।  उन्होंने बस मुझे गला लिया । 
मुझे फिक्र होती है तेरी बेटा।
तुम चिंता मत करो। आज मे एक जॉब ढूंढकर ही आऊंगा और अब तुम्हे काम करने की कोई जरूरत नही है। इतना कह कर मेने अपने जूते पहने जो मुझे अब पता था कि वह कँहा रखे हुए थे। 11:00 बजे में जैसे ही बाहर आया मेने अपनी घड़ी की तरफ देखा। उसमे 11:05 होते ही मै वंहा से हट गया और पानी मुझपर नही पड़ा। मैने एक मुस्कान से उनकी तरफ देखा। उस औरत ने मुझे सॉरी बोला। 
मै वंहा से एक जगह गया। जहाँ मुझे सृष्टि को घुमाने के लिए पैसे चाहिए था। इसलिए मैने वंहा से पैसे लेकर सीधा बस स्टैंड पहुंचा। 
11 बज चुके थे और सृष्टि मेरा काफी देर से इंतज़ार कर रही थी। 11:10 होते ही मेरी गर्लफ्रैंड ने वही बाते मुझे सुनानी चालू कर दी जो मै पहले ही अपने सपनो में सुन चुका था। 
तुम फिर लेट हो पारस
 मै जानता हूं और में इसके लिए शर्मिंदा भी हु। 
फिर नए बहाने। बहानो की तो तुम्हारे पास सूची हे ना। वह एक दम से ये बात बोलकर चुप हो जाती है। 
क्योंकि मैने अपनी गलती मान ली थी। तभी मेरी नजर उसी बच्चे पर पड़ी। घड़ी में 11:23 हो रहे थे। तभी मैने जल्दी से भाग कर उस लड़के को अपनी तरफ खींच लिया जो ट्रक से टकराने वाला था। सभी लोगो के लिए यह एक चमत्कार सा था। उसकी माँ रोते हुए मेरा शुक्रियादा करने लगी। वंहा खड़े सभी लोगो ने मेरे लिए तालियां भी बजाई। आज मुझे एक अलग अनुभव की प्राप्ति हो रही थी। 
मेरी गर्लफ्रैंड अपना सारा गुस्सा भूल चुकी थी। बस मुझे देखकर मुस्करा रही थी। 
मै अपनी गर्लफ्रैंड को लेकर उसी गली से निकला तभी मेरी नजर उस दुकान की घड़ी पर पड़ी। उसमे 11:35 हो रहे थे तभी सृष्टि ने बोलना चालू किया। 
तुम कोई जॉब क्यों नही करते पारस।
मै करना चाहता हु लेकिन कोई अच्छी जॉब ही नही मिल रही है। 
तुम बोलो तो मै तुम्हारे लिए अपने पापा से बात कर सकती हुँ। उनकी कंपनी में एक वेकैंसी खाली है।
मुझे पता नही। तुम्हारे पिता मुझे शायद ना रखे। 
ऐसा नही है पारस तुमने MBA किया हुआ नोकरी तुम्हारी योग्यता से मिलयेगी ना कि जानपहचान से। 
ठीक है आज शाम को तुम उनसे बात कर लेना मै कल ही इंटरव्यू के लिए चल जाऊंगा। 
वह गुंडे लड़के वंहा से निकले शायद उन्होंने मुझे देख लिया था। इसलिए मै अपनी गर्लफ्रैंड को लेकर वंहा से उसी होटल में गए लेकिन इस बार मैने सम्बन्ध नही बनाया मै बस उसका हाँथ पकड़े रहा और वंहा उसकी आँखों मे देखता रहा। शायद भगवान ने उसके ओर मेरी माँ के लिए ही दुबारा मौका दिया था। 
लेकिन मै कर क्या रहा था सबकुछ वैसा ही हो रहा था जैसा होना था फिर मै उसे कैसे बचाऊंगा। लेकिन इस बार मै ऐसा कुछ नही होने दूंगा। मैने यह ठान लिया था। 
रात का खाना खाकर हम टहलते हुए वंही पहुंच गए। अब सृष्टि का घर पास में ही था इसलिए मैने उसे गले लगाकर  विदा किया। वह बार बार पीछे मुड़कर मुझे देख रही थी और मै भी लगातार उसे देखते जा रहा था तभी एक आवाज ने मेरा ध्यान खींचा।
क्यों बे साले तेरे पास लड़की पर खर्च करने के लिए पैसे है लेकिन हमारा उधार वापस करने के लिए तेरे पास नही होते। 
आज या तो हम पैसे लेंगे या तुझे मार देंगे। 
एक ने मुझपर बंदूक भी तानी हुई थी।
देखो मेरे पास तुम्हारा पैसा है। मैने अपनी जेब से नोटो के दो बंडल निकाल कर उन्हें दे दिया। उन्होंने मुझसे पैसे ले लिए और बड़बड़ाते हुए चले गए। 
तभी पीछे से किसी ने मुझे छुआ और मै तुरन्त पीछे मुड़ा तो सृष्टि थी। 
ये लोग कौन थे?
कोई नही बस कुछ पुराने दोस्त जिनसे अब मै कभी नही मिलूँगा। 
सृष्टि ने मुझे किस किया और गुड नाईट बोलकर चली गई। 
मै हमेशा उस दिन के बारे में अब सोचता हूं तो लगता है जैसे वो एक सपना ही था एक डरावना सपना एक नाईटमेयर। 
लेकिन उस दिन के बाद मेरी जिंदगी मानो बदल सी गई है। 10 साल हो गए है उस बात को और अब मै एक कंपनी का मालिक हु जो मेरे ससुर की कंपनी से भी बड़ी है। सृष्टि मेरी पत्नी है और हमारा एक छोटा बच्चा भी है। मेरी माँ अब भी मुझे देखती रहती है जब मै ऑफिस के लिए तैयार हो रहा होता हूँ। 
शायद उन्हें विश्वास ही नही होता लेकिन अब मेरी माँ बस अपने बुढ़ापे को आराम से काट रही है। तो यह थी मेरी कहानी पारस जैन की कहानी।