यमराज और मेरा सपना Author Pawan Singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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यमराज और मेरा सपना

मेरा नाम विरुद्ध सेन है मेरी मृत्यु हो चुकी है आपके मन में उठ रहा होगा की ये मुझे कैसे पता? तो मै आपको बता दू की मै अब एक आत्मा हूँ जो अपनी लाश को घूर रहा है। मेरी लाश बिलकुल पीली पढ़ चुकी नाक में रुई लगाई हुई चारो तरफ लोग सफ़ेद कपडे पहने खड़े है। मेरी माँ मेरी लाश के पास बैठी रो रही है और मेरे पिता मेहमानो के पास बैठे है उनकी आँखों में आँशु नहीं है लेकिन अंदर से वह शायद मेरी माँ से भी ज्यादा रो रहे है लेकिन उन्हें पता है की इस वक्त उन्हें अपने आप को संभालना पड़ेगा। मै ये सब देख कर दुखी हो रहा था तभी मेरे कंधे पर किसी ने हाँथ रखा एक इंसान जिसने काले कपडे पहने हुए थे 
मै यमराज हूँ, पुत्र अब हमे चलना होगा तुम्हारे यमलोक जाने का  समय हो गया है! 
क्या चलने से पहले मै एक सवाल पूछ सकता हूँ? अकाल मृत्यु का क्या कारण होता है? और मृत्यु कौन तय करता है ?
ये तो पाप और पुण्य के निरंतर प्रवाह के कारण होता है अगर तुमने पाप ज्यादा किये है और नर्क यातनाओ के सिमित समय में वह पुरे नहीं होते तो तुम्हे गरीब इंसान के घर पैदा होना पड़ता है और जैसे ही तुम अपने पाप खत्म करते हो तुम्हारी अकाल मृत्यु होती है ऐसे ही पुण्य में भी होता है अगर तुमने पुण्य ज्यादा किये है और वह पुण्य स्वर्ग के सिमित समय में पुरे नहीं होते तो भी तुम्हे वापस एक अमीर इंसान के घर जन्म मिलता है और पुण्य खत्म होते ही अकाल मृत्यु हो जाती है और ये सब कालचक्र यानी परमब्रह्म तय करते है 
और इसके बाद क्या होता है जब पाप और पुण्य शून्य हो जाते है? 
तुम दोबारा जन्म लोगे जिसमे तुम्हे फिर से पूरी उम्र मिलयेगी अपने पाप या पुण्य करने के लिए 
क्या आप मुझे एक आर्शीवाद दे सकते है जब मै दोबारा जन्म लू तो मुझे यही माँ बाप मिले मेरे माता पिता ने मेरी शिक्षा स्वास्थ्य और मेरी परवरिश अपने आप को भूखा रखकर  की है मै अगले जन्म में ये ऋण उतारना चाहता हूँ 
यमराज मुस्कुराये और उन्होंने हाथ ऊपर करके कहा - तथास्तु 
इतने सुनते ही मेरी नींद खुल जाती है और मै अपने बिस्तर पर था मेरे पिता रोजाना की तरफ अख़बार पढ़ रहे थे और मम्मी खाना बना रहे थे शायद ये एक सपना था या भगवान यमराज का मुझे दिया हुआ वरदान लेकिन फिर उस सपने के बाद मेने अपने माता पिता को कोई कष्ट नहीं होने दिया 

नोट - यह एक सच्ची घटना है मैने जब सपना देखा था तो जितना मुझे याद था उतना मेने लिख दिया है बाकी अगर आपने भी ऐसा कुछ देखा है तो मुझे कमेंट करके बताए 


लेखक - पवन सिंह सिकरवार 
Copyright reserved by Author

एक छोटी सी कविता - 

पाप और पुण्य का सवाल पूछ रहे हो 
  थोड़ा ठहर जाओ 
तुम तो ईश्वर का ज्ञान पूछ रहे हो 
   मौत क्या है? ये मत पूछो
क्योकि तुम तो अंतिम सत्य का सार पूछ रहे हो
    मौत तो एक ना एक दिन आएगी ही
तुम तो ईश्वर के होने का प्रमाण पूछ रहे हो