ब्लादीमीर - एक शैतान है - साम्राज्य की स्थापना Author Pawan Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ब्लादीमीर - एक शैतान है - साम्राज्य की स्थापना



10 दिसम्बर 1971
श्रीलंका ( पर्यटन विभाग ) 

दोपहर का समय, कुछ लोग पर्यटन विभाग के दफ्तर में कुर्सियों पर बैठे थे। एक सरकारी अफसर मंच पर खड़ा होकर माइक लेकर सभी को शांत होने का निर्देश देने का प्रयास कर रहा है। माया एक पीछे वाली कुर्सी पर बैठी है और उसी के पीछे मफलर से अपना मुंह छुपाए लम्बी टोपी पहने ब्लादीमीर बैठा हुआ है। ब्लादीमीर का ध्यान बाहर की ओर है जंहा नारियल के पेड़ खड़े है। तभी सरकारी अफसर नीलामी शुरू करता है। 

माननीय गणमान्य, आप सभी का यंहा उपस्थित होने के लिए धन्यवाद मै आप लोगो को इस दिप के बारे में बता देता हूँ यह दीप 30 किलोमीटर में फैला हुआ है। इस दिप पर एक किला बनाया गया है। जो कि पुराने ब्रिटिश किलो का नमूना है। इस ब्रिटिश किले की छत पर दो परत है जिसके कारण आप छत के अंदर घुस कर वंहा भी अपना सामान रख सकते है। बाकी किले के साथ एक कारखाना है जो की बंद है पहले यह मसालों के लिए प्रयोग होता था और एक चर्च भी है। अब इस दीप की बोली शुरू होती है 21 करोड़ से। 
तभी एक व्यक्ति 22 करोड़ का इशारा करता है। 
और एक व्यक्ति जो काफी मोटा है जिसके चेहरे पर घमण्ड साफ नजर आ रहा था की वह यह दीप खरीद कर ही रहयेगा। 

30 करोड़! वह मोटा व्यक्ति मुस्कराते हुए बोलता है।
तभी एक एक करके सभी लोग बोली लगाते है और माया ब्लादिमीर के इशारे का इंतज़ार कर रही थी। 
ब्लादिमीर अगर हमे बोली ही नही लगानी तो हम यंहा आये क्यो है और अगर हमने बोली नही लगाई तो ये दीप हमारे हाँथो से निकल जायेगा! माया ने अजीब चेहरे के साथ पीछे मुड़कर कहा।

माया मेरी जान थोड़ा इंतज़ार करो मै इन सभी यंहा आये लोगो की औकात खत्म करना चाहता हूं! बोली को थोड़ा और बढ़ जाने दो! ब्लादिमीर ने रहस्यम मुस्कराहट के साथ कहा।

अब सबसे आखिरी बोली 60 करोड़ तक पहुंच चुकी थी और शायद ही अब इससे ज्यादा पैसे लगा सकता था! 

60 करोड एक , 60 करोड़ दो 
तभी अचानक एक आवाज आती है 100 करोड ! 
सभी लोग अचानक ही पीछे मुड़कर देखते है तो यह आवाज माया की थी। सभी लोग आश्चर्यचकित हो चुके थे शायद इतनी बड़ी रकम किसी के पास नही थी और सरकारी अफसर भी चोंक जाता है की एक खंडर दीप के इतने पैसे! 

100 करोड़ एक , 100 करोड़ दो, 100 करोड़ तीन! लीजिए मोहतरमा ये दीप आपका हुआ आइये इसके कागजी करवाही कर ले! सरकारी अफसर ने मुस्कराते हुए कहा।

माया मुस्कराते हुए सभी कागजी कारवाही करती है।


अगले दिन ....


खुला आसमान और सागर में बहती एक बोट, चारो तरफ बगुले हवा में उड़ कर एक तरफ से दूसरी तरफ जा रहे है। सुबह का समय है, ताजी ताजी हवा चल रही है। माया और ब्लादीमीर उसी बोट पर सवार है। सामने दीप पर ऊंचाई पर बना किला साफ दिखाई दे रहा है। 

देखो मेरी जान कितना खूबसूरत है ना मेरा किला? ब्लादीमीर ने किले को देखते हुए कहा।

हाँ बहुत! लेकिन तुमने इतनी रकम में यह दीप क्यो खरीदा! अब तो हमारे पास पैसे भी नही बचे है तो अब हम सम्राज्य कैसे खड़ा करेंगे? माया ने सोचते हुए कहा।

माया माया! ब्लादीमीर ने हंसते हुए कहा।

तुम उसकी दिक्कत मत लो! पैसे तो हमारे वापस आ ही जायेंगे! और रही इस दीप को ही क्यो खरीदा तो सुनो! मैने इसे इसके अद्भुत इतिहास और एक नायाब चीज़ के लिए खरीदा है।

इतिहास? कैसा इतिहास? और कैसी नायाब चीज़? माया ने बेचैन होते हुए पूछा।

एक बार एक ब्रिटिश व्यपारी हिंदुस्तान में व्यपार करने के लिए अपनी निजी जहाज से रवाना हुआ लेकिन वह भटक गया और अपने परिवार समेत इस दीप पर पहुंच गया बाद में जब उसने देखा कि यँहा मसालों का अच्छा उत्पादन है तो उसने यंहा कारखाना खोला और अपनी सारी पूंजी रहने के लिए किले को बनाने में खर्च कर दी! बाद में उसने श्रीलंका से मजदूर बुलवाए औऱ उनसे यंहा मसालों की खेती करवाई, कारखानों में उन्हें पिसवा कर ब्रिटेन में निर्यात करने लगा धीरे धीरे उसकी कंपनी को मुनाफा चालू हुआ तो उसने ब्रिटेन में भी काफी जगह खरीदने लगा और एक प्रतिष्ठित व्यपारियो की तरह जीवन यापन करने लगा। हिन्दुस्तान के आजादी आंदोलन की वजह से उसे भी अन्य ब्रिटिश लोगो की तरह भागना पड़ा और उसकी बनाई हुई रियासत यंही रह गई! फिलहाल जब श्रीलंका सरकार को इस दीप के बारे में पता चला तो उन्होंने इसकी नीलामी की सोची क्योकि श्रीलंका की आर्थिक स्तिथि काफी खराब है। पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का शिकार है। 

लेकिन इसमें नायाब चीज़ क्या है? माया ने उत्सुक होकर पूछा।

उस व्यापारी की आस्था! ब्लादीमीर ने बोट से उतरते हुए कहा।

आस्था कैसी आस्था? माया ने चोंकते हुए कहा।

वह व्यापारी भगवान में नही शैतान में आस्था रखता था शायद इसलिए ऐसा था क्योकि उस कॉलेज के दिनों में वह एक नाजियों के साथ रहता था और हिटलर के चलाये गए युहीदयो का कत्ल ने उसपर गहरी छाप छोड़ी होगी। फिलहाल इस दीप पर जो चर्च बनाया गया वह भगवान के लिए नही शैतान के लिए है। इसमें शैतान की तस्वीर लगी है। 

अदभुत! इंसान था! माया ने हंसते हुए कहा।

बिल्कुल ! ब्लादीमीर ने किले को देखते हुए कहा।

कल तुम जाकर पूर्वी दक्षिणी एशिया के सभी माफिया को यंहा निमंत्रण देने के लिए ब्लादीमीर के नाम से चिठ्ठी भेज दो।

लेकिन तुम उनसे मिलोगे कैसे? माया ने सोचते हुए पूछा।

एक पर्दे के पीछे में खड़ा होऊंगा! ब्लादीमीर ने सोचते हुए कहा।

लेकिन पर्दे के पीछे क्यो? माया ने चोंकते हुए कहा।
माया लोग उनसे कम डरते है जिन्हें वह देख सकते है लेकिन उनसे ज्यादा डरते है जिन्हें वह देख नही पाते! ब्लादीमीर ने किले को देखते हुए रहस्यमय मुस्कराहट फैला दी।

कल यंहा में साफ सफाई करवाता हूँ और वापस इस किले को पहले की तरह खूबसूरत कर दूंगा। इस दीप का नाम आज से ब्लादीमीर दीप होगा। इसी हफ्ते के रविवार को मेरी इस चर्च में पूजा होगी क्योंकि इस युग का शैतान तो में ही हूँ! ब्लादीमीर ने अपनी बांहे फैला दी।

तभी बारिश चालू हो जाती है! एक एक बूंद का स्पर्श ब्लादीमीर को अपनी जीत की तरफ उतसाहित कर रहा था। दीप पर लगे नारियल के पेड़ हिल रहे थे चिड़ियो की चहचहाट फैली हुई थी मानो प्रकति उसका स्वागत कर रही हो।

17 दिसम्बर 1971

ब्लादीमीर दीप

8:30PM, रविवार का दिन

शाम का समय, सागर में पानी उफान मार रहा है दीप के छोर पर नाव बंधी हुई है। उनमे से माफिया, डॉन, बड़े बड़े गुंडे जैसे लोग उतर रहे है सभी लोगो का स्वागत करने के लिए माया खड़ी हुई है। बेशक सभी लोग ब्लादीमीर को जानते थे और उसकी रहस्यमयी छवि को भी। लेकिन उसे किसी ने नही देखा था।
सभी लोग माया के पीछे पीछे चलते है। तभी सभी लोग एक चर्च के सामने खड़े हो जाते है। जो कि काफी भयानक प्रतीत हो रहा है। तभी बारिश चालू हो जाती है और सभी तुंरन्त ही चर्च में घुस जाते है। चर्च में चारो तरफ खिड़कियां थी सामने शैतान की तश्वीर लगी थी। बकरे वाला इंसान जिसके हाँथ में त्रिशूल हो। उसके सामने एक पर्दा लगाया हुआ था जिसके पीछे कुर्सी थी और एक आदमी के वंहा बैठे होने की परछाई दिखाई दे रही थी। 

आप सभी लोगो का यंहा स्वागत है! पर्दे के पीछे से ब्लादीमीर की आवाज आती है। 

सभी लोग उतसाहित होकर चिल्लाते है। माया सभी को चुप होने का निर्देश देती है और सभी लोग चुप होकर पर्दे की तरफ देखने लगते है।

आप सभी यंहा क्यो इकट्ठा हुए है मै सीधा काम की बात पर आऊंगा आज से आप मेरे लिए काम करेंगे! आपके सारे काम का श्रय ब्लादीमीर को जाएगा और यही नही आपके सभी धंधों का 30 प्रतिशत भी आज से ब्लादीमीर का होगा। 

तभी कुछ लोग गुस्से से चिल्लाने लगते है। कि यह क्या बकवास है। कल को कोई भी हम पर अधिकार नही जमा सकता है।

क्या बकवास है! एक माफिया ने कहा।

मतलब हम तुम्हे अपने कार्य का नाम भी दे और पैसे भी? लेकिन किस बात के? एक डॉन ने गुस्से में पूछा।
अपने जीवन दान के बदले तुम लोग मुझे हर धंधे में पैसा देंगे जितना मैने कहा। वरना मेरे क्रोध का सामना करना पड़ेगा शायद तुम्हे पता नही है मेरे रहस्य शक्तियों के बारे में! पर्दे के पीछे से ब्लादिमीर गरज कर कहता है।

तुम हमे धमका नही सकते कुछ लोगो ने गुस्से में कहा! 

तभी अपने आप ही उन सबमे आग लग जाती है। और सभी जलने लगते है। बाकी यह दृश्य देखकर घबरा जाते है। शायद वह पहले ही ब्लादीमीर के रहस्यमय व्यक्तित्व को जानते थे। जलने वाले लोग जलकर मर जाते है और बाकी लोग घबरा कर पसीने से तर बितर हो जाते है। क्योंकि उन्हें समझ ही नही आता कि सभी लोगो मे एकदम से आग कैसे लग गई मानो कोई रहस्यमय शक्ति का काम था। 

झुको मेरे सामने! मेरी पूजा करो आज से मै ही तुम्हारा भगवान हूँ! ब्लादीमीर ने पर्दे के पीछे से गरज कर कहा।

सभी लोग घबरा कर झुक जाते है! माया भी इस चमत्कार से घबरा जाती है। मानो उसे भी इस रहस्य का पता नही हो की सभी मे एकदम से आग कैसे लगी! सभी लोग माया दुवारा दी गई अंगूठी पहन लेते है जिसमे B बना हुआ था और ब्लादीमीर के नाम से जयकारा लगाते है।

20 दिसम्बर 1971
3 दिन बाद, ब्लादीमीर का किला

सुबह का समय, धूप निकली हुई है, सागर से ठंडी हवाएं किले की तरफ चल रही है। ब्लादीमीर अपने कमरे में मीरा के साथ सो रहा है। किले को बिल्कुल किसी शाही तरीके से सजाया गया था। ब्लादीमीर ने श्रीलंका से कुछ गुंडे काम पर रख लिए थे जो उस कारखाने में मसालों की जगह ड्रग्स, निशीले प्रदार्थ बनाते थे। कुछ लोग किले के अंदर मूलभूत कार्य कर रहे थे और कुछ लोग हथियार लिए किले की नेकाबन्दी कर रहे थे लेकिन किसी ने ब्लादीमीर को नही देखा था क्योकि सभी लोग समझते है कि ब्लादीमीर एल शैतान है जो दिखता अपनी मर्जी से है। माया और जॉन उसके लिए कार्य करते है। लेकिन किसी को नही पता था कि जॉन कोई और नही ब्लादिमीर ही है।

तभी माया की नींद खुलती है वह अपने पास ब्लादीमीर को पाकर एक अजीब घबराहट के साथ उसे उठाती है और उसके लिए कॉफी बनाकर लाती है।

ये लो! कॉफी का कप ब्लादीमीर को देते हुए माया ने कहा।

ब्लादीमीर कॉफी का कप एक मुस्कराहट के साथ उठा लेता है।

 तुम्हे कुछ पूछना है? ब्लादीमीर ने कॉफी का एक घूंट लेते हुए कहा।

तुमने ये सब किया कैसे? माया एकदम से बिस्तर पर बैठते हुए बोली।

क्या सब? ब्लादीमीर ने नजरअंदाज करते हुए कहा।

मतलब उन लोगो मे अपने आप आग लग जाना! माया ने ब्लादीमीर याद दिलाते हुए कहा।

सुनो फिर, जब सभी चर्च के सामने इकठ्ठे हुए तब बारिश शुरू हो गई थी। याद है ना! ब्लादीमीर ने याद दिलाते हुए कहा।

हाँ! माया ने एकदम से उतसाहित होते हुए बोला।

वो दरअसल बारिश नही थी पेट्रोल था। ब्लादीमीर ने मुस्कराते हुए कहा।

पेट्रोल? माया एकदम से चोंक जाती है।

हाँ पेट्रोल! मेने सब पर पेट्रोल छिड़क दिया था फिर छत की निचली परत पर जाकर मेने पहले ही छोटे छोटे छेद कर दिए थे। जंहा सभी नीचे ही खड़े थे। और मै वंहा जले हुए कागज लेकर ऊपर छत पर ही लेता हुआ था। सभी लोगो का ध्यान पर्दे के पीछे से आ रही ब्लादीमीर पर था इसलिए किसी का ऊपर ध्यान नही गया। जब मैने देखा कुछ लोग मेरा विरोध कर रहे है तो मैने उस जले हुए कागज की चिंगारी उनके ऊपर डाल दिये जिससे उनके शरीर पर लगे पैट्रोल ने आग पकड़ ली और वह जलने लगे।

लेकिन तुम तो पर्दे के पीछे थे? माया ने सोचते हुए बोला।

तभी ब्लादीमीर ने अलमारी से एक वघ्यन्त्र निकाला। 
देखो इसको कहते है आवाज को रिकॉर्ड करने वाले रिकॉर्डिंग यंत्र इसमें मेने अपनी आवाज पहले ही रिकॉर्ड कर ली थी जिससे लोगो को लगा कि मै ही पर्दे के पीछे हूँ।

लेकिन तुम्हारी परछाई? जो पर्दे के पीछे दिख रही थी? माया ने अजीब तरीके से पूछा।

वंहा कुर्सी पर मेरा पुतला बैठा हुआ था तो उन्हें लगा को मै ही बैठा हुआ हूं और मेरी आवाज से उन्हें पूरा यकीन भी हो गया।

लेकिन तुम्हे कैसे पता चला कि कुछ लोग तुम्हारे खिलाफ जाएंगे? और तुमने उन लोगो के अनुसार कैसे इस रिकॉर्डिंग यंत्र को चालू किया? मानो माया को धीरे धीरे सब समझ आ रहा हो।

मेने इसके बटन के ऊपर एक भारी चीज़ को हवा मे धागे की मदद से लटका रखा था जो कि सीधा छत पर जाता और इसका एक छोर मेरे हाँथ में था जब भी मुझे दूसरा संवाद बोलना था तब मै धागे को हल्का छोड देता था जो भारी चीज़ को रेकॉर्डिंग यंत्र की बटन से टकरा जाता और अगला संवाद चालू हो जाता। 

अदभुत! भले ही तुम चमत्कारी ना हो! लेकिन तुम बोहोत ही रहस्यमय हो तुम जिस तरीके से सोचते हो वैसे कोई नही सोच सकता सच मे! माया ने ब्लादिमीर को गले लगाते हुए बोला।

अभी तो बस शुरुआत है! अभी तो मैने पूर्वी दक्षिण एशिया को ही कब्जे में किया है। अब मुझे अपने कदम जापान, वियतनाम, की तरफ बढ़ाने होंगे। जिससे मेरे कब्जे में आसानी से उत्तर एशिया भी आ जाये। धीरे धीरे पूरा विश्व मेरे कब्जे में होगा फिलहाल हम कल वियतनाम के लिए रवाना होंगे! ब्लादीमीर ने कपड़े पहनते हुए कहा।

वियतनाम ही क्यो? माया ने सोचते हुए कहा।

शीतयुद्ध का समय है, लाओस और कंबोडिया में उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम का युद्ध चल रहा है। यही समय है जब हम वंहा अपने कदम गड़ा सकते है। अमेरिका के जीतने की उम्मीद ज्यादा है इसलिए दक्षिणी वियतनाम में हमे अपने उम्मीदवार को प्रधानमंत्री बनना होगा इसके लिए जरूरत है को पहले हम अपने उम्मीदवार को अमेरिका का दिल जितवाये। 

लेकिन हमारा उमीदवार होगा कौन? माया ने भी कपड़े पहनते हुए कहा। 

येन यांग! ब्लादीमीर ने कहा।

यह तो दक्षिणी वियतनाम का जनरल है ना! माया ने एकदम से पूछा

हाँ! और मेरा पुराना दोस्त! अब हमें हमारी विश्व विजयी यात्रा का आरम्भ करना होगा! ब्लादीमीर ने रहस्मय मुस्कराहट के साथ कहा।


लेखक - पवन सिंह सिकरवार 

नोट - पूरी कहानी के लिए आप इंडियन पेपर इंक एप्लीकेशन को गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड करके पढ़ सकते है। 

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